रविवार, 22 फ़रवरी 2009

गुलाबी (हाय ! मैं नाम क्यों लूँ ) बनाम धारीदार नाडे वाला कच्छा

मित्र सन्डे सिंग सुबह सुबह ही आ धमके, " क्यों झाजी, आजकल तो आपकी ब्लॉग्गिंग में कमल की परिचर्चा चल रही है, कोई शोध कर रहा है तो कोई थीसिस लिख रहा है। पब कल्चर का विरोध करके कल्चर को बचने वाले कल्चरल लोगों को बदले में ऐसा हर्बल ट्रीटमैंट , (अरे वही रिटर्न गिफ्ट मैं गुलाबी ................) मिलेगा, इसका तो किसी को अंदाजा भी नहीं होगा। और आपका ब्लॉगजगत तोमुआं फैशन टी वी बनता जा रहा है। बलात्कार, गाली गलौज की ख़बरों की चहल पहल से पहले ही कई फ्लेवर आपके ब्लॉगजगत में थे, और अब इस नए टॉपिक ने तो फैशन , रोमांस, प्रेम (जिसे कुछ लोगों ने अब प्रेम चोपडा साबित कर दिया है ), आदि कई तरह का पंचरंगी स्वाद ला दिया है।

अच्छा कमाल है, ये तो निहायत ही अनैतिक, अशूभ्नीय, अमर्यादित, अव्यवहारिक, अनर्गल, अधार्मिक और अनर्थ टाईप बात हुई जी। बताइये भाल हम तो यदि पिंक पैंथर की बात भी करते हैं तो मारे शर्म के गुलाबी लाल हो जाते हैं और यहं बाकायदा अभियान चलाया गया। मेरे ख्याल से इस पूरे प्रकरण और युगांतकारी घटना में हमारे धारीदार नादे वाले इज्जत बचाऊ यन्त्र की सर्वथा उपेक्षा की गयी है। यार हमें तो इस अभियान में अल्पसंख्यक टाईप का बन दिया गया ।

वैसे मुझ से पूछें तो मैं तो दोनों को ही बकवास मानता हूँ। अमा, पब में बैठकर या तब में बैठ कर दारु पीकर तल्ली होने की संख्या कम या ज्यादा होने से कौन सी ग्लोबल वार्मिंग पर कोई फर्क पड़ जाएगा, और उसके बदले ये बेलो दी बेल्ट टाईप विध्वंसकारी अभियान। यार इस आईडीए का तो पेटेंट करवाओ। अरे हाँ, कमाल है की अभी तक किसी भी परफैक्शनिस्ट और क्रियेटिव डाईरेक्टर ने इस पर पिक्चर बने की घोषणा नहीं की है। यदि बंटी है तो ऑस्कर पक्का है। हमारे इस सारांश हीन, सार्थक, शोधपत्र को सुन सन्डे सिंग हमें अकेला छोड़ सटक लिए.

1 टिप्पणी:

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला

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