(मोबालीतातिस से पीड़ित एक व्यक्ति ) गूगल बाबा से साभार
ये किसी भी लिहाज से ये अच्छी बात नहीं है..एक तरफ इस सूअर फ्लू ने सबको चिंतित और परेशान कर रखा है..इसके बाद बारिश की दो बूँदें पड़ते ही ..डेंगू..मलेरिया..बुखार और पता नहीं क्या क्या ढेर सारी बीमारियाँ ..अपने यहाँ मेहमान बनके आने वाली हैं..मुई कभी ..इस घर में डेरा डालेंगे..तो कभी उस घर में.....
मगर इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात तो ये है की ..एक और बीमारी भी चुपके चुपके इन दिनों आपना पाँव पसार रही है....रही है क्या जी..लगभग आधी से ज्यादा नस्ल तो इसकी चपेट में आ भी चुकी है ....आपके ..हमारे..घर..बहार..सड़क पर ..सभी जगह इसकी मरीज आपको दिख जायेंगे....अरे मैं बताता हूँ ना इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लक्षण..बीमारी का नाम है ..मोबालीताईतिस ..जी हाँ बिलकुल ठीक सुना आपने..
घर से बाहर निकलते ही कई सारे ..बीमार लोग..एक हाथ से या फिर दोनों हाथों से ..मोटरसायकल..कार..अजी अब तो बस, ट्रक..यहाँ तक रिक्शा भी चलाते हुए ....एक तरफ को गर्दन झुकी हुई ..कान और कंधे के बीच दुनिया की सबसे जरूरी वास्तु को टिकाये हुए ..चले जा रहे होते हैं..किसी की कोई फिक्र नहीं होती ...इस नश्वर संसार की सारी चिंताओं से मुक्त ..उनका सारा ध्यान उस देव वाणी की तरफ होता है जो उनके उस यन्त्र (अजी मोबाईल ) से निकल कर आ रही होती है...इस बीमारी के परिणामों की क्या बात कहें....उनका खुद का तो जो होता है ...वो होता ही है...यदि गलती से भी इन मरीजों के सामने ...कोई स्वस्थ इंसान पड़ जाए .....तो बस ..उसका बंटाधार तय है....वैज्ञानिक जो इस बीमारी के इलाज के लिए शोध रत हैं....बताते हैं की..इस बीमारी से बचने के लिए उन्होंने कई यन्त्र आविष्कार किये...जिन्हें हैंड्स फ्री कहते हैं....मगर क्या किया जाए ..कमबख्त मरीज मानते ही नहीं..कहते हैं इस बीमारी में उन्हें मजा आने लगा है...कहते हैं आदत पड़ गयी है...मुआ मोबाईल न हुआ ड्रग्स हो गया जैसे......
तो अब आपको जहां भी ये मरीज दिखें....उन्हें दूर से प्रणाम करके पतली गली हो लें..और दूर जाकर प्रार्थना करें..उनके लिए ...क्यूंकि देर सवेर.....उन्हें इस नश्वर संसार से मुक्ति....नारायण नारायण....वाह गोया ये पोस्ट न हुई हितोपदेश हो गया....
बहुत सुंदर् व्यंग्य। यहाँ तो ड्राइविंग के समय स्विच ऑफ ही इलाज है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा, लेकिन मुझे समझ नही आता कि लोग इतनी बात किस से ओर क्या करते है, फ़िर अगर जरुरी है तो हैंड्स फ्री ले ले, मेरे १५ € का कार्ड पुरे साल चलता है, ओर महीने मै एक दो बार ही कुछ पलो के लिये बात की.
जवाब देंहटाएंचलिये लगने दे बिमारी ....
बहुत खतरनाक बीमारी से मिलवा दिया. बच कर रहेंगे.
जवाब देंहटाएंबहुत खतरनाक बीमारी है यह, इसे रोकने के लिए कड़े कानून बनाने चाहिए।
जवाब देंहटाएंराम बचाये इस बीमारी से. हमारे पास तो है ही नही तो काहे की चिंता?
जवाब देंहटाएंरामराम.
नारायण,नारायण!
जवाब देंहटाएंआजकल तो सब इसी से पीडि़त हैं ..!
जवाब देंहटाएंबहुत सही....सचमुच इस रोग ने आधे से ज़्यादा लोगों को जकड रखा है.
जवाब देंहटाएंमाफ़ करना भैया जी हमको भी इस रोग ने चपेट मे ले रखा है।बचने के कोई उपाय हो ज़रूर बताईयेगा।
जवाब देंहटाएंश्रीअजयजी कुमार झा
जवाब देंहटाएंमोबालीताईतिस इस शब्द मे आपके व्यगात्मक लेख की पुरी छवि झलकती है। बहुत ही उपयोगी बाते कही है जनाब आपने।
आभार/मगलकामना
महावीर बी सेमलानी "भारती"
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मोबाइतोपदेश अच्छा है। इस प्रकार के चिंतनों के सूत्र समय समय पर ब्लॉगवासियों के लिए उपलब्ध करातें रहें। पर इस बीमारी से संपूर्ण मुक्ति व्यक्ति के अपने जमीर पर निर्भर है पर जमीर है कि जागता नहीं।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने ।
जवाब देंहटाएंbahut khoob kaha hai .
जवाब देंहटाएंshukriya .
renu....
ये तो कुछ भी नहीं यहाँ कई ब्लोग्र्ज़ को एक नया फ्लु हो गया है टिपिनाईटिस अब इसका क्या इलाज है? राम राम बच के रहना अजय भाइ
जवाब देंहटाएंये तो आप ने सही कहा …।
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग नित नई पोस्ट/ रचनाओं से सुवासित हो रहा है ..बधाई !!
जवाब देंहटाएं__________________________________
आयें मेरे "शब्द सृजन की ओर" भी और कुछ कहें भी....
ek insaan ko jeene ke lie kya chahiye?
जवाब देंहटाएंrotee ..kapda...makaan
aur
bas ek tho moblie
kya kare! is beemari ko palna insaan ki majboori ho gaya hain......par han....gadi chalate waqt, road par ...... aur public places par jo drama chalta hain iski wajah se....kai baar disturbance ki wajah ban jata hain
जवाब देंहटाएंbhut theek kaha aisa laga merre hi bimari hai
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा...हा...हा..हा..
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सही कहा
इस तरह के रोगियों की तादाद
हद से ज्यादा बढ़ती जा रही है !
सच बोलूं तो दो वर्ष पहले तक
मैं स्वयं इस भयंकर बीमारी से ग्रसित था !
लेकिन बाबा राम्देब की शरण में जाकर मेरा कल्याण हो गया !
आज हालत यह है कि न के बराबर मोबाईल प्रयोग करता हूँ !
एक मोटी रकम बचती है सो अलग !
बधाई शानदार और महत्वपूर्ण आलेख के लिए
आज की आवाज
गजब का वर्णन किया है आपने। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }