जूते जूते पर लिखा है खाने वाले का नाम :-
जी हाँ, गया वो ज़माना जब ये कहावत चलती थी की दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम, और हो भी क्यों न, जब विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी जूते खाने लगे तो यही कहावत तो चलन में आयेगा। और फ़िर ये बात तो ख़ुद बुश साहब ने ही बताई है, क्या कहा आप नहीं जानते, लीजिये ये खाकसार बताता है न। दरअसल हाल ही में बुश साहब ने एक पत्रकार वार्ता की, अरे वो जूतों वाली ऐतिहासिक वार्ता के बाद, इस बार उन्होंने ये वार्ता जूते प्रूफ़ केबिन ( पिछली वार्ता के बाद उन्हें लग गया था की बुल्लेट प्रूफ़ से ज्यादा उन्हें जूते प्रूफ़ केबिन की जरूरत है ) , में की थी और एहतियात के तौर पर सबको नंगे पाँव आने को कहा गया था। आप सोच रहे होंगे इस बात की ख़बर कहीं भी नहीं देखी, अरे आप देखेंगे कैसे, जब सबे तेज से लेकर सबसे धीरे चैनल तक वाले हमसे ही फुटेज की भीख मांग रहे हैं, खैर।
बुश साहब ने आते ही पत्रकारों से शिकायत शुरू कर दी, ये क्या भाई, आप लोगों तो उस घटना को इस तरह से देखा और दिखाया की जैसे ये yugon में एक बार ghatne वाले big बैंग की घटना हो। आप लोगों ने न तो उस वार्ता के विषय, न ही मेरे विचार, न ही मेरी इराक़ यात्रा , के बारे में कुछ लिखा , आप सब तो बस जूते के पीछे पड़ गए। आप लोगों ने जूते का रंग, उसका वजन, उसका नंबर, फैंकने का एंगल, आदि पर इतना सब कुछ पेश किया, मेरी काबिलियत, जिससे मैं एक नहीं बल्कि दोनों यानि पोर जोड़ी जूते के निशाने में आने से ख़ुद को बचा गया, इस बारे में कहीं कुछ नहीं लिखा , यार मेरा भी कुछ टैलेंट है या नहीं। मैं तो इतना तैयार था की यदि उस दिन सभी पत्रकार अपने फूटे चप्पल खींच कर मारते तो भी मैं निशाने में आने से बच जाता।
वैसे भी किसी के कुछ करने से कुछ नहीं होता, क्योंकि मैंने कहीं सुना पढ़ा था की , जूते जूते पर लिखा है खाने वाले का नाम, और न तो उस जूते पर जोर्ज लिखा था न ही बुश ।
अंकल , पाकिस्तान से आप कहो न :-
देखिये हम कितने अमन पसंद, सहनशील और प्यारे लोग हैं, इतना कुछ हो जाता है हमारे साथ और होता ही रहता है। लेकिन वह रे हम, चुपचाप सब कुछ बर्दाश्त करते हुए पूरे विश्व समुदाय के सामने अपनी हालत की जानकारी रखते हैं, बेशक वे कुछ न करें, कुछ भी न देख्जें सुने, मगर हम तो अपनी कोशिश करते हैं न। पहले हमने अपने बड़े अंकल अमेरिका को कहा की देखो अंकल आपके होने के बावजूद ये पकिस्तान हमारे साथ यही करता आ रहा है, मानता ही नहीं। हमने देखा की पाकिस्तान पर तो अमेरिका अंकल के ओहदे और पावर का कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा, हम कहाँ मानने वाले थे, हमने बिना देरी किया, फटाक से चीन अंकल से भी शिकायत कर दी। और हम पाकिस्तान को साफ़ बता देते हैं , की हम भी हारने वाले नहीं हैं, अम्रीका से लेकर, चीन, फ्रांस, गरमानी, इंग्लैंड, पोलैंड, बरमूडा, चेकोस्लोवाकिया, और कीनिया तक से आपकी शिकायत कर देंगे, फ़िर सबको कहेंगे की सब आपसे कुट्टी कर दें, क्यों मनमोहन जी हम यही करेंगे न ?
बहन जी सत्यानाशी पार्टी (ब स पा ) ने नरबली दी :-
क्या कोई सोच सकता है की आज के दौर में जब हम चाँद सूरज को छूने को तैयार हैं, ऐसे में भी एक महँ राजनितिक दल ने अपने नेता के जन्मदिन के अवसर पर नर बलि की तैयारी की और उसके एक सेनानी ने ; बहादुरी से पुरे अस्त्र शाश्त्रों के साथ एक बुद्धिमान, काबिल इंसान की नरबली दी। दरसल जब नरबली के लिए विचार चल रहा था तो पहले सेनानी बोले की माता क्यों ने किसी ग्रामीण अनपढ़ की नरबली दे दें, माता जी ने कहा, नहीं अब हमरी पार्टी बेहद मजबूत और बहुत बड़ी हो गयी है, अब तो कौनो अफसर, कौनो डाक्टर, कौनो इंजिनियर की बलि दो तभी हमारा जन्मदिन सार्थक होगा। और देखिये कितना सार्थक रहा सब कुछ, इसी को तो बहुजन के लिए समाजवाद कहते हैं, हाथी मतवाला होता ही है जी.
बहुत दिलचस्प पोस्ट. जूते जूते पर लिखा है पहिनने और खाने वाले का नाम हा हा हा .
जवाब देंहटाएंअजय जी
जवाब देंहटाएंआपका व्यंग्य तारीफ़ के काबिल है....
बधाई...
सिंहासन के लिए नरबलि की परंपरा तो आदि काल से चली आ रही है । फ़िर बहन मायावती के कारिंदों ने इस नुस्खे को आज़मा कर कौन सा गुनाह कर डाला ।
जवाब देंहटाएंअजयजी ,आपकी टिप्पणी किन्हीं तकनीकी गडबडियों के कारण पोस्ट तक नहीं पहुंच सकी । बहरहाल प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया ।
aap sabkaa bahut bahut dhanyavaad, kya karun jee seedee seedhee baaton ko bhee ultaa hokar dekhne kee aadat see ho gayee hai aur kamaal hai ki sabko wahee achha lagtaa hai. padhne aur saraahne ke liye dhanyavad.
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