अरिंदम-- छोटा सा ब्लॉगर, कक्षा च्छ में पढ़ने वाला, पहला चिटठा बच्चों पर बनी फिल्म तारे ज़मीन पर पर की। और क्या धमाकेदार चर्चा की। सचमुच कमाल का लेखन और प्रतिभा है। बिल्कुल फिल्म के बाल कलाकार दर्शील की तरह चर्चित हो रहा है अरिंदम भी। कहते हैं होनहार के पूत के पाँव पालने में दिख जाते हैं। सो दिख ही रहे हैं॥ चलिए अच्छा है, इस से लगता है कि ब्लोग्गिंग का भविष्य बहुत उज्ज्व्वल होने वाला है।
लेकिन इससे अलग जिस एक बात पर मेरा ध्यान ज्यादा गया वो था कि अरिंदम को अविनाश जी के मोहल्ले में , ब्लोग जगत में कदम रखते ही , एक नया फ्लैट मिल गया और ये उसके लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो गयी ॥ बधाई हो अरिंदम।
एक हम हैं नसीब के मारे , खानाबदोश के खानाबदोश ही हैं अब तक, मोहल्ला तो दूर कोइ गली तक में घुसने नहीं देता.
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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला