#येउनदिनोंकीबातथी
वो वर्ष शायद 96 -97 के आसपास का रहा होगा। मुझे ये तो याद नहीं कि अपनी किस प्रतियोगी परीक्षा को देने के दौरान मैं कोलकाता अपने चचेरे भैया चुन्नू भईया के यहां पर ठहरा हुआ था। उन दिनों जैसा कि अक्सर सफर में आते जाते रुकते चलते हो जाया करता था हम टूथ ब्रश ,शेविंग किट आदि भूल जाया करते थे और फिर हर नई जगह पर पहुँच कर उन्हें खरीद कर फिर वहीं भूल कर आगे निकल जाते थे।
अब तो लगातार सफर करने के अनुभव ने जाने क्या क्या सिखा समझा दिया तो सफर के सामना में टॉर्च ,रस्सी ,दवाई के साथ साथ सब कुछ वाईन्ड अप करने के बाद सामानों को क्रॉस चैक करने की आदत बाय डिफ़ॉल्ट सी हो गयी है।
तो उन दिनों कोलकता में परीक्षा देने के बाद कोलकाता से मेरी वापसी हो गयी। थोड़े दिनों बाद भाभी का फोन आया तो उन्होंने इस बीच वहां घटा बड़ा ही मजेदार वाकया सुनाया। हुआ ये की चुन्नू भईया के बड़े साले साहब किशुन जी भी उन्हीं दिनों किसी काम से कोलकाता गए हुए थे। उन्होंने एक दिन अचानक जल्दबाजी में या बिना देखे हुए भूलवश जब ब्रश करके बाहर निकले तो हमारे भाभी यानी अपनी बहन श्री से कहा ये भोला अपना जो टूथपेस्ट भूल गया था उसमे झाग तो बहुत बढ़िया आता है मगर स्वाद एकदम बकवास है इसका। भाभी ने जोरदार ठहाका लगा कर उन्हें कहा कि अपने ध्यान से नहीं देखा वो शेविंग पेस्ट था टूथ पेस्ट नहीं। जब वो ये बात मुझे फोन पर बता रहीं थीं तो मैं ये दृश्य कल्पना करके ही पेट पकड़ कर हँसते हँसते लोट पोट हो गया था।
ऐसे ही एक बार ,नौकरी लगने के कुछ दिनों बाद मेरा गाँव जाना हुआ ,वो शायद काली पूजा का समय था और गाँव में बहुत सारे मेहमान रिश्तेदार आदि भी हमेशा की तरह आए हुए थे। मैं स्नान के लिए लिरिल साबुन का प्रयोग किया करता था जिसकी नीम्बू युक्त मादक गंध बहुत समय तक न सिर्फ देह को बल्कि चापाकल के आसपास के स्थान को भी गमकाए रखती थी। मेरे एक काकाजी अक्सर नहाने के बाद पूछते थे भोला ये तेरा साबुन बहुत खुशबू मारता है। मैं मुस्कुरा कर रह जाता था।
एक दिन मेरे स्नान करने के तुरंत बाद वे स्नान करने उसी चापाकल पर आए। थोड़ी देर बाद स्नान करके मुझे साबुन दानी पकड़ाते हुए कहा कि भोला आज तेरे साबुन से मैं भी नया लिया। खुशबू तो अलग थी मगर झाग से पूरा बदन भर गया। स्नान का तो आनंद आ गया।
अब हैरान होने की बारी मेरी थी क्यूंकि मुझे याद था कि स्नान वाला साबुन तो मैं अपने तौलिये और लोटे के साथ ही उठा लाया था अपने कमरे में। मैंने साबुन दानी खोल कर देखी। उसमें उन दिनों नया नया चला वो खुशबू और झाग से कपड़ों को भर देने वाला एरियल या रिन जैसा कोई नीला साबुन था। अब मैं समझ गया था कि उसमें से झाग और खुशबू इतनी भरपूर क्यों आई। मगर मैंने काका जी की चेहरे की ख़ुशी और मासूमियत के कारण बिना उन्हें कुछ कहे बस मुस्कुरा कर रह गया।
आह वो दिन ,और उन दिनों के वो मासूम किस्से
बहुत ही प्यारे और मासूम किस्से
जवाब देंहटाएंशुक्रिया और स्नेह दोस्त जी
हटाएंहाहाहा,
जवाब देंहटाएंऐसे अनेक किस्से सभी के साथ कभी न कभी घटित अवश्य हुए हैं. बस याद आने और उन्हें उतारने की बात है.
कई दिन से हॉस्टल के समय की एक घटना लिखने की सोच रहे, आज लिखते हैं.
पढ़ कर आया मैं ,आपकी कुत्तों और बिस्किट वाली खुराफात। सच में ही वे दिन बड़े कमाल के दिन थे
हटाएंहाहाहाहाहा गुज़रे ज़माने के यह किस्से आज कोरोना के अवसाद को भुलाने के लिए औषधि से कम नहीं।
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं आप इसलिए ही पुरानी यादों के पन्ने जरूर पलटते रहने चाहिए। आभार आपका सुनीता जी
हटाएंमधुर स्मृतियां
जवाब देंहटाएंआभार मित्र ।
हटाएंगुज़रे ज़माने के यह किस्से --- कभी भी अंदर तक गुदगुदा देते हैं !
जवाब देंहटाएंजी इसी का नाम तो जीवन है । और यादें अनमोल हैं ।
जवाब देंहटाएंYou’d outstanding guidelines here. I did a search about the field and identified that very likely the majority will agree with your web page.
जवाब देंहटाएंJNU University BCOM 1st Year Result 2020
JNU University BCOM 2nd Year Result 2020
JNU University BCOM 3rd Year Result 2020
Latest Tips & Tricks in Hindi 2021 Me Jane
जवाब देंहटाएं