मुझे ज्ञात नहीं है कि विश्व के किसी
अन्य देश में , भाई बहन के प्रेम , स्नेह और विश्वास का प्रतीक ऐसा कोई
पर्व त्यौहार या परंपरा है जैसा कि भारत में रक्षाबंधन का त्यौहार है । यूं
तो कहा जाता है कि इस त्यौहार के पीछे असली कहानी रानी पद्मावती द्वारा
अपनी सहायता के लिए मुगल नरेश को चिट्ठी लिखना जैसी कोई घटना थी ,मगर उससे
इतर ये बहुत ही सुखद लगता है कि आजकल पश्चिम से आयातित होने वाले तमाम उल
जलूल डे नुमा जबरिया बनाए जा रहे त्यौहारों से अलग एक बिल्कुल साधारण ,
बिना लकदक , तामझाम और फ़ूं फ़ां के मनाया जाने वाला ये पर्व , सिर्फ़ भाई बहन
के बीच के अटूट स्नेह , प्रेम और विश्वास का प्रतीक है जो पूरे देश में
बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । पूरे देश भर में बहनें अपने
भाइयों की कलाइयों को भांति भांति के सुंधर धागों और राखियों से सजाती हैं
और ये उम्मीद करती हैं कि ये डोर उनके बीच के प्रेम स्नेह को बनाए रखेगी ।
मेरी
दीदी को गए अब बाइस बरस से ऊपर हो चुके हैं लेकिन अब भी याद है कि दीदी
किस तरह महीना पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती थीं । पहले यूं आज की तरह
कहां बाज़ार राखियों से पटे होते थे , मुझे तो वो स्पंज की फ़ूली हुई बडी
बडी राखियां ही याद हैं , बाद के वर्षों में दीदी बाज़ार से रेशम के धागे ,
मोती , छोटी छोटी टिकलियां और जाने क्या क्या लाती थीं और फ़िर उनसे गज़ब की
राखियां बनाती थीं । फ़िर शुरू होता था राखियों को भेजने का दौर । अब तो
पोस्ट आफ़िस में भी कहां दिखते हैं रखियों से भरे हुए , फ़ूले हुए लिफ़ाफ़े और
दूसरी तरफ़ उनके पहुंचने का इंतज़ार । चचेरे , ममेरे , मौसेरे , फ़ुफ़ेरे और
जितने भी रे भाई हैं , सबके नाम पते पहले से ही लिख कर रख लेना लिफ़ाफ़ों पर
ताकि कोई छूटे न और फ़िर जो जितनी दूर उसे उतना पहले ही भेजने की तैयारी ।
और सबसे आखिर में हम दोनों भाइयों की राखी । आज तक न दीदी की यादें धुंधली
हुई हैं न ही उन राखियों की ।
बरसों पुरानी एक फ़ोटो , बाएं से अनुज संजय , दीदी और फ़िर आखिर में मैं |
रक्षा बंधन के दिन सुबह ही उठ कर , अमूमन तौर पर , छुट्टी का दिन होने के कारण स्कूली दिनों की अपेक्षा थोडी ज्यादा देर से उठने की गुंजाइश ज्यादा होती थी , लेकिन रक्षा बंधन के दिन सुबह सुबह उठ कर नहा धो कर एकदम बीबा पुत्तर जैसे तैयार हो कर चकाचक हो जाने की जल्दी हुआ करती थी । मां थाल में टीका रोली और राखी के साथ मिठाई सब सज़ा कर तैयार रखती थीं । फ़िर दीदी राखी बांधती थीं पहले अपनी बनाई राखी और फ़िर एक एक करके लिफ़ाफ़ों में आई हुई राखियां । कलाई से कोहनी तक सब फ़ुलल्लम फ़ुल और हम भी पूरे शान से शाम तक उसे बांधे बांधे फ़िरते रहते थे । एक दूसरे को दिखाते और देखते हुए । मां घर में कोई पकवान , कोई खास व्यंजन की तैयारी में और हम बच्चे पूरे मुहल्ले मैदान में धमाचौकडी ।
एक और खास बात हुआ करती थी वो थी स्कूल में एक दिन पहले राखी का त्यौहार मनाया जाना । ये तो नहीं पता कि इन दिनों इस परंपरा को कैसे निभाया जाता है किंतु उन दिनों इसे बडी शिद्दत के साथ मनाया जाता था । स्कूल में साथ पढने वाली सहपाठिनें घर से बनाई हुई राखियां ला कर हमारी कलाई पर बांधती थीं और हम उन्हें टॉफ़ी चॉकलेट दिया करते थे । क्लास में चहेते बच्चों के हाथों में भी खूब सारी राखियां बंधी होती थीं और शिक्षकों को भी बांधा जाता था । गांव पहुंचे तो, हर आंगन में सुनाई देने लगा ,
अब तो सब कुछ सिर्फ़ यादें रह गई हैं और सब कुछ सिमट कर आ गया है यहां
बुलबुल गोलू भईया को राखी बांधती हुई |
किसी और संस्कृति में इस तरह के त्योहार की झलक नहीं मिलती है
जवाब देंहटाएंआपके चित्र में आपका चेहरा तुरन्त पहचान आ जाता है, कुछ भी नहीं बदला है।
दीदी को प्रणाम वो आज भी आपके साथ है अजय भाई !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये | आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
bahut achchha likha hai...sansmaran ki tarah...
जवाब देंहटाएंआप तो बिलकुल नहीं बदले ....
जवाब देंहटाएंगोलू और बुलबुल को भी हैप्पी राखी ....
बहुत-बहुत बधाई और स्नेहाशीष...
जवाब देंहटाएंयादें जो कभी दूर नहीं जातीं ..... इस पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंaapne hame bhi yaad dila diya....:) wo sponge wali moti rakhiyan.........kiski raakhi sabse moti....:)))
जवाब देंहटाएंaapke lekhni ka jabab nahi!!
बहुत सारी अनमोल यादों का खजाना खोल दिया आपने ...
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल पर्व की अनंत मंगल कामनाएं
मीठी मीठी यादें .
जवाब देंहटाएंभाई बहन के प्यार का प्रतीक है रक्षाबंधन .
शुभकामनायें .
बहुत ही सुन्दर .............रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंमैं तो आज भी रक्षाबंधन ऐसे ही मनाती हूँ.... स्कूल में भी सेलिब्रेशन होता है लेकिन एक दूसरे को राखी नहीं बंधवाई जाती बल्कि हम रक्षाबंधन से रिलेटेड चार्ट और तरह-तरह की राखियाँ बनाकर क्लास को सजाते हैं.... आपको और गोलू एवं बुलबुल को रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाइयाँ..!!!
जवाब देंहटाएंअजय जी ...जाने वाले को आप अभी भी दिल से याद करते हैं ...ये हैं आपका सच्चा बंधन ....
जवाब देंहटाएंवो आज भी आप में कहीं ..ना कहीं जीवित हैं ...