जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी , तब वो ब्लैक एंड व्हाईट पिक्चर की तरह नहीं भी तो भी थ्री डी डायमेंशन वाली भी नहीं थी । हालांकि तब हमें खुद इस बात की सुध नहीं थी कि ब्लॉगिंग में घुस कर हम कोई तीर मारने जा रहे हैं .......बस ये कुछ इस तरह था मानो जो कलम घिसाई करते थे वो कुछ कुछ लोहा कुटाई में परिवर्तित हो रहा था ...। मगर प्रतिक्रियाओं ने जरूर एक रोमांच सा बढा दिया था .....और आज जो नए बैट्समैन ..अरे नए ब्लॉगर यार ... एक पोस्ट लिखने के बाद ..टिप्पणी की हाफ़ सेंचुरी की उम्मीद बांध बैठते हैं ..उनके लिए बताते चलें कि उस वक्त तो स्कोर कुछ इस तरह का हुआ करता था कि पच्चीस पोस्टें ....पढी गईं ....दस बार .....टिप्पणी .....अबे चलो दस के दस यूं ही निकल जाया करते थे ....। और हमारी बहादुरी देखिए ..कि हम डटे रहते थे मैदान में ....आखिर बाद में लंबी पारी जो खेलनी थी ।
मगर फ़िर भी पहले के एक डेढ सालों तक बस कैफ़े वाले का पिछले जन्म का कोई कर्जा लिया था ...ससुरे का वही उतारते से रहे । बाद में श्रीमती जी ने जाने किस डर से ( हालांकि ये अभी तक एक राज बना हुआ है कि उन्हें हमारे एक डेढ घंटे की आजादी से दुशमनी के कारण , या फ़िर कैफ़े में होने वाले "लव आजकल "टाईप के फ़्लू से हमें बचने बचाने की खातिर , ) हमें लैपटॉप गिफ़्ट कर दिया । हा हा हा ......वो दिन और आज का दिन ...आज तक उस घडी को कोसती हैं .........मुई ब्लॉगिंग न हो गई सौतन हो गई ....। अब हमारा क्या है ..हमारा तो दोनों पर ही जोर नहीं चलता ......ने ये छोडी जाती है ...न वो हमें छोडती है ..खैर ये तो घर घर की कहानी है । मारिए गोली इसे ।
तो मैं कह रहा था कि जब घर पर ही कंप्यूटर ले लिया तो ये बिल्कुल उसी तरह से हो गया जैसे किसी अघोरी को शमशान में ही फ़्लैट मिल गया हो ...अब दिन रात धूनी जमी रहती थी । मगर कसम इस लैपटॉप की जो कभी ये ख्याल मन में आया हो कि ........एक धेला भी किसी दिन इस ब्लॉगिंग के नाम पर ....मुझे मिलेगा । अलबत्ता जिन एक आध मित्रों को मैंने जबरन इस ब्लॉगिंग में उतारा .....उन्हें जरूर ये कहा कि बस एक बार आप ब्लॉगिंग शुरू करो ...कुछ दिनों में ही नौकरी से भी मन उकताने लगेगा ...इतना नांवा कूटोगे ....इश्वर खैर करे ...आज यदि वे सब ये पोस्ट पढें तो .जरूर ही मुझे कोस कर माफ़ कर दें .....क्योंकि थोडे दिनों बाद नौकरी से मन तो उकताने लगा उनका ......मगर नांवें के चक्कर में नहीं ...टिप्पणी के चक्कर में ......ये तो होना ही था । मुझे पता था इस गूगल बाबा को कौन सा हम हिंदी के ब्लॉगर .....नोबेल पुरस्कार जितवा देंगे ..जो हमारे खाते कुछ बांधे ।
अचानक एक दिन श्री रवि रतलामी जी की एक पोस्ट के माध्यम से ( शायद उनकी रविवारीय चिट्ठाचर्चा वाली पोस्ट थी ) में उन्होंने दैनिक जागरण के नए ब्लॉगिंग मंच जागरण जंक्शन से परिचय करवाया ।
हमने भी आव देखा न ताव ..दन्न से "ब्लॉग बकबक " के नाम से खाता खोल दिया । वर्डप्रैस के प्लेटफ़ार्म पर होने के कारण ये जितना सुस्त था उतना ही उबाऊ भी । मगर इसकी जिस खासियत ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो ये थी कि जितने भी लोग इस मंच से जुडे हुए थे वे सब के सब ...हिंदी के अनियमित , दूर दराज़ के क्षेत्र से , और बहुरंगी ब्लॉगर थे । अपने लिए तो ये एक वैकल्पिक मंच की तरह था । सो ब्लॉगर पर जो भी लिखते ..उसे वहां चेप आते ।
कुछ दिनों बाद पता चला कि जागरण जंक्शन पर एक प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है "ब्लॉग स्टार कॉंटेस्ट " । इसमें विजेताओं को , प्रथम तीन को तो लैपटॉप , एक डिजिटल कैमरा , और एक मोबाईल मिलने की घोषणा की गई । अन्य सात लोगों को 1100 की राशि दिए जाने की योजना थी । मगर हाय री किस्मत , जब हमें ये पता चला , तब तक उस ब्लॉग का यूजर नेम और पासवर्ड ही हम भूल गए । सो टालमटाल वाली बात हो गई । मगर फ़िर पाबला जी के सहयोग से उसे फ़िर से ढूंढ निकाला गया , उन्होंने बताया कि किस तरह से नया पासवर्ड बनाया जा सकता है । खैर गाडी चलती रही , इसके बाद एक दिन अचानक , एक मेल मिली कि आपको प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ बीस ब्लॉगों की सूची में स्थान दिया गया है । आयं , हम चौंके , अबे जब पासवर्ड भूल कर ब्लॉगिंग कर रहे तो तो टॉप ट्वेंटी में , यदि याद रहता तो ...। खैर उसके बाद अपना भी थोडा बहुत मन लगने लगा ,घुस जाते थे जब तब वहां , और अपने "झा जी कहिन " की चर्चाओं में भी उस मंच की पोस्टों का जिक्र किया मैंने कई बार । अंतत: एक दिन एक और मेल आई कि आपके ब्लॉग को सर्वश्रेष्ट दस ब्लॉगकी सूची में स्थान दिया गया है ।
बस ....उसके बाद तो जैसे ......हो गई अपनी बल्ले बल्ले......हो गई रे बल्ले बल्ले..। प्रतियोगिता के अंतिम परिणाम में शायद सांतवां स्थान दिया गया मुझे ....और वही ग्यारह नोट पक्के हो गए । तो बताईये ...कहानी की हैप्पी एंडिंग ..किसे नहीं अच्छी लगती भला ? अब सुना है कि जागरण जंक्शन पर ये प्रतियोगिता दोबारा भी और शायद उसके बाद भी आयोजित होती रहेगी । फ़िलहाल उसमें , सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर जैसा नया फ़ीचर भी जोडा गया है ...........तो देर किस बात की है ....शुरू हो जाईये .......और हां अब ये मत कहना कि हिंदी ब्लॉगिंग में पैसे नहीं मिलते .........मैं नहीं मानूंगा .....
मंगलवार, 3 अगस्त 2010
हां ! तो कौन कहता है हिंदी ब्लॉगिंग से कमाई नहीं होती बे........
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अघोरी को शमशान में ही फ़्लैट मिल गया और 1100 का चढ़ावा भी
जवाब देंहटाएंजय ब्लॉगिंग मैय्या
यह सब बेकार की बाते तो होती रहेगी अभी से बता दे रहे है अक्टूबर में आ रहे है दिल्ली यह रकम बचा के रखिये पार्टी के लिए !
जवाब देंहटाएंवैसे बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ..............हमारे आने तक ४-५ और ऐसे ही पुरस्कार जीत कर रखिये !
पाबला जी की बात ध्यान देने के काबिल है ओर हां यह ११०० समभाल कर रखे मै जल्द ही आने वाला हुं, आज कल मै???
जवाब देंहटाएंपैसा बचा के.. हमारे पार्टी के लिए..
जवाब देंहटाएंपार्टी......... treat....... bash........
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयानि ब्लोगिंग के लिए एक और इंसेंटिव । अब तो ब्लोगिंग बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे भाई । आखिर उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है ।
जवाब देंहटाएंएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
ब्लोगिंग एक परोपकार और जागरूकता भरा माध्यम है | इसमें अगर प्रोत्साहन और कमाई भी हो तो निश्चय ही यह और भी प्रभावी बनेगा जिससे लोग इस और आकर्षित होंगे ,लेकिन कमाई ईमानदारी व लोभ-लालच से नहीं होनी चाहिए नहीं तो मिडिया की तरह इसका भी अंजाम सामाजिक विश्वास का अंत के रूप में होगा ..कमाई का आधार उम्दा सोच व उसे सम्मानित करने का ईमानदारी भरा प्रयास होना चाहिए ...जिसकी आज सख्त जरूरत है ... सामाजिक और सरकारी दोनों स्तर पे ...
जवाब देंहटाएंइस उपलब्धि के लिये बधाई!
जवाब देंहटाएंकैफ़े में होने वाले "लव आजकल "टाईप के फ़्लू से हमें बचने बचाने की खातिर , ) हमें लैपटॉप गिफ़्ट कर दिया । हा हा हा ......
जवाब देंहटाएंअघोरी को शमशान में ही फ्लैट
बढिया है
इसबार पहला इनाम जीतियेगा जी, शुभकामनायें
अच्छा किया कि पोस्ट के शुरू में ही इतने सारे 500-500 के नए नोटों की फ़ोटो लगा दी आपने. इसके चक्कर में, लालच के चलते पूरी पोस्ट मन लगा कर पढ़ी ...तब कही जाकर टिप्पणी की.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद. मैं भी जंक्शन का चक्कर लगाने जा रहा हूं...देखता हूं कि नावां कमाने का वहां कैसा सीन है..
बहुत बढ़िया ....पहले तो बधाई ...और शुक्रिया इतनी अच्छी जानकारी के लिए ....वैसे वहाँ तो हम भी हैं पर अब ढूँढते हैं अपना पास वर्ड ...:):) और चिपका आते हैं अपनी पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंHaardik Badhayi.
जवाब देंहटाएं…………..
अद्भुत रहस्य: स्टोनहेंज।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..।
लो जी, जागरण जंक्शन पर मैं भी एक ब्लाग ठोक आया हूं...अब देखता हूं कि कब नोटों की खुशबू कब आती है :-))
जवाब देंहटाएंहम तो डर गए थे, सर जी !
जवाब देंहटाएंवाह झा साहब, हम अकेले ही क्यों.... दो चार को भी उकसाकर डुबाते चले ! मैं तो यही कहूंगा कि इस दिशा में आपका प्रयास सराहनीय है ! :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंमैं भी चला जंक्शन.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
अब तो जंक्शन पर ही मुलाकात होगी झा जी..बाय!!
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