आखिरकार लगभग एक सप्ताह के ग्राम प्रवासके बाद वापसी हो ही गई । आज ही दोपहर कोवापसी हुई है । अभी तो उंगलियों में गांव कीमीठी मीठी ठंड का स्वाद भी नहीं उतरा हैइसलिए ज्यादा तो शायद नहीं लिखा जाएगा ।मगर एक ब्लोग्गर के सामने कंप्यूटर हो औरवो पोस्ट न लिख मारे तो फ़िर काहे का ब्लोगरजी । और हम तो घोषित ब्लोग्गर हैं जी ...अबये मत पूछियेगा कि घोषित अपराधी की तर्ज़ पेहमें घोषित ब्लोग्गर किसने बना दिया ।मगर येसब बातें तो फ़िर कभी फ़िलहाल तो इस यात्रा और मेरे ग्राम प्रवास की पहली किस्त आपके सामने रख रहा हूं ।जाहिर सी बात है कि आज मेरे शब्दों से ज्यादा आपसे मेरे मोबाईल के खींचे हुए चित्र ही रूबरू होंगे, हां उनके पूरकके रूप में कुछ पंक्तियां भी हैं ।
भारतीय रेल से मेरी एक शिकायत हमेशा हीरही है कि चाहे भारतीय रेल , भले ही करोंडों कामुनाफ़ा करके रिकार्ड स्थापित कर रहा हो, बेशक नित नई नई योजानाओं /परियोजनाओं पर काम कर रहा हो और बेशक ही बहुत सारे रेल मंत्रियों में से अधिकांश खुद बिहार से ही हुए हैं इसके बावजूद , सुरक्षा, खानपान, स्वच्छता, और रेल परिचालन व्यवस्था ......ये चार वो मुख्य बिंदु हैं जिनपर कभी भी गंभीरता से काम नहीं हुआ है । और एक बार फ़िर से इस रेलयात्रा ने मेरी इस राय को पुख्ता ही किया । उस दिन भी हमारी रवानगी के समय दो प्लेटफ़ार्म पर ही चार चार रेलों के चलने की घोषणा, और चार चार रेल के यात्रियों का हुजूम , गरीब रथ के समय पर दुरंतो का आगमन और प्रस्थान, यात्रियों की अफ़रातफ़री ....से सफ़र काआगाज़ हुआ । चित्र में आप खुद ही देखिए ।
इसके बाद गरीब रथ में डिब्बे के अंदर एकमधुबनी चित्रकला का नमूना देखिए ।
रेल के अंदर से हमारी खूबसूरत धरती से एक मुलाकात ॥
बिहार में रेल की पटरियों के साथ ही लगे हुए एक साप्ताहिक हाट का चित्र
रेल यात्रा के दौरान मिले बहुत से रेलवे स्टेशनों में से एक पर बैठा हुआ ये मैंनों का झुंड, जिन्हें न जाने कितने वर्षों के बाद देखा , मेरी हिम्मत तो बहुत हुई कि उनसे शिकायत करूं, उलाहना दूं कि आखिर क्यों नहीं आते वहां चाहे परदेसी बन के ही सही । मगर उन्होंने अपनी चहचहाट में ही इतना कुछ कह दिया कि मेरी हिम्मत ही नहीं हुई आगे कुछ कहने की । आप खुद ही देखिए
तो आज बस इतना ही, कल से सिलसिलेवार बहुत कुछ बातें बतानी हैं आपको , माता जी की बरसी, सामूहिक भोज, ग्राम का प्राथमिक विद्यालय, बिहार का विकास, सच और झूठ, एक मुलाकात गांव के पेड पौधों से , और इस यात्रा के दौरान मिली दो बालिकाएं, ....पूजा और अर्चना ....सच मानिये ...अभी इस कहानी के कई पात्रों से मिलना और मिलाना है आपको ...........................मिलेंगे न.................???????
वाह ये हुई न बात !
जवाब देंहटाएंएक चित्र हज़ार कहता है.
वापसी पर स्वागत है.
वापसी का स्वागत है !!
जवाब देंहटाएंभैये अपने प्राइमरी के स्कूलवा का उल्लेख जरूरे करेव !
हमका इन्तजार रही !
चित्र अपनी कहानी खुद कह रहे हैं। आप यात्रा से लौटे हैं, कुछ थकैला उतारिए। तब तक आप विषय सूची के आलेखों को पढ़ने की तैयारी करते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अजय जी , इसे कहते है ब्लोगर , जहाँ भी रहते हैं वहाँ ब्लोगिंग की खुरापाती चलाते रहते हैं । स्वागत है आपका
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंयात्रा के संस्मरणों की प्रतीक्षा
बी एस पाबला
पहला चित्र बता रहा है कि आपका दाना-पानी रिज़र्वड है :)
जवाब देंहटाएंग्राम यात्रा का बढ़िया सचित्र ब्यौरा दिया है आभार
जवाब देंहटाएंवेलकम बैक..आफ्टर ग्राम प्रवास। सुंदर और बोलती चित्रों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
अजय जी आप का स्वागत है, चित्र बहुत सुंदर लगे, सदियो बाद रेलवे पलेट फ़ार्म पर इतनी भीड देखी.बहुत अच्छा लगा, ओर पुरानी यादे याद आ गई, बाकी चित्र भी बहुत सुंदर लगे.
जवाब देंहटाएंक्या भैया, ब्लोगिंग के चक्कर में एक ही हफ्ते में गाँव छोड़ आये। खैर अब आ ही गए हैं तो , आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंइंतजार रहेगा पूरा विवरण सुनने का।
बहुत दिनों से ब्लॉग जगत आपको मिस कर रहा था गाँव से आ गये बहुत बढ़िया लगा..अब कुछ दिन तक आप गाँव को मिस करेंगे..फिर धीरे धीरे नॉर्मल इंसान हो जाएँगे..और हाँ भारतीय रेल के कुछ बढ़िया दृश्य के लिए बहुत बहुत आभार..अजय जी आपकी स्पेशल चिट्ठा चर्चा भी सब मिस करे रहे है तो जल्द ही उसकी झलक करा ही दीजिए...
जवाब देंहटाएंवापसी का स्वागत है। इतने सारे चित्र यही ब्लागिंग है। आभार
जवाब देंहटाएंस्वागत है वापसी पर. चित्र देख लगा कि हम भी स्टेशन पर खड़े हैं. अब इन्तजार रहेगा आपकी सिलसिलेवार पोस्टों का.
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यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
बहुत सुंदर संस्मरण....
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं....
welcome happy new year
जवाब देंहटाएंbolte chitra
जवाब देंहटाएंक्या बात है बहुत अच्छी यात्रा कराई आपने और बाकी किस्से सुनने को बेताब हैं हम...जल्दी लेकर आइयेगा
जवाब देंहटाएंागली बार अगर आपकी पोस्ट रेलवे वालों ने देखी हो गी तो आपका मोबाईल जरूर स्टेशन पर ही रखवा लेंगे। वापसी पर आपका स्वागत है धन्यवाद्
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