चित्र , गूगल से साभार
आज मेरे मोबाईल पर एक संदेश आया , भ्रष्टाचार पर अपने विचार सरकार को भेजें इस मेल पते पर bm-feedback@nic.in.पहले तो मैं चौका कि क्या ये सचमुच उसी सरकार की तरफ़ से आया है जिसने थोडे दिनों पहले ..लाठी मैसेज सेवा देकर लोगों को बता दिया था कि खुद उसका भ्रष्टाचार को लेकर रुख क्या है । लेकिन फ़िर समाचार पत्रों में इस बाबत पढा तो पाया कि ये वाकई सरकार की तरफ़ से आम लोगों तक पहुंचा संदेश है जिसमें सरकार लोगों से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनकी राय जानना चाहती है । तो इसलिए इस पोस्ट के माध्यम से मेरा आप सबसे ये आग्रह है कि इस मेल पते पर सरकार को इतनी मेल भेजी जाए कि उनको जरा सही सही अंदाज़ा तो हो कि वाकई जनता क्या सोच रही है इस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर और सरकार के लिए उसके पास क्या संदेश है । मैं अपना पत्र कल सार्वजनिक करूंगा यहीं पर जो मैं मेल करने जा रहा हूं । आप अगर मेल से नहीं भेजना चाहते अपना मत , तो चिट्ठी ,पत्री , फ़ोन , अखबार , जिस भी माध्यम से चाहें अपनी राय जरूर रखें सरकार के सामने । अंतर्जाल पर लिखने पढने वाले तमाम मित्रों से ये आग्रह है कि दो शब्द लिखें या दो हज़ार , लेकिन आप लिखें जरूर और अगर उचित लगे और लगे कि वो औरों के सामने भी आनी चाहिए तो उसे उपयुक्त मंचो पर बांटिए भी ।
यहां पर सोशल नेटवर्किंग साईट्स से जुडे तमाम मित्र और सभी मीडिया मित्रों से एक सहायता और साथ ये चाहते है हम कि वे सब अपने अपने माध्यमों में अब इस जनलोकपाल बिल के मुद्दे को बहस और विमर्श के लिए खुला छोडें । आम लोगों से सीधा पूछा जाए कि वे क्या चाहते है । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लगाता बहस चले और लोगों के विचार रखे जाएं । न सिर्फ़ आम लोगों बल्कि , नेता , अभिनेता , खिलाडी , फ़िल्मकार , साहित्यकार , सबको इस मुद्दे पर अपनी राय रखने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए । इससे सरकार को तो अंदाज़ा हो ही जाएगा खुद लोगों को भी ये ठीक ठीक पता चलेगा कि क्या वाकई जनता परिवर्तन चाहती है , क्या वाकई जनता चाहती है कि कोई ऐसा पहरेदार आए अब देश को बचाने के लिए जिसके पास इतने अधिकार हों कि वो न शहंशाह के कानून की तरह , खुद ही मुजरिम ढूंढ के , खुद ही उसका मुकदमा सुने और सजा भी सुनाए ? लडाई शुरू तो बहुत पहले हो चुकी थी ,जरा मध्यांतर के लिए विश्राम मोड में आ गई थी अब पुन: अटेंशन मोड में आ जाइए ..कल मिलता हूं अपनी पाती के साथ
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गुरुवार, 16 जून 2011
bm-feedback@nic.in...............ताकि सनद रहे ....
मंगलवार, 2 मार्च 2010
अमां आलोक मेहता जी ...बाशिंदे नई दुनिया के ...मगर सोच वही दकियानूसी . यार इत्ता अपने ब्लोग पर लिखा होता तो ..........

हाल ही में होली में रंग गुलाल की गोली बम बारूद सभी बरसाने में लगे हुए थे । ऐसा लग रहा था कि जैसे हर किसीको ..हर किसी को बधाई देनी है ..सभी दे भी रहे थे ..मुझे तो लग रहा था कि पोस्टें हुलस हुलस के एक दूसरे से गलेमिल रही हैं और कह रही हैं ....अजी हमें पता है ..तुम्हें पता है ..माना कि सभी ब्लोग्गर्स को पता है ..कि ये आभासीदुनिया है ....मगर होली को थोडी पता है ...ये सब तो बस होलियाते जाओ ...। मगर अचानक ही उस दिन यहां पर पढने को मिला कि नई दुनिया के संपादक श्रीआलोकमेहता जी हिंदी ब्लोग्गिंग को लेकर अपने उद्गगार व्यक्त किएहैं । हालांकि इसमें उन्होंने वो कला भी दिखाई कि होली के बहाने कई अपने मन की बात को कह जाते हैं और साथसाथ कह देते हैं कि बुरा न मानो होली है । जैसे कि आप किसी को भर भर के गलियाईये और साथ साथ में ये कहतेजाईये कि बुरा न मानो होली है ...तो चाहे अगली होली से पहले ..हो सके तो दिवाली तक आपको ही फ़ूंक डालने कामन बना चुका हो मगर ..बुरा तो नहीं मानेगा । सो हम कैसे मानते ..बावजूद इसके कि उन्होंने ये सुंदर विचार रखेहिंदी ब्लोग्गिंग के बारे में ...साभार पाबला जी की इस पोस्ट से
ब्लॉग दुर्बुद्धि जमात का कूड़ा-कचरा है...बताईये भला आप में से कितने ब्लोग्गर्स हैं जिन्हें ये दिव्य ज्ञान हुआ है अब तक हिंदी ब्लोग्गिंग के बारे में औरदेखिए हमारी नई दुनिया के इन महान कलम के सिपाही को कि इन्होंने ..इतनी जल्दी ..जल्दी इसलिए कि बाद मेंपता चला कि मेहता जी हिंदी ब्लोग्गिंग में भी अपना आलोक फ़ैला रहे थे ..मगर जैसा कि अक्सर होता है ..हमआप जैसे बेहद तुच्छ ब्लोग्गर्स ..इन जैसे स्टार ब्लोग्गर्स को दाल तो दाल मुर्गी का भाव भी नहीं देते ...दें भी कैसेयदि पहले ही पता हो कि पट्ठा एक दिन ..इसकी खुन्नस अपने अखबार के माध्यम से निकाल लेगा और पूरीदुनिया को बता देगा कि देखो जी हिंदी ब्लोग्गिंग ये है ....और फ़िर सब मानेंगे कैसे नहीं ...अरे हद है यार ...कौन साकोई सर्टिफ़िकेट दिखाना है इसके लिए संपादक महोदय को तभी तो ..जाने कौन दुनिया से दो नाम निकाला औरअपने मन का सब चेप मारा ....करते भी क्या ऐसा मौका भी कौन सा बार बार आता है जिंदगी में ....और साल में भी तो ये कम्बख्त होली एक ही बार आती है ...यदि दो चार बार और आती तो ...फ़िर तो ब्लोग्गिंग के साथ साथ सभीब्लोग्गर्स पर भी हाथ साफ़ कर लेते मजे में ...।
हरेक ने ब्लॉग की अपनी दुकान खोल रखी है...
ब्लॉग में कोई कितनी ही भद्दी-गंदी बकवास-सी गालियां उलच दे, कोई सरकार, कोई मालिक, कोई पुलिस या सेनातक कुछ नहीं बिगाड़ सकती...
ब्लॉग पर लिखने वाला नाली साफ करने वाली स्टाइल में बदबूदार सामग्री दुनिया-जहां में फैला दे, कोई बाल बांकानहीं कर सकता...
ब्लॉग प्रभुओं का एक शब्द, अमेरिकी, चीनी राष्ट्रपति या ब्रिटिश प्रधानमंत्री तक, नहीं कटवा सकता है...खासकरहिंदी ब्लॉग पर उनका बस ही नहीं चल सकता...
ऋषि-मुनियों की परंपरा में हिंदी के ब्लॉग बाबाओं को मुदित, क्रोधित, आनंदित होने का अधिकार सुरक्षित...
वे कुपित होकर ब्लॉग में बड़े से बड़ा शाप दे सकते हैं...
महाभारत के चरित्रों की तरह कोई भी झूठ फैला सकते हैं...
अपना ब्लॉग बना भद्दी गाली का जवाब भद्दी गाली से दे सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि उसे कोई पढ़े…
ब्लॉग की बकवास का जवाब बकवास से क्यों नहीं दे सकते हैं?
आकाश लोक के रास्ते आ रहे ब्लॉग पढ़कर अपनी आंखें खराब क्यों करते हैं
इस लेख में बताया गया है कि
इनके स्तर का आनंद लीजिए, जानिए-पहचानिए और फिर भूल जाइए
संभव है, यहां उनकी सामग्री छपने के बाद वे अपने ब्लॉग से यह सामग्री गायब ही कर दें
अब उनसे हम वो वाकये कैसे बांटें कि हमने भी जब जिंदगी में कुछ कर गुजरने की सोची थी और पत्रकारिता कीडिग्री लेने के बाद जब चप्पलें चटका रहे थे ( देखिए जी चप्पलें चटकाना उस समय पत्रकारिता का मौलिक संघर्षटाईप का होता था ) तो उसी दौरान हमें एक बडे ही अजीज से वरिष्ठ मित्र का साथ मिला ..उन्होंने कहा झाजी आपलिखते ही हो कभी छपा भी करो न ..हमने कहा कि छपें कैसे अब इस जनम में तो बाबूजी की प्रिंटिंग प्रेस लगने सेरही ..उन्होंने तपाक से .कहा अरे आप हमें दे देना हम कब काम आएंगे । हमने भी ऐसा ही किया ...थोडे से थोडेज्यादा दिनों तक इंतजार किया ..फ़िर मन को मना लिया सोचा ...लगता है कि उन भाई की भी कुछ खास नहीं चलीअपनी तो खैर क्या चलती .....मगर एक दिन अचानक उस छोटे से आलेख को छपा हुआ देखा ..बडा मन प्रसन्नहुआ .....बस प्रसन्नता में थोडी सी कमी इसलिए हुई कि ..भाई साहब ने कुछ ज्यादा चलाते हुए ..उस आलेख कोअपने नाम से छपवा दिया या लिया था ....आखिर इतने बडे बैनर राष्ट्रीय सहारा में हम कैसे छपते ....बाद में सुनाकि बहुत तरक्की की उन्होंने .....उन्हें भी देर सवेर कोई पुरस्कार तो मिल ही जाएगा ..और फ़िर हिंदी ब्लोग्गर्स कोगरियाने के लिए ..कौन सा उनके पुरस्कार पर कोई सेंध लगने वाली है ???
मेरे पल्ले एक बात और नहीं पडी कि .आखिर आलोक जी को हिंदी ब्लोग्गिंग में वो सब नहीं दिखा जो आजकलअमर उजाला , दैनिक जागरण , जनसत्ता , हरिभूमि , और अन्य अखबारों को दिखता है .....दूसरी बात ये लगी कियदि उन्हें हिंदी ब्लोग्गिंग के बारे में इतनी सच्ची सच्ची जानकारी और अनुभव प्राप्त हो गए थे ...हालांकि मुझे अभीभी उस वटवृक्ष की तलाश है ..जिसके नीचे बैठ कर उन्हें इस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई ...तो फ़िर पूरे दमखम के साथउन्हें ये बात अपने उस ब्लोग पर कहनी चाहिए थी । अजी कहते क्या खाक ..सुना कि चौबीस घंटे के अंदर हीअपना बोरिया बिस्तर समेट कर निकल लिए भाई नई दुनिया में ।
मानता हूं कि बेशक दिल्ली में दैनिक जागरण , हिंदुस्तान , अमर उजाला , नवभारत टाईम्स के पाठकों के बीचउन्हें हम जैसे कुछ ऐसे पाठक तो मिल ही गए होंगे कि वे बता सकें कि देखो जी नई दुनिया को इत्ते ढेर सारे पाठकतो मिल ही गए हैं कि ......और किसी को न सही हिंदी ब्लोग्गिंग को तो गलिया ही सकते हैं । मगर बेचारे गलियातेगलियाते भी ..यदि ये बताने का कष्ट कर जाते कि आखिर वो कौन सी बात थी जिसने उन्हें होली के दिन ..होलिकादहन पर ज्यादा कंस्ट्रेट करा दिया ।
आज तो बस इतना ही अभी तो कुछ दिनों तक के लिए अच्छा काम मिल गया है ..कल सोचते हैं जरा अपने निरीहकलाकर बेचारे बेसहारा ..........मकबूल फ़िदा हुसैन जी .. ... ..
पिक्चर अभी बांकी है मेरे दोस्त ................
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