शुक्रवार, 17 जुलाई 2009
बस थोड़े से (सिर्फ साठ-सत्तर करोड़ ) लोगों को समझाना है, फिर हम अमरीका हो जायेंगे.
आज से कुछ वर्षों पहले जब ये दावा किया जा रहा थे की हम विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावी देशों में से एक होंगे तो मुझे कतई, ये विश्वास नहीं था. होता भी कैसे हम कर क्या रहे थे ख़ास, .....कुछ अलग.., जो ऐसा हो पाता ..अजी चांद पर पहुँच कर उछलने-कूदने से क्या हो जाता है...और हमारे कवि-साहित्यकार तो न जाने कब के वहां पहुंचे हुए हैं.. हाँ जब अमरीका और ब्रिटेन की तरह हमारे ऊपर भी आतंकियों ने हमले करने शुरू किये....हमें लगा अब तो पक्का हम भी बड़े हो गए हैं...मगर हाय री किस्मत....अमरीका ने फटाक से अपने ऊपर टेढी निगाह करने वाले देशों पर ऐसी बमबारी की ..बस मटियामेट कर दिया..और हम हम पता नहीं कितने हजार बार ..लड़ रहे हैं आर-पार की लड़ाई...अजी लड़ाई तो छोडिये..जो पकडा भी जाता है..उसे पूरी मेहमाननवाजी का लुत्फ़ पहुंचाया जा रहा है...तो फिर नहीं हो पाए अमरीका जैसे.
मंदी का दौर शुरू हुआ ...घोषणा /भविष्यवाणी. ..आशंका/अंदेशा ...सब कुछ जाहिर किया गया की भैया बड़े बड़े देशों की लुटिया डूब नहीं भी पायी तो कम से कम छेद तो उसमें हो ही गया है ...अमरीका अपने सबसे बड़े बैंकों को उधारी दे रहा है ..और पता नहीं क्या क्या...हमने कहा ..चलो यहाँ वैसे ही एक पाँव का दाल का भाव ..मैक्डोनल के बर्गर से ज्यादा है ...तो इसका असर तो यहाँ भी जबर्दस्त पडेगा...अजी क्या ख़ाक पडेगा..सारी हवाई जहाजों ने इसी बहाने अपने स्टाफ का वेतन काटा,,किसी ने अन्दर बाहर करने का नाटक किया.....बैंकों पर तो इसका रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा....पूछा तो कहने लगे..जी देखिये मंदी का दौर तो है ही....मगर लोन देने के लिए हमारे पास बहुत पैसे हैं..फिर आप लोग जायेंगे भी कहाँ...आज आदालतों में पच्चास प्रतिशत से अधिक मुकदमें ..हमारे इन चैकों के लेन-देन के ही तो हैं......बताओ यार क्या ट्रेजडी है
मगर कब तक जी कब तक ..आखिरकार कब तक..कहते हैं न की इरादे बुलंद हों ..तो अमरीका कौन दूर है जी...जैसे ही पिछले दिनों पहले लिव इन रीलेसहनशिप को ....और अब आखिर कार समलैंगिकता को हमारे यहाँ भरपूर समर्थन मिला ...जिस तरह से ये दोनों मुद्दे सामने आये...(लग रहा था की आज देश का सबसे अहम् , सबसे बड़ा, सबसे मुख्य, सबसे जरूरी..और सबसे....अरे छोडिये..बस समझ जाइए )..उसने आखिरकार साबित कर ही दिया की हम भी अमरीका हो गए ...
जैसे ही इसका फैसला हुए ..अपने यहाँ से एक फोन अमरीका गया " अरे सर....मुबारक हो पिछली बार भारत आने पर जो दिक्कत आपको हुई थी न ...अब नहीं होगी....अब आपके स्वाद के हिसाब से हम आपकी सेवा करेंगे ..अरे नहीं नहीं सर अब कोई डर नहीं है ..अरे सर क्या करें हमें भी तो आपकी तरह शक्तिशाली देश बनना है न.....हाँ सर ..अभी तो नयी नयी बात है न ..बस थोड़े से ....मेरा मतलब सिर्फ साठ सत्तर करोड़ लोगों को समझाना है...अरे सर वे लोग कौन सा किसी गिनती में आते हैं..हाँ हाँ सर ठीक समझे ..वे तो सिर्फ वोट देने के लिए ही काम में आतें हैं...अरे सर उन्हें क्या पता ..इन एडवांस बातों के बारे में ....नहीं नहीं सर .जो बचे हुए लोग हैं शहर के वे तो हमारे साठ हैं ही..अरे सर आखिर इससे कितनी प्रोब्लेम्स भी तो सौल्व होने वाली है आखिरकार ...नहीं सर हमने उन्हें कहा है की इससे बलात्कार जैसे अपराधों..घर के क्लेश आदि जैसे मामलों में भी कमी आयेगी...और फिर कौन सा उन्हें ये बताया है की ..इससे देर सवेर ऐड्स जैसी बीमारी वैगेरह हो सकती है...सर एडवांस होने के लिए इत्ता तो झेलना ही पडेगा ही......नहीं सर थोडा बहुत विरोध तो यहाँ सभी चीजों का होता है ...मगर सर अपना मीडिया..अपनी सरकार ..सोसायटी ....सब एडवांस होने के लिए मरे जा रहे हैं ....
बस सर कुछ ही समय की बात है हमारे यहाँ भी आपके देश की तरह ...स्कूल जाने वाली बच्चियां ..थोक के भाव गर्भपात करा रही होंगी....चारों तरफ खुला खुला माहौल होगा........अरे सर मैंने कहा न सिर्फ थोड़े ............से लोगों को समझाना-मनाना है ...फिर हम अमरीका हो जायेंगे...
(मेरा इरादा किसी का दिल दुखाने का नहीं है न ही किसी देश का, उसकी सभ्यता ,संस्कृति का, अपमान करना है....और भाषा की तल्खी कभी कभी विषय के अनुरूप अपने आप उभर कर सामने आ जाती है ....यदि कुछ गलत लगा हो तो क्षमा करें..)
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आप सबों के प्यार और हौसला अफजाई से पिंकी के मामले में न्याय की आश एक बार फिर जगी हैं।एन0डी0टी0भी0और ई0टी0भी0बिहार ने इस मामले को सामने लाकर पूरे बिहार में भूचाल ला दिया हैं।मुख्यमंत्री सचिवालय इस मामले में मोनेटरिंग शुरु कर दी हैं और रातो रात नामजद अभियुक्त की कुर्की जप्ती हुई हैं वही अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी चल रही हैं।इस बीच खबर चलने का इतना असर दिखा की राजधानी पटना में 18जुलाई को संयुक्त राष्ट्र संघ के ड्रंग एव अपराध वींग द्वारा ट्रेफीकिंग को लेकर बुलाये गये सेमीनार में पिंकी का मामला छाया रहा।सेमीनार के दौरान पिंकी ने अपनी आप बीती सुनाई और सेमीनार में उपस्थित वरिय पुलिस पदाधिकारी और स्वयसेवी संगठनों से न्याय पाने के इस लड़ाई में सहयोग की मांग की।स्वसेवी संगठन जन चौकीदार ने सभी तरह का कानूनी सहायता उपलब्ध करने की घोषणा की हैं और बैठक में भाग लेने आये सी0बी0आई के ज्वाईट डाईरेक्टर पी0के0नायर ने इस मामले में दरभंगा के आलाधिकारी से बात की और इस मामले में क्या क्या हो सकता हैं इसकी सलाह दी ।बैठक में उपस्थित बाल श्रंम आयोग के अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़े करते हुए मुख्यमंत्री से पूरे मामले की पुन जांच कराने का आग्रह किया।शाम होते होते डी0जी0कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक इस मलसे को लेकर बैठके होती रही और दरभंगा पुलिस को पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया गया हैं।परिवार को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का भरोसा मिलने के बाद आज सुबह पिंकी और उसके माता पिता दरभंगा गये हैं।वही दूसरी और कई संगठनों ने पिंकी को पढाने में मदद की घोषणा की हैं।यह सब आप सबों के सहयोग से सम्भव हो पाया हैं।और इसके लिए अपने मीडिया के बंधु को देर से ही सही और सार्थक पहल के लिए धन्यवाद के पात्र हैं।वही इस मामले में यह पंक्ष भी सामने आया की ब्लांग के माध्यम से भी बेजुवानों की आवाज को उठा कर एक अंजाम तक पहुचाया जा सकता हैं।
जवाब देंहटाएंकटाक्ष अच्छा कर लेते हैं आप्।
जवाब देंहटाएंकुछ वर्षों बाद हम भी अपनी पीढ़ी को रूढ़िवादी कहलाये जाने की मानसिकता बना रहे हैं
हो जायेंगे क्या अजय जी
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ तो हो गए हैं
चाहे कपड़े छोटे हो गए हैं
मानसिकता उससे भी छोटी
आपने एक बढिया आवाज उठाई है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हम भी इंतजार कर रहे हैं कि इन साठ सत्तर करोड़ लोगों को समझायेगा कौन ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अजय जी ...आपने पुखराज को पढ़ा और पसंद किया ...आपने' फिर अमरीका हो जाएँगे ' बहुत अच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएंमुझे इस तरह के व्यंग्य पढ़ना बेहद पसंद है .... आगे भी लिखते रहिए ...बाद मे पुरानी पोस्ट भी पढ़ूंगी
बहुत बहुत शुक्रिया अजय जी ...आपने पुखराज को पढ़ा और पसंद किया ...आपने' फिर अमरीका हो जाएँगे ' बहुत अच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएंमुझे इस तरह के व्यंग्य पढ़ना बेहद पसंद है .... आगे भी लिखते रहिए ...बाद मे पुरानी पोस्ट भी पढ़ूंगी
जाइये क्षमा किया :)
जवाब देंहटाएंji bahut khub, aap ne ek brihd mudde ko uthaya hai
जवाब देंहटाएंअब स्वच्छन्दता की इतनी कीमत भी नहीं चुकाई जा सकेगी?
जवाब देंहटाएंUncle! Wishing u happy icecream day...aj dher sari icecream khayi ki nahin.
जवाब देंहटाएंSee my new Post on "Icecrem Day" at "Pakhi ki duniya" .
बहुत बढ़िया लिखा है आपने अजय जी और बिल्कुल सही मुद्दे पर बात छेडी है! बड़ा पसंद आया!
जवाब देंहटाएंकभी कहीं सुना था की
जवाब देंहटाएंहम अपने-अपने खेतों में गेहूं की जगह चावल की जगह
ये बंदूकें क्यों बोते हैं... जब दोनों की ही गलियीं में कुछ भूखे बच्चे रोते हैं...
सही कहा आपने सिर्फ चाँद पर पहुचने से कुछ नहीं होने वाला.... जरूरत समग्र विकास की है...मंथन की है...
www.nayikalm.blogspot.com
अच्छा व्यंग मारा है............ maza aa गया
जवाब देंहटाएंhar sikke ke do pahlu hote hain.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आह! बेजोड़ कटाक्ष अजय भाई!
जवाब देंहटाएंचलिये समझाने की कोई जुगत लगाते हैं