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रावण-दहन
समय :रात्री आठ बजे
स्थान : रामनगर चौक , कृष्णा नगर , दिल्ली
पोस्ट : रिपोर्ट/टिप्पणी /लेख /फोटो
11 .10.2016
इसे अब इत्तेफाक माना जाए या कलियुग की परिणति कि हर साल लोगों द्वारा जलाए जाने वाले रावणों(पुतलों) की लगातार बढ़ती संख्या और सेना होने के बावजूद ,अब आजकल का रावण बेहद डरा डरा और दुबका लुटा पिटा सा बिल्कुल भीड़ के बीच फंसा, बस ऐसी इल्तजा सा करता हुआ , कि भाई लोगों हर साल तो मुझे फूंकते हो , कर्म खुद मुझ से भी गए बीते करते हो , हैवानियत में ऐसे कि बीच सड़क लडकी को चाकुओं से गोदने में ज़रा नहीं हिचकते , और कमबख्तों , पूरी फ़ौज बना के मेरे अन्दर , बम पटाखे घुसेड घुसेड के पूरा जलसेनुमा आनंद मना मना कर फूंकते हो , हमसे नहीं पूछते अबकी छुट्टी कर लें , जाओ नहीं जलते अबकि , या फिर कि फोम फायर जैसा कुछ delicate और updated वर्जन की मांग को लेकर अबकि हम सारे रावण धरना हड़ताल कर देने का मन बना रहे हैं इसलिए धरने की अमर सफलता के लिए अबकी बार थोड़ी देर एक्सटेंड किया जाए |
मगर अफ़सोस जिस तरह रावण के पोपले बदन में बम पटाखे घुसेड घुसेड देने ( वो भी खुले आम बाईपास से लेकर हाईपास तक और चौक चौराहे तक पर धूप में पेट के बल लिटा के मोहल्ले की पूरी वानर सेना जाने कहाँ कहाँ सवार हो कर ) के बावजूद वो बिचारे चूं चपड़ करने की बजाय , अब फुंक कर जल मरने को ही इंज्वाय करने लगे हैं , नहीं नहीं ऐसा नहीं कि मन से वे ऐसा ही चाहते हैं , असल में इतने सालों से एक ही निश्चित समय पर एक ही Pattern से जल फुंक जाने की continuity की वजह से सारे रावण कुकर्म करने के साथ ही जल फुंक जाने को भी addict से हो गए हैं , अब रावण हैं तो हैं ......कोई कर भी क्या सकता है , खैर.......
मैं अपने आसपास कुछ ऐसे ही पुतलों से मिला , देखिये पहले उन्हें आप | साथ की गली में ,दोपहर के भोजन के तुरंत बाद अलसाए हुए रावण को जगाते हुए ,हमारे कुछ पड़ोस जन
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चहलकदमी करने के दौरान मिले पहले रावण जी एकदम हाईजैक अवस्था में दिखे |
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अगले अम्बानी जी की बिजली कंपनी के तारों के जाल बीच अपनी मूंछों समेत फंसे मिले |
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वही ऊपर वाले थोड़े अलग एंगल से देखें आप .....धुंए से घबराए हुए
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इसके आगे की कहानी थोड़ी खूबसूरत है , देखता हूँ कि पिछले वर्ष की तरह इस साल भी पांच छ बच्चों ने जैसे तैसे स्टेज तैयार कर खुद राम रावण लक्षमण हनुमान मेघनाद आदि का रूप धर एक छोटा सा स्टेज तैयार करके कुछ स्वांग सा कर रहे थे | शाम का वक्त , दशहरे का दिन , रावण दहन का समय , इससे मुफीद और क्या हो सकता है , विश्व की सबसे अधिक सघन आबादी वाले हिस्से की एक छोटी सी कालोनी के एक मोड पर लोगों को कौतूहलवश रोक देने के लिए , लोग रुकते चले जाते हैं , बच्चों में जोश बढ़ता जाता है......माईक पर जय श्री राम और जय हनुमान का जयकारा भी लगता है ......
कभी लक्ष्मण मेघनाद युद्ध , कभी रावण हनुमान संवाद , कभी कोई और दृश्य , बच्चे कच्ची पक्की तरह से उसे निभाए चले जाते हैं , सामने खड़े सब लोग और अपनी अपनी Balconies में खड़े लोग , अपने बच्चों को , अपने आस पास के बच्चों को देख खुश को आनंदित होते हैं , शाम और गहराती है और रोशनी के साथ आवाज़ भीड़ के एहसास को दूना करने लगती है |
नहीं नहीं सिर्फ , ये नहीं कि राम लीला के कुछ अंशों का निरूपण करने का प्रयास करते हैं ये बच्चे , बल्कि अपना एक रावण भी है , ठीक इस स्टेज की बाईं ओर .....................किसी ओर ही अंदाज़ में , पहले इनसे मिलिए ..जिन्हें इन बच्चों की सेना ने आज ठिकाने लगाना है | शाहरुख के पोज़ होने के बावजूद इतने सारे लोगों के बीच यकायक ही फूंके जाने का खौफ साफ़ दिख रहा था इनके मुखड़े पे ....
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फायनल सलामी देती श्री राम और लक्ष्मण की जोड़ी और पूरी बाल सेना भी |
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यूं तो मैं अकड़ ही जाउंगा , रावण यही सोचते हुए ...... |
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रावण को फूंकने से पहले दिखाए जाने वाले पटाखे के डेमो ताकि उसे बिलकुल भी अँधेरे में न रखा जाए कि उसके साथ कहाँ और कितना धमका होना है |
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असला सुलग रहा है , रावण का सोचिये कि उसके सामने ये सब चल रहा है |
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बेतहाशा आतिशबाजी ,बेतहाशा शोर , और बेतहाशा रौशनी |
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और ये आखिरकार रावण(पुतले ) पे हुआ सर्जिकल स्ट्राईक ..उनके ठीक नीचे मशाल धर दी जाती है , |
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मित्र प्रदीप गुप्ता जी , स्ट्राईक को अचूक बनाते हुए |
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बस इसके आगे ऑडियो विजुएल सब साउंड एंड लाईट शो विद Thunderbolt धमाका |
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धूं धां फूं फां ....... |
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सियापति राम चन्द्र की जय |
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इस प्रकार जितने भी डरे डरे रावण दिखे वो सब हर हर गंगे हो लिए ,मगर घर पहुंचे ही थे कि टीवी खोलते ही , ...
विजय माल्या , किरपा वाले बाबा , टार्च वाले बाबा , तरह तरह के हरे भरे रावण , भरे पूरे , अपने अपने कुकर्मों के सबूतों के साथ मुंह बाए अलग अलग दिखाई देने लगे |
मैं तबसे सोच रहा हूँ कि आखिर उस समय कुछ धमाकों के साथ चीथड़ों में हम जिन्हें उड़ा आते हैं उनसे कई गुना अधिक गन्दा और कसैला शोर तो इन आज के हरे भरे रावणों के कुकर्मों से आता जाता है | एक दिन के कुछ घंटे में खड़े और गड़े इन तमाम डरे डरे रावणों को हमेशा आज के हरे भरे रावण चित पट फूं कर देंगे .....