कल तक यही लिख रहा था कि..... जो लोग हिन्दी ब्लोग्गिंग पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं...उन्हें इससे पहले अपने अन्दर झांक कर देखना चाहिये....और ये भी कि हिन्दी ब्लोग्गिंग पर उंग्लियां उठाने से पहले उसे जानना बहुत ही जरूरी है...कम से कम उसका वो पहलू तो जरूर ही ...जिसे जाने अनजाने वे दरकिनार कर देते हैं...मैंने ये वादा किया था कि ...हिन्दी ब्लोग्गिंग में अब तक मुझे मिली और दिखी ...वो खास ..बात मैं सबके सामने जरूर ही रखूंगा ...तो फ़िलहाल तो जो भी मन में आ रहा है ...वो आपके सामने है....
मुझे ये तो नहीं पता कि ...इसे क्या नाम दिया जाये...मगर ये खासियत निश्चित रूप से मुझे अद्वितीय लगती है....और जहां तक कुछ अन्य भाषा की ब्लॉग्गिंग को मैं समझ पाया हूँ वहाँ तो कम से कम इसका नितांत अभाव ही दिखता है...वो खासियत है ..यहाँ पर जुड़े, जुड़ रहे रिश्ते...ये हो सकता है की ..कई लोगों को इस बात पर बहुत ही आपात्ति हो ..या होती है की यहाँ ब्लॉग्गिंग करने आये हैं रिश्ते बनाने नहीं..मगर मुझे नहीं लगता की ..हम यहाँ कुछ भी बनाते हैं...न ही अपनी छवि...न ही कोई रिश्ते...न ही कोई विशेष ..अच्छा या बुरा स्थान...सब कुछ अपने आप होता है...हमारी लेखनी,हमारे शब्द...हमारी अभिव्यक्ति ही वो माध्यम है ..जो ये सब करता है...और चाहे ना चाहे , जाने अनजाने रिश्ते तो जुड़ ही जाते हैं...जब मैंने ब्लॉग्गिंग शुरू की थी ..तो अगर मैं सही हूँ तो उस समय कुल हजार ब्लोग्गेर्स भी नहीं थे...हिंदी में...उस वक्त भी बहुत से लोग आपस में जुड़े हुए थे....आज ये संख्या दस हजार को पार कर रही है..और दायरा बढ़ता जा रहा है..यदि कुछ ब्लोग्गेर्स की अनियमितता के कारण संवाद में थोडा अन्तराल पड़ने से दूरी बढ़ जाती है ..तो स्वमेव रूप से उस स्थान पर कोई न कोई आ ही जाता है.....
आप खुद ही बताइये न...उड़नतश्तरी जी का ..सिर्फ ये भर कह देना की लगता है अब हार गया ..पूरे हिंदी ब्लॉगजगत को क्यूँकर उदास कर गया....राज भाटिया जी के स्वास्थय की मंगलकामना सब मिल कर क्यूँ कर रहे हैं...जब मेरे जैसा कोई ब्लॉगर टंकी पर चढ़ जाता है....या विवेक भाई जैसा कोई रूठ जाता है...या अलबेला जी से नाराजगी दिखानी होती है ..तो फिर क्यूँ सब सारे काम धाम छोड़ कर ..उस एक ब्लॉगर के खैरख्वाह में लग जाते हैं.....आखिर मेरे, आपके..किसी एक या दो ब्लोग्गेर्स के जाने , न लिखने से इतने बड़े ब्लॉग्गिंग परिवार में क्या घट जाता है....मगर नहीं ,.....एक कमी महसूस होने लगती है न ...दिल दुखता है न ..वो किस रिश्ते से ...किस कारण से ...मेरे ब्लॉग्गिंग न करने के निर्णय से ..पाबला जी की सेहत पर क्या फर्क पड़ जाता जो उन्होंने .. इतनी कोशिशों के बावजूद ,..मेरी श्रीमती जी को उलाहना, डांट,,सलाह ,,जो भी समझें..मुझे इस ब्लॉगजगत को छोड़ने नहीं दिया....और आगे बढ़ते हैं...यहाँ हम एक दुसरे को न सिर्फ सभी पर्व त्योहारों पर...बल्कि किसी के पुत्र/पुत्री के जन्मदिन पर , शादी की सालगिरह पर ..और खुद उनके जन्मदिवस पर बधाई दे रहे हैं....ऐसा तो आम तौर पर एक समाज , एक परिवार में ही होता है न ....शायद इसी बात को समझते हुए ..हिंदी का दैनिक समाचार पत्र आज समाज ...जब ब्लोग्स को कवर करता है तो शीर्षक देता है ...ब्लॉग समाज ...और अन्दर की बात तो ये है की ..जो सामने से ये कहते हैं की हम तो कोई रिश्ते नाते नहीं बनाते..यहाँ ..उन्हें भी कई बार अपने ब्लॉगर साथियों का अपना, और उनके किसी का हाल चाल पूछते हुए पाया है.......तो क्यूँ नहीं कहूँ .....हाँ जी....ऐसा तो सिर्फ हिंदी ब्लॉग्गिंग में ही होता है ....
यहाँ हिंदी ब्लॉग्गिंग में लिख रहा हरेक व्यक्ति ...कम से कम हिंदी , अंगरेजी के अलावा भी एक और एक से ज्यादा भाषा का जानकार तो जरूर है...और नहीं तो अपनी मातृभाषा का तो है ही ....यानि ...देवनागरी के अलावा...गुरमुखी, मैथिलि, भोजपुरी, गुजराती आदि भाषाओं में जानकारी के बावजूद ..अपनी अपनी भाषाओं में लिखते रहने और बहुत अच्छा लिखते रहने के बावजूद .....हिंदी भाषा में लिख रहे हैं ....क्यूँ ..बहुत से कारण हैं..जिनमें पहला है ...और कम से कम ये तो है ही.....हिंदी से अटूट प्रेम....हिंदी के प्रति सम्मान...बताइये है किसी भाषा में ऐसा और .....
आपमें से बहुतों ने अन्य बहुत सी भाषाओं के ब्लोग्स को पढा होगा..या नियमित/अनियमित रूप से पढ़ते होंगे..बहुत से विद्वान् लोग तो लिखते भी होंगे....क्या आपने ऐसा देखा है की वहाँ लोग पढने के बाद...हिंदी में,,,देवनागरी में अंगरेजी लिख कर टीप रहे हैं ....नहीं न..मैंने भी नहीं...अजी ये हमारी हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है की ..आप अपनी टूटी फूटी हिंदी में ही नहीं ..अंगरेजी में...रोमन में हिंदी लिख कर ...जैसा मन चाह रहा है ..उसमें टीप रहे हैं..और उसे भी उसी भाव से उसी प्रेम से स्वीकार किया जा रहा है...और तो और हिंदी में ब्लॉग्गिंग करते हुए ..हिंदी ब्लॉग्गिंग को आप रोमन हिंदी में या खुल्लम खुल्ला अंगरेजी में, या अंग्रेजियत झाड़ झाड़ के गलिया रहे हैं...सब चल रहा है...हिंदी ब्लॉग्गिंग है न ....
ये हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है ...की कोई आपके लिए अपनी पता नहीं कितने दिनों की/ कितने महीनो की मेहनत से... कभी तिरेंगे का, कभी गणेश जी का, कभी चूहे का, कभी ब्लॉग सजाने के लिए...कभी आपकी किसी समस्या को दूर करने के लिए विजेट तैयार करता है...कोई ब्लॉग बुखार..कोई ब्लॉग टिप्स ..तो कोई किसी और नाम से लिख और पोस्ट कर रहा है.....इसके अलावा न जाने कितने ब्लोग्गेर्स ...नए ब्लोग्गेर्स का उत्साह बढाने को ..कितने मुझ जैसे अनाडियों को कभी लिंक बनाना सिखाने को तो कभी स्नैप शोट लेने के लिए...कभी किसी और कुछ करने के लिए मदद करने को चौबीसों घंटे तैयार रहता है.......क्यूँ है किसी और भाषा की ब्लॉग्गिंग में ऐसा.......
सोचिये सोचिये.....आप भी सोचिये ...अभी तो जितना मन में आया , जो ध्यान रहा लिख दिया....बाँकी आप जोड़ते रहे.....जो शेष रहा ....वो अगले और अंतिम भाग में लिखूंगा ...
आप खुद ही बताइये न...उड़नतश्तरी जी का ..सिर्फ ये भर कह देना की लगता है अब हार गया ..पूरे हिंदी ब्लॉगजगत को क्यूँकर उदास कर गया....राज भाटिया जी के स्वास्थय की मंगलकामना सब मिल कर क्यूँ कर रहे हैं...जब मेरे जैसा कोई ब्लॉगर टंकी पर चढ़ जाता है....या विवेक भाई जैसा कोई रूठ जाता है...या अलबेला जी से नाराजगी दिखानी होती है ..तो फिर क्यूँ सब सारे काम धाम छोड़ कर ..उस एक ब्लॉगर के खैरख्वाह में लग जाते हैं.....आखिर मेरे, आपके..किसी एक या दो ब्लोग्गेर्स के जाने , न लिखने से इतने बड़े ब्लॉग्गिंग परिवार में क्या घट जाता है....मगर नहीं ,.....एक कमी महसूस होने लगती है न ...दिल दुखता है न ..वो किस रिश्ते से ...किस कारण से ...मेरे ब्लॉग्गिंग न करने के निर्णय से ..पाबला जी की सेहत पर क्या फर्क पड़ जाता जो उन्होंने .. इतनी कोशिशों के बावजूद ,..मेरी श्रीमती जी को उलाहना, डांट,,सलाह ,,जो भी समझें..मुझे इस ब्लॉगजगत को छोड़ने नहीं दिया....और आगे बढ़ते हैं...यहाँ हम एक दुसरे को न सिर्फ सभी पर्व त्योहारों पर...बल्कि किसी के पुत्र/पुत्री के जन्मदिन पर , शादी की सालगिरह पर ..और खुद उनके जन्मदिवस पर बधाई दे रहे हैं....ऐसा तो आम तौर पर एक समाज , एक परिवार में ही होता है न ....शायद इसी बात को समझते हुए ..हिंदी का दैनिक समाचार पत्र आज समाज ...जब ब्लोग्स को कवर करता है तो शीर्षक देता है ...ब्लॉग समाज ...और अन्दर की बात तो ये है की ..जो सामने से ये कहते हैं की हम तो कोई रिश्ते नाते नहीं बनाते..यहाँ ..उन्हें भी कई बार अपने ब्लॉगर साथियों का अपना, और उनके किसी का हाल चाल पूछते हुए पाया है.......तो क्यूँ नहीं कहूँ .....हाँ जी....ऐसा तो सिर्फ हिंदी ब्लॉग्गिंग में ही होता है ....
यहाँ हिंदी ब्लॉग्गिंग में लिख रहा हरेक व्यक्ति ...कम से कम हिंदी , अंगरेजी के अलावा भी एक और एक से ज्यादा भाषा का जानकार तो जरूर है...और नहीं तो अपनी मातृभाषा का तो है ही ....यानि ...देवनागरी के अलावा...गुरमुखी, मैथिलि, भोजपुरी, गुजराती आदि भाषाओं में जानकारी के बावजूद ..अपनी अपनी भाषाओं में लिखते रहने और बहुत अच्छा लिखते रहने के बावजूद .....हिंदी भाषा में लिख रहे हैं ....क्यूँ ..बहुत से कारण हैं..जिनमें पहला है ...और कम से कम ये तो है ही.....हिंदी से अटूट प्रेम....हिंदी के प्रति सम्मान...बताइये है किसी भाषा में ऐसा और .....
आपमें से बहुतों ने अन्य बहुत सी भाषाओं के ब्लोग्स को पढा होगा..या नियमित/अनियमित रूप से पढ़ते होंगे..बहुत से विद्वान् लोग तो लिखते भी होंगे....क्या आपने ऐसा देखा है की वहाँ लोग पढने के बाद...हिंदी में,,,देवनागरी में अंगरेजी लिख कर टीप रहे हैं ....नहीं न..मैंने भी नहीं...अजी ये हमारी हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है की ..आप अपनी टूटी फूटी हिंदी में ही नहीं ..अंगरेजी में...रोमन में हिंदी लिख कर ...जैसा मन चाह रहा है ..उसमें टीप रहे हैं..और उसे भी उसी भाव से उसी प्रेम से स्वीकार किया जा रहा है...और तो और हिंदी में ब्लॉग्गिंग करते हुए ..हिंदी ब्लॉग्गिंग को आप रोमन हिंदी में या खुल्लम खुल्ला अंगरेजी में, या अंग्रेजियत झाड़ झाड़ के गलिया रहे हैं...सब चल रहा है...हिंदी ब्लॉग्गिंग है न ....
ये हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है ...की कोई आपके लिए अपनी पता नहीं कितने दिनों की/ कितने महीनो की मेहनत से... कभी तिरेंगे का, कभी गणेश जी का, कभी चूहे का, कभी ब्लॉग सजाने के लिए...कभी आपकी किसी समस्या को दूर करने के लिए विजेट तैयार करता है...कोई ब्लॉग बुखार..कोई ब्लॉग टिप्स ..तो कोई किसी और नाम से लिख और पोस्ट कर रहा है.....इसके अलावा न जाने कितने ब्लोग्गेर्स ...नए ब्लोग्गेर्स का उत्साह बढाने को ..कितने मुझ जैसे अनाडियों को कभी लिंक बनाना सिखाने को तो कभी स्नैप शोट लेने के लिए...कभी किसी और कुछ करने के लिए मदद करने को चौबीसों घंटे तैयार रहता है.......क्यूँ है किसी और भाषा की ब्लॉग्गिंग में ऐसा.......
सोचिये सोचिये.....आप भी सोचिये ...अभी तो जितना मन में आया , जो ध्यान रहा लिख दिया....बाँकी आप जोड़ते रहे.....जो शेष रहा ....वो अगले और अंतिम भाग में लिखूंगा ...