सोमवार, 24 अगस्त 2009

जी हां...ऐसा सिर्फ़ हिन्दी ब्लोग्गिंग में होता है....


कल तक यही लिख रहा था कि..... जो लोग हिन्दी ब्लोग्गिंग पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं...उन्हें इससे पहले अपने अन्दर झांक कर देखना चाहिये....और ये भी कि हिन्दी ब्लोग्गिंग पर उंग्लियां उठाने से पहले उसे जानना बहुत ही जरूरी है...कम से कम उसका वो पहलू तो जरूर ही ...जिसे जाने अनजाने वे दरकिनार कर देते हैं...मैंने ये वादा किया था कि ...हिन्दी ब्लोग्गिंग में अब तक मुझे मिली और दिखी ...वो खास ..बात मैं सबके सामने जरूर ही रखूंगा ...तो फ़िलहाल तो जो भी मन में आ रहा है ...वो आपके सामने है....

मुझे ये तो नहीं पता कि ...इसे क्या नाम दिया जाये...मगर ये खासियत निश्चित रूप से मुझे अद्वितीय लगती है....और जहां तक कुछ अन्य भाषा की ब्लॉग्गिंग को मैं समझ पाया हूँ वहाँ तो कम से कम इसका नितांत अभाव ही दिखता है...वो खासियत है ..यहाँ पर जुड़े, जुड़ रहे रिश्ते...ये हो सकता है की ..कई लोगों को इस बात पर बहुत ही आपात्ति हो ..या होती है की यहाँ ब्लॉग्गिंग करने आये हैं रिश्ते बनाने नहीं..मगर मुझे नहीं लगता की ..हम यहाँ कुछ भी बनाते हैं...न ही अपनी छवि...न ही कोई रिश्ते...न ही कोई विशेष ..अच्छा या बुरा स्थान...सब कुछ अपने आप होता है...हमारी लेखनी,हमारे शब्द...हमारी अभिव्यक्ति ही वो माध्यम है ..जो ये सब करता है...और चाहे ना चाहे , जाने अनजाने रिश्ते तो जुड़ ही जाते हैं...जब मैंने ब्लॉग्गिंग शुरू की थी ..तो अगर मैं सही हूँ तो उस समय कुल हजार ब्लोग्गेर्स भी नहीं थे...हिंदी में...उस वक्त भी बहुत से लोग आपस में जुड़े हुए थे....आज ये संख्या दस हजार को पार कर रही है..और दायरा बढ़ता जा रहा है..यदि कुछ ब्लोग्गेर्स की अनियमितता के कारण संवाद में थोडा अन्तराल पड़ने से दूरी बढ़ जाती है ..तो स्वमेव रूप से उस स्थान पर कोई न कोई आ ही जाता है.....

आप खुद ही बताइये न...उड़नतश्तरी जी का ..सिर्फ ये भर कह देना की लगता है अब हार गया ..पूरे हिंदी ब्लॉगजगत को क्यूँकर उदास कर गया....राज भाटिया जी के स्वास्थय की मंगलकामना सब मिल कर क्यूँ कर रहे हैं...जब मेरे जैसा कोई ब्लॉगर टंकी पर चढ़ जाता है....या विवेक भाई जैसा कोई रूठ जाता है...या अलबेला जी से नाराजगी दिखानी होती है ..तो फिर क्यूँ सब सारे काम धाम छोड़ कर ..उस एक ब्लॉगर के खैरख्वाह में लग जाते हैं.....आखिर मेरे, आपके..किसी एक या दो ब्लोग्गेर्स के जाने , न लिखने से इतने बड़े ब्लॉग्गिंग परिवार में क्या घट जाता है....मगर नहीं ,.....एक कमी महसूस होने लगती है न ...दिल दुखता है न ..वो किस रिश्ते से ...किस कारण से ...मेरे ब्लॉग्गिंग न करने के निर्णय से ..पाबला जी की सेहत पर क्या फर्क पड़ जाता जो उन्होंने .. इतनी कोशिशों के बावजूद ,..मेरी श्रीमती जी को उलाहना, डांट,,सलाह ,,जो भी समझें..मुझे इस ब्लॉगजगत को छोड़ने नहीं दिया....और आगे बढ़ते हैं...यहाँ हम एक दुसरे को न सिर्फ सभी पर्व त्योहारों पर...बल्कि किसी के पुत्र/पुत्री के जन्मदिन पर , शादी की सालगिरह पर ..और खुद उनके जन्मदिवस पर बधाई दे रहे हैं....ऐसा तो आम तौर पर एक समाज , एक परिवार में ही होता है न ....शायद इसी बात को समझते हुए ..हिंदी का दैनिक समाचार पत्र आज समाज ...जब ब्लोग्स को कवर करता है तो शीर्षक देता है ...ब्लॉग समाज ...और अन्दर की बात तो ये है की ..जो सामने से ये कहते हैं की हम तो कोई रिश्ते नाते नहीं बनाते..यहाँ ..उन्हें भी कई बार अपने ब्लॉगर साथियों का अपना, और उनके किसी का हाल चाल पूछते हुए पाया है.......तो क्यूँ नहीं कहूँ .....हाँ जी....ऐसा तो सिर्फ हिंदी ब्लॉग्गिंग में ही होता है ....

यहाँ हिंदी ब्लॉग्गिंग में लिख रहा हरेक व्यक्ति ...कम से कम हिंदी , अंगरेजी के अलावा भी एक और एक से ज्यादा भाषा का जानकार तो जरूर है...और नहीं तो अपनी मातृभाषा का तो है ही ....यानि ...देवनागरी के अलावा...गुरमुखी, मैथिलि, भोजपुरी, गुजराती आदि भाषाओं में जानकारी के बावजूद ..अपनी अपनी भाषाओं में लिखते रहने और बहुत अच्छा लिखते रहने के बावजूद .....हिंदी भाषा में लिख रहे हैं ....क्यूँ ..बहुत से कारण हैं..जिनमें पहला है ...और कम से कम ये तो है ही.....हिंदी से अटूट प्रेम....हिंदी के प्रति सम्मान...बताइये है किसी भाषा में ऐसा और .....

आपमें से बहुतों ने अन्य बहुत सी भाषाओं के ब्लोग्स को पढा होगा..या नियमित/अनियमित रूप से पढ़ते होंगे..बहुत से विद्वान् लोग तो लिखते भी होंगे....क्या आपने ऐसा देखा है की वहाँ लोग पढने के बाद...हिंदी में,,,देवनागरी में अंगरेजी लिख कर टीप रहे हैं ....नहीं न..मैंने भी नहीं...अजी ये हमारी हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है की ..आप अपनी टूटी फूटी हिंदी में ही नहीं ..अंगरेजी में...रोमन में हिंदी लिख कर ...जैसा मन चाह रहा है ..उसमें टीप रहे हैं..और उसे भी उसी भाव से उसी प्रेम से स्वीकार किया जा रहा है...और तो और हिंदी में ब्लॉग्गिंग करते हुए ..हिंदी ब्लॉग्गिंग को आप रोमन हिंदी में या खुल्लम खुल्ला अंगरेजी में, या अंग्रेजियत झाड़ झाड़ के गलिया रहे हैं...सब चल रहा है...हिंदी ब्लॉग्गिंग है न ....

ये हिंदी ब्लॉग्गिंग ही है ...की कोई आपके लिए अपनी पता नहीं कितने दिनों की/ कितने महीनो की मेहनत से... कभी तिरेंगे का, कभी गणेश जी का, कभी चूहे का, कभी ब्लॉग सजाने के लिए...कभी आपकी किसी समस्या को दूर करने के लिए विजेट तैयार करता है...कोई ब्लॉग बुखार..कोई ब्लॉग टिप्स ..तो कोई किसी और नाम से लिख और पोस्ट कर रहा है.....इसके अलावा न जाने कितने ब्लोग्गेर्स ...नए ब्लोग्गेर्स का उत्साह बढाने को ..कितने मुझ जैसे अनाडियों को कभी लिंक बनाना सिखाने को तो कभी स्नैप शोट लेने के लिए...कभी किसी और कुछ करने के लिए मदद करने को चौबीसों घंटे तैयार रहता है.......क्यूँ है किसी और भाषा की ब्लॉग्गिंग में ऐसा.......

सोचिये सोचिये.....आप भी सोचिये ...अभी तो जितना मन में आया , जो ध्यान रहा लिख दिया....बाँकी आप जोड़ते रहे.....जो शेष रहा ....वो अगले और अंतिम भाग में लिखूंगा ...

56 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक सही बात कही आपने भाईचारे की भावना सिर्फ हिंदी ब्लागिंग में देखने को ही मिल सकती है .

    बधाई .

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  2. जी हाँ! यह सिर्फ हिन्दी ब्लोगिंग मे ही होता है. यहाँ जो रिश्ते बनते है वह उल्लेखनीय तो है ही और आपने उसे सार्थक किया. ऐसे रिश्ते और किसी भाषा की ब्लोगिंग मे कहाँ!!

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  3. अजय भाई टीप नहीं रहे
    टॉप कर रहे हैं
    यह सब टॉपोटाप ही चलता रहेगा
    मैं जब आपसे मिला था
    क्‍या आपको लगा था कि
    हम पहली बार मिले हैं
    नहीं न,
    तो बाकी सब बातें बेमानी हैं
    ब्‍लॉगिंग बच्‍चों का खेल नहीं
    ब्‍लॉगिंग से होता है मेल यहीं

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  4. सोच रहे हैं, सोचते ही जा रहे हैं । अगली प्रविष्टि की प्रतीक्षा ।

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  5. सही कह रहे हैं..एक अनजाना सा रिश्ता स्थापित हो जाता है..भाव होते हैं अपनत्व के. सब एक बड़ा परिवार सा लगता है-सुख दुख मिल बांटता. एक सुखद एह्सास है हिन्दी ब्लॉगिंग!!

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  6. एक बात आपने छोड दी .. किसी के द्वारा किए गए कटाक्ष से हम आहत भी हो जाएं .. तो हमें सामान्‍य बनाने के लिए 56 टिप्‍पणियां मिलती है .. और उनमें से एक भी सिर्फ फर्ज अदा जैसी नहीं .. यह सिर्फ हिन्‍दी ब्‍लागिंग में ही हो सकता है !!

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  7. ".कितने मुझ जैसे अनाडियों को कभी लिंक बनाना सिखाने को तो कभी स्नैप शोट लेने के लिए...कभी किसी और कुछ करने के लिए मदद करने को चौबीसों घंटे तैयार रहता है..."

    मुझ जैसे अनाडियों- नई जानकारी मिली:) अनाडीपन में इतना अच्छा लेखन! बधाई॥

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  8. ऐसी भयानक भावुकता (बाँग्ला भाषी क्षमा करें)भी केवल हिन्दी ब्लॉगिंग में ही दिख सकती है।

    अगली कड़ी कब आ रही है?

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  9. छोड़ हम इस लिए देते हैं
    न यह समझें कि याद नहीं हमें
    पर जो आएगा
    वह भी तो कुछ टिप्‍पणी धुन गाएगा
    वही धुन तो अपना बनाती है
    सबको यही तो लगन लगाती है
    नींदों से बचाती है
    कंप्‍यूटर पर बैठे बैठे सुलाती है।

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  10. जो टिपियाते नहीं
    वो एक आनंद से वंचित रह जाते हैं

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  11. प्यारे अजय भाई !
    क्या कहने आपकी कारीगरी के..............

    आपका आलेख मुझे महीन दिखा
    आपने जो लिखा, बेहतरीन लिखा

    अच्छा लिखा,
    क्योंकि
    सच्चा लिखा

    माँ शारदा की आप पर रहमत है
    अपनेराम आपसे पूर्ण सहमत है

    लेकिन
    आप भी धूल में लट्ठ चला रहे हो.............
    फूंक मार के पहाड़ को हिला रहे हो..........

    हद करते हो यार !
    उन्हें जगाने चले हो... जो पहले से ही जागे हैं
    लेकिन संयोग से बेचारे इतने घोर अभागे हैं
    कि उठ नहीं पायेंगे
    अकडू हैं न ,,,,मर जायेंगे भूख से लेकिन
    दलिया नहीं खायेंगे

    पर तुम जगे रहो !
    यों ही लगो रहो !

    परिणाम आयेगा ...........
    यकीं है मुझे....................

    हिन्दी ब्लॉगिंग के तुम हो सिपाही
    तो हम भी हैं तुम्हारे संग हमराही

    ______जय हिन्द !

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  12. कमाल का ख्याल निकाला और इतना जानदार - शानदार लेख पेश कर दिया. वाकई, इस रिश्ते को क्या कहा जाए. लगता है अपनों के बीच में हैं. किसी ब्लोगर का दुःख, चिंता, परेशानी दूसरा ही नहीं सब के सब ओढ़ लेते हैं. कोई सीनियर आपके ब्लॉग पर आ जाता है तो लगता है कि जमाने भर की खुशी मिल गयी. आपका शोध, मेहनत प्रशंसनीय है.

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  13. Absolutely ! Thats why i blog in Hindi even though i am more comfortable with English . I salute this closely knit community of Hindi bloggers and i also thank you for raising this important issue which underlines the beauty of hindi blogging.

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  14. सही कह रहे हैं यह भी एक परिवार ही है जहां गलती पर डांट और ज्यादा नम्भर पर पास होने से प्यार और चाकलेट मिलती है.:)

    रामराम.

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  15. आप ने जो जो खूबियाँ हिन्दी ब्लोगिंग मे गिनाई हैं उन सबके चलते ही हमारा देश डेमोक्रेटिक होते हुए भी एक परिवार की जी हजूरी करता नज़र आता हैं । ब्लोगिंग को परिवार से जोड़ कर नहीं देखना चाहिये । जो पॉलिटिक्स परिवारों मे होती हैं उस से उठ कर ब्लॉग पर उन समस्याओं पर संवाद करना चाहिये जो समाज मे विकृतियाँ लाती हैं ।
    आप ब्लोगिंग की बात नहीं कर रहे आप भारतीये समाज की बात करते नज़र आ रहे हैं ।
    आप ने कभी अगर गौर किया हो तो समाज ने हमेशा उनलोगों का विरोध किया हैं जो समाज से अलग हट कर बात
    करते हैं लेकिन समाज मे बदलाव भी वही लोग लाते हैं जो घिसी पीटी लकीरों पर नहीं चलते ।
    जो लोग भी हट कर कुछ करते हैं वो अपने समय से बहुत आगे होते हैं और उनके सहयोग को आप् / हम अगर नकारते हैं तो आप / हम रुढिवादी / संकुचित सोच के बन /हो जाते हैं ।
    ब्लोगिंग देश विदेश से जुडने का बहुत आसन तरीका हैं और ये केवल हिन्दी ब्लोगिंग मे ही नहीं होता हैं की हम एक दूसरे के प्रति संवेदना रखते हैं हर भाषा और हर देश के ब्लॉगर यही करते हैं ।
    ब्लोगिंग की यही खासियत हैं की आप् को जवाब तुंरत मिलता हैं और जो ब्लोगिंग करते हैं वो इसके लिये तैयार रहते हैं लेकिन ये शायद सिर्फ़ हिन्दी ब्लोगिंग मे होता हैं की जो कहना चाहते हैं वो साफ़ और सही और सच नहीं लिखते । यहाँ महिमा मंडन और मुंडन की परम्परा हैं जिस से जितनी जल्दी मुक्ति मिलेगी उतनी जल्दी बच्चे बडे होगे पर शायद भारतीये माँ बाप की तरह यहां भी लोग बच्चो को बड़ा नहीं होने देना चाहते क्युकी अपने समकक्ष किसी को खड़ा देखने की आदत नहीं हैं हमे । या तो कोई ऊपर हो या नीचे

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  16. रचना जी..
    आपकी बात का सिलसिलेवार उत्तर देता हूं..
    हमारा देश एक परिवार की जी हजूरी करता है..तो आप ही बताइये न ..क्या किया जाये...आप लाईये न नये परिवार..या कहें तो ये देश ही छोड दिय जाये...

    आपको शायद परिवारों में पोलिटिक्स ही होती दिखी होगी...हमें तो अपने परिवार में बहुत कुछ दिखा ...प्यार, अपनापन, साथ ..छोडिये आप नहीं समझेंगी..
    सिर्फ़ आपत्तियां दर्ज़ करके...विरोध जता के..या दूसरों पर प्रश्न्चिन्ह लगा के भी बदलाव नहीं लाया जा सकता ...ये तो उस काम से भी आसान काम है ...कि जंहा लोग कम से कम खुल कर अपनी बात रख तो रहे हैं..सिर्फ़ ये भर नहीं कह रहे कि ..ये ठीक नहीं है...वो ठीक नहीं है..

    ब्लोग्गिंग की यदि सिर्फ़ यही खासियत है कि ..जवाब जल्दी मिल जाता है ..तो फ़िर टिप्प्णी को मोडरेशन क्यों..जवाब तो जवाब है न...आपने तो भारतीय मां बाप को भी कट्घरे में खडा कर दिया...बराबरी का मतलब ये नही कि बेटा बाप की जगह आ जाये और बाप बाप बेटे की जगह...

    सबसे जरूरी बात ..इंसान एक सामाजिक प्राणी है...अकेली रहने के लिये तो जंगल है...आप अपने लिखे को ब्लोग्वाणी या चिट्ठाजगत पर क्यूं डालती हैं ...इसीलिये ना ..क्योंकि ये हिंदी ब्लोग
    से जुडे लोग पढ सकें..

    आलोचना से पहले ..अपना योगदान देखना चाहिये...वैसे यदि आपको लगता है कि ..सफ़र में मन्ज़िल यूं भी मिल सकती है ...तो आप स्वतंत्र हैं.......

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  17. यहां अकेली की जगह अकेले पढा जाये...

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  18. ऐसा अपनत्व और कहाँ ?
    हिंदी ब्लागिंग एक परिवार जैसी ही है
    थोडी-बहुत खट-पट भी जरूरी है


    ********************************
    C.M. को प्रतीक्षा है - चैम्पियन की

    प्रत्येक बुधवार
    सुबह 9.00 बजे C.M. Quiz
    ********************************
    क्रियेटिव मंच

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  19. रचना जी पूरा देश एक परिवार की जी हुजूरी करता है इस निष्कर्ष पर आप कैसे पहुंची ?

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  20. अजय भाई, आप पर आरोप है कि ‘आप ब्लोगिंग की बात नहीं कर रहे आप भारतीय समाज की बात करते नज़र आ रहे हैं ।’ यानि आपको हिन्दी ब्लॉगिंग की चर्चा करते हुए इसमें अमेरिकी समाज की प्रवृत्तियाँ नहीं दिखायी दे रही हैं तो आप दृष्टिदोष के शिकार हैं। भारत वाले अमेरिकी ब्लॉगर्स की तरह लिखना-पढ़ना नहीं जानते इसलिए उन्हें सही अर्थों में ब्लॉगर भी नहीं कहना चाहिए। जब तक हिन्दी ब्लॉगिंग भारतीय समाज को प्रतिबिम्बित करती रहेगी तबतक इसे प्रोफ़ेशनल माना ही नहीं जा सकता।

    अब दीजिए जवाब :)

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  21. अजय जी, बात सही है आपकी और लगभग हर टिप्पणी देने वाले ने इस पर सहमति भी जताई है।

    हिंदी ब्लॉगिंग की बात हो रही तो इसी दायरे में रह कर यह कहा जा सकता है कि यदि कोई इस आभासी परिवार को नहीं मानता तो कहीं ना कहीं भौतिक संसार में भी परिवार की अवधारणा से कटा हुआ है। ऐसे व्यक्तियों का स्थान एक समूह या गुट में मह्त्व पा सकता है, समाज में तो नहीं। अक्सर भारतीय संस्कारों को रूढ़िवादिता कह शायद पश्चिमी रिवाज़ों की खोखली बुनियाद पर खड़े हो स्वयं को आनंदित करते हैं कई व्यक्ति।

    टिप्पणियों में पूरे लोकतांत्रिक देश की खिल्ली उड़ाते हुए जिस तरह एक परिवार की जी-हजूरी वाली बात की गई है, उससे ऐसा लगता है कि वोट देने वाली लगभग एक अरब की आबादी बेवकूफ है और पूरी चुनावी प्रक्रिया एक जालसाजी है। यदि माना जाए तो यह भी अपशब्द हैं सभी मतदातायों के लिए

    रही बात घिसी पिटी लकीर से हट कर चलने की तो एक इसे साहसिक कदम तब माना जाता है जब दिशा निर्धारित हो, कोई एजेंडा सामने हो। दिशाहीन होकर कोलम्बस जैसा किस्सा सदियों में एक बार ही होता है।

    अकेले ही, समय से आगे चलने वाले कभी उतावले नहीं होते और ना ही नकारात्मक विचार ले कर चलते हैं, न ही किसी की भावनायों पर चोट करते हैं। समय समय पर उनके क्रियाकलापों को सराह कर लोग जुड़ते जाते हैं और कारवाँ बन जाता है।

    पता नहीं क्यों मुझे एक दिलचस्प सी, गैर-संदर्भित बात याद आ रही कि
    मछली हजारों अंडे देती है-किसी को पता नहीं चलता
    मुर्गी एक अंडा देती है-सारी दुनिया को पता चल जाता है।

    यह भी कहा जा रहा कि जब तक हिन्दी ब्लॉगिंग भारतीय समाज को प्रतिबिम्बित करती रहेगी तब तक इसे प्रोफ़ेशनल माना ही नहीं जा सकता। तो हम आप देख ही रहे हैं कि भारतीय समाज को काट कर हावी होते जा रहा पश्चिमी अंधानुकरण हमारी अगली पीढ़ी को कहाँ ले जा रहा। शायद इस काम को और गति प्रदान की जानी चाहिए :-) और यहाँ तो अपने आप को express करना है कि धंधा-पानी चलाना है।

    यह भी मजे की बात है कि अपने आप को express करना भी अब आरोप कहला रहा :-)

    आप अपना प्रयास जारी रखिए, अच्छा है

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  22. हिदी ब्लागिंग को अभी भी पूरी तरह से समझने और व्याख्यायित करने में समय लगेगा -जोरदार चर्चा !

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  23. ये तो चमत्कार हो गया प्रभु! (ओरिजनल शोले की तर्ज पर) जैसे ही आपने लिखा कि हिंदी ब्लॉग्गिंग को आप रोमन हिंदी में या खुल्लम खुल्ला अंगरेजी में, या अंग्रेजियत झाड़ झाड़ के गलिया रहे हैं, वैसे ही बढ़िया हिंदी में टिप्पणी आ गई। लगभग सही मात्रायें, चँद्रबिंदु, शब्दों का चुनाव, दो वाक्यों के बीच स्थान आदि से लगता है ना कि यह वाकई में चमत्कार है।

    आपको हिन्ट दूँ? इनकी पिछली सभी पोस्ट्स देख डालिये। फरक समझ में आ जायेगा। आप तो कोर्ट कचहरी से जुड़े हुये हैं ना? जैसे पहले टाईपराईटर के अक्षरों का फेस देखकर बता दिया जाता था कि फलां टाईपराईटर पर इस दस्तावेज़ को टाईप किया गया है,वैसे ही कोई भी ध्यान से देखेगा तो समझ में आ जायेगा कि ऐसी हिंदी किसने लिखी है। :-)
    हिंदी ब्लॉगिंग में आप जैसों की बहुत जरूरत लगती है जिनके दो वाक्यों से कोई इतना प्रभावित होता है कि रोमन में टूटी फूटी हिंदी लिखने वाला एक झटके में देवनागरी के शुद्ध लेखन की रचना पर आ जाता है। चमत्कार :-)

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  24. http://murakhkagyan.blogspot.com/2009/08/blog-post.html?showComment=1250138586822#c3271874257495066848

    क्या कुश भाई? इतनी लंबी टिप्पणी? मैं तो धन्य हो गया। शहर से बाहर था। आज ही देख पाया। एक बात खटकि आपकी कि जब आप कहते हैम कि " तो वे .कोम भी रख सकते है.." तो पूर्णतया गलत कहते हैं। .कोम तो 28 मई 2002 को शैल भार्गव 15 साल के लिये ले चुके हैं तो संजय जी चाहते हुये भी नहीं ले सकते क्योंकि उhनोंने तो अपनी वेबसाईट का डोमेन 13 अप्रैल 2006 को लिया है
    त्याग कई बर मजबुरि मे ंभी करना पडता है

    इस बार आपसे जल्दबाजी हुई है.. थोडा रुक कर स्थिति समझ कर लिखा जाना चाहिए था..

    http://murakhkagyan.blogspot.com/2009/05/blog-post_27.html?showComment=1243440519931#c2148075301591121577

    am not asking about procedure of making a blog or sequence to make a blog. my demurrer was the sentence which sounds siren that the exigency of a gmail account is must for making a blog.

    sir you can see all previous comments which endorses my main motto to write a post -just a cogitation on a necessity of google mail id not on procedural activity to make a blog

    try to understand the theme of this post. you are renouncing the subject.

    am compelled to write in english as am on travel path and my mobile device not supporting unicode writing right now


    JUST 2 SPECIMENS OF YOUR OWN WRITING m gyan

    IF YOU WANT TO DIVERT THE ONGOING DISCUSSION TO PERSONAL LEVEL AGAIN THEN ITS OK I REALLY HAVE NO HASSELS

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  25. SEE YOUR OWN TEXT IN HINDI SEE THE MISTAKES
    AND SEE YOUE OWN COMMENT IN ENGLISH

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  26. ajay kumar jha said...
    lijiye ab ee bhee batana padega ki vyangya tha ,are mharaaj ee votwa ke lie kahe itnaa pareshaan hue kauno netwaa ko keh dete sab ho jaataa, avinaash bhai ta ee mein maahir hain bhaiyaa aaur ham log ko to aadat ho gaya hai jee...
    http://murakhkagyan.blogspot.com/2009/04/blog-post_30.html?showComment=1241100120000#c6339804132652061896

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  27. अनूप शुक्ल said...
    लिखने में /टाइपिंग करने में गलतियां हो जाती हैं। पता लगने में सुधार किया जा सकता है। इसमें वरिष्ठ/कनिष्ठ का मामला नहीं है, मानवीय चूक का मामला है।

    April 24, 2009 7:21 AM
    अनूप शुक्ल said...
    अपनी पोस्ट में आप जरा टाइपिंग की /वर्तनी की कमियां देखें:

    १.गाहे बेगाहे-> गाहे-बगाहे
    २.चिट्ठाचरचा->चिट्ठाचर्चा
    ३.गायीका-> गायिका
    ४.सुक्ल->शुक्ल
    ५. कबाडखाने->कबाड़खाने
    ६. जनमदिन->जन्मदिन
    ७.सम्झे->समझे
    ८.जनम्दिन->जन्मदिन
    ९. विशवास->विश्वास
    आशा है कि आप ऐसे ही हमें हमारी कमियां बताते रहेंगे और अपनी सुधारते रहेंगे।
    http://murakhkagyan.blogspot.com/2009/04/blog-post.html?showComment=1240538640000#c7911888195355629458

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  28. यही हैं हिंदी ब्लोगिंग जहां हम केवल और
    केवल एक दूसरे की गलती खोजते हैं
    लेकिन पलट होते ही इस्माईली लगाते हैं

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  29. कमाल है रचना मैडम। मैंने तो तारीफ की थी कि रोमन छोड़ कर इतनी शुद्ध स्टाईल वाली हिंदी आप लिख रहीं हैं मुझे विशवास ही नहीं हो रहा था। एक चम्त्कार ही लग रहा था जैसे किसी और ने लिखा हो वह सब। स्पेलिंग की गलतियां कौन निकालने आया और आ भी गया तो कौन सा सुधर जायेंगे स्पेलिंग। आप खुद ही सफर के दौरान मोबाईल पर तलाश तलाश कर लिंक दे रही हैं और साथ में कह भी रहीं हैं कि यही हैं हिंदी ब्लोगिंग जहां हम केवल और केवल एक दूसरे की गलती खोजते हैं। आप बताईये मैंने यहां कौन सी गलती की आपकी तारीफ कर के?

    मुझे बड़ी बेताबी से इन्तजार रहेगा आपकी आने वाली पोस्टों का जिनमें इतनी सुन्दर हिंदी लिखी मिलेगी। आखिर हम यहां हिंदी लेखन की ओर ध्यान नहीं देंगे तो क्या अन्ग्रेजी में देगें। स्वागत है आपका सुधार की कोशिश में। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आपने अनाम रह कर कमेन्ट देना करीब करीब बन्द कर दिया। स्माईली इस लिये लगाये जाते हैं कि वह होते ही इसी काम के लिये। जैसे हम किसी से बात करते हैं तो सौजन्यता के नाते मुस्कुरा कर बात करते हैं। अब आपको नहीं पसन्द मुस्कुराहट और सौजन्यता तो कोई क्या कर सकता है। अगर मैं पोस्ट के मुख्य मुद्दे से भटक रहा हूँ तो आप भी वही कर रहीं हैं

    जवाब देंहटाएं
  30. रचना जी...आपने मेरी ये टिप्पणी शायद उन दिनों की उठा ली ...जब मैं हिंदी ट़ंकण में अभ्यस्त नहीं था...और हां...जवाब ..तो फ़िर ..अन्य बहुत से प्रशनॊं के भी देने हैं आपको....मैं फ़िर वही दोहरा रहा हूं ....आलोचना से पहले ..अपना योग्दान देखें....हिन्दी ब्लोग्गिंग की देन ,....में क्या यही मिला है आपको...अगर हां...तो किससे ..कब और कहां...मिला...या नकारात्मक सोच ही बना रखी है आपने.......?

    जवाब देंहटाएं
  31. ajay
    your comment which i hv given was posted in april 09 which is just few months back and you have been in hindi bloging sinceoct 2007
    User Stats
    On Blogger Since October 2007
    Profile Views (approximate) 4,400

    अन्य बहुत से प्रशनॊं के भी देने हैं आपको
    and why precisely i should be anwerable to you ???
    अगर हां...तो किससे ..कब और कहां...मिला
    but if you are curious you should make an effort to read all the post of year 2007 one link i am giving you for your attention http://nirmal-anand.blogspot.com/2008/01/blog-post_31.html
    where a unsavory comment was given about my parents so ajay you have ample of knowledge on "what is hindi bloging " you should know it also .

    and for Mr gyan
    I will say just one thing i dont hit but i dont take hitting and bashing easily

    for me language is just a tool to express and whether its english or hindi or for that matter Roman its all fine . in todays era when blogging is breaking barriers of land caste creed gender if you want to stick to your set norms i have no problems then why should it matter to you so much in what language i write

    most hindi blogger have a english blog , most write comments in english so you also do it

    जवाब देंहटाएं
  32. आपके अपने जुझारू उम्मीदवार के पक्ष में भारी से भारी संख्या में बहस में शामिल होकर रैली को सफल बनाएँ !

    उम्मीदवार को जिताएँ !

    जवाब देंहटाएं
  33. बेहतरीन आलेख ..! यहाँ भी वही लोग हैं , जिनसे हमारी दुनिया आबाद है ..! लिप्त -अलिप्त दोनों किस्म के ...!
    येभी सच है,कि, गर दुनियामे हमें बरबाद करने वाले मिलते हैं,तो यहाँ नामुमकिन नही..!

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  34. रचना जी...मुझे नहीं लगता कि मुझे कम से कम आपसे ये सीखने की जरूरत है कि ..हिन्दी ब्लोग्गिंग क्या है...और हां ..रही बात अन्ग्रेजी में टिप्प्णी की तो ..ये भी ब्लोग जगत को ही बेहतर पता होगा..कौन किसमें टिप्पणी करता है...मैं पहले ही कह चुका हूं..तरीके दो होते हैं..सकारात्मक और नकारात्मक ...फ़ैसला अपने हाथ में होता है...मुझे आपकी पिछली पोस्टों में कोइ दिलचस्पी नहीं है...हां ..इतनी हिम्मत तो है ही कि ..मैं विरोधी मत की टिप्प्णी को भी ..प्रकाशित होने दे रहा हूं..बहुतों की तरह नही..कि मोडरेट करके उडा दिया....

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  35. अब प्रमाण सहित बात की , साक्ष्य भी दिया और
    आप ने नकार दिया , सो नकारात्मक बात हुई
    मैने सीखाने की बात नहीं की मेने कहा था
    " आप को पता हैं हिंदी ब्लोगिंग क्या हैं " आप ने
    ही इस से पहले कमेन्ट मे प्रश्न दागा था मैने
    जवाब दिया जब दिलचस्पी नहीं हैं जानने की
    तो प्रश्न ही बेकार किया . और आप का ब्लॉग हैं
    मोदेरेशन लगाये या ना लगाए इस मे हिम्मत
    जैसी क्या बात हुई भला . और विरोधी के कमेन्ट !!
    ये तो नयी बात पता चली की आप जैसी
    सकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति के विरोधी भी हैं
    कौन हैं नाम से लिखते तो हिम्मत की बात होती
    कम से कम मैने तो आप की पोस्ट की किसी भी
    पंक्ति का विरोध नहीं किया हैं अपने पहले कमेन्ट
    मे केवल अपना नजरिया दिया था फिर आप ने
    प्रश्न किया मेने साक्ष्य दिया .

    २००७ से आप ब्लोगिंग मे हैं और रोमन मे
    २००९ मे लिख रहे हैं मुझे इससे आपति नहीं हैं क्यूँ
    हो भाषा तो भाषा हैं

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  36. विरोधी के कमेन्ट !! = विरोधी मत के कमेन्ट

    "मत " इस शब्द का प्रयोग की बोर्ड नहीं करता
    क्या करू

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  37. सबूत ..अरे मैने कब मांगा था..फ़िर भी मिल गया आपको....चलिये यदि आपको लगता है कि मैं रोमन में ही टिप्प्णी करता हूं अधिकतर ..तो हो सकता है ..आपकी नज़र में यही सही...रही बात प्रश्न दागने की..तो जरा गौर से पढिये..मैने तो पूरी पोस्ट ही हिन्दी ब्लोग्गिंग क्या है..इस पर लिखी है...इसके अलावा भी कुछ बचा क्य...रही बात विरोधी और विरोधी मतों की..तो क्या करें जी..कुछ लोग सिर्फ़ आपत्तियों, विरोधों, दूसरॊं पर आरोप लगा कर...या कुछ पंक्तियों में प्रश्न पूछ कर ही अपना काम चला रहे हैं...आपका की बोर्ड भी हिन्दी विरोधी है क्या...फ़िर तो क्यों किसी को दोष दिया जाये.....
    बात वही...पहले योगदान देखें....फ़िर आलोचना...हम तो अभी पहले वाले पर ही लगे हैं...आपके जितने कद वाले हो जायें ..फ़िर आलोचना भी कर लेंगे.....

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  38. अजय मै तो पोस्ट पढ़ कर मुग्ध !! होगई और अपना
    मत दिया आप ने अपने कमेन्ट मे पूछा "तो फ़िर ..
    अन्य बहुत से प्रशनॊं के भी देने हैं आपको."
    मैने साक्ष्य दिया , साक्ष्य मे लिंक था . लिंक मे
    डेट भी थी अब क्या करू आदेश दे डिलीट कर दूँ
    कमेंट्स या रहने दूँ और
    रही बात "कद" की तो मेरा मानना है कद काठी से
    कुछ नहीं होता मे २००७ से हूँ आप भी तभी से हैं
    सो बराबर हुए ना !!!
    छोटा बड़ा ऊँचा नीचा नारी पुरुष हिन्दू मुस्लिम
    इंग्लिश हिंदी से ऊपर हैं ब्लोगिंग की परिधि और
    ब्लॉगर शब्द भी न्यूट्रल मना जाता हैं .
    कोई हज़ार लाइनों मे एक बात कहता हैं और किसी
    का एक शब्द हज़ार बातो के बराबर होता हैं

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  39. चलिये ..आप भी तब से ही ब्लोग्गिंग कर रही हैं..बढिया है...टिप्प्णी हटाने या रखने...अरे ..मैंने तो आज तक ये किसी को नहीं कहा..आपकी मर्ज़ी है जी...अजी हममें इतना दम कहां कि एक शब्द में ..इतना कुछ कह जायें..अब देखिये न..पिछली पोस्टों से कितना कुछ कहे जा रहे हैं..फ़िर भी .....हां आपके सबूत से ध्यान आया..यदि कहें तो मैं ऐसे सैकडों सबूत रख दूं..जब मैं अपनी टिप्प्णी के सन्दर्भ में ..सबसे यही पूछता था..भाई कोइ हिन्दी में टिपियाना सिखा दे..जब लैप्टौप लिया...और पता नही..कितने दोस्तों की मदद से ..अभी भी कोशिश ही जारी है....
    रही बात ..पुरुष, स्त्री, हिन्दू, मुस्लिम..तो इनकी तो छोडिये..अब तो हमारे बहुत से बच्चे भी ब्लोग्गिंग कर रहे हैं...
    विचारों में भिन्नता ..स्वाभाविक है...मगर हर विचार ही नकारात्मक हो ..ये संयोग सा नहीं लगता ...मैंने कहीं...पढा सुना था कि ...ये हो सकता है कि..एक , दो , तीन चार से तुम्हारे मतभेद हों..मगर यदि हरेक से तुम्हारे विचार नहीं मिलते..तो फ़िर अपने भीतर ही टटोल कर देखो...अब ये जरूरी तो नहीं कि ऐसा सबके साथ हो...क्यों है न....

    लगता है इस विषय पर आपकी कोइ बहुत ही शशक्त पोस्ट पढ्ने को मिलेगी ..जल्दी ही......

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  40. "मैंने कहीं...पढा सुना था कि ...ये हो सकता है कि..एक , दो ,
    तीन चार से तुम्हारे मतभेद हों..मगर यदि हरेक से तुम्हारे विचार नहीं मिलते..
    तो फ़िर अपने भीतर ही टटोल कर देखो" क्या आप
    ने daekha ?? क्या नतीजा निकला जरुर
    अवगत कराते रहे इस ब्लॉग जगत को
    वैसे नकारात्मक सकारात्मक सब शब्द हैं जो
    जैसे खेल ले उतना बड़ा खिलाडी होता हैं . और
    आज कल हर खेल स्पोंसर होता हैं . इस से याद
    आया कई पोस्ट भी स्पांसर होती हैं लिखता कोई
    हैं , विचार किसी और के होते हैं बड़े भाई से
    लोग सीखते हैं और इस मे बुराई भी कोई नहीं हैं
    सब खुद सोच ले ज़रा मुश्किल हैं और सब खुद
    लिख भी ले और भी मुश्किल हैं
    मेरी पोस्ट किस विषय पर आयेगी इसका निर्णय
    मे खुद ही करुगी

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  41. हिन्दी जगत को बस यही फ़रियाद रह गई...............
    अंग्रेज़ तो चले गए, उनकी औलाद रह गई
    ________
    ____
    __

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  42. हिंदी ब्लॉग्गिंग को पहला प्लेटफोर्म मिर्ची सेठ ने
    दिया था और वो पैसा शायद डॉलर रहा होगा
    वो प्लेटफोर्म ना मिलता तो आज आप सब
    इंग्लिश , अग्रेजी , रोमन , वेस्टर्न को ना नकार
    रहे होते
    कभी सचाई से रुब्रुरु हो सके तो हो जाईये

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  43. हां.किसको क्या लिखना है ..ये तो खुद उसका निर्णय होता है..खैर..मुझे लगता है..अब ये बहस दिशाहीन हो रही है..अलबेला भाई..जाने दिजीये..भाषा संयत रहे तो ज्यादा उचित लगता है...अब आप सबसे गुजारिश है कि ..इस पोस्ट पर टिप्प्णी न करें..और मुझे जिस दिन स्पोंसर की जरूरत होगी..जरूर बताउंगा...

    अब आप लोग इस पोस्ट पर टिप्प्णी न करें

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  44. ब्लागिंग के प्रति लोगों की प्रतिबद्धता देखकर दंग हूँ. हाय, हम इतने प्रतिबद्ध क्यों न हुए? समाजशास्त्री कहलाने का इतना भी क्या शौक कि हर टिप्पणी का जवाब तब तक दिया जाय जब तक कोई अंपायर रिजल्ट घोषित न कर दे. वैसे भी एक ही पोस्ट पर इतनी बहस होगी तो फिर आगे पोस्ट लिखने का नंबर आएगा ही नहीं. अब बहस के लिए कोई नया मुद्दा खोज लिया जाय तो और मुद्दों पर असहमत होना आसान रहेगा.

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  45. अजय भाई, आपने मेरी फ़रियाद तो अनसुनी कर दी? किसी को सौ जवाब और किसी को एक भी नहीं? सख़्त नाइन्साफी है। :) खैर अब रहने ही दीजिए।

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  46. सिद्धार्थ जी हमारी बात का भी जवाब रचना जी ने नहीं दिया :(

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  47. वाह अजय जी आपकी शानदार शायरी के लिए शुक्रिया!
    आपने बिल्कुल सही कहा है और मैं आपकी बातों से पूरी तरह से सहमत हूँ! हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हिन्दी में ब्लॉग्गिंग करने से भाईचारे की भावना और ज़्यादा बढती है और आपस में बहुत ही अच्छी दोस्ती रहती है और एक अटूट रिश्ता बनता है ! इसके अलावा नए लोगों से मिलना और आप और बाकि सभी महान लेखकों से मिलना ये तो सौभाग्य की बात है! बहुत बढ़िया लिखा है आपने!

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  48. अजय भाई नमस्कार, आज की आप की यह (पोस्ट) लेख मेरे मन की बात है, सच मै हम ने ब्लांगिंग से बहुत कुछ पाया है, शायद लोग ना माने जब मै मां की अस्थिया जल मै प्रभावित करने जा रहा था तो कार मै मुझे पचासो फ़ोन काल आई, फ़िर वत्स शर्मा जी से मिलने का मोका मिला हम मिले सिर्फ़ १९ मिंट के लिये ही, लेकिन वो मिलन एक याद बन गया,मेने भारत आना ताऊ के फ़ोन से तय किया, जब कि आज तक हम आपस मै मिले नही, हमारे यहां अरुणा जी आई, ओर आज हम अपनो से ज्यादा एक दुसरे के लिये तडपते है, बलोग इसे कुछ भी कहे, भारत से आते समय अरुणा जी से बात ना कर पाया, उन के घर ना जा पाया, उन के पति ने झट से फ़ोन किया अरुणा जी ने दो तीन बार फ़ोन किया मेरी तबीयत के बारे पूछा... यह सब इस हिन्दी ब्लांगिंग के कारण ही हुया, मै जिस देश मै रहता हुं यहां हिदी नाम मात्र नही, मुझे शुद्ध हिन्दी लोगो ने टोक टोक के सिखाई, जिन का मेने बुरा नही माना, मुझे आज खुशी है मै काफ़ी शुद्ध हिन्दी बिना अग्रेजी के लिख रहा हुं.
    अपने दिल की बात हम सिर्फ़ अपनी मां भाषा मै ही कर सकते है, किसी विदेशी भाषा मै कभी नही, मेरे बच्चे भी हिन्दी मै ही बात करते है घर पर, मेरे साथ तो कोई अग्रेजी मै बात करे तो जबाब ही नही देता, अगर भाई आप भारतीया है तो अपनी भाषा मै बात करो वरना राम राम
    इस अपनी भाषा ने मुझे अपने देश के , अपने लोगो के बहुत करीब कर दिया है, तो क्यो ना करे हम इस हिन्दी ब्लांगिंग पर मान.
    बाते तो बहुत सी है लेकिन आज इतनी ही.
    धन्यवाद

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  49. hindi bloging ke bare me jo aap kah rahe hain wo tik hai. Par mai jahan tak samjhta hoon har bhasha jisme aap imandari se khud ko abhivyakt karte hain rishton ko banane me saksham hoti hai. Agar aisa nahi hota to sayad hindi bloging bhi safal nahi hoti. Kyunki kisi baat ko kah dena alg hai. Par amal karna dusri baat. Atah ye soch jod kar ki doosre apke hindi me blog likhne par kya bura kahte hai, Aap agar likhte jayege to aur jyada achha hoga.

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  50. हद करते हो यार !
    उन्हें जगाने चले हो... जो पहले से ही जागे हैं
    लेकिन संयोग से बेचारे इतने घोर अभागे हैं
    कि उठ नहीं पायेंगे
    अकडू हैं न ,,,,मर जायेंगे भूख से लेकिन
    दलिया नहीं खायेंगे

    albela ji doosaron par kataksh mat kariye. apani or dekhiye aur svasth maansikata ka parichay dijiye , pahale bhi apaki vyangyatmak tippaniyon par bahut kuchh kaha gaya hai.

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  51. आह! सच लिखा अजय भाई...मैं अच्छा हुआ जो विलंब से आया। इतना कुछ पढ़ने को मिल गया एक पोस्ट में।

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  52. आलेख पर अपनी पोस्ट मे डॉ. अमर कहिन,"पँडिताइन से कहा तो चमक पड़ीं, “ और गाँज़ाखोरों की सँगत करो ! वैसे आप को गांजा खोर कहलाने पर आपत्ति नहीं हैं ! क्या इसी हिंदी ब्लोगिंग का आप गुण गान कर रहे हैं !"

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  53. achha huva mein bhi deri se aaya .... bahoot mahaan mahaan blogiye atke huve hain is vaartalaap mein ....

    par aapka likh madedaar hai sahi hai ....

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला