jee haan bilkul sau pratishat सच कह रहा हूँ मैं. आप सोच रहे होंगे की अम कौन सा फंसी ड्रेस कम्पटीशन और मुझ जैसा भरा पूरा आदमी उसमें क्या करने चला गया । लेकिन माजरा वो नहीं है जो आप समझ रहे हैं, मगर कुछ तो है ही।
दरअसल जब में छोटा था तो हमारे स्कूल कोलेज में भी कई तरह के कम्पटीशन हुआ करते थे जिनमें में हम सिर्फ़ उनमें ही भाग ले पाते थे जिनमें आम तौर पर उन दिनों एक मध्यम परिवार के बच्चे ले पाते थे और यही कारण था की हम कभी फैंसी ड्रेस कम्पटीशन... नाटक ... या ऐसे ही किसी भी अन्य प्रतियोगिता में हिसा नहीं ले पाते थे। शायद हममें एक स्वाभाविक समझ थी जो हमें ये बता देती थी की हमें अपने अभिभाकों को इन प्रतियोगिताओं या आयोजनों में भाग लेने में आने वाले खर्च के लिए कुछ नहीं कहना चाहिए। उस वक्त तो अपने प्रोजेक्ट को बेहतर बनने की काबिलियत रखने के बावजूद हमें अपने को सिर्फ़ इसलिए रोकना पड़ता था या कहूँ की समझौता करना पड़ता था क्यूंकि हमें पता था की इससे ज्यादा अपने माता पिता से कहना ज्यादती होगी। मगर यकीनन इसका अफ़सोस कभी नहीं हुआ क्यूंकि उनके दिए संस्कार और परवरिश का थोडा सा भी हम अपने बच्चों को दे सकें हमारा जीवन भी सार्थक हो जायेगा।
.मगर के बात जो तब से लेकः समझ आने तक नहीं भूली वो ये थी की मैंने तय कर लिया था की जो भी मैं नहीं कर पाया , .......जो कुछ मैं नन्हीं जी पाया....अपना वो बचपन मैं अपने बच्चों में जीऊँगा। और देखिये उसकी शुरुआत भी हो च्युकी है। हलाँकि अभी तो पुत्र ने स्कूल जीवन की शुरुआत की है मगर मैं उसके स्कूल में होने वाले हर ख़ास कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं के लिए ख़ुद म्हणत करके तैयार करता हूँ। अच्छी बात ये है की स्वाभाविक रूप से पुत्र इसे सहजता से सीकी और मेरा काम ज्यादा आसान हो जाता है। चाहे पन्द्रह अगस्त पर नेताजी बनाना हो , या जन्माष्टमी पर कृष्ण राधा, या फ़िर रामलीला में कोई भूमिका निभानी हो मैंने सबके लिए पुत्र को तैयार किया
इसी लिए जब मुझे पता चला की पुत्र के स्कूल में फैंसी ड्रेस kअम्प्तीशन होने वाला है तो आप शायद यकीन न करें मगर अपने दफ्तर से छूती लेकर मैं उसके लिए खरीददारी करता रहा और फ़िर देर रात तक जाग कर उसकी तैयारी करता रहा। ये मेरा बचपन का ख्वाब था या मेरी कोई छुपी हुई चाहत पता नहीं मगर जितनी व्यग्रता मेरे पुत्र को थी उतनी ही मुझे भी हो रही थी.इसलिए शाम को जब पुत्र ने आकर बताया की उसे पहला स्थान मिला है तो मुझे लगा की मैनी ही वो प्रतियोगिता जीता हूँ, क्या आपके साथ ऐसा होता है.........