मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

स्वास्थय दिवस पर स्वास्थय जगत को पिलाई जानी चाहिए थी पोलियो द्रोप्स

(एक विज्ञापन से साभार )
एक तो इन दिवसों से अब एक कोफ्त सी होने लगी है, किंतु चलो इसी बहने से इन विषयों पर कुछ न कुछ चर्चा तो हो ही जाती है , सो इस लिहाज से ठीक है।
आज ही के दिन विश्व स्वास्थय संगठन की स्थापना की गयी थी इसलिए तभी से ७ अप्रैल तो विश्व स्वास्थय दिवस मानाने की परम्परा सी बन गयी है। इसमें कोई शक नहीं की आज देश का स्वास्थय जगत में जो भी स्थान है और जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं वो किसी भी लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण और काबिले तारीफ़ है, किंतु इनके साथ ही निम्न लिखित कुछ तथ्यों को जब देखता हूँ तो फ़िर सोच कुछ अलग दिशा में बढ़ जाती है।

देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान , एम्स मं पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह की खींच तान चल रही है उसने तो पूरे देश के चिकित्सा जगत में एक नयी बहस को जन्म दे दिया है। और कमाल की बात ये है की सरकार वादा कर चुकी है ऐसे ही छ संस्तान जल्दी ही पूरे देश में खोले जायेंगे। मेरा ध्यान इस बात पर गया की ऐसे ही संस्थान ।

अभी हाल ही में ऐसी कई घटनाएं हुई है, जिनमें कईयों में कुछ नवजात बच्चे अस्पताल की लापरवाही के कारण जल कर मर गए, कुछ अस्पतालों ने अस्पताल का खर्चा न चुकाने के कारण कहीं किसी का नवजात बच्चा नहीं दिया तो किसी के रिश्तेदारों को उनके मरीजों की लाश तक नहीं सौंपी।

गरीबों को मुफ्त इलाज के नाम पर सरकारी जमीनों को सस्ते डर पर हासिल करके मजे से बहुत से बड़े बड़े अस्पताल अंधाधुन्द कमाई करने में लगे हैं और अदालत के आदेशों के बावजूद भी वहां अब भी सब कुछ वैसा ही जारी है ।

हमारे चिकितिसक जिन्हें कभी इश्वर का दूसरा रूप मन समझा जाता था, आज इस बात के लिए भी तैयार नहीं हैं की अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें गाँव में जाकर गरीब दुखी लोगों की सेवा करनी पड़ेगी।

हमारे पास विश्व में सबसे ज्यादा झोला छाप , नकली डॉक्टर्स और नीम हकीमों की फौज है।

नकली दवाइयों में तो हमारा अपना एक अलग ही विश्व रिकोर्ड है।


मुझे नहीं लगता की इन तमाम उपलब्धियों के रहते हुए हमें किसी भी स्वास्थय दिवस को मानाने की जरूरत है।अच्छा होता की ऐसे दिवसों का कुछ सार्थक उपयोग हो सकता ................

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बात सोचने लायक है। इस दुर्दशा के कई कारण हैं, जिनपर हमें सोचकर उपाय निकालने की जरूरत है।

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  2. हमारे पास विश्व में सबसे ज्यादा झोला छाप , नकली डॉक्टर्स और नीम हकीमों की फौज है।
    नकली दवाइयों में तो हमारा अपना एक अलग ही विश्व रिकोर्ड है।
    बिल्‍कुल सही ... बहुत ही चिंताजनक स्थिति है।

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  3. sahi jagah chot kiya ...ham to bhai in diwason se tang aa gaye hai.... ek bahana mil jaata hai ...

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला