जिस प्रकार अलग नाम रखने के चक्कर में आजकल माँ- बाप ऐसे-वैसे बेमतलब के ऊलजुलूल नाम रख रहे हैं उसी प्रकार मैंने भी निश्चय कर लिया था की मार्केट में मौजूद तमाम व्यवसायों से अलग कुछ अनोखा बिजनेस शुरू करूंगा। इसलिए मैंने अपने सनातनी मित्र मौझीराम से सलाह लेना ठीक समझा। हालांकि मुझे पता था की मौजी राम नाम के अनुरूप दूसरे का राम नाम सत्य करके ख़ुद मौज लेते थे। किंतु मेरी मजबूरी ये थी की यदि कोई अनोखा बिजनेस का आईडीया आया तो कहीं वही न शुरू कर दे जो आईडीया दे। इसलिए मौजी को ही बुलाया गया। मेरी समस्या सुन कर वह इस प्रकार गंभीर चिंतन में डूब गया जैसे बाबा रामदेव की कोई नयी योग क्रिया कर रहा हो।
मौजी की आन्केहीं खुली तो मुझे यूँ लगा की गौतम बुद्ध के बाद ये दूसरी आत्मा है जिसे दिव्या ज्ञान की प्राप्ति हो गयी है और अब सीधा मुझे प्राप्त होने वाली है। "मुझे रास्ता मिल गया है , हम एक नयी कंपनी खोलेंगे- नेता सप्लाई "उसने बड़ी गंभीरता से कहा जो मुझे दिव्य आदेश आदेश सा लगा। हैं, अबे पगला गया है, ये कौन सा बिजनेस हुआ बे। नेता सप्लाई करेंगे, किसे करेंगे , और फ़िर नेता लायेंगे काहें से। यार इस देश में नागरिक कम हैं नेता ज्यादा हैं तो फ़िर......? बस बस ज्यादा परेशान न हो मेरे मष्तिष्क में सारी योहन बिल्कुल तैयार है । तू बस ध्यान से सुनता जा और काम की बातें नोट करता जा। जैसा मैंने सोचा है यदि सबकुछ wasaa ही हुआ तो देश तो देश हमारा प्रोडक्ट विदेशों तक पहुँच जायेगा।
देख ये तो तुझे पता है की हमारा प्रजातंत्र जिंटा पुराना होता जा रहा है प्रजा और तंत्र भी उतने ही मजबूत होते जा रहे हैं। देख प्रजा को भी चुनावों में , राजनीति में ,मजा आने लगा है। उन्हें पता है की यही एक अकेला खेल है जिसमें सब के सब एकसाथ खेल सकते हैं। यदि नहीं खेलना चाहें तो आपके बदले कोई और खेल लेगा। रही तंत्र की बात तो आज भी इस देश की आधे से अधिक आबादी अपनी किस्म्नत, अपनी मोहब्बत , अपने व्यापार अपनी तकरार, सबके लिए सिर्फ़ तंत्र या मंत्र पर ही निर्भर है। एक से एक कारनामें कर रही है, क्या अपने कए पराये , कमबख्त बलि ऐ दे कर न जाने किसे खुश कर रहे हैं । चल छ्होद अपने बिजनेस की बात करें॥
अब हमारे यहाँ न सिर्फ़ ऍम एल ई और ऍम पी के चुनावों पर सबका ध्यान , सबका प;ऐसा, ग्लामेर और ताकत लगती है बल्कि ऍम सी दी इलेक्शन, उनीवेर्सिती इलेक्शन यहाँ तक की गली मोहल्ले और झुग्गियों तक के इलेक्शन की बड़ी प्रधानता हो गयी है। पब्लिक के अन्स्वेतन मूड को देखते आज के राजनेता अपना फुचर सुरक्षित रखने की गरज से प्रधानमंत्री से लेकर वैफेयर असोसीयेशन के महामंत्री तक का इलेक्शन समान भाव और उसी रोमांच से लड़ते हैं। यही कारण है की घर घर में नेताओं के मौजूद रहने के बावजूद अन्य क्षेत्र के महारथियों को भी नेता बन्ने के लिए ख़ास तौर पर बुलाया जाता है.जैसे फिल्मजगत ऐ, खेल जगत से, और विशेषकर अपराध जगत से दिगाज्जों को तो विशेष तरजीह दी जाती हैफिर उनका एक्स्पीरींस आगे नेता बन्ने के बाद भी काम आता है।
हम अपनी नेता सप्लाई कंपनी के लिए पहले एक सर्वे करेंगे। पहले पता करेंगे की कहाँ किस क्षेत्र में किस धर्म कौन सी जाती के नाम पर कहाँ किस चीज का प्रलोभन देकर या कहाँ किस बात से डरा कर \चुनाव जीता जाताहै फ़िर उस हिसाब से वहां के लिए स्पेशलिस्ट नेता तैयार करेंगे। मसलन कहें से कोई हीरों इलेक्शन लड़ती और जीतती आ रही है तो हम कवाहन के लिए आईटम गर्ल्स को तैयार कर देंगे। इससे चुनाव प्रचार के दौरान ही वे आराम आईटम सोंग्स से सबका दिल जीत लेगी, और चुनाव भी । मनो कहीं पर कोइजातिवाला समीकरण बन रहा हो तो वहां के लिए हमारी विशेषज्ञ टीम शोशल ईंगीनीयारिंग, सोशल aarkitekcharing, शोशल अक्युज्पंचारिंग शोशल पामिस्ट्री जैसे नए फार्मूले पर काम करेगी। यूँ तो मौजी की इस अनोखी थीसिस से मैं पहले ही हैरान था मगर इस चमत्कारी शब्दावली ने तो मुझे मौजी के राजनीति ज्ञान की विद्वता का कायल कर दिया।
मगर यार ये जो तुमने बताया है या है कए, मैंने जानना चाहा.औजी ने थोडा सोचते हुए बताया यार ये तो पता नहीं मगर मैंने सुना है कीकिसी मैडम ने सीई फार्मूले से बड़ी जीत हासिल की है। जब हम एक्सपर्ट नेता सप्ल्यार हो जायेंगे तब विदेशी क्षेत्रों के लिए ख़ास नेता तैयार करेंगे.मगर उसके लिए क्या करना होगा , मैंने जिज्ञासा से पूछा । कुछ नहीं यार बस हाई सोसईटी के ऐसे सलीकेदार इज्जत से और पूरी काबिलियत से बड़े आर्थिक आपराध कर सकें, नाजायज सम्बन्ध रख सकें और वहां के लोगों को वैसे ही बेवकूफ बना सकें जैसे वहां की मल्टीनेशनल कंपनियाँ हमें बना रही हैं।
लेकिन यार महेंगाई, गरीबी, असिख्सा , बेरोजगारी जैसे मुद्दों के लिए हमारे नेता क्या तैयार करेंगे। मैंने जानना चाहा। अरे यार इन फालतू के पचडों में हमने पाना बिजनेस नहीं ख़राब करना और फ़िर पिछले पचास सालों में कौन से नेता ने कब कौन सा इलेक्शन इन मुद्दों पर लड़ा है। बस अब छोड़ तू उदघाटन की तैयारी कर। अपनी कंपनी" थे आल परपस न्यू नेता सप्लाई कंपनी ।
idea achchha hai aur kataksh bhi.
जवाब देंहटाएंएक जूता सप्लाई कंपनी भी खोलिए
जवाब देंहटाएंउसके बिना सिर्फ नेता सप्लाई करने से क्या होगा
waah avinaash bhai, sochtaa hoon ki algee dukaan jootaa saplaayee kee khol loon, is maahaul mein to tata sahab bhee nano ko chhod kar bata joote banane kee sochne lage hain.padhaarne kaa dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार है। पर जरा फॉण्ट साइज बढ़ाइए।
जवाब देंहटाएंbadiya hai magar shabdon kaa akar bada karen agar aap chahte hain ki ham jese boodhe bhi apka blog padh saken abhar
जवाब देंहटाएंaap dono kee aagyaa sar aankhon par aglee baar aisaa hee hogaa, padhne aur saraahne ke liye dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंमजेदार लगी यह आपकी नेता सप्लाई कम्पनी.. :)
जवाब देंहटाएंवाह...मज़ेदार. अविनाश भाई की सलाह पर यदि आप जूता सप्लाई क्म्पनी खोलें, तो हमारे लिये भी कोई पद ज़रूर खाली रखें,किसी ’नेता’ की सिफारिश लगेगी क्या?
जवाब देंहटाएंसिफारिश सिर्फ उन्हीं नेताओं की
जवाब देंहटाएंजो जूते खाने में
वरिष्ठता/भ्रष्टता रखते होंगे
।
mujhe to pehle hee pata tha ki mandi ke daur mein main chaahe neta supplu company kholun ya joota supply company , achha hee lagegaa, aakhir roojgaar kaa maamlaa hai bhai.
जवाब देंहटाएंभैय्या जी आजकल घर घर में नेता लोग हो गए है . नेता लोग पहले से ही देश का कबाडा कर रहे है तो फिर इनकी सप्लाई कंपनी काहे को खुलवा दी . मंदी के दौर में कही नेता लोगन की सप्लाई कंपनी कही अपने शेअर न डुबा बैठे . हा हा
जवाब देंहटाएंझा जी, आर्डर पर नेता तैयार किये जाते हों,
जवाब देंहटाएंतो बताइयेगा.. नेता जो लेता न हो !
bilkul sahi kaha janaab...sochne par majbur hua...
जवाब देंहटाएंachhe neta supply kijiyga..kaam badiya hai..different bhi....achha likha aapne..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया और मज़ेदार लिखा है आपने !
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