शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

मेरी ब्लॉग्गिंग, मेरी श्रीमती जी ...और मेरे पाबला जी...


कुछ दिनों के अन्तराल के बाद ....एक पोस्ट...वो ही इस शीर्षक से ..कमाल है..आप सोच रहे होंगे...ये क्या चल रहा है भाई...कहाँ हमारी ब्लॉग्गिंग..कहाँ श्रीमती जी ..और इन सबके बीच पाबला जी ...यार कोई तालमेल नजर ही नहीं आ रहा ..सुनिए पूरी बात ..फिर बताइयेगा की ..कहाँ ताल है कहाँ मेल ....?

ये तो आपको बताया ही था की ..लगातार डेढ़ सालों तक कैफे के भरोसे ब्लॉग्गिंग करने के बाद ...जब रहा नहीं गया ..तो आखिरकार घर पर ही लैपटॉप खरीदने का पूरा प्रोग्राम बन गया...अभी कुछ माह पहले ही..बड़े मनोयोग से खरीद भी लिया गया.....आप माने या न माने हमें तो ये उपलब्धि ..बिलकुल वैसी ही लगी ..जैसे ...टाटा जी को अपनी नैनो देखने की बाद लगी होगी...खैर....उस पर से सोने पे सुहागा ये की ..उन दिनों लम्बी छुट्टियों का दौर चल रहा था...इसके बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश ...बस समझिये ..अंधे के हाथ बटेर ..अजी हाथ क्या ..पैर, सर ..और पता नहीं कहाँ कहाँ..बटेर..वो भी मंदी के इस दौर में....

अजी दिन क्या रात ...हमने कंप्यूटर पर ऐसी हरी बत्ती जलाई....की समजिये ..ट्रैफिक बिलकुल फ्री ही कर दिया..जब देखो हरी बत्ती aun ....मगर हमें क्या पता था की ये ट्रैफिक रूल्स का जबर्दस्त उल्लंघन है ....अरे भाई घर के ट्रैफिक रूल्स का....बस ..पहले छोटे मोटे चालान हुए...यानि नोक झोंक ...और फिर वाद विवाद..हमने सोचा ये तो हर ब्लॉगर के घर में हो रहा है...और फिर कल को यही बलिदान तो हिंदी ब्लॉग्गिंग के संघर्ष का सुनहरा अध्याय कहलायेगा..सो शहीदों की तरह ...सब कुछ झेलते चलते जा रहे थे.......मगर कब तक जी आखिर कब तक....एक दिन ..हमने भी ...सरफरोशी की ..तमन्ना वाले अंदाज में ..बंद कर दिया ..सब कुछ...अंतिम फैसला...लो जी अब नहीं ...नहीं करेंगे ब्लॉग्गिंग...अरे ब्लॉग्गिंग क्या ..इस कंप्यूटर को भी हाथ नहीं लगायेंगे ...आननं फानन में सभी मित्रों को सन्देश भेज दिया गया ...जाओ जी ..अब तुम्हारे हवाले ये ..ब्लॉग्गिंग साथियों....सन्देश मोबाईल पर टाईप करके सबको भेज दिया गया ....और इस चक्कर में उनके पास भी चला गया जो हमें तो जानते थे..हमारे नंबर को भी पहचानते थे ..मगर ये ब्लॉग्गिंग क्या बाला है..उन्हें क्या पता.....बेचारे घबरा गए.....
फटाफट ..संवाद हुआ....बेटा ..ये कौन सी चीज थी ..तुमने कब पकडी थी..और कब छोड़ दी..क्यूँ छोड़ दी..कोई नौकरी थी..अरे तो काहे छोड़ दी बबुआ...का पैसे कम मिल रहे थे...अब उन्हें क्या बताते...

बस ..यही सन्देश ..पहुंचा पाबला जी के पास...जो पिछले दिनों मेरे इतने कराब हो चुके हैं..की कब सखा होते हैं..कब मार्गदर्शक ..और कब अभिभावक ..मैं खुद ही नहीं जानता..मगर ये है की ..मेरे सभी ..तकनीकी ..ब्लॉग्गिंग से जुडी समस्याओं का हल उनके पास मुझे मिल ही जाता है..उन्होंने संक्षेप में पूछा..और अनुभव के आधार पर ही बिना कुछ कहे सब कुछ समझ गए ...हम भी उन्हें बता कर ...मौन धारण करके बैठ गए...हमारे विरोध का ये अंदाज जरा जुदा है....कोई हल्ला गुल्ला ..कोई हंगामा ..नहीं..चुप रह कर जो विरोध होता है...उसकी मारक क्षमता कितनी होती है....इसका अंदाजा मुझे पहले से ही था....मगर सच पूछिए तो ...अन्दर ही अन्दर तो ऐसा लग रहा था ...जैसे किसी अज्ञातवास में जीवन बीत रहा है..मगर हमने भी व्रत जारी रखा...अब घबराने की बारी श्रीमती जी की थी....उन्हें समझ आ गया था की ..सूर्यग्रहण का कोई असर हुआ या नहीं ये तो पता नहीं ..मगर उनके चाँद (अजी हम ) को ग्रहण टाईप का लग सा गया है....

उन्होंने ..न जाने कैसे पाबला जी को फोन किया ..और चूँकि श्रीमती जी भी पंजाबी भाषी हैं...बस पाबला जी ने बड़े भाई की तरह पता नहीं उन्हें कौन सी घुट्टी पिलाई...की डांट मिली ..या पता नहीं ..बस हमें आजीवन ब्लॉग्गिंग का परमिट मिल गया ......साथ ही ...ये वादा भी ..की अब इस ब्लॉगर पर अधिक बंधिश नहीं ;लगाई जायेगी ..

सो हे ...सखाओं..इस अभय वरदान के साथ ..ब्लॉगजगत में दोबारा वापसी हो रही है.....
चलते चलते एक बात और...यदि सब ठीक ठाक योजना अनुसार रहा तो जल्दी ही आपको ..झा जी कहिन...पर एक नए अंदाज में नियमित रूप से चिट्ठाचर्चा पढने को मिलेगी....

16 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो! पाबला जी की!
    एक शानदार ब्लागर की वापसी हुई!

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  2. अरे भाई पहले शुरू आत में पढ़ते हिये तो मेरी जान ही निकल गयी की झा साहब सही कह रहे है या फिर ये भो कोई व्यंग है अगर सही है तो हम जैसे नौसखिया ब्लोगरो का का क्या होगा पर अंत में आप के बापस आने की बात से रहत हुई आप यही रहे और कही ना जाये यही हमारी दुआ है
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहुगां भाभी जी और पाबला जी को।। आपका फिर से स्वागत है।

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  4. ये काम पाबलाजी ने बहुत शानदार किया. आपको परमिट मिलने की बधाई और अब इंतजार करते हैं आपकी रचनाओं और चर्चा का.

    रामराम

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  5. भाई अजय , पाबला जी हमारे छत्तीसगढ की शान है और ब्लोगर होने के नाते यहीं की क्यों सारे विश्व की शान है लेकिन उनके सहयोग का सार्वजनिक बखान करके आपने अच्छा नही किया अब बहुत सारी "श्रीमतिजीयाँ" पाबला भाईसाहब से हम लोगों की शिकायत करने को तत्पर हो जायेंगी . अंतत: भुगतना तो हमे ही पडेगा.

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  6. अरे पाबला जी से कहिये 'पत्नी मनाओ, ब्लोगर बचाओ' नाम का एक ठो दोकान खोलें, सभी पीड़ित ब्लोगर उनका ही सरन में जावेंगे और अभयदान पावेंगे...
    समीरानंद महाराज के बाद नया अवतार अवतरित हुए है... गोड़ लगते हैं भाई...
    बोलिए प्रेम से पाबला बाबा की .....जय

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  7. पाबला जी चिरंजीवी हो ! आपकी भी कायनात चमकती रहे !

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  8. आपका एक बार फिर से स्‍वागत है .. अन्‍य सार्थक आलेखों के साथ ही साथ एक नए अंदाज में नियमित रूप से चिट्ठाचर्चा का इंतजार है !!

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  9. मान गये ,

    किसे,

    पाबला जी और भाभी जी दोनों को !

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  10. बहुत बधाई...पाबला जी ऐसा करते हैं??? हम्म!!

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  11. जय पाबला जी की.. और बधाई आपको..

    बस अब झट से झा जी वाली चर्चा शुरु करो.. वरना हम पाबला जी से कह परमिट वापस करवा देगें..:)

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  12. बड़े ही दुरूह कार्य को अंजाम दिया पाबला जी ने :)

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  13. हा हा!!

    मियाँ-बीबी राजी
    तो क्या करेगा भ्राजी :-)

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  14. God Bless Pabla ji
    vaise man mein sawaal yeh uth rahaa hai ki yeh purush bloggeron ko hi aisi samasya kyun aati hai, aaj tak kisi mahila blogger ko patidev ki vazah se blogging chodhate nahi suna(matlab padha) haan bachchon ki vazah se blogging se sansyaas lete suna hai...isse toh yahi nishkarsh nikalataa hai ki female bloggers ke patidev jayada understanding rakhte hain aur sahansheel hote hain....:)aur bloggeron ki pataniyan kam...aap kya kahte hain

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला