मंगलवार, 21 जुलाई 2009

एक सच ने ....ब्लोग्गर का सामना किया...



सब तरफ सच का शोर सुनाई दे रहा था.....यूँ लग रहा था जैसे ..सच बोलने वालों की तलाश इंटरपोल की पुलिस कर रही है....चारों तरफ सच की जय जयकार हो रही थी.....इत्ते में हमारे एक सनकी ब्लॉगर ...अरे वही अपने चिट्ठासिंग जी ..की मुलाक़ात ..डायरेक्ट ..बिलकुल आमने-सामने ...सच से हो गयी ..आगे क्या हुआ आप खुद ही देखिये..


क्यूँ बे सच ...बड़े नाम शाम हो गए तेरे तो आजकल ....सुना है खुले आम लोगों को उकसा उकसा कर बेटा ....सारी गंदी शंदी बातें कर के ..उन्हें उल्लू बना रहे हो ...और कहते हो की ...खूब सारे पैसे मिलेंगे .....और ..उस चक्कर में पता नहीं क्या क्या पूछते हो ...बन्दा शुरू शुरू में ...हिम्मत कर जाता है..थोडा माल पत्तर ..कमाने के चक्कर में आगे बढ़ जाता है ..बस उसके बाद ...तुम भी चालु....ये अमरीकन सुरक्षा अधिकारियों की तरह...लगते हो बन्दे की कपडे छीलने ...

सच जी चुपचाप सुन रहे थे.....अब बर्दाश्त से बाहर था....उबल पड़े....अरे जा जा....तुम ब्लोग्गरों को कोई बात हजम भी होती है...इत्ते सारे नए नए कार्यक्रम ...आते हैं...आ रहे हैं...इत्ते बढ़िया बढिया ..फैलसे ..जैसे लिव इन रिलेशनशिप ...फिर समलैंगिकता ...तुम सब के सब लगते हो डंडा भांजने ....तुम्हें तो कुछ भी नहीं पचता...बाद हज्मों ... .तुम छोटी आँत वाले ....हिंदी ब्लोग्गेर्स ....देखो इंगरेजी वाले ..क्या क्या लिखते,पढ़ते ,देखते ...और हजम कर जाते हैं..डकार तक नहीं लेते ..अबे तुम्हें सच भी हजम नहीं हो रहा ..और क्या चाहिए ...तुम लोगों को झूठ की इतनी आदत पड़ चुकी है की ..सच तो तुम बिना पैसे के बोल ही नहीं सकते ...तभी हरे हरे नोट दिखाए जा रहे हैं ...ताकि तुम्हारी आत्मा पर पड़ चुकी परत हट सके ....

अब चिट्ठासिंग की बारी थी गरम होने के.....भड़क गए ...अबे ओये ..कौन सी दुनिया में है भाई...सच के नाम पर आजकल जो भी चल रहा है न ....उसे कुछ नहीं मिलता...भुक्खड़ ,,फटेहाल ...एकदम दीन हीन टाईप की शक्ल वाला जो मिल जाए समझ लेना ....पट्ठा सच का सामना कर रहा है..इसीलिये किसी चीज की कामना नहीं कर सकता....अबे मुझे पता है तेरे चक्कर में एक राजा ..यार की नाम सी ओद्दा ...गिरीश चंदर....नहीं नहीं सतीश चंदर....ओ नहीं यार हरीश चंदर ...भी तेरे चक्कर में लुट पिट गया था ,......फिर हम तो पैदाईशी भिखारी टाईप स्टेटस वाले हैं....अबे हमें क्या मतलब तुमसे भई ..हमारे सच का कए मोल है बे.......और ये जो कार्यक्रम तुम सच के नाम पर चला रहे हो ...उसमें हमेशा एक प्रश्न ..शारीरिक सम्बन्ध को लेकर जरूर घुसेड देते हो ....इसका क्या मतलब...

अरे कोई सच ...सैक्स के बिना ...सच होता है क्या आजे के जमाने में.......सच ने सफाई दी.....अरे छोडो तुम्हारे बस का नहीं हैं न ..इसलिए बौखला रहे हो...क्यूँ नहीं बैठ जाते उस सीट पर ...बेटा पता चल जाएगा कितना दम है.....?

चिट्ठासिंग अब तमतमा चुके थे .....अच्छा ..इतना ही भरोसा है अपने पर ...एक काम करो,,,,,,,....किसी गरीब किसान को.......किसी मजदूर को.....किसी गाँव से आये भोले इंसान को बिठाओ..तुम अपनी गरम-ठंडी ..कुर्सी -पलंग ..पर तुम्हारे सारे सच का पर्दा फाड़ न दे तो कहना.....उससे पूछना चाहे जितना मर्जी...वो बताएगा तुम्हें ...उसके सम्बन्ध किस किस से रहे हैं....भूख से...गरीबी से..बीमारी से...बेरोजगारी से.....

अरे सुनो सुनो........सच मियां ..कहाँ भागे जा रहे हो ......सच भागा जा रहा था...चिट्ठासिंग उसके पीछे पीछे ....जैसे ही पकड़ में आता है ..बताते हैं क्या हुआ....

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढिया....तगड़ा...हवीवेट टाईप व्यंग्य...


    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह अजय जी! बहुत बढ़िया और शानदार व्यंग्य प्रस्तुत किया है आपने! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके कटाक्ष का सानी नहीं..
    हम इंतजार में हैं, सच पकड़ा जाता है तो खबर कीजियेगा

    जवाब देंहटाएं
  4. और सब तो ठीक पर चिट्ठा सिंग ही क्यों,

    चिट्ठा झा,शुक्ल, मिश्र , पाण्डेय या लाल क्यों नहीं ? :)

    जवाब देंहटाएं
  5. कोई मुक़ाबला नही।पोस्ट आफ़ द डे।

    जवाब देंहटाएं
  6. उसके सम्बन्ध किस किस से रहे हैं....भूख से...गरीबी से..बीमारी से...बेरोजगारी से.....

    -ये हुई न ऐसे अभिजात्य वर्गीय कार्यक्रमों पर करारी चोट!! वाह!! जबरदस्त!

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन और ताज़ा तरीन व्यंग.
    बधाई ही बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  8. bdhiya kataksh hai .suna tha sach bolne ki bdi keemat chukani padti hai .par yha to keemt milti hai?

    जवाब देंहटाएं

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला