शुक्रवार, 8 अगस्त 2008

सिंग इज किंग, और देश इज इंडिया , सोनिया इज मदर इंडिया

सिंग इज किंग , देश इज इंडिया , और सोनिया इज मदर इंडिया
चलिए आज पता चला की सिंग ही किंग होता है , वरना हम तो समझ रहे थे की सिंह यानि शेर ही राजा होता है, मगर जंगल का ना, शायद यहाँ पर बात जंगल की नहीं हो रही है तो फ़िर सिंग इज किंग कहाँ के भैया .....
अरे नहीं समझे जब सिंग इज किंग हो तो देश इज इंडिया ही तो हो सकता है , और सोनिया इस मदर इंडिया यानि घूम फ़िर कर अपने देश की राजनीती की बात हो रही थी । मगर यार यहाँ अपना सिंग यानि मनमोहन सिंग काहे का किंग है भाई , सच कहें तो न तो मनमोहन , मन मोहन लगते हैं न ही सिंग लगते हैं और किंग तो बिल्कुल ही नहीं लगते। बेचारे वित्त मंत्री के रूप में जो भी हिसाब किताब जानते थे वो सब प्रधान मंत्री बनते ही भूल गए । और अब तो राजनीती शाह्स्त्र के विद्यार्थियों को बताया और पढाया जा रहा है की भारत में सिर्फ़ राष्ट्रपति ही नहीं कभी कभी प्रधानमंत्री भी रबर स्टाम्प होता है। सब ऐसा सिंग ही देश का किंग हो तो इस देश का भगवान् ही मालिक है ।

इस देश को भगवान् भी नहीं बचा सकता
भगवान् के नाम पर याद आया, अभी हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने किसी मुक़दमे की सुनवायी के दौरान कहा की इस देश को तो भगवान् भी नहीं बचा सकता, मैं बिल्कुल गाशन चिंतन मनन में पड़ गया । यार ये क्या इस देश को भगवान् भी नहीं बचा सकता क्यों भाई , पिछले एक महीने से तो भगवान् और भक्तों के नाम पर इस देस्क्स्ह में जो चल रहा है , उसके रिटर्न में भगवान् इतना तो कर ही सकते हैं, कहीं पर हम भगवान् के लिए जमीन लेने के लिए मर किआर कर रहे हैं तो कही पर जहाँ उन्हें जमीन मिली हुई है वहाँ उनके दर्शन के खातिर ऐसी भगदड़ मचाई की त्राहि त्राहि मच गयी, और भगवान् हैं की हमें नहीं बचायेंगे। मैंने भी ठान लिया सो भगवान् से दीरेक्ट ही पूछ लिया, क्यों भगवान् क्या सर्वोच्च न्यायालय ठीक फरमा रही है। मुझे आश्चर्य में डालते हुए उन्होंने कहा बिल्कुल ठीक यार तुम लोगों में बचने बचाने के लिए धरा क्या है, वैसे भी तुम लोग तो मेरे पक्के क्लाईंट हो ही, जब देखो मेरे नाम पर ही दुकानदारी चालते हो, मैं तो बचाने के लिए अमेरिका, सिंगापुर, इंग्लॅण्ड, जापान आदि नए क्लाईंट ढूंढ रहा हूँ। इसका मतलब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ठीक कह रही थी।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे

चलिए सर्वोच्च न्यायालय की बात चली है तो एक और बात का जिक्र हो जाए। बहुत पहले ही हमारे बुजुर्ग कह गए थे की पर उपदेश कुशल बहुतेरे, यानि दूसरों को शिक्षा देना बहुत आसान है और ख़ुद उन पर अमल करना बड़ी टेढी खीर। दरअसल आजकल न्यायाधीशों की भ्रष्टाचार में लिप्तता को लेकर आकाल एक गर्मागर्म मुद्दा ख़ुद अदालत के पास विचाराधीन है, और बहस के दौरान जब कुछ वकीलों ने उन्हें आईना दिखला दिया तो वे अपनी तिलमिलाती सूरत देख कर बिल्कुल ही बौखला गए। क्यों भाई जब आप ख़ुद को इस देश की सबसे विश्वशनीय संस्था कहते और साबित करते हैं तो फ़िर वहां किस तरह की झिझक आऔर पक्षपात क्यों। फिलहाल तो मामला बिल्कुल गर्म है देखिये आगे आगे होता है क्या................

मेरा अगला पन्ना :- यार इस तरह तो ब्लॉगजगत फिस्सद्दी ही रहेगा

5 टिप्‍पणियां:

  1. गहरा व्यंग्य और तीखा कटाक्ष किया आपने
    बहुत खूब.

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  2. बेहतरीन सटीक कटाक्ष-निशाने पर.

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  3. पोस्ट का टाइटल लाजवाब लगा, सही समय पर सही तरीके से विचार करने पर मजबूर किया है आपने।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला