सोमवार, 15 नवंबर 2010

वर्ष २०१० ..हिंदी ब्लॉगिंग के लिए उतरान का वर्ष रहा ....दिल्ली ब्लॉगर संगोष्ठी की रिपोर्ट नं २ ....झा जी रिपोर्टिंग अगैन ...







जैसा कि आपको कल बताया था कि , सबके स्थान ग्रहण करने के बाद कार्यक्रम की आगे शुरूआत हुई और अक्षरम हिंदी संसार और प्रवासी टुडे से जुडे अनिल जोशी जी ने मोर्चा संभाला । सबसे पहले , उडनतश्तरी जी , बालेन्दु दधीच जी और प्रेम जनमेजय को पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया गया जबकि बकौल अविनाश भाई , हम सब इन महानुभावों का शाब्दिक स्वागत तो कर ही चुके थे सो ये पुष्पिक स्वागत भी किया गया । समय की सीमितता के कारण अनिल जी ने सभी ब्लॉगर्स से अपना परिचय और कुछ विचार रखने का आग्रह किया हालांकि उनका विचार था कि एक एक मिनट के लिए सबको मौका दिया जाए , मगर फ़िर बिना बांधे सभी के लिए मोर्चा खोल दिया गया । यहां मेरा ध्यान पीछे बैठ रहे कुछ युवा और युवतियों पर गया , जिनमें से कई तो टाई लगाए हुए स्कूली बच्चों से दिखे , मैं आश्चर्यचकित ही था कि सभी की जिज्ञासा को शांत करते हुए मीडिया रिसर्च स्कॉलर श्री सुधीर जी ने बताया कि ये बच्चे मीडिया शिक्षार्थी हैं और ब्लॉगिंग विमर्श में ब्लॉगिंग के विषय में कुछ जानने समझने आए हैं । उन्होंने अपनी एक छात्रा रिया नागपाल से सबका परिचय करवाते हुए कहा कि ये बच्ची हिंदी ब्लॉगिंग को ही शोध के विषय के रूप में चुना है ।

शुरूआत में बोलने वालों में मैं खुद भी रहा । मैंने वहां जो बात रखी वो कुछ इस तरह से थी कि , मैं एक साथ कई ब्लॉग्स लिखता हूं , क्योंकि मेरा मानना है कि एक तो मेरे पास लिखने के लिए इतना ज्यादा होता है कि एक ब्लॉग से मेरा मकसद पूरा नहीं होने वाला , दूसरा ये कि सभी विषयों के अनुरूप मैं अलग अलग ब्लॉग्स पर लिखता हूं ताकि खिचडी जैसा न हो जाए ।


दूसरी बात ये कि आने वाला समय निश्चित रूप से ब्लॉगिंग और हिंदी ब्लॉगिंग के लिए असीम संभावनाएं लिए होगा बावजूद इसके कि पिछले कुछ समय में ब्लॉगिंग की दिशा थोडी सी भटकाव लिए हुए है और उथले उथले स्वरूप में तथ्यपरक और सार्थक पोस्टें बेशक थोडी कमजोर दिख रही हैं । एक और बात जो मुझे याद रही वो ये कि , हमें यदि हिंदी ब्लॉगिंग को आगे ले जाना है तो उन मंचों पर जो सभी भाषाओं के ब्लॉग्स को स्थान देते हैं उन मंचों पर हिंदी ब्लॉगिंग का प्रतिनिधित्व करने वाली ब्लॉग पोस्टों को स्थापित करना होगा । उदाहरणस्वरूप मैंने बताया कि जब इंडीब्लॉग्गर जैसा मंच कोई प्रतियोगिता आयोजित करता है तो उस पर जिस हिंदी पोस्ट को सबसे अधिक वोट प्राप्त होते हैं वो महज बीस बाईस तक होते हैं जबकि अंग्रेजी पोस्टों में न्यूनतम वोट ही बीस बाईस होती है और अधिकतम नब्बे सौ तक हो जाती है .....हमें इस फ़र्क को कम करने का प्रयास करना चाहिए ।

श्री सुरेश यादव ने बताया कि किस तरह से उन्हें एक नए ब्लॉगर की तरह तकनीक की अनभिज्ञता से रूबरू होना पड रहा है और सबको चाहिए कि नए ब्लॉगर्स को तकनीक संबंधी सहायता और साथ दिया जाए । जबकि श्री एम वर्मा जी ने कहा कि ब्लॉगिंग को सार्थक बनाने के लिए उसे सकारात्मक दिशा की ओर मोडना चाहिए और नकारात्कमता को हतोत्साहित किया जाना चाहिए । पद्म सिंह जी ने भी नए ब्लॉगर्स को मिलने वाले पाठकों के अभाव की ओर ईशारा किया ।

श्री रतन सिंह जी ने बडी ही दिलचस्प बात बताते हुए कहा कि वे छोटी छोटी वैज्ञानिक घटनाओं आपबीती , प्रयोगों को सरल हिंदी भाषा में सबके सामने रखने की कोशिश करते हैं और ये भी बताया कि किस तरह से उन्होंने मित्र राम बाबू जी के एलोवेरा प्रोडक्ट को लेकर ब्लॉग बनाया और वो न सिर्फ़ उन्हें पाठक दे रहा है बल्कि व्यवसाय भी दे रहा है । इसके अलावा श्री राजीव तनेजा जी , श्री तारकेश्वर गिरि जी , श्री अरुण रॉय जी , श्री दीपक बाबा जी श्री कौशल मिश्र , पुरबिया जी श्री नवीन चंद्र जोशी जी श्री मोहिन्द्र कुमार जी श्री विनोद पांडे जी , श्री निर्मल वैद्य जी श्री अरविंद चतुर्वेदी डॉ वेद व्यथित जी ,पंकज नारायण जी , श्री शाहनवाज़ सिद्दकी जी , श्री नीरज जाट जी , श्रीमती संजू तनेजा , श्रीमती सुनीता शानू , सुश्री अपूर्वा बजाज सुश्री प्रतिभा कुशवाहा , आदि ने अपना परिचय अपने ब्लॉग का परिचय और अपने विचार रखे ।

इनके अलावा नारी ब्लॉग की मॉडरेटर और मुखर ब्लॉगर रचना जी ने अपना परिचय देते हुए एकदम स्पष्ट अंदाज़ में बताया कि उनका मकसद है स्वांत सुखाय ..यानि जो वे महसूस करती हैं उसे अपने ब्लॉग पर लिखती हैं बिना इस बात की परवाह किए कि कौन टिप्पणी कर रहा है कौन नहीं , ।

महिला अधिकारों की बात को पूरी शिद्दत से वो अपने ब्लॉग पर रखती हैं और इसके लिए उन्हें इस बात की चिंता नहीं रहती कि वो संकलक के पन्ने पर दिखेगा या नहीं या कि कौन से पाठक उस पर अपनी प्रतिक्रिया रखते हैं यदि किसी को उनकी बात पढनी है तो कहीं से भी आकर पढेगा ही ।


उनकी इस बात के समर्थन में सुधीर जी की कई शिक्षार्थियों ने खूब जम कर सर हिलाया । इसके बाद माहौल को सतीश भाई ने ब्लॉगिंग में गुटबाजी की चर्चा और कुछ गंभीर बातों को उठा कर संतुलित सा कर दिया । उन्होंने खूब चुटकी भरे अंदाज़ में ब्लॉगिंग के नोंक झोंक को सबके सामने रखा और थोडी देर के लिए हॉल ठहाकों से गूंज उठा ।

बहुत देर से प्रतीक्षारत हमारे विशेष अतिथियों को अब जिम्मा थमा दिया गया और श्री बालेन्दु दधीच से बेहतर शुरूआत करने वाला और कौन होता । बालेन्दु दधीच जी हिंदी अंतर्जाल में तकनीक और वैज्ञानिक आलेखों के विशेषज्ञ के रूप में विख्यात हैं ।

उन्होंने अपनी बातों को रखते हुए स्वाभाविक रूप से कई तकनीकी बातें और हिंदी ब्लॉगिंग को संदर्भित करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया । उन्होंने बताया कि वे पिछले पांच छ: वर्षों से हिंदी ब्लॉगिंग पर पैनी निगाह रखे हुए हैं । उन्होंने बताया कि कैसे गूगल और अन्य को हिंदी के लिए विशेष तकनीक , आदि की शुरूआत करनी पडी और इस सब में सबसे बडी भूमिका निभाई हिंदी ब्लॉगिंग ने । लेकिन उन्होंने सबको चौंकाते हुए बताया कि वर्ष २००९ हिंदी ब्लॉगिंग के उठान के लिहाज़ से सबसे अच्छा जबकि वर्ष २०१० हिंदी ब्लॉगिंग के लिहाज़ से अब तक सबसे बुरा रहा है । उन्होंने बताया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार अस्सी प्रतिशत ब्लॉग्स को अपडेट करने में ही ब्लॉगर बहुत लंबा समय लेते हैं । उनके विचारों को बांटने के दौरान हिंदी ब्लॉगिंग और ब्लॉगर्स को आधारित करके सुनाई गई लंबी कविता ने तो जैसे माहौल को कवितामय ही करके रख दिया । सब बीच बीच में उनकी कही गई पंक्तियों में खुद को तलाशते हुए मजे लेते देखे गए । श्री प्रेम जनमेजय जी ने भी बडी ही सरलता से बताया कि हिंदी ब्लॉगिंग से उनका नाता जोडने में अविनाश भाई का ही मुख्य हाथ रहा है ।


इसके बाद श्री समीर लाल जी ने ............अच्छा अच्छा ..आज ही सब कुछ नहीं जी कल पढिएगा इस संगोष्ठी की अंतिम रिपोर्ट , अपने प्रिय उडनतश्तरी जी के विचार .....और कुछ दिलचस्प बातें जो इस संगोष्ठी की ......


और यार फ़ोटो जैसी भी है झेल जाईये ,,,भाई लोगों ने जो खींची है वो पिटारा खोल के आखिर में सारी फ़ोटुएं आपको एक साथ दिखा दूंगा ....

27 टिप्‍पणियां:


  1. झाजी, इस रिपोर्टिंग में हिन्दीयाइट्स के उतरान ब्लॉगिंग ( ठहराव ) के कारणों की चर्चा यदि हुई हो, तो जरा उसकी झाँकी भी दिखायें, सतीश सेक्सेना जी की चिन्ता ज़ायज़ है, हिन्दी ब्लॉगिंग का यह वर्ष गुट-फिक्सिंग से त्रस्त रहा है ।

    समीर लाल जी के सँबोधन का एक्सक्लूसिव क़वरेज़ के विशेष आग्रह के साथ अगली कड़ी की प्रतीक्षा में..

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  2. रिपोर्टिंग की सिलसिलेवार बढ़िया श्रंखला चल रही है ,अगली कड़ी का इंतजार

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  3. विस्तृत रिपोर्ट
    मेरा ध्यान युवा और युवतियों पर गया....इस वाक्य में और भूल से लग गया है शायद

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  4. चलो आपने हमारे मुद्दे जो कि आपका भी था इंडिब्लॉगर वाला बात तो की, अभी भी हम वोट का इंतजार ही कर रहे हैं।

    एकदम शानदार रिपोर्ट है।

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  5. डॉ. अमर कुमार जी ,
    जी ठीक है सर मैं कोशिश करूंगा कि आपके प्रश्नों का उत्तर दे सकूं

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  6. आपने सही पकडा मिसर जी ,
    मैं भूलवश ही ये लिख गया था , शुक्रिया

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  7. जी हां विवेक भाई ,
    ये ताजा ताजा मुद्दा था जो आपने सबके सामने रखा था इसलिए मुझे वहां उठाना उपयुक्त लगा ।

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  8. अगली कड़ी का इंतजार है...आभार इस सुचना के लिये

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  9. behtar khurak.....unke liye jo wahan
    nahi the.....

    aap sunate rahen.....hum sunte rahen.


    pranam.

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  10. फोटो तो है ही मस्त लेकिन मुझे ज्यादा अच्छा आपका लिखा हुआ लग रहा है...शानदार एकदम (अच्छा, अब बड़ाई कर दिये हैं तो झाड़ पे मत चढ़ जाइयेगा...भाई तो भाई के खाराब बातों का भी बड़ाई करता है...हे हे हे)

    आपका फोटो का कमी अगले पोस्ट में जरुर पूरा किया जाये :)

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  11. reporting bahut aacchhi kar late hai janab.
    agli kadi ka intizaar.

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  12. आपकी रिपोर्टिंग के तो हम दीवाने हैं जी


    प्रणाम

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  13. अच्छी खबर दे रहे हैं... कुछ अच्छी खबर लेने की खबर दें :)

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  14. रिपोर्टिंग अच्छी चल रही है।

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  15. रिपोर्टिंग क्या आँखों देखा हाल चल रहा है.....
    बढिया है.

    इन्तेज़ार रहेगा...

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  16. बहुत उम्दा
    सही बातें निकाल लाए
    1. ब्लाग4वार्ता :83 लिंक्स
    2. मिसफ़िट पर बेडरूम
    3. प्रेम दिवस पर सबसे ज़रूरी बात प्रेम ही संसार की नींव है
    लिंक न खुलें तो सूचना पर अंकित ब्लाग के नाम पर क्लिक कीजिये

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  17. अब तक जितनी भी रपटें पेश हुई ,मानो सभी ट्रेलर जैसी सी थीं. धारावाहिक ...तो अब शुरू हुआ है.....

    जम रहा है..मामला...
    मज़ेदार..

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  18. ..............................फिर कह रहा हूँ अगली खेप का इन्तजार है !

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  19. बढ़िया रिपोर्ट। रिया नागपाल के बारे में और विस्तार से बतायें, किस यूनिवर्स्टी से कर रही है और क्या खोजना चाहती है। बाकी समीर लाल जी के विचार जानने का तो हमें भी इंतजार है। जिस कविता का जिक्र किया है आप ने अगर वो भी पढ़ने को मिल जाती तो लगता हम भी वहीं थे, कुछ ज्यादा डिमांड हो गयी क्या?

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  20. हाँ @अनीता जी कविता की फरमाइश को हम भी समर्थन दे रहे हैं झा साहब !
    .....तनिक ध्यान दिया जाए !

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  21. हम भी शामिल होते चल रहे हैं, झा जी. आगे बढ़ते चलिए.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला