रविवार, 25 जुलाई 2010

राष्ट्रमंडल खेल आ गए हैं .........आप भी तो योगदान करिए ........यार कभी तो सीरीयस हुआ करो ..........

चारों तरफ़ शोर मच रहा है ...राष्ट्रमंडल खेल रहा है ........... रहा है ...सोचता हूं ये घोषणाएं .......यार कभी सुनामी , कभी भूकंप के लिए नहीं हो पातीं ...........खैर , तो राष्ट्रमंडल खेल रहा है ..........और सरकार के इत्ते कहने के बाद भी .........."लोग राष्ट्रमंडल खेल रहा है "...........से ज्यादा "बालिका वधू नई आनंदी रही है " वाली लाईन में interest दिखा रहे हैं ..........बताओ भला ...अमां ये कौन सी खेल स्पिरिट हुई ........? अरे सबको इसमें बढचढ कर भागीदारी निभानी चाहिए .........सब पूछेंगे.......लो भला अब इसमें एक आदमी क्या भागीदारी निभाएगा ........अरे कमाल है यार ....ये नीचे लिखे हुए कुछ ideas.. तो आप आजमा ही सकते हैं ..........

राष्ट्रमंडल खेलों तक सबको अपने अपने घरों में टमाटर का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए .....सबको ऐसी ऐसी संभावनाएं तलाश करनी चाहिए जिससे टमाटर के ज्यादा उपयोग की आवश्यकता महसूस की जा सके .................यहां तक कि खीर और पेडे में भी टमाटर के लिए गुंजाईश तलाश की जानी चाहिए ........ओहो नहीं समझे .........टमाटर आज अस्सी के किलो के भाव पर पहुंच चुके हैं .......जैसे ही आम जनता ने इसे आम समझ कर खाना शुरू किया .......बस कॉमनवेल्थ तो कॉमनवेल्थ ..........टमाटर के बल पर तो हम ओलंपिक भी करवा कर दिखाएंगे एक दिन .....
जल्द ही शुरू किए जाने वाले एक आंदोलन का हिस्सा बनिए ........... आंदोलन इस बात के लिए शुरू किया जा रहा है कि ...राष्ट्रमंडल खेलों के जो गेम्स मेन्यू (मुझे किसी ने सिखाया था कि मीनू नहीं मेनू भी नहीं ,..... जरा अदब से कहिए मेन्यू )में , गुल्ली डंडा , कंचे , पतंग , स्टापू, छुपन छुपाई , आदि तरह के तमाम खेलों को भी शामिल करवाया जाए .........सरकार को पूरी तरह आश्वासन दिलाया गया है .....इन खेलों में सारे के सारे पदक हमारे ही होंगे ...........यदि लास्ट नंबर पर भी आए तो भी ...और कोई देश हिस्सा ही नहीं ले पाएगा उस खेल में ....... सरकार भी मानने को तैयार सी है ....बस शंका ज़ाहिर कर रही है कि कहीं हम लोग दूसरों को तो ये खेल नहीं सिखा देंगे .........क्योंकि सरकार ये बिल्कुल नहीं चाहती कि जैसे हॉकी में जब तक दूसरे देश उसे सीखते सीखते ...हमने खूब सारे गोल्ड मेडल जीत लिए थे .....और जब सब सीख गए तो ...साले ..........क्वालिफ़ाई भी नहीं होने देते हमें .......

तीसरा सहयोग आप इस तरह से कर सकते हैं दिल्ली मेट्रो में ज्यादा से ज्यादा सवारी करिए ..........आप कहेंगे कि ऐसा तो दिल्ली वालों के लिए कहा जा सकता है ......नहीं जी बिल्कुल नहीं ..........बल्कि आप सबको देश की खेल भावना का सबूत देने के लिए ......ऐसा करना चाहिए .........कि यदि आपको मुंबई से कलकत्ते जाना है ...तो भी आप वाया दिल्ली जाएं ..........और हम तो कहेंगे कि आप कनाडा से होनोलुलु जा रहे हैं ....तो टूर वाले से ये शर्त करा लें कि .........गुड मौर्निंग चाय ....दिल्ली टेशन की प्रोवाईड करवाई जाए .....यानि कुल मिला कर यदि इस समय आपकी जेब से दिल्ली मेट्रो के पास कुछ पहुंचा ...तो समझिए कि देश की खेल भावना के प्रति आपका एक काम अधूरा रह गया .....

..... आप यदि केंद्र या राज्य भावना से ऊपर उठ कर ...कुछ करना चाहते हैं ...........तो ..शॉपिंग से लेकर जॉगिंग तक ....सब कुछ अपनी गड्डी पर ही करिए ...यानि दूध लाने से दाढी बनाने तक .....और बच्चों को स्कूल से लाने से लेकर बीवी को ऑफ़िस छोडने तक के सारे काम में आप अपने वाहनों का भरपूर उपयोग करिए ............हो सके तो अपने सायकल /रिक्शा /तांगे तक में ...पेट्रोल/गैस की किट फ़िट करवाईये .................आप जितना इंधन इस्तेमाल करेंगे ..........देश को दोहरा फ़ायदा पहुंचाएंगे ....... एक तो उससे डीजल पेट्रोल के रास्ते आप सरकार की सेहत अच्छी कर देंगे ...........दूसरा ये कि ऐसा करने से विदेश से आने वाले खिलाडियों का मारे प्रदूषण के बुरा हाल हो जाना है .....वे बीमार पड जाएंगे ............फ़िर.........अब ...........ये भी मैं ही बताऊं कि उसका फ़ायदा ..क्या और कैसे मिलने वाला है ...??

चलिए माना कि आपके पास ये सब करने की फ़ुर्सत नहीं है ...........तो क्या हुआ ..आप फ़िर भी सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं जी .............लो इसमें कौन सी बडी मुश्किल है ...........आपको करना सिर्फ़ ये है कि राष्ट्रमंडल खेलों तक ..इस तरह से रहना , खाना ,पीना और जीना है ..........मानो राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की खुशी के मारे आप पगला गए हैं ............एक दम बौराए फ़िर रहे हैं .......आपने जिंदगी का सबसे बडा अचीवमेंट जीते जी ही प्राप्त कर लिया है ..... हर जगह आपको ये दिखाना है कि ..........oh ! I am lovin it "................|
यदि आप कविता लिखते हैं ...तो इन्हीं खेलों पर लिखें ............यदि ..कहानी लेखक हैं तो कहानी लिखें .............यदि एक्टर /डायरेक्टर हैं तो ...पीपली लाईव टाईप की तर्ज पर आप कोई फ़िल्लम भी बना सकते हैं , गाना कुछ ऐसा रख सकते हैं .........
. सखी इहां खेलवा तो खूबे होत है , मुदा खिलडिया सब तो खूबे रोत है ,
यदि आप कुछ भी नहीं है ...................तो आप ब्लॉगर हैं ..........तो इस नाते भी आपको पोस्ट लिख कर ..श्रद्धांजलि अर्पित करनी ही चाहिए ..........

12 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ भैय्या सुना है आ रहा है .... हम भी गिल्ली डंडा लेके तैयार है हम ...... रोचक पोस्ट....

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  2. Ji Ji Kuchh kuchh maine bhi suna hai...iske baare mein....aur ye bhi pata chala khiladi rahenge bhi mere hi pados mein... Bt khelengi serious ispar shaq hai....

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  3. कभी धूम मचाये था कमंडल
    आज चहु ओर राष्ट्रमंडल

    अरे ये तो कविता हो गयी
    हो गया न योगदान

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  4. सादर वन्दे !
    हम तो कह रहे हैं जब साईकिल दौड़ हो, पैदल दौड़ हो तो सारी जनता सड़क पर निकल आवे, फिर देखिये कौन मुआ जीतता हैं, दिल्ली की भीड़ में और ट्रेफिक जाम में ही फसे राह जायेंगे ससुरे और कम से कम एक पदक हमारी झोली में, क्योंकि हमें तो रोज की आदत है कही ना खाई से तो निकल ही लेंगे ! कैसी लगी .........अभी आपका पोस्ट पढ़कर ताजा ताजा आईडिया आयाहै

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  5. गज़ब का व्यंग्य।
    कल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  6. जय हो राष्ट्र मंडल खेलों की..बहुत सटीक!!

    सीरियसली!!

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  7. जय हो राष्ट्र मंडल खेलों की..बहुत सटीक!!

    सीरियसली!!

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  8. मेरा योगदान यही है कि ,पूरी तत्परता से सारी रिपोर्टों को पढ़ुंगा ,बस आप लिखते रहिये ।

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  9. चलिए माना कि आपके पास ये सब करने की फ़ुर्सत नहीं है ...........तो क्या हुआ ..आप फ़िर भी सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं जी .............लो इसमें कौन सी बडी मुश्किल है ...........आपको करना सिर्फ़ ये है कि राष्ट्रमंडल खेलों तक ..इस तरह से रहना , खाना ,पीना और जीना है ..........मानो राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की खुशी के मारे आप पगला गए हैं

    बहुत ही उम्दा विचार ,दिल्ली के लोग तो पहले से ही पगलाए हुए हैं क्योकि खाना तो शरद पवार खा गये और जीना शिला जी के इस भ्रष्टाचार के गेम ने हराम कर दिया है ...

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  10. बहुत बढ़िया... बस अब तो खेल आने वाले ही हैं ...

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  11. अच्छा कटाक्ष है । हम त्6ओ तैयार हैं बस आपके पीछे पीछे । शुभकामनायें

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  12. मैं तो यही अपनी टिपण्णी दे कर श्रद्धांजिली दे रही हूँ.

    बढ़िया कटाक्ष.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला