अति सर्वत्र वर्जयेत ...............अजय कुमार झा
जितने समय से भी ब्लोग्गिंग कर रहा हूं , ब्लोग्गिंग की इस अनोखी दुनिया के बहुत सारे रंग रूप और कई तरह के दौर भी देखे और जाने अभी कितने ही देखने बांकी हैं । पिछले दिनों से जो कुछ भी देख पढ रहा हूं , वो कहीं से भी आश्चर्यजनक नहीं है हां दुखद और अफ़सोसजनक जरूर लग रहा है मुझे । मैं कभी नहीं चाहता था कि इस तरह की बातों पर लगातार पोस्ट पर पोस्ट लिख बातों को बढाता चलूं , और शायद मेरे साथ अन्य सभी भी यही सोच कर एकतरफ़ा होती ये स्लोग्गिंग देख रहे थे । मगर कहते हैं न कि अति सर्वत्र वर्जयेत । सुना पढा है कि शिशुपाल का अंत करने से पहले भगवान ने सिर्फ़ गिनती ज़ारी रखी थी चुपचाप , और गिनती पूरी हो जाने के बाद किसी ईशारे , किसी चेतावनी , किसी आग्रह की प्रतीक्षा भी नहीं की थी , क्योंकि उन्हें भलीभांति पता था कि शिशुपाल जो भी कर रहा है , कह रहा है उसका अच्छा बुरा निहातार्थ और परिणाम बहुत अच्छी तरह से समझ रहा है ।
एक साथी ब्लोग्गर द्वारा एक पोस्ट के माध्यम से एक प्रश्न उठाया जाता है , या कहें कि असहमति दर्ज़ की जाती है , मुझे थोडा सा कष्ट इसलिए होता है कि जब आमने सामने बैठ कर सुबह से शाम तक आपस में बहुत सारी बातें बांटी गई थी तो उस वक्त आखिर किन वजहों से इन बातों को नहीं कहा उठाया गया ? आखिर वो कौन से कारण थे जिसने उस दिन के इतने समय बाद साथी ब्लोग्गर को अपनी असहमति उठाने को मजबूर किया । खैर उनके अपने कुछ कारण रहे होंगे ,इसलिए मुझे भी जैसी प्रतिक्रिया देनी थी दे दी ।
चूंकि कुछ मित्रों ने जानबूझ कर या अनजाने में अपने ब्लोग बेनामी विकल्प का द्वार इसलिए छोड रखा है कि उसका उपयोग दूसरे वे साथी ब्लोग्गर्स जो इन्हीं ,मौकों की तलाश में रहते हैं खूब दस्त और उलटी करते हैं । यदि मान लें कि साहस के रूप में ये विकल्प द्वार खुला रख दिया गया है , और ये भी मान लिया कि उन विकल्पों का दुरूपयोग किया जाता दिख रहा है , तो क्या इतनी आसान बात भी समझी नहीं जा सकती कि यदि उन अमर्यादित भाषा , गाली गलौज वाली नैसर्गिक टिप्पणियों को सजा कर रखने के बजाय उन्हें हटा दिया जाए । और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो सिर्फ़ दो ही वजह हो सकती हैं ,पहली ये कि लिखने वाले खुद चाहते हों कि ऐसी ही टिप्पणियां आती रहें , और शायद उससे अधिक ये भी कि इन बेनामियों की आड में वे खुद ही अपने विचार अपनी असहमति उसी तरह से प्रकट कर सकें जिस तरह से वो करना चाहते थे ।
विचार कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते , होने भी नहीं चाहिए और हैं भी नहीं । इसी तरह लिखने का अंदाज़ भी , भाषा भी शैली भी सबका अलग अलग ही है जो स्वाभाविक भी है । इससे शिकायत भी नहीं होनी चाहिए और है भी नहीं । लेकिन इतने दिनों से एक शब्द मेरी नज़र में बार बार खटक रहा है , "अन्याय "............अन्याय , ...अन्याय । ब्लोग जगत में अन्याय हो रहा है ....ब्लोगजगत में कुछ ब्लोग्गर्स अन्याय कर रहे हैं ....और ब्लोगजगत में कुछ ब्लोग्गर्स ....अन्य ब्लोग्गर्स के साथ अन्याय कर रहे हैं ...। यदि कुछ साथी ऐसा महसूस कर रहे हैं तो नि:संदेह बहुत ही अफ़सोस की बात है । मगर इतने दिनों तक ढूंढने के बाद भी समझ नहीं पा रहा हूं कि , आखिर , वो अन्याय है क्या , कौन सा अन्याय , किस तरह का है , और कौन कर रहा है , किन पर कर रहा है । क्या लोगों को साथ बिठाना कर औपचारिक अनौपचारिक बात मुलाकात करना अन्याय है , क्या वहां एक दूसरे से गले मिलना सभी बातों को बांटना अन्याय था , क्या ये अन्याय था कि हम बेहिचक , बेझिझक सभी को अपना मान कर सब कुछ साझा कर रहे थे और कर रहे हैं नहीं तो फ़िर आखिर है क्या वो अन्याय । अब ज़रा इन पक्षों को भी देख लिया जाए । लगातार पोस्ट पर पोस्ट लगाई जाती रहीं , कभी नाम से कभी बेनाम से और उन पर वैसी ही टिप्पणियं भी डाली डलवाई जाती रहीं जैसी कि इस तरह की पोस्टों पर डलती हैं , जिनसे नाराजगी खुले तौर पर थी उनके लिए भी और उनके साथ जोडे जाने वाले उन साथी ब्लोग्गर्स के लिए भी जो अपने नाम के अनुरूप न सिर्फ़ एक खुशदिल इंसान हैं बल्कि अपनी पोस्टों , अपनी टिप्पणियों से स्नेह ही बांटते रहे । एक उदाहरण ...........सिर्फ़ एक उदाहरण दें कि कब किसने वो अपमान , वो गाली गलौज, वो अमर्यादित भाषा इस्तेमाल की .......तो अन्याय कौन कर रहा था किसके प्रति । किसी सिद्धांत की खिलाफ़त की जाती है ....इसमें कोई नई बात नहीं ..कोई बुरी बात भी नहीं है ..न ही बुरा मानने की बात है उनके लिए भी जो उस सिद्धांत के साथ हैं .......मगर उस सिद्धांत को न मानने के लिए आप उसे गुटबंदी , मठाधीशी , गिरोहबाजी और जाने किन किन उपमाओं से नवाज़ें .....जबकि ये बातें बिल्कुल स्पष्ट थी कि इस उद्देश्य के लिए और इस उद्देश्य के परे भी यदि कुछ ब्लोग्गर्स इकट्ठा हुए हैं ...........तो क्या साबित किया जा सकता है कि वहां हुई बातों से , वहां बांटे गए विचारों से , वहां पर हुए विमर्श से किस तरह की गुटबंदी का प्रयास किया जा रहा था और कौन कर रहा था । चलिए ये भी मान लिया कि ये सब एक संभावित परिणाम के मद्देनज़र किया गया था .........अच्छी बात है यदि इस हिसाब से भी कोई भलमनसाहत छिपी हुई है इसमें ब्लोगजगत की तो ये भी सही ...........मगर मुखालफ़त करते करते ....खुद उसी की वकालत करने का प्रयास शुरू हो जाता .......और उद्देश्य कैसे कैसे ..........टौप चालीस को उखाड फ़ेंकना है ..मठाधीशों को उखाड फ़ेंकना है .....वरिष्ठ ब्लोग्गर्स की दादागिरि नहीं चलने देनी है । बहुत अच्छी बात है ये भी ...कि कम से कम उद्देश्य तो सीधे सपाट रख दिए गए ।
मगर यहां पर फ़िर मेरी समझ थोडा धोखा खाने लगती है कि ....न तो ये तय किया गया है कि आखिर हैं कौन वो ब्लोग्गर्स जिन्हें उखाड फ़ेंकना है ....फ़लाना जी ... ढिमकाना जी ...झा जी , पांडे जी..मिश्रा जी , शर्मा जी . वर्मा जी ,,दूबे जी , चौबे जी ...सिंह जी ..चौहान जी ..कुमार जी ...और गिनती जारी है ....तो इन्हें उखाड फ़ेंकना है ? कहां से ....चिट्ठाजगत के टौप से ...वो तो सक्रीयता क्रम है ..कुछ दिनों तक पोस्ट न लिखें ..न पढें तो खुद ब खुद नीचे चली जाती है और ऐसे ही ऊपर भी ..। नहीं तो ब्लोगवाणी से ..कैसे पसंद नापसंद का चटका लगा कर ..तो इसके लिए इतना अन्याय अन्याय करने की आवश्यकता क्या है ...ये तो सबके पास ही हैं विकल्प । नहीं शायद इस तरह नहीं तो फ़िर ........ओह अच्छा अच्छा ..उनसे बेहतर बहुत ही बेहतर लिख कर पढ कर , इतना छा जाना है कि वे अपने आप दरकिनार हो जाएंगे ..हां ये हुई न बात ..मगर फ़िर इसमें वरिष्ठ ब्लोग्गर और जूनियर ब्लोग्गर की बात कहां से आती है । और आखिर है कौन सा वो पैमाना जिससे ये नपाई हो रही है ......ब्लोग्गर की उम्र से , ब्लोग्गिंग की उम्र से, ज्यादा लिखने वाले पढने वाले टिप्पणी करने से , ज्यादा पढे जाने वाले पसंद नापसंद किए जाने वालों से , ...आखिर कोई क्राईटेरिया तो बताईये खुल कर ...ताकि सभी को अंदाज़ा तो हो को उसे किस पाले में रखा जा रहा है । वर्ना तो हर कोई अपने सीनियर से जूनियर है और हर सीनियर अपने जूनियर से सीनियर .........। चलिए ये न सही कम से कम ये तो बताया ही जा सकता है कि .....अमुक अमुक ब्लोग्गर्स इस मुहिम के साथ जुड चुके हैं ....खैर ये बहस तो अभी भी बहस के दौर में ही है । जहां तक मेरी बात है .............अब मैं किसी भी सामूहिक ब्लोग तक से नहीं जुडने तक का मन बना चुका हूं ..........तो जाहिर है कि ये बताने की जरूरत नहीं है कि संगठन को लेकर मेरी सोच क्या हो रही है । हां संगठन और साथ में जिन्हें फ़र्क समझ आ रहा हो वे समझ सकेंगे कि मेरा कहना क्या है ?
अब एक आखिरी बात .......मुझ सहित , मैं यहां अपने तमाम साथी ब्लोग्गर्स को इस स्थिति में तो पाता ही हूं कि वे ब्लोग्गिंग करने में सक्षम हैं तो , निश्चित रूप से अपने वास्तविक जीवन में भी जरूर अपने अपने मुकाम हासिल किए होंगे ही । और जाहिर सी बात है कि जब सब इतने सक्षम हैं तो फ़िर अपना मान सम्मान बचाने में भी पूरी तरह से समर्थ भी हैं ही । अब समय बदल रहा है ...इसलिए हमेशा ही शेर आया शेर आया वाली कहानी का दोहराव हो ये जरूरी नहीं है । मैं नहीं जानता कि भविष्य हम ब्लोग्गर्स को किन किन रास्तों और हालातों तक पहुंचाएगा , मगर इतना तो कहा ही जा सकता है हिंदी ब्लोग्गिंग का एक फ़ायदा नुकसान ये भी है कि यहां अंग्रेजी ब्लोग्गिंग की तरह आपको ये जानने समझने के लिए कि आपको अपने मान सम्मान की रक्षा कैसे करनी है ये सोचने की जरूरत नहीं है कि उसके लिए आपको शायद अमेरिका , फ़्रांस , आस्ट्रेलिया आदि का नक्शा देखना पडेगा । उसके लिए तो सभी साथी ब्लोग्गर्स यहीं आसपास ही दिख और दिखाए जा सकते हैं । अब इस मुद्दे पर जो कि मेरी नज़र में कभी मुद्दा नहीं था , मैं आगे नहीं लिखूंगा इसलिए आज ही सारी बात कह गया । उम्मीद है कि अब इस पर मुझसे इससे ज्यादा नहीं लिखवाया जाएगा और कल कुछ सकारात्मक लिख सकने का मन बना सकूंगा ।
सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सही कहा !
और हम ये सभी जानते हैं की जब हम किसी पर एक उंगली उठाते हैं तो खुद की तीन अंगुलिया अपनी ही तरफ उठती हैं |
इसीलिए मै कहता हूँ कि ..
प्यार करो प्यार बांटो, बदल जाएगी दुनिया ,
इक बार गयी जिंदगी फिर वापस कहाँ आती है|
रत्नेश त्रिपाठी
अजय जी, लगभग एक माह तक ब्लाग जगत से तकरीबन दूर रही हूँ और लगता है इसी दौरान बहुत कुछ घटा है। मेरा तो यही अनुभव है कि दुनिया में सभी कुछ है, हम अगर उन सब बातों को ध्यान में रखकर अपना कार्य करेंगे तो कुछ भी नहीं कर पाएंगे और यही तो कुछ लोगों की मंशा होती है। जहाँ भी श्रेष्ठता सोपान चढ़ती है वहीं चुपके से दूसरी मुंडेर से ईर्ष्या भी झांक उठती है। वही दूसरी मुंडेर की ईर्ष्या आपके सोपान को खेंचने का प्रयास करती है और हम उसे समझाने बैठ जाते है। बस वह अपने प्रयास में सफल हो जाती है। उसका कार्य उसे करने दीजिए और आपका काम आप स्वयं करिए। कोई भी ब्लाग पर क्या लिख रहा है उस पर ध्यान देने के बनिस्पत आप क्या लिख रहे हैं बस इसी पर विचार कीजिए। खरपतवार के डर से खेती करना तो बन्द नहीं करते हैं ना। बिना प्रसंग जाने ही लिख दिया है, हो सकता है कुछ गलत भी हो तो उसे बहन की सीख समझ कर ही लें।
जवाब देंहटाएंअजय भाई, बात यहाँ वही हो गयी है कि पहले मुर्गी या अंडा ?
जवाब देंहटाएंसच है इस बात का कोई मापदंड नहीं है कि कौन सीनियर और कौन जूनियर?
बढ़िया आलेख लिखा आपने|
हम सब को मिल कर हिंदी ब्लॉगिंग के विषय में सोचना चाहिए !
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जवाब देंहटाएंझा जी,
जवाब देंहटाएंलिखा तो सही में आपने अच्छा.....लेकिन फिर उसी बात पर लिखह डाला जिस पर आपकी सिरदर्द बढती है, क्षमा करे मेरे कहने मतलब बस करिए ना अब....बहुत हुआ झूठ-फूस का ब्लाग चमकाने वाला ये नौटंकी......सही मुद्दा उठाइए और ब्लाग के मूल पाचन को बचाइए...मै तो यही करने वाला हु..........तेल लेने जाय ये तथाकथित ब्लागर सम्मलेन......यदि बन भी गया ना की मंच तो याद रखिये दूसरों की रोटी सकेंगे आप लोग.
बहुत सही लिखा है .. इन फिजूल के बहस में पडने की कोई आवश्यकता नहीं .. आपके सकारात्मक लेखों की प्रतीक्षा रहेगी !!
जवाब देंहटाएंअजय जी.... बहुत सही लिखा है आपने.... एक चटके के साथ .... शानदार सन्देश.....
जवाब देंहटाएंप्रिय राजीव पाठक जी ,
जवाब देंहटाएंबेबाकी से लिखने के लिए शुक्रिया । आपने लिखा कि तेल लेने जाए ब्लोग्गर्स सम्मेलन । ठीक है ......मुझे एक बात बताईये ..क्या इसके लिए कोई न्यौता देने जाता है किसी को ..कोई कार्ड छपवाए जाते हैं या कोई गाडी वैगेरह भिजवाई जाती है ..जो जाना चाहे जाए जो न जाने चाहे न जाए । अब रही बात ब्लोग लेखन की । मैं इस वक्त अपने आठ ब्लोगों पर ;लिखता हूं और ये मेरे नियमित आलेख लेखन , व्यंग्य, कहानी, कविता से इतर लेखन है । आपकी जानकारी केलिए बताता चलूं कि मैं पेशे न तो पत्रकार हूं न ही साहित्यकार , शिक्षा के क्षेत्र से भी नहीं जुडा हूं , एक आम इंसान हूं । अब बात ब्लोग चमकाने की तो ये अब तय हो चुका है कि ब्लोग चमका या न चमका ये तो पता नहीं मैं जरूर चमका (खटका ) हुआ हूं इसका प्रमाण मुझे मिले माईनस के चटकों से हो जाता है , जिसकी अब फ़िक्र भी नहीं होती । और हां रही दूसरों की रोटी सेंकने की बात .......पहले कायदे से अपनी तो सेंक लें ...जिंदगी रही तो दूसरों की फ़िक्र भी कर लेंगे । आप यूं ही मार्गदर्शन करते रहेंगे ये उम्मीद है ।
मन खिन्न तो हो ही जाता है अजय भाई सहाब्। अच्छा करते हैं आप स्पष्ट यहां अपने उद्गार प्रकट कर देते हैं और हमे भी लगता है आपकी बातों पर गम्भीरता से विचार करें ।
जवाब देंहटाएंआपने करीने से अपने मन की बात कह दी, समझाईश दे दी हालांकि कोई आवश्यक्ता नहीं थी.
जवाब देंहटाएंआप अपना सार्थक और सकारात्मक लेखन जारी रखें. बाकी बातें जैसे शुरु होती हैं, वैसे ही खतम भी हो जाती हैं.
अनेक शुभकामनाएँ.
कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना
जवाब देंहटाएंअच्छी बात नहीं है लहरों के आघात से ढहना
समीर जी से सहमत...
जवाब देंहटाएंआप अपना सार्थक और सकारात्मक लेखन जारी रखें. बाकी बातें जैसे शुरु होती हैं, वैसे ही खतम भी हो जाती हैं.
समीरजी से सहमत ...
जवाब देंहटाएंआपका कथन सही है!
जवाब देंहटाएंडॉ अजित गुप्ता और समीर जी ने अच्छी सलाह दी है -आपने कुछ बातें बिलकुल माकूल कही हैं -कुछ लोग टिप्पणियों पर अंकुश न लगाकर अपने मन की बात दूसरे दिलजलों से कहलवाने का मौका देते हैं या खुद भी कुछ टिप्पणियाँ अनाम बन कर करते हैं -मैं भुक्त भोगी रह चुका हूँ -एक सम्प्रति दिल्लीवासी स्वघोषित बुद्धिजीवी ने अपने ब्लॉग पर मेरे विरुद्ध बिगुल फूका और सारे दिल जले टिप्पणियाँ करते रहे और वे मानो उनका इंतज़ार करते रहे ....
जवाब देंहटाएंमियाँ नीशू ने जो इतनी देर तक गर्दभ गान किया वह किसी भी लिहाज से क्षम्य नहीं है ,अभी बच्चू बहुत कुछ सीखें तब उन्हें कुछ सलीका आएगा !यहाँ तो हर ऐरू गेरू नत्थू खैरू ब्लॉग लिखने आ बैठा जिसे कलम पकड़ने का सलीका भी नहीं आया ..आज कम्प्यूटर का की -बोर्ड खटखटा रहा है ....महाशय ने बिना बात की बात बवाल मचाया -तटस्थ लोगों को भी क्लांत किया -जूनियर ब्लागर्स के नाम से ब्लागजगत में विवेकहीन बटवारा करवाने का कुप्रयास किया ....वे क्षम्य नहीं हैं ..उन्होंने मिथिलेश और महाशक्ति जैसे उर्जावान लोगों को भी उकसाया -बरगलाया ..(मुझे दुखद आश्चर्य भी है कि ये कैसे इतना विचलित हो उठे ...) ....(यह नीशू के लिए आरोप पत्र में शामिल किया जाय )
.लोगों को यह लगता है की यहाँ कई गुट हैं -सच है यह ,लेकिन गुट जो बने हैं वे आपसी समझ ,एक दुसरे के प्रति सम्मान और सामान धर्मा,समान सोच के चलते वजूद में हैं ......ऐसे गुट हमेशा रचनाशीलता और साझे कार्यों के लिए जरूरी हैं !
मैं नीशू के अभियान की कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूँ और दंड स्वरुप प्रस्ताव करता हूँ वे कम से कम तीन महीने ब्लॉग जगत से विरत रह प्रायश्चित करें .....यह कोई और विवाद -उत्प्रेरण या खाप पंचायत सरीखा फैसला नहीं है और न हम पञ्च की हैसियत से बोल रहे हैं -यह मेरी निजी अभिव्यक्ति है ....और मुझे अपनी बात कहने का पूरा हक़ है ! नीशू को अभी बहुत कुछ सीखना है -बड़ों का सम्मान ,कृतज्ञता (आमंत्रण भी लिया ,आदर सत्कार भी और खाना भी खाया और उसी थाली में छेद करने लग गए ),और कम से कम वर्तनी का ठीक ज्ञान ....मीडिया में ऐसे लोगों का क्या भविष्य है भगवान् जाने मगर ब्लॉग जगत में तो पूत के पाँव दिख ही गए ...मैं पूरे प्रकरण से इतना उद्विग्न हूँ की मुझे पी सी से अलेर्जी तक हो गयी ....ब्लॉग तो लिखने की बात ही दूर रही ......
अजय जी कुछ लोग सिर्फ अपने पर बीतने के बाद ही किसी प्रयास या एकजुटता का महत्व समझते हैं ,इसलिए मेरा भी आपसे आग्रह है आप इन बातों से दूर ब्लॉग लिखते भी रहिये अपने हिसाब से और जो आप लोगों की जमीनी स्तर पर अपने सामर्थ्य के अनुसार सच्ची सेवा कर रहें है वो नेक काम भी जारी रखिये ,नेकी की जरूरत एक न एक दिन सबको परती है ,वक्त का इंतजार कीजिये | फ़िलहाल एम वर्मा जी की बात से पूर्ण रूपेण सहमत हूँ और रहूँगा --कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना
जवाब देंहटाएंअच्छी बात नहीं है लहरों के आघात से ढहना--- वाह वर्मा जी | आपका प्रयास और सोच दोनों ,कुछ लोगों को छोड़ दे तो सबके लिए फायदेमंद है और इसके लिए हम आपके आभारी हैं |
ब्लोगिंग में बिन बात के विवाद पनप रहे हैं । कृपया अपने आप को इनसे प्रभावित न होने दें ।
जवाब देंहटाएंजब मन कुछ खट्टा हो तो कुछ मीठा खाकर मन को खिन्न होने से बचाएं । जी हाँ , मीठा खाने से मस्तिष्क में कुछ ऐसे रसायन का स्राव होता है जो मन को ख़ुशी की ओर ले जाता है ।
बाकि आपने लिखा अच्छा है ।
मिश्राजी से सहमत, यद्यपि हम किसी को किसी प्रकार का दंड और/या पारितोषक नहीं दे सकते.
जवाब देंहटाएंपलक प्रकरण बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था. इसने यह दिखा दिया कि किस तरह लोग ब्लौगरों को लुभाने का माद्दा रखते हैं और वरिष्ठ ज्ञानी ब्लौगर भी लिबर्टी लेने वाली लड़की (?) के आगे नतमस्तक नज़र आते हैं. उस ब्लौग और ब्लौगर के कसीदे पढ़नेवालों और उनके फौलोवर्स बनने वालों की बुद्धि पर तरस आता है.
झा जी आपने ही शायद उसे दिशाहीन ब्लौगर की दिशाहीन कविता कहा था. इतनी निर्भीकता से अपनी बात रखने के लिए आप प्रसंशा के पात्र हैं.
बाकी, हमेशा की तरह एक बिन माँगी सलाह - ब्लौग और ब्लौगरों से जुड़े मुद्दों पर कृपया न लिखें. यह बहुत नकारात्मकता पैदा करता है.
अरविंद मिश्र जी ने अपनी टिप्पणी में काफी कुछ कह दिया है... मेरे भी उन जैसे ही विचार हैं ...
जवाब देंहटाएंइसके अलावा बस इतना ही कहूँगा कि...
'नेकी कर और कुएं में डाल'
बहुत बढ़िया तरीके से सटीक बात कही आपने......
जवाब देंहटाएंअजय जी बहुत ही उम्दा !
अति सर्वत्र वर्जयेत
जवाब देंहटाएंसावधान, कार्य प्रगति पर है
नमस्कार झा जी,
जवाब देंहटाएंपहले तो बधाई टॉप ट्वेंटी में आने कि ( जागरण जक्शन पर) मैंने आपको वही से पड़ना शुरू किया था, और जब यहाँ लिखना और पड़ना शुरू किया तभी से आपको फोलो कर रही हूँ, मेरे लेख(जागरण जक्शन) पर सबसे से पहले आप ही का कमेन्ट आया था और वो मेरे लिए काफी सपोर्टिंग था ................आपने अपने इस लेख में जिस तरह के अभद्र कमेन्ट कि बात बताई वैसा ही बकवास कमेन्ट मैंने भी कही पदा था और पदने के बाद यही लगा कि इसे हटाया क्यों नहीं गया ...........मैंने तो लिखना सिर्फ अपने शौक के लिए शुरू किया था पर यहाँ तो नज़ारा ही अलग है ..........पूरी तरह से समझ के बाहर...... पता नहीं ये द्वन्द क्यों मचा हुआ है खैर ........ आप और आप जैसे ही अन्य अन्य ब्लोगर मेरे लिए तो हमेशा ही मार्गदर्शक रहेंगे जिसने में इस कला कि ए बी सी सीख सकू .........
अजय जी, आप की बात से सहमत हुं, मै तो इन लोगो को देख कर हेरान हुं? बहुत सी बाते तो मुझे पता ही नही थी... कुछ ब्लांगर मित्रो से बात कर के पता चली.. सच कहुं बिन बात के ही यह सब चिल्ला रहे है...
जवाब देंहटाएंआपने अपनी बात बहुत स्पष्टता से कही है...बहुत सही लिखा है...परन्तु उन बातों पर अधिक ध्यान तो क्या बिलकुल ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है...जिन ब्लोग्स पर आपके रूचि की बाते हैं उनको ही पढ़िए और जिनको आपकी बातें रुचिकर लगेगीं वो आपको अवश्य पढेंगे....
जवाब देंहटाएंअजीत गुप्ता जी ने बहुत सही बात कही है...
समीर जी ने नेक सुझाव दिया है...
बहुत बढ़िया लेख लिखा है अजय आपने !
जवाब देंहटाएंजहाँ तक ब्लागर मिलन का सवाल है, ऐसे प्रयत्न करते रहना चाहिए ! मुझे आपके, अविनाश वाचस्पति और तनेजा जी के द्वारा बुलाई मीटिंग में जाने का मौका मिला और उसे बेहद उपयोगी और सार्थक पाया ! अधिकतर मेलजोल और आयोजनों से दूर रहने वाला मैं , भविष्य में भी हर ऐसे सत्संगों में जाना पसंद करूंगा !
जहाँ तक विरोध का सवाल है कुछ लोग सिर्फ विरोध करने के लिए ही विरोध करते हैं उस तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए ! कुछ लोगों को यह पता ही नहीं था की मीटिंग कब हो रही है इस लिए नाराज हो सकते हैं ! मुझे याद है कि मैंने खुद आपको फ़ोन करके आने की इच्छा व्यक्त करते हुए आपसे पता लिया था !
चूंकि यह आयोजन करना हर किसी के बस की बात नहीं है अतः उम्मीद करता हूँ कि इस प्रकार के सत्प्रयत्न आप लोग करते रहेंगे !
सलीके से समझाइश दे दी अब
जवाब देंहटाएंसमझ आए तो उत्तम है
जवाब देंहटाएंभई मान गये, इतने सलीके से बतें रखीं कि दिल गार्डेन गार्डेन हो रिया है ।
बीता हुआ प्रकरण केवल लोगों की निगाह में आने की टुच्ची रणनीति से अलग कुछ और नहीं थी ।
मैंनें लगभग हर ऎसे पोस्ट पर टिप्पणी देकर निर्लिप्त भाव से तमाशा देखा है..
नव छौनों का कल्लोल भी देखा, और इनको अपनी बाली उमरिया में बुढ़वे पलक की ओर लपकते भी देखा ।
पलक का पर्दाफ़ाश करने की कहानी अलग है, वह मुझे ललकार गये थे ।
सहमत हूँ, समीर भाई से, दिनेश जी से और अजित दी से..
लिखने का मन करे, और लिखने से सँतोष मिले, तो अपनी सामर्थ्य का उपयोग करो, बिन्दास लिखो
वरना विश्रामकाल में अन्य बँधुओं को पढ़ कर टीप देने का पुण्य लूटो.. इससे आगे सोचो ही मत !
मैं अपना भेद नहीं खोलना चाहता था, पर ईश्वर की शपथ मैंने आज तक अपने लिखे पर कभी टिप्पणी नहीं गिनी, पसँद-नापसँद.. पेज़रैंक, सक्रियता तो दूर की बात है ।
काश कि मुर्गी कभी ऑमलेट खाते हुये भी देखी जा सकती !
आपके नये साइट का टेम्पलेट देख कर लगता है कि, इसे एक्चुअल ड्राइँग सेट अप की सहायता से बना रहे हैं, जिसके परिणाम मुझे बहुत बेहतर नहीं लगे ।
जब हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास लिखा जायेगा यह सब कुछ बहुत महत्वपूर्ण होगा ।
जवाब देंहटाएंअजय भाई, आपने जीवन का गूढार्थ हमारे सामने उडेल दिया है। आभार।
जवाब देंहटाएं--------
भविष्य बताने वाली घोड़ी।
खेतों में लहराएँगी ब्लॉग की फसलें।
तो ये बात है आपके पोस्ट ना लिखने की। मगर आप अपना काम करते रहें बहस मे मत पडें यही इसका ईलाज है पर ब्लागिन्ग ना छोडें ।अभार्
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