रविवार, 28 फ़रवरी 2010

भांग, मालपुआ, और होलियाते हम .....अमा कभी तो बुरा मानो





जब से इस बेकार से शहर में आकर बस जाने टाईप की मजबूरी हो गई तभी से सारे त्यौहारों के मायने ही बदल गए हैं ,न मुई ये होली रंगीन लगती है न ही दिवाली की चमक बरकरार है । कहने को तो सब कुछ हो ही रहा होगा मगर हम का करें कि ई ससुर दिल जो बिहारी रह गया है । ऊपर से तो दिल्ली का जितना टीमटाम है सब फ़ौलो किए ..आउर तो आउर ..जौन कसर उसर रह गया था ... सब पूरा हो गया जब ससुराल जलंधर हो गया लो अब बिहारी पंजाबी कंबीनेशन का डेडली कौंबो पैक .......सब त्यौहार एकदम से डबलिया गया जैसे हमको श्रीमती जी भी डबल मिली थी अपना से । खैर ई फ़ेस्टिव पुराण तो बाद में डिस्कस करेंगे कभी आज तो होलियास्टक टाईप का कुछ लिखने का मूड है ।

ओह का बखत ता यार ! ऊ टाईम जिसको सब कुछ नोस्टेलियाना कहते हैं...कभी कभी तो करता है कि बस बहुत हुआ ....भगवान को भी कहते हैं कि बस जी ..अब हमको तो यहीं पर पौज करके ..बैकवर्ड मोड में लगा दिया जाए ...हमारा मन अब फ़ौरवर्ड जाने को नहीं मानता है पता नहीं कि इस बीमारी को कहते का हैं ..मगर लक्षण कुछ इस तरह के हैं कि हमेशा मन के कोने से एक ही आवाज़ आती है ...कि ओईसे तो आल इस वैल ...लेकिन जो टाईम बीत गया ..वो इज नौट ओनली वैल बल्कि बहुते माने में वाज भेरी भेरी .बेटर " और चाहे आज डिश टीवी फ़िश टीवी से एक हजार एक चैनल का मज़ा अनुपम हो ..मगर उस समय के .......... रुकावट के लिए खेद का क्रेज को टक्कर थोडी दे सकता है ओह ......... बिहारी सब एतना सेंटी काहे रह्ता है पता नहीं ...छोडिए

तो हम बता रहे थे कि दिल्ली में जब हम लोग बैचलर थे ...ओह ...मैं जानता हूं कि सभी कईयों ने दिल पर हाथ रख लिया होगा ...कि हाय हम भी कभी बैचलर थे ....और अभी के सभी बैचलर सोच रहे होंगे ..कि अबे तो क्या कुछ सालों बाद ..सभी यही कहते हैं....तो जब हम कुंवारे थे जो कसम से होली दिवाली के मजे तो तभी ले लिए थे ...यार यही तो एक वो टाईम होता है जब आपको गुलाल की लाली और फ़ुलझडियों की चमक ठीक ठीक दिखाई देती है ओह फ़िर उन दिनों ..छोडिये ...तो बस इस बार सोचा कि यार बहुत हो गया कम से कम फ़्लैशबैक में जा न सके तो क्या हुआ ..उन दिनों को एक बार रिमिक्स करके देखा तो जा ही सकता है । बस फ़िर क्या थी हमने फ़ौरन से पेशतर . मित्र लपटन जी को पेजर पर संदेश छोड दिया ..फ़ौरन पहुंचिए ...अबकि जोश जरा ज्यादा है ,. फ़िर से होलियाने का ईरादा है । उन्होंने भी जब से सुना है कि अब अदालत भी उन बातों के तैयार है ..कभी किसी दोस्त को किसी भी बात के लिए मना नहीं करते ..क्या पता उनकी तरह किसी और दोस्त को भी अदालत का फ़ैसला सुहाया हो :)

लपटन जी सुनिए समय कम है और अबके फ़िर से पुराने दिनों की याद में जाने का फ़ैसला ले ही लिया है ...यदि फ़ैसले के अनुसार उसे पूरा न भी कर पाए तो कौन से मीडिया रिपोर्ट कर देगी कि जनता भी अपने सरकार की तरह हो गई है । आज तो हो ही जाए पक्का टाईप का कुछ फ़ाईनल सा । सुनिए पहले हम लोग होलिका दहन से शुरूआत करते हैं । लपटन जी अब तक आधे जोश में आ ही चुके थे इस बात को सुन के तो फ़ौरन से भी बडी सी फ़ुर्ती से खडे होकर बोले , बहुत बढिया झाजी ..आज तो मन खुश हो गया ..आप हमेशा अईसन अईसन आईडिया लाते हैं बस हमारा भी मन आग लगाने का हो जाता है , मन करता है कि बस अब .......फ़ूंक ही डालोगे क्या ...... आयं ..यहां भी हमने सोचा यार सब जगह ये तो ब्लोग्गिंग में भी ...राम राम राम ...हमने माथा झटका और होली पर कंस्ट्रेट करने लगे सुनिए लपटन बाबू सबसे पहले तो सबकी /..लक्कड, खिडकी दरवाज़े , खटिया वैगेरह ..मांग ली आओ फ़टाफ़ट से ..हम तब तक अपने बज के बोर्ड सूचना टांगते हैं

लपटन जी से तो जईसी उम्मीद थी ओईसने रिपोर्ट ले कर आए और कहे कि ..झा जी ई दियासलाई हमको दीजीए और ई लक्कड वाला काम तो आपे करिए .....तब तक हमें बज पर वकील साहब श्री दिनेश राय द्विवेदी जी ने बता दिया था कि ..ई सब तो मांगे से नहीं मिलेगा ऊ तो आपको चोरी ही करना पडेगा जब तक चोरी का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार होता ..तब तक लपटन जी दूसरी मनहूस खबर भी दे चुके थे ..झाजी अब सब जगह पर एलुमुनियम का खिडकी दरवाजा है ..लक्कड कहीं नहीं है .. हम लोग अगला सलाह ओकील साहब का ही पर अमल करने का सोचने लगे कि कुर्सी दराज ,मेज सब उठा लिया जाए ।मगर जल्दी ही पता चला कि ..इससे अच्छा तो एलुमुनियम के खिडकी दरवाजा पर होलिका को जला दिया जाए आखिर एतना पोल्युशन में होलिका एतना रेसिस्टेबल हो ही गई होगी कि अब एलुमिनियम पर बैठ के जल जाएंगी

खैर ..मगर जब इतने समय बाद फ़्लैशबैक को रीमिक्स कर रहे हैं ऊ भी एकदम से सुलो मोशन में तो ई सब कामर्शियल ब्रेक तो आना ही था , लपटन जी ने अगली खबर सुनाई ....झाजी तैयारी से क्या होगा ...मुईं होलिका तो निकल भागी है ...जाते जाते बोल गई कि कह देना झाजी से ..... हर साल ..तुम लोग हमें और रावण जी को फ़ूंक देते हो ...जबकि असली लोग बच जाते हैं पूरे साल की होली दिवाली खराब करने के लिए लो ये अब एक और मुसीबत ..पता लगाया तो पता चला कि ..होलिका को किसी बढिया सी निर्मात्री ने अपने धारावाहिक ने औफ़र दी है कि बढिया सा रोल देगी वहां पहुंचे तो होलिका फ़ौरन मान गई ...कारण पता लगा कि ..यहां तो सारे रोल ही होलिका , और शूर्पनखा के रोल जैसे थे सो कहने लगी चलो ....वैसे भी दियासलाई लेकर घूमने वाले लोग ..बिना आग लगाए कब मानते हैं ।

अब अगली व्यवस्था भांग और मालपुए की करनी थी ।ओह वही नोस्टेलियाना हमारा ...गांव होता तो ...एक तरफ़ रंग की बाल्टी ...और दूसरी तरफ़ ठंडाई की बाल्टी ....जिसमें से चाहो और जहां से चाहो भर लो .....और जिस पर चाहे उडेल दो । सुबह सुबह से ही पहले बडकन लोग , और बिना किसी महिला सशक्तिकरण के आंदोलन के सभी भौजाई , दादी , माता सबको ओही ठंडाई में से बराबर का हक मिलता था , और सबसे अंत में हम बचवा लोग भी ...बस उसके बाद तो ...धूम मचे धूम ....भोर दुपहरिया , दुपहरिया सांझ हो लपटन जी भी अपना आईडिया दे बैठे ..बोले यार सोशल संदेश दिया जाए क्या ....सूखी होली हो जाए । हम भडक गए ..चुप रहिए लपटन जी एकदम चुप ....ई पानी बचाओ ,,वाला सोशल ,मैसेज जो आप ई मोटर गाडी वाला सब को देंगे न तो ठीक रहेगा ..जो अपने नहाने से लेकर कार की गंदगी तक को साफ़ करने के लिए जाने कितना पानी खराब करते हैं । ई सूखी होली का होती है लपटन जी , ई तो तय ही समझिए , अब बस भांग और मालपुआ पर सारा ध्यान दिया जाए ।


फ़िर हम और लपटन जी अपने खास सूत्र सब भिडा के किसी तरह बाबू मोशाय को मनाए कि देखिए बाबू मोशाय आप बार पान बीडी सिगरेट का दाम बढाए ..हमको कौनो टेंशन नहीं है ..हो भी कईसे हमको कौन सा उडनतशतरी जी की तरह विल्स कार्ड लिखना आता है फ़गुआ नजदीक है तो आप भांग का रेट पर कोई ध्यान मत दीजीएगा देखिए इस खबर को हालांकि किसी ने भी कवर नहीं किया मगर सच यही है कि हमारे जैसे एक ब्लोग्गर और उनके मित्र के खास सिफ़ारिश के कारण ही भांग इस बार के बजट में भी सस्ता ही रहा ।हमने सोच कि जब दादा ,मान गए तो लगे हाथ मालपुए के लिए चीनी की बात भी करते ही चलें । दादा बोले भागो ...अबे हम सारे फ़ायदे क्या हम दादा और ,.,ममता दीदी से ही लोगे । चलो निकलो यहां से ....हैप्पी होली ।

हम और लपटन जी घर पहुंच चुके हैं और खूब होलिया भी रहे हैं । बाबूजी के लिए हमने वो सब करने की सोच रखी थी जो मां उनके लिए करती थी और कोशिश भी करते हैं .....सब तैयार हुआ ..और बाबूजी खा भी रहे हैं , हमें पता है कि अभी मां को ऊपर गए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है तो जरूर बाबूजी को बेटे के हाथ का मालपुआ खाते देख ..संतोष हो रहा होगा .....बाबूजी से पूछा तो कहते हैं ..बढिया बनल अईछ बऊआ ( बढिया बना हैं बेटे ) ....मगर मैंने जब खाया तो बस यही लगा ....मां तेरे हाथ का स्वाद कहां से लाऊं ?????देखिए भांग खा के अब इससे ज्यादा लिखेंगे तो आप कहेंगे कि आप सेंटी के बाद अब मेंटल हो रहे हैं । जाईये प्यार बांटिए .....जितना बांटिएगा ......घूमघामकर दुगुने चौगुने ,नौगुने ,,,,जाने कैगुने होकर आपके पास वापस आते रहेंगे ...और आप उन्हें बांटते रहना

16 टिप्‍पणियां:

  1. बिहारी पंजाबी कंबीनेशन का डेडली कौंबो पैक

    आज तो होलियास्टक टाईप नहीं कुछ कुछ हौक्स जैसा लगने लगा था :-)

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  2. आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice

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  3. बिहारी पंजाबी कंबीनेशन का डेडली कौंमबो पैक...
    बहुत बढ़िया...
    होली मुबारक ...

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  4. ये तो भांग पी के नहीं लिखी हुई है। भाई वो भांग पी के लिखी वाली कहाँ है?

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  5. द्विवेदी जी ....सर ये पोस्ट शतप्रतिशत भांग पीके ही लिखी गई है ...और जो मन में आया लिखता गया ..अब टिप्पियों का दौर चल रहा है ..हां आज मूड बस ऐसा ही था सो ऐसा ही ठेल दिया ..
    अजय कुमार झा

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  6. सन्न्नाट!!


    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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  7. होली में डाले प्यार के ऐसे रंग
    देख के सारी दुनिया हो जाए दंग
    रहे हम सभी भाई-चारे के संग
    करें न कभी किसी बात पर जंग
    आओ मिलकर खाएं प्यार की भंग
    और खेले सबसे साथ प्यार के रंग

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  8. इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
    ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
    लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
    कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
    के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
    ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
    इस बार.. ऐसा रंग लगाना...

    होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

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  9. हम भी खाके टिपण्णी दे रहे है . बढ़िया प्रस्तुति ,आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

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  10. आपको रंगपर्व की हार्दिक शुभकामनांए.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला