रविवार, 14 फ़रवरी 2010
दिल्ली ब्लोग बैठक (सिलसिलेवार रपट -आखिरी ,कुछ रोचक बातें )
जी अब दिल्ली ब्लोग बैठक में हुई कोई ऐसी उल्लेखनीय बात नहीं बची है जो मैं अपनी पिछली रिपोर्टों में नहीं कह पाया हूं इसलिए इस सोचा कि इस आखिरी भाग में आपको इस ब्लोग बैठक से जुडी को बहुत ही रोचक मनोरंजक बातें बताता चलूं । हा हा हा ......मैं समझ गया ...आप सोच रहे होंगे कि ...यार झाजी को अब किसी ब्लोग बैठक में नहीं ले जाएंगे । एक बार पहुंचे नहीं कि इतनी रिपोर्ट कर देंगे कि ...बस । वैसे भी सुना है कुछ लोग बाग कह रहे हैं कि बैठक वैठक कुछ नहीं जी ........ये तो सब गुटबाजी की तैयारी की जा रही है ....वो भी कुछ कायर लोगों मतलब कायर ब्लोग्गर्स द्वारा ....और फ़िर थोडे ही समय बाद पता चला कि लो जी ......वो खुद ही इस कायरता और गुटबाजी का लुत्फ़ उठा चुके हैं । खैर ...छोडिए इन बातों पर लिखने के लिए अभी आगे की पोस्टों को निर्धारित किया हुआ है आज तो पढिए कुछ मजेदार बातें ।मुझे इस ब्लोग बैठक की बाबत किसी ने पूछा कि आप लोग इन बैठकों में आखिर करते क्या हैं .....मेरा जवाब था ....अजी कुछ खास नहीं सिर्फ़ इतना कि ....आए हुए ब्लोग्गर्स को देखकर और मिलाकर ये पता लगाया जाता है कि प्रोफ़ाईल में दी हुई फ़ोटो वाकई उनकी ही है न ।
जैसा कि मैंने रिपोर्ट के शुरू में कहा था कि सतीश सक्सेना जी मेरे परिचय में मुझ से पूछा था कि मैं और किन किन नामों और प्रोफ़ाईल से लिखता हूं और पिछले दिनों जिस एक नाम के साथ मेरा नाम होने का जिक्र होता रहा था उसकी सच्चाई क्या है । चूंकि ये बात पिछली बैठक में भी उठती रही थी सो मुझे लगा कि अब समय आ गया है कि जो कुछ मैं इस प्रकरण के बारे में जानता हूं वो सबके सामने रख दूं । और वो नाम और कोई नहीं ...,...आदरणीय टिप्पू चचा का था । मैंने बताया कि एक दिन ब्लोग्स को पढते पढते ...मुझे टिप्पणी चर्चा वाले ब्लोग पर जाने का मौका मिला । सिर्फ़ चंद टिप्पणियों को वहां पर लिंक समेत सहेज कर रखा गया था जिनमें से शायद एक मेरी भी टिप्पणी थी , टिप्पणियों को सहेजने का विचार अनोखा और मौलिक लगा मैंने फ़ौरन ही टिप्पणियों में इस ब्लोग से जुडने की मंशा जताई , और आमंत्रण मिलते ही उसे स्वीकार भी लिया । बस ये था मेरे उस ब्लोग से जुडने का कारण और इस बात की तस्दीक टिप्पणी चर्चा के शुरूआती पोस्टों को देखकर की जा सकती है । बाद में इस ब्लोग और टिप्पू चचा के साथ जबरन ही विवाद की शुरूआत हुई । मैं इस काम को देखकर इतना तो समझ चुका था कि ये किसी अनाडी का काम नहीं है और जो भी इस नाम के पीछे हैं न सिर्फ़ तकनीकी रूप से बल्कि लेखनी के भी उतने ही धनी हैं । इसलिए श्री अनूप शुक्ल जी के सीधे सीधे ये आरोप लगाने के बाद कि मैं खुद ही टिप्पू चचा के नाम से ये सब कर रहा हूं , मैं उस नाम और उस ब्लोग से जुडा रहा । मगर एक खास स्थान पर जा कर मुझे लगा कि नहीं कम से कम मुझे इतना तो पता ही होना चाहिए कि आखिर मैं किनके साथ हूं , हालांकि मैंने ये जानने की कभी कोशिश भी नहीं की , मगर अचानक ही मैंने टिप्पू चचा के उस ब्लोग से खुद को अलग करके ..टिप्पी का टिप्पा ..टैण टैनेन ....बना दिया । और आज भी नहीं जानता कि टिप्पू चचा कौन हैं , सिवाय इसके कि कोई न कोई जीनीयस हैं.....हमारे आपके बीच से ही ।
ब्लोग बैठक में प्रतिभा कुशवाहा जी भी उपस्थित थीं , जब उनसे बातचीत शुरू हुई तो सबने उनका परिचय जानना चाहा , और उन्होंने बताया कि वे सखी सहित और भी कई पत्रिकाओं से जुडी हुई हैं तथा उनका अपना एक ब्लोग है ठिकाना । इससे पहले कि बात कहीं और जगह भटकती मुडती , मुझे लगा कि प्रिंट और ब्लोग के बीच सूत्रधार के रूप में वे मौजूद हैं ये सही समय कि उनसे ये सवाल किया जाए कि आखिर प्रिंट में बैठे वे लोग जो ब्लोग्स पोस्ट को छाप रहे हैं वे क्या कैसे सोचते हैं, वे कौन से कारक हैं जो उन्हें बताते हैं कि फ़लाना पोस्ट को उठाना चाहिए , फ़लाना को छोड देना चाहिए । उन्होंने अपनी बात रखते हुए बताया कि मेरा तो ऐसा कोई निश्चित पैमाना नहीं है । मैंने इस संबंध में किए कुछ अपने विश्लेषण को रखा कि कैसे अमर उजाला , हरिभूमि , आज समाज , हिंदुस्तान, दैनिक जागरण आदि में ब्लोग पोस्ट लिए जाते हैं , विशेषकर अमर उजाला और हरिभूमि में , अब फ़िर खुशदीप भाई ने चुटकी ले ही ली कि कहीं इन सबके पीछे भी आपका कोई हाथ तो नहीं है ....और जाहिर है कि मैं मुस्कुरा रहा था । वहां से आने के बाद फ़िर सोचा कि एक बार इस विश्लेषण को आजमाया जाए । और देखिए नतीजा आपके सामने है ....इस पोस्ट को देख लीजीए ।
पिछली ब्लोग बैठक में राजीव तनेजा जी की श्रीमती जी और हमारी भाभी जी संजू तनेजा अकेली ब्लोग्गर थीं सो बोर हुईं और इस बार आने में आनाकानी कर रही थीं । मुझे प्रवीण पथिक जी से कुछ महिला ब्लोग्गर्स के पहुंचने की सूचना मिल चुकी थी , कविता जी , निर्मला जी , आदि की भी उपस्थिति संभावित थी सो मैंने जोर देकर आने को कह दिया , मगर जब पता चला कि प्रवीण जी ने जिनके आने की सूचना दी थी वे नहीं आ सकेंगी । मैं समझ गया था कि अबके डंडे पडना तय है , मगर कविता जी और प्रतिभा जी की उपस्थिति ने जान बचाई ।
यशवंत मेहता ने भी आने की हामी भरी थी , खाने पीने के दौर के बाद एकदम जल्दी जल्दी पहुंचे यशवंत ने मुझे पहचानने के बाद ..जिसे पहचाना वो थे . ...अनिल पुसदकर ...। जी हां जिन्हें उन्होंने अनिल पुसदकर के रूप में पहचाना ..वे सतीश सक्सेना निकले । इसके बाद तो सबने उनकी परीक्षा ली कि अब तुम ही पहचानो कि कौन कौन सा ब्लोग्गर है ।
अब देखिए ब्लोग बैठकों में शामिल हुए दो तेज़ तर्रार रिपोर्टर्स को , देखिए कितनी तत्परता से रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं वो भी बैठक के बीच में ही ..भाई खुशदीप सहगल जी पिछली बैठक में रपट तैयार करते हुए
और श्री पद्म सिंह जी इस ब्लोग बैठक में धडा धड रिपोर्ट लिखते हुए ,
ब्लोग बैठक के दौरान , श्री बी एस पाबला जी, श्री अनिल पुसदकर जी ,श्री महफ़ूज अली जी श्री पंकज मिश्रा जी ,श्री दीपक मशाल जी , और निरुपमा जी भी फ़ोन के माध्यम से हमारे बीच उपस्थित रहे । तो बस इस ब्लोग बैठक की रपट खत्म होती है ......उफ़्फ़ ....थक गए न आप लोग । अब कल से कुछ वो बातें जिनपर इन दिनों ब्लोग जगत में बहुत घमासान छिडा हुआ है और यदि उनपर न कहा लिखा गया तो फ़िर यही तोहमत लगेगी कि आखिर ऐसे मुद्दों पर सब चुप्पी क्यों लगा बैठते हैं ?????
वाह जी बढ़िया है. लेकिन अगली बैठक की जानकारी अभी बाक़ी है.
जवाब देंहटाएंकाजल जी हमने तो सुना है कि अगली बैठक तो कुछ बहादुर लोग करने वाले हैं , इसके बारे में तो कायर ब्लोग्गर्स को कुछ पता नहीं है ...........आपको कुछ पता है क्या ????....बताईएगा ...
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
बढ़िया रही यह रोचक बातें
जवाब देंहटाएंवैसे परीक्षा तो हो ही जाती है चाहे अनचाहे :-)
बी एस पाबला
टिप्पू चाचा दरअसल चाचाओं के भतीजे हैं और शायद मैं उन्हें जानता हूँ मगर अगर बता दूंगा तो वे यही कहेगें की मैं टिप्पू चच्चा नहीं हूँ -फिर बताने से क्या फायदा? आप तो उनसे दूर हो गए मगर मैं तो चाह कर भी नहीं हो सकता !
जवाब देंहटाएंझा जी,
जवाब देंहटाएंये क्या लिख दिया...खाने-पीने के बाद...अब भईया कसम ब्लॉगिंग की, हमने खाना तो जम कर खाया था...पीने के नाम पर दो कप काफ़ी और कई गिलास प्योर वॉटर के गटके थे...लेकिन पीना तो किसी और को ही कहते हैं...अब कहीं समूचा ब्लॉगवुड ये ही न समझ बैठे कि हम सारे होली से पहले ही होली के मूड में आ गए थे...झा जी ब्लॉगिंग की अदालत के कटघरे में खड़े होकर सफ़ाई दे...अगर आप का पीने का कहने का आशय सही वाले पीने से है तो वो कब हुआ...गवाही सिर्फ अविनाश वाचस्पति भाई की चलेगी...क्योंकि वो भी अरेंजमेंट के लिए बराबर के ज़िम्मेदार थे...
जय हिंद...
हा हा हा खुशदीप भाई ....अब हमारे लिए तो खाने के साथ पीने का मतलब वही है जो आपने गटका ...न शाम हुई ...ना जाम चले .....हम कलेजा थाम चले ...
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
इस रिपोर्ट को पढने के थोड़ी देर पहले ही मैने सतीश जी की फ़ोटो वाली पोस्ट पर कमेण्ट किया है कि आपकी फ़ोटू हमारी जैसी लगती है।मज़ा आ गया झा साब्।अगली बार यशवंत से हम खुद मिल लेंगे तो कन्फ़्यूज़न दूर हो जायेगा।
जवाब देंहटाएंये कायर ब्लोगर वाला लफड़ा क्या है भाई ?
जवाब देंहटाएंखैर अब तो होली मिलन की तैयारियां चल रही हैं।
बहादुरों को वहां बुला लीजिये।
ये तो बेहतरीन कही. अगर कायरों की ये कायरता है तो बहादुरी क्या होगी? वैसे पहले देख चुके हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
पूरी रपट पढ़ ली है अभी बैठकर...किश्तवार। बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंमुझे मालूम न था इस बैठकी के बारे में, वर्ना मैं भी टपक पड़ता कि संयोग से मैं भी था उस दिन दिल्ली में ही।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंअगर कायरों की ये कायरता है यही है तो मुझे अपने आप को कयार कहने मै कोई दिक्कत नही, वेसे मै इस पार्टी को एक महान पार्टी ही कहुंगा, जिस मै सभी बहुत खुश रहे, ओर शुरुर से अन्त तक सब मजे मै थे... तो यह कयार वाली बात अब बीच मै कहां से आ गई? अरे झा जी आप छा गये दिलो दिमाग पर, ओर छोडिये बाकी बाते
जवाब देंहटाएं्रोचक है कुछ नही भी समझे वैसे नासमझ बने रहने मे ही ठीक रहता है । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत खुफिया जानकारी मिल रही है नई नई और इसी लिए आगे क पोस्टों का इन्तजार लग गया है बहुते जोरों से.
जवाब देंहटाएंबिंदास रिपोर्टिंग किये हैं इस मिलन की तो बधाई तो ले ही लिजिये.
अजय भैया......बहुत ही बढिया तरीके से आपने ब्लोगर मिलन का वर्णन किया है
जवाब देंहटाएंहरेक किश्त में एक एक पल जीवंत हो उठा ब्लोगर मिलन का.....
अगर एक दुसरे के साथ हंस बोल कर बतियाना कायरता है तो मुझे अपने कायर होने पर गर्व है ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया...विस्तृत एवं सिलसिलेवार रिपोर्ट ...आनंद आ गया जी फुल्ल फुल्ल
ओह! नहीं मिलने-मिलाने से ये नुक्सान होता है...कई शब्दों के अर्थ जानने से रह जाता है आदमी :)
जवाब देंहटाएंbhai ji, lagta hai aap hath rama kar rahe hain antarrashtreeya hindi patrakaarita ke liye... :)
जवाब देंहटाएंबढिया व धासू रिपोर्ट रही अजय भईया , आपके लिए क्या कहूँ कैसे कर लेंते हैं ये सबकुछ , मुझे पता करना ही पड़ेगा कहीं दाल में कुछ काला तो नहीं , ये सब आप ही करते हैं या आपके साथ कोई और ।
जवाब देंहटाएंओह काजल जी, आपसे कहां कुछ ्छूटा प्रभु ....आप तो अंतर्यामी हैं आपकी दृष्टि तो वो देख लेती है जो कोई और नहीं देख पाता ...कृपा दृष्टि बनाएं रखें ....
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
अनिल पुसाद्कर के साथ शकल मिलने से नाम तो होगा ही . यशवंत से पहली बार मिला ..बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंअजय भैया......बहुत ही बढिया तरीके से आपने ब्लोगर मिलन का वर्णन किया है
जवाब देंहटाएंहरेक किश्त में एक एक पल जीवंत हो उठा ब्लोगर मिलन का.....