शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

1411 : न 14 न 11 .....(बाघों को समर्पित एक हर्बल पोस्ट )


जब से सुना कि बाघों को बचाने की मुहिम तेज़ हो रही है ....बस उसी पल मैं समझ गया कि अब हो न हो ....वो दिन दूर नहीं रहा जब हम बाघों को बचा ही लेंगे ....न सिर्फ़ बचा लेंगे बल्कि ...उनकी संख्या चौदह सौ ग्यारह से बढा कर ..चौदह हज़ार , चौदह लाख ......अरे रे बस बस ....नहीं तो फ़िर कहना पडेगा कि ..कितने लोगबाग नहीं नहीं ....लोगबाघ हो गए हैं । सुना इसके लिए ...बहुत जोरों शोरों से अभियान चला हुआ है .....काफ़ी कुछ किया जा रहा है ..लेख आलेख और ...शायद एकाध शिलालेख भी ...लिखने की तैयारी की जा रही है ....मगर किसी ने पूछ लिया कि लिख पढ के बाघ कैसे बचाए जा सकते हैं जी ...वो कौन सा पढने देखने आते हैं ।हमने भी सोचा बात तो सौ टके खरी है । तो फ़िर किया क्या जाए ...अब मुंई इस चिंता वाली फ़ीलींग को बाघ तक पहुंचाएं तो कैसे ..।आज के हाईटेक युग में भी ये बाघ लोग एकदम ...से पिछडे हुए हैं ..न लैपटौप , न मोबाईल ..और तो और आऊटडेटेड पेजर भी इस्तेमाल नहीं करते .....तो फ़िर आखिर उन तक ये मैसेज पहुंचाएं तो कैसे ...और यदि उन तक ये मैसेज पहुंचा ही नहीं तो फ़िर उन्हें हम इंसानों की फ़ीलींग का पता कैसे चलेगा और उनमें वो दोबरा से जी उठने वाला कौन्फ़िडेंस कहां से आएगा ?? ओह ये तो धर्मसंकट आ गया ....क्या करें ।

बहुत ही घोर व्याघ्र विमर्श के बाद सोचा आखिर जिनके कारण ये बाघ कम हो रहे हैं या कम हुए हैं उनसे ही क्यों न शांति वार्ता की जाए । जी हां ..बहुत सोच विचार के शिकारियों के अड्डे पर पहुंच गए । वहां शिकार शिरोमणि श्री बघेरू पांडे के सेक्रेटरी ..श्री बाघौती लाल जी से एक ओरल आर टी आई लगाई और पूछा ..."सर जी , ये आप लोगों के कारण अब बाघों की संख्या 1411 ..रह गई है ??

"क्या अब भी 1411 बाघ बचे हैं ?" क्यों बे बाघौती ...तू तो कह रहा था कि सर अब तो हमने लगभग सार निपटा दिए हैं ...अब तो धंधा बंद करना पडेगा ...यो भाया तो कह रहा है कि अब भी इत्ते बचे हुए हैं ..अब तेरा स्कोर कार्ड खराब है क्या ??? बघेरू पांडे दहाडा ...

"अरे नहीं नहीं बास , इसे न पता कुछ भी , थोडे बहुत बचे होंगे , इब क्या करें ..इत्ता टाईम तो अदालती चक्करों में ही खत्म हो जाता है ..न मुकदमा खत्म होता है ....न ही ये बाघ खत्म होते हैं ...थोडे बहुत तो यूं निपटा डालेंग " बाघैती लाल ने मुझे घूरते हुए कहा और मुझसे मुखातिब होते हुए बोला....."क्यों बे आखिर चाहता क्या है तू ?"

"देखिए जी अब आप लोग बाघ को मत मारिए ....आम जनता भी जागरूक हो चुकी है ..इसे बंद करने /करवाने के लिए "

"हा हा हा ...अबे ओ ..आम आदमी ...तूने आज तक किसी आम आदमी के घर में बाघछाल की बनी हुई कोई चीज़ देखी है क्या ? आम आदमी की क्या जागरूकता ...जिनके लिए बाघ मारे जाते हैं वो कुछ करें सोचें तब बात बनेगी चल भाग यहां से "।

मैं निकल लिया , फ़िर सोचा छोडो ये सब डायरेक्ट पार्टी से ही बात की जाए । सो मैंने सीधा बाघों से ही पूछना ठीक समझा और निकल पडा उनसे मिलने को मगर मुश्किल ये थी कि अब पूरे भारत में इत्ते से तो बचे हैं ...क्या कलियुग आ गया है ...। चारों तरफ़ कुत्ते ही कुत्ते हैं ...बाघ कोई नहीं मिलता ...और कमाल की बात है कि इंसानों में भी ...कुत्ते ही कुत्ते हो गए हैं ....बाघ नहीं मिलता । मगर जब मिलना था तो मिलना ही था । एक का पता था जिसे मैंने टीवी पर देखा था अपील करते हुए । मैं उसी के पास पहुंचा

" और बाघ जी , चलो अब तो आपका कल्याण हो ही जाएगा , अब तो सभी आपकी चिंता में लगे हैं अब तो थोडा बहुत कौन्फ़िडेंस भी आ ही गया होगा ?" मैंने प्यार से पूछा

" अबे छोडो यार , तुम लोग भी कमाल करते हो , चिंता तो ऐसे दिखा रहे हो जैसे कल से ही घर में हमारे लिए एक गेस्ट रूम बना के हमें पेइंग गेस्ट की तरह रखने वाले हो या कि हमें कल से पालने लगोगे । मैं तो कहता हूं कि जाओ .....अब गिनते रहो .....1411 ...फ़िर एक समय 14 ....फ़िर 11 ...फ़िर इस दुनिया से पूरी तरह 9 दो 11 .....यानि मामला खत्म । इसके बाद तुम लोग डायनासोर की तरह हमारे फ़ोस्सिल्स ढूंढते रहना और बनाते रहना ...द जुरासिक बाघ ...द लौस्ट बाघ आदि आदि । " बाघ ने झल्ला कर कहा

" अरे तो फ़िर करें क्या महाराज़ , अब तुमही बताओ यार हमारे तो पल्ले ही कुछ नहीं पड रहा है कि करें क्या ??" मैंने भी सारी रिस्पौंसबिलिटी ...सामने वाली पार्टी पर ही डाल दी ।

" कमाल है यार इतनी सी बात नहीं समझते , एक बात बताओ , हम कभी तुम्हारी बिल्डिंग, तुम्हारी कालोनियों, तुम्हारे अपार्टमेंट , तुम्हारे और भी जितने आशियाने, हैं उनकी तरफ़ झांकने भी आते हैं ....नहीं न ......तो फ़िर क्यों ......आखिर क्यों तुम लोग हमारे जंगल में घुसे चले आ रहे हो? उन्हें काट रहे हो खत्म कर रहे हो ...भैय्या जंगल बचाओ ....बाघ खुद बच जाएंगे । "बाघ ने निदान बताया

"

15 टिप्‍पणियां:

  1. भैय्या जंगल बचाओ ....बाघ खुद बच जाएंगे । "बाघ ने निदान बताया
    लोग इतना भी नहीं समझते !!

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  2. भैय्या जंगल बचाओ ....बाघ खुद बच जाएंगे । "बाघ ने निदान बताया
    आप की बात से सहमत है जी, बिलकुल सही कहा

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  3. नेताओं को जंगल में छोड़ आओ...

    बाघ खुद-ब-खुद बढ़ना शुरू हो जाएंगे...

    जय हिंद...

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. बिलकुल सही...जंगल नहीं बचेंगे तो बाघ कैसे बचेंगे? सार्थक लेखन

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  6. 1411 - फिर बाद में
    बाघों को इंसान से
    बचाने की मुहिम
    करनी होगी चालू
    दुनिया गोल है।

    टिप्‍पणी वाला इनाम चाहिए मुझे भी।

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  7. भैय्या जंगल बचाओ ....बाघ खुद बच जाएंगे ।

    The Best solution ever provided....

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  8. बाघ ने बिल्कुल सही निदान बताया है.

    रामराम.

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  9. पर ये तो कांक्रीट के जंगल बना रहे हैं, अब बाघ को क्या यहाँ फ़्लेट देंगें क्या...?

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  10. बढ़िया व्यंग कथा।
    आजकल तो इन्सान ही बाघ बने हुए हैं।
    अजी जंगलों में जो रहते हैं। कंक्रीट जंगलों में ।

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  11. अंग्रेजों ने बिलकुल सही कहा था कि भारत जमूरों और मदारियों का देश है. अब हम इसमें जोड़ते हैं कि भारत द्रामेबाजों का भी देश है यहाँ किसी भी गंभीर से गंभीर मुद्दे को, घटना को ड्रामाई तौर पर पेश किया जा सकता है.
    अब बाघ को ही ले लो. 1411 बचें या फिर 1114 या फिर 14 या 11 किसी को क्या फर्क पड़ता है. जब लड़कियों कि फ़िक्र नहीं, आदमियों की चिंता नहीं बाघों का कौन सोचे.
    ये भी भरे पेट वालों का नया ड्रामा है........................
    पहले आदमी बचाओ, इंसानियत बचाओ, मानवता बचाओ.............बाघ, बकरी तो अपने आप बच जायेंगे.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  12. अंतिम पंक्तियां बिल्कुल सही हैं। जंगल बचाओ .. बाघ खुद बच जायेगा।

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  13. नेताओं को जंगल में छोड़ आओ...

    बाघ खुद-ब-खुद बढ़ना शुरू हो जाएंगे...

    जय हिंद...

    KHUSHDEEP SEHGAL JI SE 11100% SAHMAT

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला