बुधवार, 15 जुलाई 2009

जब भी हम पगलायेंगे, इक पोस्ट लिख कर जायेंगे...

जब मैं कैफे में बैठ कर सिर्फ एक घंटे में ब्लॉग्गिंग किया करता था तो स्वाभाविक रूप से उतनी गहराई से ब्लॉग्गिंग का उतार चाढावों को भांप नहीं पाता था.बस सिमित समय में एक सिमित सी दुनिया बनी हुई थी, लिख दिए, अगले दिन tippnniyaan देखी , टीपने वालों के प्रति उत्सुकता हुई तो उनके ब्लॉग पर पहुंचे और पढ़ कर टीप दिया....बस हो गयी ब्लॉग्गिंग.

अभी ज्यादा समय नहीं बीता है कम्प्यूटर लिए..मगर निस्संदेह उतना तो मैं समझ ही चुका हूँ की यहाँ सब कुछ वैसा नहीं चल रहा है जैसा की हिंदी ब्लॉग्गिंग के बारे में पढ़ा और सुना था....नहीं मैं नकारात्मक रूप से नहीं सोच और कह रहा हूँ. बल्कि ये तो एक सुखद तथ्य है की जब ब्लॉग्गिंग शुरू की थी तब से अब तक इसके आकार और स्वरुप में बहुत बड़ा अंतर आ गया है.....यदि किसी चीज़ में अंतर नहीं आया है तो वो है....ब्लॉग्गिंग में नियमित रूप से चलने वाले विवाद....मैंने इन दिनों में जो अनुभव किया है और उससे जो भी निष्कर्ष निकाले हैं ..उसे आपके सामने रख रहा हूँ....नहीं नहीं कोई मकसद नहीं है मेरा ..बस उसे बांटने भर की कोशिश है .

ब्लॉगजगत में कुछ ब्लोग्गेर्स (महिला/पुरुष ) जानबूझकर अपनी पोस्टों में ....विवादित मुद्दों को .....या कहूँ की अनावश्यक रूप से किसी भी मुद्दे को विवादित करके लिखते हैं ...भाषा और शैली ...किसी ख़ास मकसद से उकसाने वाली होती है ....सबसे दुःख की बात ये है की ऐसी पोस्टें बहस के लिए नहीं.....बल्कि बत्कुततौअल्ल के लिए ही लिखी जाती हैं.....और यही कारण होता है की ज्वलंत विषयों पर...अक्सर ये लेखक/लेखिकाएं या तो कुछ लिखते नहीं,,या फिर ..ये लिख कर काम ख़त्म कर लेते हैं की...फलाना जगह, फलाना समाचारपत्र में ऐसा, वैसा छ्पा है....

इनकी ऐसी कमाल की पोस्टों में हमारे जैसे घुसेडू टाईप के घसीटू ब्लॉगर घुस जाते हैं...आव देखते हैं न ताव...बघार देते हैं अपना भाव...अजी तिप्प्न्नियों के रूप में ....और कई बार तो किसी की पोस्ट पर आयी किसी टिप्प्न्नी जो किसी ऊपर वर्णित लेखक के भाई/बहन .,,या फिर स्वयं लेखक ने ही लिख मारी होती है ...उसे अपने दिल पर लगा कर दे दाना दान टीप डालते हैं......इससे भी मन न भरा ..तो लिख डाली एक पोस्ट....बस ये विवाद जो शुरू होता है ...तो जंगल की आग की तरह फैलता चला जाता है......एक बार बहुत पहले सुना था की कई बार नकारात्मक स्थितियां ...बहुत सी अच्छी बातों को जन्म देती हैं...मुझे भी इन विवादों में ऐसी अच्छी बातों की प्रतीक्षा रहती थी....मगर लानत भेजिए जी.....यहाँ तो दो मिनट में बात इतनी भयानाक टाईप हो जाती है.....खुल्लम खुल्ला गाली गलौज.........और पता नहीं क्या क्या. ऐसा बहुत ही कम होता है ..या फिर की शायद मैंने देखा है की ...इन विवादों का कोई सार्थक अंत हुआ हो.......दुसरे की क्या कहूँ ,मैं खुद भुक्तभोगी हूँ........अभी पिछले दिनों ही भुगत चुका हूँ...खूब प्यार से......अच्छी अच्छी तिप्प्न्नियों से अपनी बात रखी.......न हुआ तो फिर जूता भीगा.......टाईप की रिक्वेस्ट भी कर ली.....थोड़े दिनों तक लगा ....चलो कुछ तो असर हुआ ही है न...तो कोई बात नहीं इतना विवाद ही सही....हो सकता है अब सब ठीक ही चले....मगर ये क्या.....वे लोग फिर से वही सब करने लगे...अब जलाओ अपना खून...उसमें स्याही डुबो डुबो कर.

मुझे तो लगता है की यदि आप अपनी रचनात्मकता को सचमुच ही बचाए रखना चाहते हैं, तो बजाय इसके की उसे इन विवादों में खर्च करने के ...अच्छी अच्छी बातें लिखने के, दूसरों की पोस्टें पढने के लिए, उनपर उत्साहवर्द्धक तिप्प्न्नियाँ करने के लिए व्यव्य की जाएँ....तो आपके मन को भी सुकून मिलेगा....हालांकि इससे भी उन पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला .....आप गांधी जी बनें या सुभाष , चंद्रशेखर वाला रास्ता पकडें.......अंग्रेजों के दुश्मन तो हैं ही..............तो फिर अपने लिए सही रास्ते का चुनाव करके आगे बढें....

मेरा एक दोस्त ब्लॉग्गिंग के लिए अक्सर कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाता है

जब भी हम पगलायेंगे,
इक पोस्ट लिख कर जायेंगे,
जितना तुम तिलमिलाओगे ,
हम उतना लिखते जायेंगे,
फालतू में जो उकसाया तो,
आईना तुम्हें दिखाएँगे,
यूँ ही ना माने तो,
तुम्हें इक अलग राह दिखाएँगे,
जिस दिन मत्था घूम गया,
सीधे घर तुम्हारे आयेंगे,
या तुम कर देना इलाज हमारा,
या हम तुम्हारा कर आयेंगे,
जिस दिन सटका दिमाग हमारा,
तुम्हें दुनिया के सामने ले आयेंगे....
न तुम्हारी ढपली का राग सुनेंगे,
बोल्ड
न अपना ढोल बजायेंगे,
हम भी छोड़ देंगे ब्लॉग्गिंग,
तुमसे भी छुडायेंगे ,
जब भी पगलायेंगे,
इक पोस्ट लिख कर जायेंगे .


19 टिप्‍पणियां:

  1. पागलपन में ही सही ... मनोरंजक है !!

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  2. क्या विवेक भाई......लगता है आप कविता पर सारा ध्यान लगा दिया आपने..चिंता की कोई बात नहीं है...मेरा आशय ब्लॉग्गिंग में होने वाले विवादों पर अपना मत रखता है ..और कुछ नहीं ..

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  3. फालतू में जो उकसाया तो,
    आईना तुम्हें दिखाएँगे,

    रोचक प्रस्तुति है आपकी अजय जी।

    लेकिन पता नहीं क्यों मुझे पढ़ने में दिक्कत हुई। कोई कोई लाइन स्पष्ट नहीं दिख रही थी। पता नहीं मेरे कम्प्यूटर की खराबी है या आपको सुधार करना होगा। हो सके तो देख लीजियेगा।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. जिस दिन सटका दिमाग हमारा,
    तुम्हें दुनिया के सामने ले आयेंगे..

    ये काम सबसे पहले करिये. कईयों का भला हो जायेगा.

    रामराम.

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  5. Bhai,karvaan me har koi banjara nahin hota, kuch luft uthane ke liye bhee samil ho jaate hain . aap to manjil ko dekhiye jo sachha yatree hoga wahi karvaan kaa hissa hoga. bankee to paanee hee samjhen...

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  6. चलिए आपने अपने मन की कह ली,बढिया किया। ईश्वर तमाशबीनों को सन्मति दे ताकि आपके पगलाने की कोई नौबत ही न आए।

    लेकिन हम ये "बत्कुततौअल्ल" शब्द का अर्थ नहीं समझ पाए। भई ये कौन सी भाषा का शब्द है?

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  7. जब भी पगलायेंगे,
    इक पोस्ट लिख कर जायेंगे ...
    हा ! हा!!
    बहुत खूब और सटीक कहा इन तमाम विवादों के बारे में आपने।

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  8. bhut achha likha. aapke lekhan ek anokha vishwas jhalakta hai........

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  9. सच है अजय जी. अच्छी पोस्ट. इसके आगे कुछ नही लिखूंगी....

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  10. टेंशन नहीं लेना का.. मस्त रहने का..

    बापु बोला कोई परेशानी हो तो एक
    पोस्ट मारने का..
    बोले तो बिल्कुल अहिंसक.

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  11. अजय जी बहुत सुंदर लिंखा आप ने, लेकिन वो दिन दुर नही जब इन लोगो को नकेल ना पहनाई, बस समझो की मंजिल दुर नही...
    ओर आप ने यह तो मेरे दिल की बात कही कि...
    जिस दिन सटका दिमाग हमारा,
    तुम्हें दुनिया के सामने ले आयेंगे....
    दुनिया नही अदालत के पास ले जायेगे,क्यो कि यह लोग हमारा अमन चेन खराब कर के हमे मान्सिक चिंता मै डालते है, हमारी आजादी को छॆदते है.
    धन्यवाद

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  12. जो भी है बढ़िया लिखा है आपने कविता भी मजेदार रही .

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  13. आपको जो करना है कर लीजिए
    आईना दिखाईए,
    किसी के घर जाईए,
    ढोल बजाईए,
    पोस्ट लिखिए,
    इलाज कीजिए,

    बस पगला कर ब्लॉगिंग ना छोड़िए

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  14. @ विवेक जी
    आप जब भी लिखते हैं कि क्या हो रहा है ये सब !
    मुस्कुराहट आ जाती है :-)

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  15. accha visay uthaya hai khair mai to abhi isse door hun na to vibaad par kament karta hun aur likhan too door ki baat hai
    akavita bhi achhi hai
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

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  16. अजय जी पिंकी को आपके मदद की जरुरत हैं इस लड़ाई में आप भी अपना योगदान दे।

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  17. बहुत बढ़िया लिखा है आपने अजय जी!

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  18. आईला आईला इ का होइला
    काहे को पगलाईला ......

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला