मंगलवार, 31 मार्च 2009

हाय , सौ टिप्णियाँ आ गयी, क्या करूँ (व्यंग्य तो कतई नहीं है )

(ये पोस्ट उन सभी ब्लॉगर बंधुओं को मेरी श्रधांजलि है जो टिप्पणी न आने के कारण मुतमईन रहते हैं )
उफ़ जैसे ही मेरे मुंह से ये बात मित्र चिटठा सिंह, (अजी एक ही तो सच्चे मित्र हैं मेरे इस ब्लॉग जगत पर ) ने सूनी उनका मुंह खुला का खुला ही रह गया, उन्होंने तो प्रश्नों की झाडी लगा दी...

क्या कह रहे हो झा, जी, अजी ऐसा क्या लिख मारा तुमने अनमोल कि दस बीस नहीं सौ टिप्नियाँ आ गयी। अबे ऐसा तो नहीं किसी बेचारे ने गलती से बार बार एक ही बात टिपिया दी हो और यदि सचमुच ही ऐसा है तो मुबारक हो मियाँ तुम तो उन गिने चुने ब्लोग्गेर्स में से हो गए जिन्होंने यहाँ के पत्थर दिल ब्लोग्गेर्स ( दरअसल तिप्न्नी न आने के कारण उन्होंने सभी ब्लॉगर बंधुओं को प्यार से ये नाम दे दिया है ) के बीच रहते हुए टिप्पणी की सेंचुरी मार दी। वे तो नॉन स्टाप बोलते जाते यदि मैंने उन्हें बीच में नहीं चुप करा दिया होता।

यार चिटठा ,तुम कभी पूरी बात नहीं सुनते , क्या अला फलां बोले जा रहे हो। दरअसल मेरे कहने का मतलब ये था कि अब तक लिखी गयी कुल पोस्टों की सारी तिप्न्नियों के मिला कर कुल सौ टिप्पणियाँ हो गयी हैं तो क्या उसका सेलेब्राशन मनाया जाए।

चिटठा सिंग चीत्कार उठे, बेडा गर्क हो तुम्हारा, हमेशा यही करते हो, शुरुआत तो कैसे करते हो और उसका अंत कितना हृदयविदारक होता है ।

तो क्या कहना चाहते हो तुम कभी एक पोस्ट की प्रतिक्रया में इतनी तिप्प्न्नियाँ आती हैं, तुमने क्या मुझे एलियन भाई (अपने उड़नतश्तरी जी ) या कोई इतना बड़ा ब्लॉगर समझ रखा है कि लोग मुझे इतनी टिप्पणियाँ करेंगे, अम हमें तो कईयों की तरह ये गुर भी नहीं आता कि एक लाइन का कोई प्रश्न फेंक मारा और सभी लगे हैं उसका उत्तर देने में, कमबख्त शक्ल ऐसी है कि चाह कर भी गुमनाम हो कर कुछ नहीं कर पाते, टिपियाना तो दूर रहा तो फ़िर तुम्ही बताओ भला ये कैसे हो सकता है।

अरे झा जी उदास मत होवो, किसी न किसी दिन तो ऐसा आयेगा कि जब सबके ब्लॉग पर सौ सौ तिप्प्न्नियाँ आ ही जायेंगी, वैसे आज इसी बात का सेलीब्राशन हो जाए।

15 टिप्‍पणियां:

  1. अजय जी, इस पोस्ट के माध्यम से आपने तो हमारे मन की व्यथा का चित्रण कर दिया....)

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  2. आपकी सारी इच्छायें पूरी होंगी। इंतजार करें।

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  3. भाई मेरे ताली एक हाथ से तो नहीं बजती, बस चुटकी ले सकते हैं.

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  4. हम सब जिस दिन सौ टिप्‍पणियां करना सीख जाएंगे तब हमारे भी ब्‍लाग पर सौ होंगी। अभी हमें अपनी कहने की आदत है दूसरों की पढ़ने की नहीं। वैसे आपने सभी की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।

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  5. टिप्पणियाँ कीजिये तो टिप्पणिया मिलेंगी

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  6. वाह!!! क्या मज़े का व्यंग्य है!! सबकी दुखती रग है ये तो.
    "घावों को हरा कर रहे हैं,
    औ’ कहते हैं कि हम
    व्यंग्य नहीं कर रहे हैं." बहुत खूब.
    वैसे वो चित्रकारी मेरी ही है.मेरे एक अन्य ब्लौग किस्सा-कहानी पर मेरी कहानियां हैं, आपकी टिप्पणी चाहूंगी.

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  7. नव वर्ष मंगलमय हो
    गणतंत्र दिवस क़ी बधाई
    होली क़ी शुभकामनाए
    महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बधाई
    जन्माष्टमी क़ी बधाई
    रक्षा बंधन क़ी शुभकामनाए
    ईद मिलादुन्नबी मुबारक हो
    स्वतंत्रता दिवस क़ी बधाई
    नवरात्रि के अवसर पर शुभकामनाए
    दिपो के उत्सव दिवाली क़ी बधाई..
    क्रिसमस क़ी बधाई..
    चुनाव क़ी बधाई
    आई पी एल क़ी बधाई
    आज नल में पानी आया इसकी बधाई..
    चाँद निकल आने पर शुभकामनाए..
    सूरज डूबने क़ी बधाई..
    फलाने क़ी शुभकामनाए..
    ढीमकाने क़ी बधाई..
    बधाई क़ी बधाई

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  8. आपने सभी की दुखती रग पर हाथ रख दिया
    बहुत खूब.

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  9. आपको मिली एक एक टिप्पणी सौ के बराबर है भाई. लिखते चलो, और भी खूब मिलेगी-मेरी अनन्त शुभकामनाऐं.

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  10. एक टिपण्णी हमारी और से भी....अब संख्या हो गयी एक सौ तेरह....जय हो
    नीरज

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  11. haay haay ye kya keh daala maine , miyan main to itta sab yun hee keh gaya tha aur apne to bilkul seriously le liya jee, amaa aisaa thode hote hai yaar, khair matbal ye niklaa ki kahin na kahin aap sab bhee usee naav mein baithe rehte hain ek hamein hee dhakel diya paanee mein, aap sabka bahut bahut shukriyaa.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला