शनिवार, 21 फ़रवरी 2009

पहले मन्दिर वाले राम, फ़िर सेना वाले राम, और अब सुख राम, लगता है राम राज्य आ गया है.

कहाँ तो लोग चिंतित थे और इस समय को कोस रहे थे की देखो तो कैसा घोर कलयुग आ गया है। और इस अनैतिक युग में कितना अनर्थ और पाप हो रहा है चारों तरफ़। सब बकवास है, मैं तो पिछले कुछ समय से सिर्फ़ राम नाम ही सुन रहा हूँ। अजी मन्दिर, कीर्तन, भजन में नहीं तो न सही मगर यहाँ वहां , यत्र तत्र सब जगह तो बस राम ही राम है।

अब पिछले साल ही सेतु बनने तोड़ने को लेकर राम नम का राष्ट्रीय जप चल रहा था, क्या भूल गए, अजी राम सेतु के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष ने कितनी मेहनत से एक दूसरे को घसीटा लपेटा था, और दोनों ने मिल कर पूरे देश को चूसा था.अभी ये बात थमी भी नहीं थी और लो जी चुनाव आते ही मन्दिर वाले राम (हालाँकि अभी तःक उनके पास मन्दिर नहीं है और भक्तों की टोली इस चक्कर में कई बार सरकार चला चुकी है )की जे जे कार होने लगी। सबको बताया समझाया जा रहा है की ये मन्दिर ही देश का पहला और आखिरी वो जरूरी मुद्दा है जिस पर पूरे देश का भविष्य निर्भर करता है ।

इसके बाद नंबर आया हमारे सेना वाले राम का। सच कहें तो हमें तो पता ही नहीं था की राम जी के भक्तों की दिलचस्पी पब में भी सकती है (हम तो यही समझ रहे थहे की उनकी दिलचस्पी सब में है पब में नहीं )और वे नारी मर्यादा की रक्षा हेतु इतना वीर कार्य भी कर सकते हैं। वैसे मेरा तो यही मानना था की चाहे साईंस कितनी भी तरक्की कर ले, मगर यकीन्नन अभी तक राम जी को वैलैंताईं दे के बारे में कुछ भी नहीं मालूम होगा। तो क्या हुआ, भक्तों को तो मालूम था सो उन्होंने पूरी तत्परता से महिला समाज की रक्षा की । इसके बाद चूँकि अब उनका समय भी ख़त्म हो चुका था इसलिए हमें तो पूरा यकीन था की अब सब फ़िर से नास्तिक हो जायेंगे, लेकिन वाह रे हम।

देखिय एक और राम आज हमारे सामने हैं, अजी अपने सुख राम। वही महाज समाज सेवी जो बरसों पहले करोड़ों रुपैये के नोटों से भरी थैली के अटैची के साथ धर लिए गए थे। मगर उन्होंने तो कहा भी था की उन्हें नहीं मालूम की वो रुपैये किसके थे और कहाँ से आए, और इसके बाद मैंने भी कहा था की ये मेरे हैं, मुझे दे दो, फ़िर चाहे सजा भी दे देना। न उनकी बात किसी ने सुनी न मेरी, खैर। हालाँकि मुझे ताजुब है की उन्होंने इतना लंबा हाथ मारा फ़िर भी आज हमारे यहाँ कमाल की संचार क्रान्ती आ गयी। वैसे मुझे तो लगता है की इनके पूर्वजों को पहले ही पता चल गया था की ये बहुत सुख पाने वाले राम होंगे सो इनका नाम सुख राम रख दिया, मगर मुझे लगता है की अब इन्हें सुख को हटा कर कुछ और लगा लेना ही चाहिए।

चलिए खुशे इस बात की है की राम के देश में लोग राम नम नहीं भूल रहे हैं , फ़िर चाहे सबका राम नाम सत्य ही क्यों न हो रहा हो। मगर आप माने या न माने (वैसे भी आप मेरी मानते कहाँ हैं, जब भी कोई गंभीर बात कहता हूँ आप उसे व्यंग्य ही समझते हैं) मुझे तो पूरा यकीन है की इस कलयुग का अंत हो रहा है और राम राज्य आ रहा है , वो भी इतने सारे रामों वाला.

7 टिप्‍पणियां:

  1. जस्टिस डिलेड इज़ जस्टिस दिनाइड। अब मरते समय उस बुड्ढे को क्या सज़ा मिलेगी और वो चोरी का माल तो हज़म हो ही गया इन दशकों में।

    जवाब देंहटाएं
  2. मन्दिर वाले राम और सेना वाले राम के साथ इस राम को जोड़कर आपने मामले पर पर्दा डालने में सफलता पायी है। ये राम, कांग्रेस-पार्टी के राम हैं जिसके 'मि क्लीन' तक ने उस जमाने में ६५ करो।द का घूस लिया था।

    जवाब देंहटाएं
  3. aap sabka bahut bahut aabhaar, meri tarah ram rajya talaashne ke liye, bolo jai siya ram.

    जवाब देंहटाएं

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला