बुधवार, 28 जनवरी 2009

काश मेरी भी एक सेना होती .......

मेरा तो शुरू से ही ये विश्वास था की हम कलयुग से आगे निकल कर सतयुग की तरफ़ बढ़ रहे हैं, आपको अब भी यकीन नहीं है, कमाल है, किस दुनिया में हैं आप। देखिये पहले शिव जी की सेना, फ़िर बजरंग बली का दल, और अब श्री राम जी की सेना का पदार्पण हो गया है । और मुझे पूरा यकीन है की जल्दी ही जटायु सेना, अंगद सेना, जाम्बवंत सेना, और नल नील सेना भी आ ही जायेगी। इस प्रकार पूरा राम राज्य आ जायेगा।
और ये तो तय है की जब सबकी सेनायें यहाँ आ जायेंगी तो उन्हें भी देर सवेर आना ही पडेगा।

हालाँकि इन सेनाओं के पदार्पण और उसके बाद उनकी सक्रियता को देखते हुए मैंने फ़ैसला कर लिया कि, मैं बांकी सब काम धाम को छोड़ कर सिर्फ़ सेना के अध्यन और उनकी सफलताओं के बारे में जानकारी रखूंगा ताकि किसी न किसी तरह से देश सेवा तो कर ही सकूँ। चूँकि दोनों पहले की सेनाओं का काम तो मैं बखूबी देख सुन चुका था,(अलबत्ता मैं अभी तक ये नहीं समझ पाया था कि शिव जी ने संस्कृत, हिन्दी, जैसी देसी भाषाओं को छोड़ कर मराठी भाषा से इतना प्रेम क्यों दिखया इस युग में , यदि कोई चेंज चाहिए था ही तो इंग्लिश को पकड़ लेते, खैर भगवानो का मामला है , अपना क्या ) इसलिए राम जी की सेना के बारे में जानने की इच्छा हुई, जो भी जितना भी पता चला, सोचा आपको बताता चलूँ।

मैंने पहला सवाल यही किया, प्रभु सेना का पदार्पण पब में क्यों हुआ , और वो भी नारी पर अत्याचार के अभियान के साथ।
देखिया , हमने तो रब के साथ शुरुआत करने की सोची थी, मगर अचानक पब का कार्यक्रम बन गया, और क्या अत्याचार , सीता की अग्निपरीक्षा को क्यों भूल रहे हैं आप लोग। फ़िर नारियों का पब जाना क्या अच्छी बात है, एक लिहाज से हमने तो उन्हें बचाया है।
मगर महाराज इस हिसाब से देश के लाखों करोड़ों उन बेचारी महिलाओं का भी तो कुछ सोचिये जो बेचारी अपना तन मन बेचने को मजबूर हैं।
नहीं जी, प्रभु जी ने पिछले बार ही, शबरी माता का उधहार कर के चैप्टर ख़त्म कर दिया था। आगे पूछो,

श्रीमान जी, आप क्या सेना के करने वाले काम भी करेंगे , मसलन, युद्ध लड़ना, आपदा में मदद करना,आतंकवादियों से लड़ना आदि।

अबे चुप रहो, तुमने क्या हमें आम सेना समझ रखा है जो वर्दी पहन कर देश के नाम पर अपनी जान मान कुर्बान कर देते हैं, ये प्रभु जी की दिव्या सेना है, हमारा कम सिर्फ़ नैतिक विचारों को लेकर आगे बढ़ना और लड़ना है, वरना क्या श्री राम जी की सेना होने के कारण हम श्रीलंका में लिट्टे वालों से लड़ने नहीं चले जाते।

अच्छा एक आखिरी शंका का समाधान कर दें, क्या कभी ऐसा भी होगा कि एक आध सेना हमारेनाम से भी शुरू हो जाए।
चुप हो जाओ, ये कैसे सम्भव है, इंसान , वो भी आम इंसान , के नाम पर सिर्फ़ राजनीति, होती है, योजनायें बंटी हैं, घोटाले होते हैं, सेना वेना नहीं बंटी। बोलो प्रभु श्रीराम की जय .

2 टिप्‍पणियां:

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला