सोमवार, 20 दिसंबर 2010

ब्लॉगवाणी के नाम .. एक लव लेटर...झा जी की तरफ़ से



हां पूछने वाला पहला सवाल तो यही करेगा कि ब्लॉगवाणी के नाम लव लेटर ..क्यों भाई ..आखिर लव लेटर ही क्यों और वो भी किस हैसियत से । कमाल है अब ये भी आपको बताना पडेगा क्या ..कमाल है ब्लॉगर हैं तो खुद बखुद समझिए न कि ...एक पोस्ट माशूका है तो पाठक उसका आशिक और इन दोनों को एक साथ मिलाने वाले को दिल खोल कर लव लेटर न लिखा जाए तो क्या लिखा जाए । तो इसी हैसियत से ..। खैर सबसे पहले तो उनके लिए कुछ बातें , जिनके लिए ये लव लेटर लिख रहा हूं ।

प्रिय सिरिल जी एवं मैथिली जी ,आप लोगों को कभी नहीं देखा , कभी मिला भी नहीं , मगर मुझ सहित हर ब्लॉगर जिसे ब्लॉगवाणी ने अपने अंक में समेटे रखा , सजाए रखा उसने यकीनन मेरी तरह ही कभी न कभी ये जरूर महसूस किया होगा कि ..यार यदि अंतर्जाल पर ये पन्ना न होता तो फ़िर होमपेज किसे बना कर रखते । और दीवानगी तो देखिए हमारे जैसों कि अब तक मोस्ट व्हयूड पेज में भी रोज ब्लॉगवाणी ही दिखाता है ..और अब तो ये कुछ कुछ उस तरह का नौस्टेलियाजिक सा लगता है जैसा ..बरसों पहले सुन कर होता था ...ये आकाशवाणी है अब आप देवकी नंदन पांडे से समाचार सुनिए । और मुझे तो अब भी लगता है कभी कभी कि , किसी दिन सुबह अचानक जब मैं रोज की आदत के अनुसार ब्लॉगवाणी का पन्ना खोलूंगा तो ...सीता की दुविधा खत्म हो चुकी होगी ...। माना कि सीता ने त्रेता, द्वापर , से होते हुए कलियुग तक का जीवन जी ही लिया इस दुविधा में ही रहते हुए ..खैर विषयांतर नहीं करूंगा ।

मैं कह रहा था कि आज जब आप ये पत्र पढें, तो बस इतनी सी कृपा जरूर करें कि इसे एक ब्लॉगर बन कर पढें , संकलक बन कर नहीं । मुझे पूरा यकीन है कि बात ठीक ठीक आप तक पहुंच जाएगी । तो सुनिए , हिंदी ब्लॉगिंग के , हिंदी के ब्लॉगर्स से , उनकी मानसिकता से , उनकी हरकतों से ...और जितने भी ...से हैं उन सभी से आपसे बेहतर भलीभांति परिचित हैं ही .....वो तो हम पाठक ही पसंद नापसंद , हॉट कूल आदि का खेल खेलने के बावजूद पर्दे में रह जाते थे ..मगर पर्दे के पीछे से आप तो उस हमाम को देख ही रहे थे न ..तो यदि आज मैं या कोई और या और भी बहुत सारे और ....एक एक करके ब्लॉगवाणी को याद कर रहे हैं तो सिर्फ़ इसलिए कि आज बहुत से ब्लॉग्स ने अपने ड्राफ़्ट में एक सुसाईड नोट लिखे बैठे हैं ..जो धीरे धीरे अपने आप पब्लिश भी होते जा रहे हैं ...हालांकि उन्हें उम्मीद रहती है कि ..शायद कोई पत्र तो दिख जाएगा ब्लॉगवाणी पर और सब दोस्त आकर उसे बचा लेंगे खुदकुशी से । अब पाठक ही न पढेंगे पोस्टों को तो फ़िर ..इन बातों को उकेरने का फ़ायदा ही क्या ??? वैसे भी कोई कमाने धमाने तो आया नहीं हिंदी ब्लॉग्गिंग में ..जो कुछ कमा गया वो बस टिप्पणियां ही थीं और अब भी हैं ।

तो मैं कह रहा था कि इस सबके बावजूद ..आप आ जाईये , । न न न न ...बिल्कुल नहीं मैं कुछ बातें अभी ही स्पष्ट कर दूं कि मैं ये बिल्कुल भी नहीं कहूंगा कि इस बार आप जब वापस आएंगे तो सब कुछ बदल चुका होगा ......अजी लानत है जो कुत्ते की पूंछ और ब्लॉग्गर की उंगली करने वाली आदत ..बरसों बाद भी सीधी मिले ..तो आप बिल्कुल तैयार होकर आईये इस बात के लिए ..कि कुछ ज्ञानी लोग जिन्होंने इस बीच शायद कोई और पोस्ट नहीं लिखी होगी वे आपके आते ही अपना दिव्य ज्ञान पधारने आ जाएं ..तो आप अब बस ये करिएगा कि ..वो जो आपका ब्लॉगवाणी वाला ब्लॉग है न उस पर लिख कर हमारे हवाले कर दीजीएगा ..और फ़िर भी बात न बने तो सीधा गेट आऊट वाला रास्ता है ही । अब रही दूसरी बात ....तो सबको मालूम है कि न तो किसी धनाभाव के कारण ये बंद हुआ था न ही आगे अब ऐसी कोई समस्या है ...और वैसे भी यदि होती भी न तो मैं पहले ही बता दे रहा हूं कि ..बेशक आज एक मिनट को सब के सब ..वो मेज थपथपा के पास होता है न कोई विधेयक ..एकदम उसी स्टाईल में हां के साथ एक हां फ़्री सेवा चला रहे हों ...मगर जल्दी ही रोना गाना शुरू हो जाएगा ..फ़लान बताईये ..ढिमकाना हिसाब दीजीए ..अरे होता है महाराज तो इसलिए पैसा लेकर एंट्री देने ब्लॉग शामिल करने टाईप की योजना पर तो आप खुदे फ़ैसला करिएगा ..मगर आ जाईये ..फ़ौरन से पेश्तर आ ही जाईये ।

चलिए अब चलते चलते एक बात झाजी स्टाईल वाली भी बता ही दूं आपको ..देखिए मान जाईये आप ..वर्ना ऐसा न हो कि हम दिल्ली ब्लॉगर्स की मंडली सीधा आपको जादू की झप्पी देने पहुंच जाए ...हा हा हा फ़िर न कहिएगा कि ...पंगा ले लिया ....

27 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी आवाज़ भी अजय कुमार झा के साथ सुनी जाए.. सहमत

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  2. सभी ब्लोग्गर्ज़ का आग्रह ज़रूर रंग लाएगा...आप इत्मीनान रखिये

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  3. मुझे लगता है अब यह अरण्य रोदन ही है ....आपने लगता है यह मशहूर शेर नहीं सुना -तो सुन लीजिये और गाँठ बाँध लीजिये ..जैसे मैंने कभी बांधी थी और अब आप के लिए पहली बार खोल रहा हूँ ...इसलिए कि अब यह रति विलाप बंद होना चाहिए -बहुत हो गया ,हर बात की एक मर्यादित सीमा होती है ...इसलिए बंद करिए यह सब -
    बहरहाल शेर सुनिए -बाद वाली लाईन यहाँ के लिए है -
    लिखा परदेश में रहना तो वतन की याद क्या करना
    जहां बेदर्द हाकिम हो वहां फिर फ़रियाद क्या करना

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  4. यदि आवश्यकता होगी तो, राह भी निकल आयेगी।

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  5. बस जी अगर इसके बाद भी नही माने तो जादू की झप्पी ही देनी पडेगी……………

    इंतिहाँ हो गयी इंतज़ार की
    आयी ना कुछ खबर ब्लोगवाणी की
    ये हमे है खबर बेवफ़ा वो नही
    फिर वजह क्या हुयी इंतज़ार की

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  6. एक अच्छा संकलक तो उपलब्ध होना ही चाहिए ।

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  7. अरविंद मिश्रा जी ,
    बेशक आपकी बात से सहमति है सर ..मगर जो मैंने लिखा है पोस्ट में वो सच ही है ..और मुझे जो महसूस हुआ वैसा ही लिखा । हो सकता है कि कोई रुदन ही हाकिम का दिल पिघला दे ..कोशिश तो करनी ही पडेगी .और बार बार करनी पडेगी

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  8. लव लैटर
    इतना लेट
    वो भी
    खुला हुआ
    यह परंपरा
    भारतीय नहीं है
    पर आजकल
    तो यही सही है
    मैं भी इसके नीचे
    अपने सही करता हूं।

    गिरीश बिल्‍लौरे और अविनाश वाचस्‍पति की वीडियो बातचीत

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  9. ‘कमाल है ब्लॉगर हैं तो खुद बखुद समझिए न कि ......’


    जो ना समझे वो अनाडी है :)

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  10. अजय जी,

    साधुवाद, एक सार्थक प्रयास।

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  11. झा जी बहुत सुंदर आप का प्रेम पत्र लगा जी देखे अब प्रेयसी क्या जबाब देती हे, क्या युही रुठी रहे गी ओर अपने आशिक का दिल तोड देगी या थोडे नाज नखरे के बाद मान जायेगी ओर अपने आशिक की बांहो मै समा जायेगी

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  12. वैसे क्या कोई सुन भी रहा है |

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  13. ब्लॉगवाणी तो बहुत ही नखरे वाली महबूबा हो गहि है.

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  14. .
    .
    .
    आदरणीय अरविन्द मिश्र जी से सहमत,

    अब यह बार-बार की अपीलें गरिमामय तो कतई नहीं लग रहीं... यह बात कोई भी संकलक-संचालक न भूले कभी कि संकलक-ब्लॉगों का यह रिश्ता सिम्बायोटिक रिश्ता है... यदि अपने दौर में कोई संकलक सफल रहा तो इस सफलता में उस दौर के ब्लॉगरों का योगदान कम नहीं होगा, उन के द्वारा उठाये मुद्दे, विवाद, बहसें व उनके आलेखों ने ही पाठक को बार-बार खींचा होगा संकलक की ओर...

    आईटी नये दौर की इकॉनामी है... आपको ई-मेल देने वाला या ब्लॉग लिखने के लिये प्लेटफार्म देने वाल भी तो यह सेवायें निशुल्क दे रहा है... पर न वो इतने नखरे दिखाता है न ही यह चाहता है कि आप हर समय उसके प्रति कृतज्ञता के बोझ से झुके केवल स्तुतिगान ही करते रहें... अपने को ही हमेशा सही समझने का हक किसी को भी नहीं दिया जा सकता...

    हिन्दी ब्लॉगिंग मे यदि वाकई दम होगा तो नये दौर का प्रोफेशनल संकलक लेकर भी आयेगा कोई न कोई... यह दौर आईबॉल्स व पेजहिट्स का है... और उम्मीद यही रहेगी कि यह आने वाला छोटी-छोटी तुच्छ आलोचनाओं से व्यथित न होकर और उत्साहित होगा... अब देखिये न गूगल बाबा को क्या-क्या नहीं कहा जाता दुनिया में... पर कहीं आलोचनाओं से घबरा कर उसने अपनी सेवायें समेटी?... और आज तो वह व्यवसायिक-आर्थिक तौर पर भी सफल हैं...

    संचालकों के शब्दों में ही ब्लॉगवाणी अब 'इतिहास' बन चुकी है... मेरे विचार में हमें ब्लॉगवाणी के संचालकों को अंतिम बार आभार व्यक्त करते हुऐ इस किस्से को यहीं खत्म कर देना चाहिये...


    ...

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  15. आपके तर्कों से पूरी तरह सहमत प्रवीण शाह जी ...और ये भी तय है कि , कोई न कोई विकल्प भी देर सवेर मिल ही जाएगा ब्लॉगर्स को ..मगर इसके बावजूद ब्लॉगवाणी की लोकप्रियता और उसकी उपयोगिता को यूं हटात ही भुलाया भी नहीं जा सकता और अंतर्जाल पर ऐसा कोई भी इतिहास नहीं है जिसे रिफ़्रेश बटन दबा के आप जिंदा न कर सकें ।

    ब्लॉगवाणी ने जब आना होगा या न भी आना होगा ये तो भविष्य ही बेहतर बताएगा मगर उसका एक आकर्षण एवरग्रीन चार्म की तरह बरकरार रहेगा ..वर्ना हमने तो हिंदीब्लॉग्स , नारद अक्षरग्राम , और कई सारे संकलंकों को इतिहास बनते देखा ही है ..मगर लगता है कि सभी लौटेंगे एक न एक दिन ..बस वो दिन जरा जल्दी आ जाए यही प्रयास करेंगे । अपने बेबाक विचार रखने के लिए शुक्रिया

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  16. अजय जी ब्लागवाणी के वापिस आने के लिये हम अभी भी आशा लिये बैठे हैं आपका प्रयास सफल हो यही कामना है। आप सब ब्लागवाणी के दफ्तर जा धमकिये। वो जरूर मान जायेंगे। शुभकामनायें।

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  17. ब्लॉगवाणी से स्नेह है, बेहद स्नेह है, किन्तु एक सीमा के बाद तो स्वयं से भी यूं बारम्बार अनुरोध नहीं किया जा सकता, अन्य तो अन्य ही है.ब्लॉगवाणी के लिए मन में सदा स्नेह व आदर रहेगा.यदि वह लौटी तो बेहद खुशी भी होगी.अभी तक उसे अपने ब्लॉग पर चिपकाए बैठे हैं.
    आप की पुकार वह सुन ले तो बहुत खुशी होगी.
    घुघूती बासूती

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  18. हम आप से सहमत और आप के प्रयास को साधूवाद्।

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  19. कुछ ज्ञानी लोग जिन्होंने इस बीच शायद कोई और पोस्ट नहीं लिखी होगी वे आपके आते ही अपना दिव्य ज्ञान पधारने आ जाएं

    मुझे भी लगता है कि यही होगा भी!!!

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  20. बार-बार की अपीलें गरिमामय तो कतई नहीं लग रहीं

    ब्लॉगर साथियों की बात से सहमत

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  21. सार्थक प्रयास......हम आप से सहमत है

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  22. क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
    आशीषमय उजास से
    आलोकित हो जीवन की हर दिशा
    क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
    जीवन का हर पथ.

    आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं

    सादर
    डोरोथी

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  23. आपका प्रयास सराहनीय है अजय जी।

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  24. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  25. जादू की झप्पी देना जरूरी लग रहा है.

    लेकिन एक बात और कहूँगा

    इतना मत पूजो कि पत्थर देवता हो जाएगा
    इतना मत चाहो कि हमदम बेवफा हो जायगा.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला