मंगलवार, 23 नवंबर 2010

हिंदी पोस्टों/ ब्लॉगर्स के प्रति केवल एक नॉन ब्लॉगर ही निष्पक्ष रह सकता है ...दिल्ली से तिलियार ..एक कार सफ़र विमर्श ..रिपोर्ट नं १


इस बार , वर्षांत पर लगता है ब्लॉगर्स का मेला लगा ही रहेगा अभी । पिछले रविवार को ही समीर लाल जी उर्फ़ उडनतश्तरी जी के सान्निध्य में सभी को उन्हें जानने बैठने का मौका मिला था । अब अब राज भाटिया जी ने इस रविवार यानि परसों सभी को रोहतक बुला भेजा । मेरे लिए तो इन सम्मेलनों में हिस्सा लेना ऐसी बैठकों में शिरकत करने का आदेश उसी तरह से होता है जैसे कि एक फ़ौजी को फ़्रंट पर पहुंचने के लिए आदेशित किया जाता है । हालांकि इधर कुछ दिनों से कार्यालय और घर पर भी व्यस्तता का आलम कुछ ऐसा बना हुआ है कि समझ ही नहीं आ रहा कि कब सुबह हो रही है और कब शाम । तो इससे पहले कि मैं इस बैठक की रिपोर्ट की तरफ़ बढूं , कुछ और सूचनाएं भी आपको देता चलूं । संभावना है कि अगले महीने किसी तारीख को एक और कार्यक्रम दिल्ली में ही आयोजित किया जाए अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है होते ही सूचना दी जाएगी । और एक निजि सूचना मेरी तरफ़ से ये कि मैं इस साल के अंतिम दिनों में शायद छत्तीसगढ की पवित्र भूमि के दर्शन कर सकूंगा ।खैर, ये सब तो भविष्य की बातें हैं अभी तो आप रोहतक झील चलिए मेरे साथ ।

इस कार्यक्रम की सूचना मिलते ही सभी वहां पहुंचने की तैयारी में लग गए थे । इससे संबंधित कई मजेदार बातें हुईं जो मैं आपको इस रिपोर्ट की आखिरी किस्त में बताऊंगा । आखिरकार हुआ ये कि मुझे खुशदीप भाई ने आदेश दिया कि मैं , उनके और सतीश सक्सेना जी के साथ चल रहा हूं और मैं शनिवार शाम को उनसे बात कर लूं । मगर किन्हीं कारणों से मेरी बात नहीं हो पाई सतीश जी से । सुबह सुबह जब फ़ोन पर देखा कि सतीश जी की टिप्पणी ब्लॉगवार्ता पर आई है तो मुझे पता चल गया कि वे जगे हुए हैं और कंप्यूटर पर हैं , पूछने पर पता चला कि वे बस निकलने वाले हैं । मुझे अभी समय लगने का अंदेशा था सो उनसे आगे बढने को कहा । मगर उन्होंने और खुशदीप भाई ने कहा कि वे कुछ देर प्रतीक्षा कर लेंगे , मेरे बताए किसी स्थान पर । अब मैं फ़टाफ़ट तैयार होकर निकलने की तैयारी में लग गया । घर पर गांवे से आये कुछ मेहमान और बच्चे सभी सो रहे थे । नहाने धोने के बाद आलमारी से कपडे निकालने के बजाय मुझे अभी दो दिन पहले निकाला और शादी समारोह में पहना गया अपना सूट दिख गया मैं भी बिना सोचे उसे टांग कर चलता बना । मुझे क्या पता था कि इन कपडों के चक्कर में मेरी तगडी खिंचाई होनी है बाद में ।

मैंने खुशदीप भाई और सतीश सक्सेना जी को जिस स्थान पर रुकने के लिए कहा था जरा उस स्थान के बारे में भी जान लें । दिल्ली के गीता कॉलोनी के पास स्थित ..शमशान घाट के पास । अब मैंने सोचा कि शमशान घाट ही वो स्थान है जिसे ढूंढना ज्यादा मुशकिल नहीं होता ..(.यदि आप न भी ढूंढें तो किसी न किसी दिन तो पहुंच ही सकते हैं ) और जब सतीश जी ने देखा कि वो कौन सी जगह है तो बेसाख्ता हंस पडे । अगली सीट पर खुशदीप भाई और सतीश सक्सेना जी विराजमान थे और पिछली सीट पर देखा तो ...अरे ये तो अपने शाहनवाज़ भाई निकले ..वो भी अपने लैपटॉप और नेट के साथ । बस अब हम निकल चले । जहां चार यार ....चार ब्लॉगर्स हों और वहां ब्लॉगिंग की बात न हो ऐसा भला हो सकता है क्या ? हालांकि हमारी बातचीत शुरू हुई , पिछले कुछ दिनों से ब्लॉगर साथियों के निजि जीवन में घट रही दुखद घटनाओं से हुई और फ़िर सबने ये महसूस किया कि अब भी जो सामाजिक अपनापन , जो आपसी स्नेह , जो सहभागिता छोटे गांवों , कस्बों में देखने समझने को मिलती हैं अब वो बात शहरों में कहां ??

यहां बात बात में खुशदीप भाई ने जिक्र किया अपने होनहार भतीजे करन के बारे में । उन्होंने उसकी काबलियत और खूबी के बारे में बताते हुए बहुत सी ऐसी जानकारियां दीं जो न सिर्फ़ मेरे लिए बल्कि हम सभी के लिए नई और अनोखी थी ।


उनका होनहार भतीजा ..carbon credit ..विषय पर मास्टर्स डिग्री ले रहा है । हमारे लिए ये शब्द ही बिल्कुल नया था । जब जानना चाहा तो सतीश सक्सेना जी और खुशदीप सहगल जी ने बताया कि , पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जो वैश्विक उपाय अपनाए जा रहे हैं उनमें से एक है carbon credit ..| असल में ये कार्बन क्रेडिट एक तरह का बोनस प्वाइंट जैसा है ,,यानि जो भी औद्योगिक , रिहायशी ईकाई ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाएंगी , जितनी भी कमी वे ला सकेंगे उसके अनुसार उन्हें ये कार्बन क्रेडिट दिया जाएगा और इन वैश्विक क्रेडिट को बाद में आर्थिक फ़ायदे में बदला भी जा सकता है यानि जिसके पास इन क्रेडिट की कमी है उन्हें ये क्रेडिट प्वाइंट बेचा जा सकेगा । इसका मतलब ये हुआ कि भारत सहित तमाम विकासशील और पर्यावरण में संतुलित देश इस कार्बन क्रेडिट से बहुत कुछ पा सकेंगे । है न कमाल की बात । इससे आगे , इसके बारे में भाई खुशदीप सहगल ही अपनी किसी पोस्ट में बताएं तो बेहतर होगा ।

इसके बाद बात घूमफ़िरकर मेरे ऊपर आ गई और सतीश सक्सेना जी ने फ़िर टिप्पू चाचा को याद किया । उन्होंने बडे ही विश्च्वास के साथ कहा कि मैं मानूं या न मानूं मगर लोग अब भी मानते हैं कि टिप्पू चाचा नाम का आभासी चरित्र मैं ही थी । और मुझे पुन: विस्तार से बताना पडा कि किस तरह से मुझे टिप्पू चाचा के साथ जुडने का आमंत्रण मिला और फ़िर बाद में किन परिस्थितियों में उनका वो साझा ब्लॉग छोडना पडा क्योंकि मुझे नकाब के भीतर बैठे किसी ब्लॉगर से कोई शिकायत नहीं , तब तक , जब तक कि उसकी मंशा नकारात्मक न हो । चाहे वो जलजला हों , अम्मा जी , उस्ताद जी हो , या फ़िर कि आजकल दिख रही मुन्नी बदनाम हो । मैंने दो बातें कहीं जो मैंने अब तक ऐसे अनुभवों से जान व महसूस कर चुका था , पहली बात ये कि , इन तमाम मुखौटों के पीछे कोई न कोई पके पकाए खांचे ही थे , वर्ना ऐसा कम ही हुआ था कि , कोई मासूम आते ही मासूमियत से भरा हुआ चेहरा लेकर पूरे ब्लॉगजगत की पोस्टों का उद्धार करता फ़िरे । दूसरा और ज्यादा दमदार निष्कर्ष ये कि कोई लाख गंगा जमुना में घुसकर कहे , चाहे सच का सामना की गद्दी पर बैठ कर बोलता हो कि ....हम तो निष्पक्ष हैं .....मगर यदि वो खुद ब्लॉगर है तो ...........तो ये हो ही नहीं सकता , जैसा कि कई लोग बाग दावियाते देखे पाए गए हैं । वैसे यहां मुझे एक बात समझ नहीं आई कि , दिखाने वाले देर सवेर यहां , अपनी पोस्टों, टिप्पणियों से अपनी औकात दिखाने वाले सभी जब अपने चेहरे के साथ ही ये सब कर लेते हैं , पा लेते हैं तो फ़िर अब इससे कितने ज्यादा के लिए मुखौटा पहनते हैं , । और इसी कारण से फ़िर एक दिन मुझे मजबूर होकर टिप्पू चचा नामक जिनियस ( जी हां इतना तो एहसास है मुझे कि वो कोई न कोई जिनियस ही था, या कि है )से अपनी साझेदारी को हटाना पडा क्योंकि मैं उन दिनों वहां लिखी जा रही कई टिप्पणियों का साझेदार नहीं बनना चाहता था । और इन सब बातों के बीच हम रास्ता नापते रहे ..बीच में पडे ..अरे कहां पर ..अरे क्या था यार वो ...हां बहादुरगढ ...में मशहूर बिल्लू के पकौडे भी स्क्रिप्ट में आने के हकदार हो रहे थे ।



हम तिलियार के करीब पहुंचने को थे .......................अरे आज नहीं कल पहुंचते हैं न ....






हम रिपोर्ट तैयार करने का मूड बनाते हैं









26 टिप्‍पणियां:

  1. अजय जी आपका हर फोटो एक दूसरे से मेल नहीं खाती, क्‍या बात है? ब्‍लाग सम्‍मेलन से पहले की रिपोर्ट अच्‍छी लगी।

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  2. http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/11/blog-post_9611.html

    maene is link par bhi is meet kae upar kuchh diyaa haen aap ki nigah pad jaatee to dhnay ho jatee

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  3. गजब भईया गजब ...... रिपोर्ट भी और आप भी !!

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  4. लगता है हम एक ब्लागर को न पढ़कर अपनी पारिवारिक पोस्ट पढ़ रहे हों ! इस पूरे सफ़र में यह महसूस ही नहीं हुआ की हम एक दुसरे के प्रति अनजान जैसे हैं ! खास तौर पर आप,राज भाटिया जी, अंतरसोहिल , खुशदीप मियां और शाहनवाज भाई बधाई के पात्र हैं !
    सादर

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  5. रचना जी , नज़र तो मेरी पड चुकी है और मैं पढ भी रहा हूं लगातार उन दोनों पोद्टों को , मगर मुझे लगा कि मैं टिप्पणी के माध्यम से दोनों ब्लॉगों से एक साथ रूबरू हो सकूं इसके लिए मुझे पोस्ट ही लिखनी होगी ..आ रहा हूं ब्लॉग बकबक पर यही सब लेकर ..जस्ट झाजी कट ...मुझे उम्मीद है कि सबको कुछ न कुछ जवाब तो मिल ही जाएगा

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  6. वैसे इस आखरी फोटो में कोनो ग़ज़ल सुना रहे है क्या ?

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  7. आपने तो पूरा का पूरा सफ़र ही करा दिया भई
    dabirnews.blogspot.com

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  8. आगे की कड़ी का इंतज़ार रहेगा। बढि़या लेख---और बढ़िया फोटो, अच्छा तो मैं और अकेला जी लंच के बाद 15 मिनट चिड़ियाघर में टहलने निकल गये और उस दौरान यह सारा फोटोशूट हो गया---कोई बात नहीं आगे से ध्यान रखेंगे।

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  9. बहुत ही ज्ञानवर्धक रिपोर्ट. अच्छा लगा पढ़ के

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  10. बहुत बढ़िया रिपोर्ट जनाब

    आप तो बहुरुप्पिया हो यार - हर जगह रूप बदल रहे हो :)

    बाकी कार्बन क्रेडिट पर मैंने भी एक प्रोजेक्ट में यूरोप में काम किया था और ये बहुत ही संदर्भित रहेगा आने वाले समय में !

    शुभकामनायें - दांत कैसा है आपका अब :)

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  11. बढिया.......

    लिखते रहिये....
    इन्तेज़ार में हैं.

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  12. झा जी, अच्छी बातों से रूबरू कराया...
    मेरा एक भाई भी इसी कार्बन/सिलिकान के चक्कर में बाहर जा रहा है..
    आपके साथ पीछे बच्चा कौन है... इसका भी परिचय कराइये..

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  13. जब कल पहुँच जाओगे..तब टिप्पणी करेंगे न!!

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  14. जान कर अच्छा लगा कि दिसंबर में भी कोई सम्मेलन होगा.. हम भी शामिल हो सकेंगे.. रोचक विवरण दादा..

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  15. झा जी,
    तनिक ये तो बताइए कि दिमागवा में कितने जीबी फिट कराए हो...जो छोटी से छोटी बात भी नहीं भूलता...मुर्गी से सोने के अंडे लेना तो कोई आपसे सीखे...अपुन तो एक झटके (पोस्ट) में ही मुर्गी का काम तमाम कर देते हैं...

    जय हिंद...

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  16. वाह क्या बात है झा जी!!! हर एक बात गहराई से याद है आपको, कमाल है! बहुत ही यादगार रहा यह ब्लोगर मिलन..... तिल्यार में..

    आगे की कड़ियों का इंतज़ार हो रहा है......

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  17. रोहतक ने आनन्दित कर दिया।

    करन से कार्बन क्रेडिट पर बात कर एक पोस्ट लिखने का जुगाड़ तो है ही।

    आप तो फोटो में सब पर कहर बरपा रहे हैं।

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  18. अभी तो सतीश भाई के कैमरे का कमाल दिखा रहे है अपने खीचे फोटो तो अजय भाई ने छुपा रखे है अगली पोस्ट के लिये |

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  19. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  20. आज बुखार से उठ पाये हैं, अब रोहतक मिल्लन की पिछली पोस्ट बांच कर मालूम पडेगा कि क्या क्या हुआ. ना पहुंचने का मलाल रहेगा.प्रणाम.

    रामराम.

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  21. चलिए आप हैं तो (खबरों की नहीं)खबरें मिल रही हैं.

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  22. ये तो और भी उमदा रिपोर्टिन्ग है। चलो अच्छी जानकारी मिली। शुभकामनायें।

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  23. बढ़िया एवं विस्तृत रिपोर्ट...
    अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा...
    फोटो में जमाई राजा..ऊप्स!...सॉरी... जम रहे हो :-)

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला