अभी हाल ही में पूछा गया कि बताईये कौन चुनेंगे , लाल कि शुक्ल ? लो अव्वल तो यही पता नहीं कि पूछा किससे गया था , लेकिन अब चूंकि ब्लोगजगत पर पूछे गए हर सवाल को हम जरा निजि रूप से ले लेते हैं , अब यार इस तर्ज़ पर ये मत कह बैठना कि फ़िर ऐसा क्या ब्लोगजगत पर दी जा रही बेशुमार गालियों के लिए भी क्रेडिट लेने को तैयार हैं क्या आप ? तो मैं कह रहा था कि जब सवाल पूछ ही लिया गया, ये संभावना व्यक्त की जा सकती है कि इस बार उन्होंने मानसिक रूप से हलचला के नहीं बल्कि मन के सिक होने के कारण ऐसा पूछ ही डालने की सोची हो , और मेरे विचार से तो सबको एक एक करके ये पूछते रहना चाहिए कि , फ़लाना और ढिमकाना में से फ़ोटो में कौन सुंदर दिखता है , किसकी पंच लाईन , ब्लोग टाईटल, किसका परिचय आपको ज्यादा प्रभावित करता है , हां औपशन कम होंगे तो उफ़ान उतना ही अधिक होगा ये पक्का है । तो जब ये पूछा ही गया था तो सब के सब शर्मीले हमारे भाई बंधुओं ने बिना एक की भी साईड लिए जाने कौन कौन बात कह गए । वैसे देखा जाए तो गलती उनकी भी नहीं थी ।
दरअसल जबसे भारत में सबने कौन बनेगा करोडपति देखा है तभी से सबको कम से कम चार औपशन की आदत पड गई है , ए बी सी डी , वो भी तब जब साथ में फ़ोन अ फ़्रेंड , और पब्लिक वोटिंग की लाईफ़ लाईन भी हो , तो ऐसे में बिना इन सुविधाओं के भला हमारे निरीह और मासूम ब्लोग बंधु लोग कैसे जवाब देते डायरेक्टली । मगर हम ठहरे जरा से कठपिंगल टाईप प्राणी , सो हम दिए देते हैं वो भी बिना लाग लपेट के , क्योंकि सुना है कि बिना लाग लपेट के जो कहा जाए वही सच है , फ़िर चाहे इस सच में आप कितनों को ही लपेट के लाग/आग लगा दो ।
त हमारे लिए तो उत्तर बनता है ,,,,निश्चित रूप से समीर लाल ....भला और कौन । अपने उडनतश्तरी जी कनाडे वाले । लो इसके लिए हमारे पास पूरे वाजिब कारण भी हैं भाई । आईये आपको भी एक एक करके बताते हैं । हमारे समीर लाल जी एक अकेले ऐसे ब्लोग्गर हैं जो एलियन हैं , माने कभी भी कहीं भी की तर्ज़ पर , उनका वाहन है उडनतश्तरी । तो अब ये बात तो कोई भी समझ सकता है इंसान हो या शैतान , उसका एलियन से क्या जोड और क्या मुकाबला , फ़िर शुक्ल जी तो सिर्फ़ ब्लोग्गर भर हैं ।
अब बात दूसरी , शुक्ल जी ठहरे घोर फ़ुर्सत में रहने वाले फ़ुर्सतिया , अब फ़ुर्सत में रहेंगे तो मौज उठनी तो स्वाभाविक है ही । दूसरी तरफ़ अपने उडन जी सर्वाधिक व्यस्त । सबको पढने में , न सिर्फ़ बांचने में बल्कि टीपने में भी , हौसला बढाते सबको सब जगह मिल ही जाते हैं , तो इसलिए भी हम समीर लाल को चुनते हैं ।
शुक्ल जी चिट्ठाचर्चा करते हैं जबकि चिट्ठे खुद उडन जी की चर्चा करते रह्ते हैं । न हो तो चिट्ठाजगत है न , हाथ कंगन को आरसी क्या पढे लिखे को फ़ारसी क्या , चिट्ठाजगत खुद हर ब्लोग का परिचय जब मेल बक्से में करवाता है तो उसके साथ एक गिफ़्ट वाऊचर के रूप में उडन जी की पंक्तियां भी आती हैं , और उसके कुछ देर बाद खुद उडन जी भी प्रकट हो ही जाते हैं अपने एयर फ़ोर्स वन में बैठ के । तो फ़िर ....कौन .....जी हां समीर लाल ।
किसी भी आते हुए ब्लोग्गर का स्वागत हो , या किसी भी रूठे हुए जाते हुए ब्लोग्गर को मनाने की बात , उडन जी हर जगह अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हैं । शुक्ल जी कित्तो फ़ुर्सत में रहें टीपने से बढिया उद्दम उनको मौज लेना ही लगता है , सो अपनी फ़ौज ( अब यार भगवान के लिए फ़ौज का मतलब यहां सिर्फ़ उनके शब्द और शैली को ही समझना, बाई गौड सब के सब पक्के समझियास्टिक हैं ) के साथ वे भरपूर मौज लेते हैं । तो हमें तो फ़िर से समील लाल ही .....
चलते चलते एक बात और क्लियर करते ही चलें , बेशक सबको पूरी छूट है कि इस पोस्ट को किसी भी नज़रिए से देखा जाए ( अब मेरे कहने भर से तो आप अपना नज़रिया बदलने से रहे तो ऐसा ही सही ) और हां यदि कल को कोई हमें ब्लोगिक्ली (ऊ पब्लिकली होता है न वैसे ही ), समीर जी का चेला घोषित कर दे , तो कर दे , हमे खुशी ही होगी , शुक्ल जी कौन सा हमें कनाडा का वीज़ा दिलवाएंगे , ज्यादा हुआ तो एक ठो बंदूक खरीद देंगे कि चलाओ ....।
और एक बात का अफ़सोस रहबे करेगा कि यदि ऊ पोस्ट में औप्शन का औप्शन रखा जाता तो हमें यकीन था कि , अगला नंबर में हम , पांडे , मिश्रा , झाजी , द्विवेदी जी के सरनेम वाले ब्लोग्गर ही आते ......काश कि इस पर कोई सीरिज़ चालू हो ...........
अरे झा साहब जब एक आदमी पर ढेर सारी पोस्ट आ जाए और सामने वालों को अपना जनाधार समझ में न आए तो इसे क्या कहेंगे।
जवाब देंहटाएंभाइयों ईमानदारी से क्यों नहीं मान लेते कि अब आपकी पूछ-पऱख कम हो चुकी है। वह दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था बंधुवर।
अरे मैं तो भूल ही गया- क्या है कि जिनको नेतागिरी करने की आदत होती है जब उनका जनाधार खिसकता है तो वे यह मानने को तैयार ही नहीं होते हैं कि जनता उनके पीछे नहीं है। धीरे-धीरे जब गले में फूलमालाओं की संख्या कम हो जाती है तब इसका अहसास होता है। हां दलाल किस्म के कार्यकर्ता हमेशा चिपके ही रहते हैं। वह भी इसलिए कि भैय्या जी कभी कुछ उनके लिए किया था।
बहुत बढ़िया --कुछ छोड़ा ही नहीं । बस एक बात और --एक समीर लाल जी ही हैं जिनकी तकरीबन आधी पोस्ट्स पर १०० से ज्यादा टिप्पणियां आती हैं। कोई शक !
जवाब देंहटाएंहां एक बात तो कहना भूल ही गया
जवाब देंहटाएंबधाई...
man prasann kar diya bhai..........
जवाब देंहटाएंबेबाक राय।
जवाब देंहटाएंउत्तम प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया, हिंदी के प्रसार प्रचार में समीर जी के निस्वार्थ योगदान को भुलाया नहीं जा सकता!
जवाब देंहटाएंअजय भाई !
जवाब देंहटाएंमस्त लिखते हो यार , समीर भाई की फोटो गज़ब की लगाई है ! थोड़ी देर पहले अनूप शुक्ल के ब्लाग पर जो कमेन्ट दिया है, आपके लिए नज़र है ...
अनूप भाई !
यह विवाद बेहद खेद जनक है निस्संदेह इससे आप दोनों की, हिंदी समाज की वाकई बेईज्ज़ती हुई है …
सवाल आप दोनों का कम और चर्चाकारों का अधिक है, मुझे लगता है कि कहीं न कहीं आप लोगों के प्रसंशकों ने दो अलग खेमें बना डाले हैं, और उन खेमों में आप लोगों की रोज आरती हो रही है ! कैसे लोग हैं यह सब, जिन्होंने अपनी पीठ पर दो मनुष्यों का नाम लिख लिया और अब अखाड़े में दो दो हाथ करने को तैयार बैठे हैं ! शायद अंगरेजी भाषा के ब्लागर इसीलिये हमें हेय समझते हैं !
मेरी आपसे करवद्ध प्रार्थना है कि अपनी पूरी ईमानदारी के साथ, बिना किसी से राय लिए, मान अपमान भूल आगे आयें और दिल से मनभेद मिटा, जो कार्य आप लोगों ने शुरू किया , उसे आगे बढायें !
दुखित मन से
आपका
अजय भाई ,
जवाब देंहटाएंइ पोस्टवा तो गज़ब ही लिखे हो .....सारे तीर तरकश से छोड़ दिए....
बहुत बढ़िया....
.
तोलम ताली
जवाब देंहटाएंबजाओ ताली
न दो गाली
अच्छा लगता है
ब्लॉगिंग में हर
सपना सच्चा लगता है।
भाई अजय कुमार झा जी
जवाब देंहटाएंसबसे पहले मै आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ की जो बात मै लिखने जा रहा था वह आपने अपने विचारों के माध्यम से ब्लॉग में प्रगट कर दी हैं . मै आपके विचारो से सौ फ़ीसदी सहमत हूँ . समीरजी को बिना जाने परखे उनके बारे में कुछ भी लिख देना मेरी समझ से बेमानी है . समीरजी शांत प्रवृति के विशाल ह्रदय के स्वामी है . वे एक अच्छे कवि रचनाकार लेखक हैं . हमेशा ब्लागरों को प्रोत्साहित करते रहते हैं और इंटरनेट जगत में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए निस्वार्थ भाव से जुटे रहते हैं यह सभी को भंली भांति विदित हैं . पन्द्रह दिनों पर घरेलू कार्य होने के कारण नेट को समय नहीं दे पा रहा हूँ . आजकल जो चिटठा चर्चा समूह विशेषो द्वारा की जा रही हैं वही गुटबाजी का कारण बन रही हैं . चरचाकारो द्वारा एक दूसरे समूह को पछाड़ने के लिए तरह तरह की गन्दी युक्तियाँ प्रयुक्त की जानी लगी हैं . अच्छे कलमकार को अपमानित करने के लिए हिंदी ब्लागिंग जगत के वातावरण विषाक्त करने की कोशिशे नामी - बेनामियों द्वारा की जा रही हैं . . समीर भाई के व्यक्तित्व और कृतित्व को जाने समझे वगैर जिसने जो भी लिखा हो वह मेरी समझ से बेवकूफ प्रतीत होता है . जब विषय चुक जाते हैं तो आदमी आलतू फालतू हरकतें करने लगता हैं जिसकी यह एक कड़ी है . ब्लागिंग जगत में इस तरह के माहौल से विश्व जगत के समक्ष हिंदी भाषा की छबि खराब होगी ... एसा मेरा मानना है . यह टीप मै दुखित मन से प्रेषित कर रहा हूँ ..
आभार
महेंद्र मिश्र
भाई अजय कुमार झा जी
जवाब देंहटाएंसबसे पहले मै आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ की जो बात मै लिखने जा रहा था वह आपने अपने विचारों के माध्यम से ब्लॉग में प्रगट कर दी हैं . मै आपके विचारो से सौ फ़ीसदी सहमत हूँ . समीरजी को बिना जाने परखे उनके बारे में कुछ भी लिख देना मेरी समझ से बेमानी है . समीरजी शांत प्रवृति के विशाल ह्रदय के स्वामी है . वे एक अच्छे कवि रचनाकार लेखक हैं . हमेशा ब्लागरों को प्रोत्साहित करते रहते हैं और इंटरनेट जगत में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए निस्वार्थ भाव से जुटे रहते हैं यह सभी को भंली भांति विदित हैं . पन्द्रह दिनों पर घरेलू कार्य होने के कारण नेट को समय नहीं दे पा रहा हूँ . आजकल जो चिटठा चर्चा समूह विशेषो द्वारा की जा रही हैं वही गुटबाजी का कारण बन रही हैं . चरचाकारो द्वारा एक दूसरे समूह को पछाड़ने के लिए तरह तरह की गन्दी युक्तियाँ प्रयुक्त की जानी लगी हैं . अच्छे कलमकार को अपमानित करने के लिए हिंदी ब्लागिंग जगत के वातावरण विषाक्त करने की कोशिशे नामी - बेनामियों द्वारा की जा रही हैं . . समीर भाई के व्यक्तित्व और कृतित्व को जाने समझे वगैर जिसने जो भी लिखा हो वह मेरी समझ से बेवकूफ प्रतीत होता है . जब विषय चुक जाते हैं तो आदमी आलतू फालतू हरकतें करने लगता हैं जिसकी यह एक कड़ी है . ब्लागिंग जगत में इस तरह के माहौल से विश्व जगत के समक्ष हिंदी भाषा की छबि खराब होगी ... एसा मेरा मानना है . यह टीप मै दुखित मन से प्रेषित कर रहा हूँ ..
आभार
महेंद्र मिश्र
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत मस्त फ़ोटो लगाई जी आप ने बहुत सुंदर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपके इस आलेख ने मेरे ख्याल से इस विवाद की इतिश्री कर दी होगी !! सच में समीर भाई का कोई जवाब नहीं !! नया और कुछ नहीं कहना है ........आप ने हम सब की दिल की बातो को शब्द दे दिए है ...........बहुत बहुत आभार !!
जवाब देंहटाएंआपके पुराने मित्र है, हो सके तो आप भी ज़रा मिल आये, हम तो हो आये !!
http://hindiblogjagat.blogspot.com/2010/05/blog-post_12.html
नामी-गिरामियों की ओर से तो
जवाब देंहटाएंकोई पहल अब तक नही हुई!
चलो मैं ही माफी माँग लेता हूँ!
अब विवाद को शान्त कीजिए!
नए/ पुराने ब्लॉगरों के लिए:
जवाब देंहटाएं> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि मिथिलेश जैसा युवक ऐसी भाषा का प्रयोग क्यों कर रहा?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि आशीष खंडेलवाल जैसे लोकप्रिय ब्लॉगर ने अपने ब्लॉग पर ट्रिक्स-टिप्स लिखना क्यों छोड़ दिया?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि मुझ जैसे स्वभाव वाले की जबान पर कड़वाहट क्यों आ जाती है?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि पिछले दिनों से समीर लाल की 'हिन्दी सेवा' पर कटाक्ष, लगातार क्यों तीव्र होते जा रहे हैं?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि विवाद की शुरूआत कौन करता है?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि किसी भी विवाद को खड़ा करने वाला ब्लॉगरी में कितना समय बिता चुका?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि परिणामों के बारे में सोचना भी चाहिए
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि क्यों कुछ करने का ठेका वही ले जिसे निशाना बनाया गया
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि ...
बहुते बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसुनिए, समीर लाल, द साउंड ऑफ साइलेंस...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
एक कहावत नया-नया ड्राईवर ज्यादा भौंपू बजाता है।
जवाब देंहटाएंकिसी को भी कुछ भी कह रहे हैं।
लगता है कि झगडने के लिये ही आते हैं और टिप्पणी करते हैं।
प्रणाम
बहुत सही कहा है झा जी आपने,
जवाब देंहटाएंसमीर भाई ब्लागजगत के चहेते ब्लागर हैं।
सभी नए ब्लागर आते ही दो चार दिन में
उड़नतश्तरी सवार एलियन के दर्शन पा ही जाते हैं।
अब ऐसे सम्मानीय ब्लागर की मौज लेने को कौन बर्दास्त करेगा?
आपसे 100%सहमत
उधर हमारे प्रिय मित्र गिरीश बिल्लौरे जीब्लागिंग को अलविदा कह गए हैं
जवाब देंहटाएंये क्या हो रहा है?
राम राम
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमित्र ढपोरशंख जी ,
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन । आपके तेवर बता रहे हैं कि आप एक बहुत ही सुलझे और पुराने ब्लोगगर हैं । मैंने अपने ब्लोग पर मोडरेशन नहीं लगाया इसलिए कि सबको अपना कहने का अधिकार है छपने का भी । आपने अपने मन की बात कही अच्छा लगा । मगर मैं भाषा और शैली के बारे में हमेशा ही एक फ़र्क करना चाहता हूं कि ये लेखन और गली मोहल्ले में आम बोलचाल से थोडी तो अलग हो ही । आप की टिप्पणी खेद के साथ इसलिए मिटा रहा हूं कि ये बातें आप अपनी पोस्ट में कहें तो और भी बेहतर रहेगा ।
आभार..आपका सबका स्नेह है.
जवाब देंहटाएं.........उत्तम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसमीर भाई के व्यक्तित्व और कृतित्व को जाने समझे वगैर जिसने जो भी लिखा हो वह मेरी समझ से बेवकूफ प्रतीत होता है
जवाब देंहटाएंकहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली
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