सोमवार, 5 अप्रैल 2010

ओह आज तो यही मूड है जी ......

छुट्टी के बाद अक्सर जो पहला दिन होता है कार्यालय में वो बहुत ही थकान देने वाला रहता है खासकर सोमवार तो अवश्य ही । ऐसा लगता है कि शुरूआत में छक्का मारने की नीयत जैसे सप्ताह के पहले दिन ही सप्ताह भर के काम निपटाने की जुगत में लगे हों । और ऐसी स्थिति में यदि ये मन करे तो मेरा क्या कसूर है ।





और फ़िर रोज रोज़ लिखना जरूरी है क्या , यार कभी कभी पढते टीपते हुई भी समय बिताया जा सकता है न| ....तो जाईये अपने अपने ब्लोग पर इंतजार करिए न हम पहुंच रहे हैं वहीं टीपने के लिए .. जैसे ही जगते हैं फ़ौरन आपही के ब्लोग पर आएंगे ...अरे बिश्वास नहीं है का ..????है न ????

17 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी जगह दूसरे का फोटो क्यों लगा दिए हैं? भाभी जी ने फोटो खींचने से मना कर दिया क्या?

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  2. काहे विसवास नहीं है

    प्रत्‍येक सांस तक विसवास ही विश्‍वास है

    विश्‍वास में हमारी हर सांस है

    सांस ही तो जीवन की आस है

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    एक उच्‍छवास है

    सुवास है

    सुगंध है

    मनमुग्‍ध तानपुरा है

    घी बूरा है।

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  3. गिरिजेश जी ई फ़ोटो हमारा ही है कैमरा मेड इन दक्षिण अफ़्रीका था तो ,...भौजी कहां से गोरका फ़ोटो निकालतीं ....एक तो जबरिया हमसे हमारे ही पोस्ट पर टिपवाते हैं फ़िर कहिएगा ....कि काहे ऐसा करते हैं जी ...देखिए हम सूतल हैं अभी जगाईये मत ..
    अजय कुमार झा

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  4. काश फोटो में मैं होता..इतनी अच्छी नींद...

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  5. कब से इंतज़ार करवा रहे हो ! नींद ही नहीं खुलती क्या या गोली दे रहे हो ....
    :-)

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  6. ओह्हो तो साब सो रहे हैं
    सोते सोते टिप्‍पणी का जवाब
    पूरा विश्‍वास है
    विश्‍वास को नहीं
    कोई भी आंच है
    कैमरा मेड इन अफ्रीका हो
    या हो मेड इन अमेरिका
    आजकल तो ऐसा ही
    फोटुआ है निकलता
    क्‍या पहले कैमरे का
    नहीं देखा था कमाल
    हम सदा रहे बेदाढ़ी वाले
    फोटो हमारी निकाली दाढ़ी वाली।

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  7. कभी कभी ऐसा मूड भी होना ही चाहिए !!

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  8. विश्वास नही होता तो
    ये श्वास नही होता
    ब्लाग खोले बैठे है
    कब श्री श्री (108 बार) अजय जी पधारें

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  9. दिल्ली वालों की बात का तो कोनो विश्वास नाहीं :-)

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  10. ये महाशय तो कोई सुहाना सा सपना देख रहे हैं।
    फिर काहे जगाना है भाई।

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  11. बहुतै खोज खोज के पोस्ट लिखैल बा
    ससुरा हम तीन दिन छुट्टी बिताये, कौनो
    काम का नहीं रहा. आज सोमवारे के
    दिन ही अर्जेंट काम करे का पड़ी
    कईसे निपटाते ऑफिस का काम. आज भी
    छुट्टी ले लिए. का कहियेगा.

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  12. हम तो इ सोचे की बचुवा "सानिया " की तस्वीर लगाये बैठा है आज कल टी वी पर इसके अलावा कुछो दिखाते ही नहीं , और आप लो हमारे ब्लॉग पर आना ही छोड़ दिए कौनो नाराज़गी है का

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  13. हम तो खुदहि आराम की मुद्रा में डले हैं..दूसरे से का कहें!!

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला