गुरुवार, 11 मार्च 2010

बधाई दीजीए ....ये इस ब्लोग की पांच सौंवी पोस्ट है ....मगर वाह नहीं कहिएगा

ये इस ब्लोग की पांच सौवीं पोस्ट है , या शायद उससे एक ज्यादा ...है न बधाई देने की बात ....मगर नहीं वाह मत कहिएगा ......आज मन वाह नहीं आह कहने को कर रहा है .............आह ....!!!!!!!!!!!







मैं भीष्म नहीं ,
मैं अजर नहीं ,
मारो , मर जाऊंगा ,
मैं कभी भी अमर नहीं ॥

मैं खडा देखता हूं ,समय को ,
और समय देखता है मुझको ,
तुम चलाओ जब तक शैय्या बने ,
खत्म न हो जाए "शर" कहीं ?


टूटा तोडा गया कई बार,
हर बात तुम्हीं ने जोडा भी ,
बस डर इस बात का रहता है , इस टूट- अटूट में ,
कभी मैं भी न जाऊं ,बिखर कहीं .........

37 टिप्‍पणियां:

  1. किस बात का ग़म है भाई
    देने भी नहीं देते बधाई।

    चलिए मुबारक !

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  2. आह,बस पांच ही सौ। हजार करते तो कोई बात होती। आपने वाह लिखने से मना किया था इसलिए ऐसा लिखा।..

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  3. भईया हजार नहीं कई हजार करोड़ लिख डालो मैं तो यही शुभकामनाएं दूंगा और बधाई भी ।

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  4. :( ये क्या है? पांच सौवी पोस्ट और इतनी उदास? हंसने तक पर पाबंदी लगा दी आपने?
    बधाई हो, पंच-शतक पर.

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  5. नो नो नो वाह!! बस, बधाई और बधाई और शुभकामनाएँ...५०० पूरी नहीं हुई बल्कि हजारे के लिए बस ५०० बची हैं...

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  6. पाँच सौ वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई!

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  7. बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. जिंदगी में ये टूट फूट चलती रहती है...भावपूर्ण रचना ....बधाई

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  9. बधाई और भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाए....ऐसे ही जारी रहें ...........

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  10. जख्म पर जख्म खाता रहा
    फ़िर भी दिल मुस्कुराता रहा
    तीर तो इस कदर लगते रहे
    के दर्द का अहसास जाता रहा।

    ये दुनिया ऐसे ही चलनी है।
    500 पोस्ट की बधाई हो बधाई

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  11. अरे आप को पांच सॊ वार बधाई, इस पांच सॊवी पोस्ट पर.

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  12. बधायी ! यही चाहिए थी न तो लीजिये नोश फरमाईये !

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  13. ये इस ब्लोग की पांच सौंवी पोस्ट है ....'
    मैं भीष्म नहीं ,
    मैं अजर नहीं ,
    कौन मानता है कि वह भीष्म है चाहे पाँच सौवीं पोस्ट ही क्यों न लिख ले.
    बधाई

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  14. 500वे पोस्‍ट पर बहुत बधाई .. कोई भी कारण हो .. इतना उदास होने की आवश्‍यकता नहीं !!

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  15. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं....!!

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  16. इस टूट अटूट में कही मैं न बिखर जाऊं ....
    अच्छी कविता ...
    पाँच सौ वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई ..!!

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  17. आपने 500 तीर मारे हैं, लेकिन किस पर? ये सारे ब्‍लागर तो अजर-अमर हैं। आपके तीर सलामत रहे, बहुत यही दुआ है।

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  18. अरे अजय पांच सौंवी पोस्ट पर बधाई और भाई हम तो वाह ही कहेंगे। :)

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  19. रचना बढ़िया लगी. पांच सौ वी पोस्ट की बधाई स्वीकार करें और दस हजार पोस्ट लिखें शुभकामना के साथ

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  20. पाँच सौ वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई!

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  21. वाह कहने का मन तो हमारा भी नहीं है
    क्योंकि हमारा मन कहता है
    वाह! वाह!! वाह!!!

    खुश रहें, खुश रखें

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  22. पांच सौंवी पोस्ट की बहुत बहुत बधाई अजय जी!

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  23. मेरी तरफ से भी बधाई अजय जी , लिखते रहिये , बहुत ही अच्छा लिखते हो ! कवितायें तो खासकर !

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  24. भाई! जब पाँच सौ तक नहीं टूटे-बिखरे तो अब डर कैसा। भीष्म को "इच्छामृत्यु" का वर है। वर है, तो शर का डर कहाँ? आप शीघ्र ही हज़ार पूरे करें, ऐसी हमारी कामना है, और यह भी कि उस पर भी हमें टीपने का अवसर मिले, ऐसे ही…

    फ़ुटनोट: मेरी अज्ञानता क्षमा हो, आप से ही नहीं, सभीसे निवेदन है। मैं बहुत दिन तक अपने ही बज़ पे प्रतिक्रिया दे कर खुश था, फिर देखा कहीं छप नहीं रही। फिर भी, लोगों के बज़ पर टिप्पणी देता फिरा…
    अब समझ आया है कि यह बज़ केवल पढ़ने के लिए है, प्रतिक्रिया तो छाप पर देनी होती है। सो बधाई! हज़ार बार बधाई।
    अब बताएँ आप क्या कर लेंगे भाई?

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  25. यानी वर है, तो शर का डर कहाँ?
    (हम ऐसे ही हैं, हम पर असर कहाँ!

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  26. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 13.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  27. बधाई के साथ एक कविता का अंश
    क्या आप सोच सकते हैं
    सर से पाँव तक
    असंख्य तीरों से बिन्धकर भी
    कोई ज़िन्दा रह सकता है

    अगर आप ध्यान से सोचें तो
    इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं
    मेरे देश के आम परिवार का पितामह
    कितने ही तीर खाकर अब तक ज़िन्दा है
    महंगाई का तीर
    भुखमरी का तीर
    ग़रीबी का तीर बेरोज़गारी का तीर
    अशिक्षा का तीर
    कुशिक्षा का तीर
    दंगई का तीर
    नंगई का तीर...

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  28. 500 पोस्ट पर टाइम खोटी करने के बाद ऎसा ही लगता होगा । बहुत स्वाभाविक कविता है.. मैं ऎसी कवितायें नहीं लिख पाता, लिहाज़ा 498 वीं पोस्ट तक आकर पिछली 100-50 को हलाल कर देता हूँ । कोई मलाल न रहे.. इसलिये आपके दुःख में भी आपके साथ खड़ा हूँ.. :)

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  29. पांच सेकड़ा पूरा करने की बधाई।
    आत्मदया अचअचा गुण नहीं है। इसे तजना जरूरी है।

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  30. पांच सेकड़ा पूरा करने की बधाई।
    आत्मदया अचअचा गुण नहीं है। इसे तजना जरूरी है।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला