शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

बस खत्म हुआ इंतज़ार ,बस आ गया रविवार ( दिल्ली ब्लोग्गर्स मिलेंगे राज भाटिया जी से , और आपस में भी )




जी हां बहुत समय से टलते टलते आखिरकार वो दिन आ ही गया है जिसका मुझे और भाटिया जी को इंतज़ार था ,जी हां इस रविवार यानि सात फ़रवरी को सुबह ग्यारह बजे से शाम चार बजे तक हम सब आपस में मिल बैठेंगे । फ़िर से उन्हें याद दिला रहा हूं ताकि फ़िर से मुझे ये न सुनना पडे कि अरे आपने तो बताया नहीं , लीजीए नोट करिए जी

Day :- The 7th Day of Febrauary(sunday)

Time:- 11 a.m. to 4.oo p.m.

Place :- GGS FAST FOOD AND BANQUET
PLOT NO. 14, LAKSHMI NAGAR
DISTRICT CENTRE
DELHI -110092
PH:- 011-42448800

तो आप सब जो भी आना चाहें स्वागत है , आप सबका साथ ही जो भी अपना संदेश राज भाटिया भाई तक पहुंचाना चाहते हैं , या फ़ोन के माध्यम से हम सबसे संवाद स्थापित करना चाहते हैं तो और अन्य किसी भी जानकारी के लिए मैं पुन: अपना फ़ोन नं दे रहा हूं , कोशिश ये होगी कि ब्लोग्गर बैठक के बीच ही सभी उपलब्ध फ़ोन संपंर्कों के माधय्म से आप सबको जोडा जा सके । मुझे प्रतीक्षा रहेगी आप सबकी ॥

मेरा नं है 9871205767

15 टिप्‍पणियां:

  1. चलिए मैं भी उसी समय फोन लगा लूँगा... :) भैया एड्रेस का फॉण्ट छोटा कर देना... ढंग से दिख नहीं रहा..
    जय हिंद....

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  2. आप सबों को शुभकामनाएं .. काश मैं भी पहुंच पाती !!

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  3. हम इधर चैन्नई से ही आपको फ़ोन कर लेंगे।

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  4. शुभम
    वैसे काला टीका लगा लेना घर से निकलने से पहले :)
    आजकल ब्लॉग जगत का वो क्या कहते हैं , चल रहा है

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  5. इस मिलन में हाजिर न रहने का अफसोस रहेगा।

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  6. बढ़िया है, मिलिये...शुभकामनाएँ.

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  7. दिलों में बेताबी बढ़ी
    और गई मिलन की घड़ी

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  8. दिल्ली में मिलेंगे आपको दिल वाले
    हम छत्तीसगढ़ वाले भी कम नहीं मतवाले
    जी चाहे जब भी आजमा लें
    करीब से न सही दूर से ही नजरें मिल लें
    राज भाटिया जी-स्वागत है आपका अपने ही देश में

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  9. @ काजल कुमार


    आवाज नहीं आई

    बल्‍ले बल्‍ले

    वहीं आकर करियेगा

    इंतजार है हमें

    और सभी को

    सभी का

    कोई दिल वाला बचने न पाये

    जरूर आये

    दिल दा मामला है।

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला