अमा यार ! जाने तो देते......वापस भी आ जाता ..
बस बहुत हुआ ........अब और नहीं ....अब ज्यादा चुप्पी रही तो जाने क्या क्या अफ़साने बन जाएं, जाने कितनी मौजें ली जाएं और जाने कितनी ....छोडिये ये सब.....
पिछले दिनों चाहे अनचाहे जो हुआ सब आपके सामने आया और अलग अलग रूपों में आया ...सोचा तो ये था कि चलो इसी बहाने से अब थोडी आरामपरस्ती भी हो जाएगी ..और देर सवेर हमारी ब्लागगिंग से हमें दूर करने वालों को घडी दो घडी की खुशी भी मिल जाएगी ....सो चादर तान के सोने की फ़ुल तैयारी कर ली ॥ मगर हाय रे किस्मत .....किसी ने हमारी चादर पर भर भर के बाल्टी भर पानी उलट दिया तो किसी ने .....चादर में ही पलीता लगा दिया ....सेंक मारने को ......अब क्या खाक सोते ....वैसे भी ये भी हाल ही में पता चल गया कि किसी ब्लागर का यूं बीच में सोना .....गुनाह है जी सरासर पाप ....जब तक कि वो परमानेंन्टली न सो जाए....सो भावार्थ ये कि आप सबके स्नेह और दिन प्रतिदिन के हिसाब से ली जा रही हमारी रपट ने कुल मिला कर हमें ...बिल्कुल भी अलग नहीं होने दिया ॥ मगर यहां मैं उन लोगों को ये बताता चलूं कि ...ये जरूरी नहीं कि जब ब्लोग्गिंग छोडनी पडेगी तो चुपके से निकल जाया जाए......कम से कम मैं तो ऐसा नहीं करूंगा .....और विश्वास रखिए .....जिस दिन मैंने अपने ब्लोग पर खुद ये कह दिया वो दिन ...मेरी ब्लोग्गिंग का आखिरी दिन होगा .....और हां यहां उन्हें ये भी याद दिला दूं कि जरूरी नहीं कि हर जाने वाला वापस लौट के आ जाए.......। कारण , तर्क वितर्क सब अपनी जगह धरे रह जाते हैं ......सब इंसान के साथ जुडे होते हैं और इंसान जुडा होता है भावनाओं के साथ ॥खैर मेरे लिए इतने समय में ब्लोग्गिंग क्या हो कर रह गई है .....पता नहीं .....
ब्लोग्गिंग मेरे लिए अब एक परिवार है ...जिसमें सब हैं, हर रिश्ता, सुख दुख, सम्मान, अपमान, लाड दुलार, तिरस्कार ...सब कुछ ..अब ये मेरी खुद की फ़ितरत और चरित्र पर निर्भर करता है कि ....मुझे अपने परिवार से क्या मिल रहा है ....(और ये शायद बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि मैं अपने परिवार को क्या दे पा रहा हूं )..पिछले कुछ दिनों में आप सबके स्नेह और चिंता ने मुझे बता और जता दिया है कि ....यदि हिंदी ब्लोग्गिंग के प्रति मेरी चाहत दीवानगी के स्तर तक है तो उसके लिए मेरे पास वाजिब कारण भी फ़ख्र करने के लिए ॥
ब्लोग्गिंग मेरे लिए अब वो दायरा है .....जहां मैं सोचता हूं, घूमता हूं, ओढता हूं पहनता हूं .....और शायद यही वजह है कि अपने संपर्क सूत्रों (फ़ोन मेल पते ) का उपयोग/सदुपयोग मुझे सीधे या प्यार वाली धमकियों के लिए किए जाने के बावजूद भी मैं उसे हर जगह सार्वजनिक करता हूं ....क्योंकि मैं तो आप में से ही एक हूं ......हूं ...न॥
अब चलते चलते मौज की बात ....भाई मिथिलेश दूबे जी, खुशदीप भाई, पाबला जी , और आज राजकुमार ग्वालानी भाई ने अपनी पोस्टों के माध्यम से अपने अपने स्नेह की मुझ पर खूब बौछार की .॥...जिन्होने मौज लेनी थी ॥उनके पास भी पर्याप्त कारण और बहाने थे मौज लेने के .....सो ली भी गई ...हालांकि जब उन्हें मैं ये कहने या मानने से नहीं रोक सका कि ....मैं टिप्पू चच्चा नहीं हूं ...(।हालांकि मैंने इसके लिए गंगाजी में उतर के कसम खाने जैसा कोई संकल्प टाईप कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किया ) तो फ़िर उन्हें मौज लेने से मिलने वाली खुशी से कैसे रोकता ॥ मगर अफ़सोस कि बात का बतंगड बना .....और ये तो अब रीत बन चुकी है ॥सो मुझे आश्चर्य भी नहीं हुआ .....हां इतना जरूर हुआ कि पुन: कष्ट हुआ ....खैर ....ये कोई बडी बात नहीं होनी चाहिए .....। मौज मौज में बात मौजे से निकल कर हर बार पहले जूते तक और फ़िर जूतम पैजार तक निकल आती है ..ये अजीब लगता है ...और इसमें लगे हाथ वे ..जर्नैल भी अपना कैरियर चमकाने लगते हैं ....जो जैदी बनने की चाह रखते हैं ......उन्हें भी समझना चाहिए कि जैदी बनने के लिए सिर्फ़ जूते की नहीं ....अमरीकी राष्ट्रपति की भी जरूरत होती है । मगर हिंदी ब्लोग्गिंग और ब्लोग्गर्स को कोसने वालों से .....क्या शिकवा ..और कैसी शिकायत ....वे तो बेचारे परजीवी समान हो चुके हैं ॥
अब रही बात वापसी कि......तो हुजूरे आला ....आप पहले यदि मुझे जाने देते तो आ भी जाता ....वापस और कहता भी कि ..लो जी मैं फ़िर से वापस आ गया .......।खैर अब तो पहले की तरह ही आपके बीच हूं ....हां चलते चलते आने वाले समय के लिए कुछ बताता चलूं तो शायद बात दूर तलक पहुंचे
....भई हमारा घर तो सभी ब्लोग्गर्स मित्रों के लिए खुला है ...जब जो चाहें आएं , गले लगाएं , अब इससे ब्लोग्गिंग पर क्या फ़र्क पडता है .....ये तो वे ही जानें ....जो मुझ जैसे मेरी ही मानें ॥
कुछ लोगों ने मकसद की बात की है ...तो क्या अब ये भी बताने की जरूरत है कि ..हिंदी ब्लोग्गिंग में हमारे घुसे रहने का मकसद क्या है ...ये तो आने वाला समय खुद बता देगा जी ...और लगे हाथ आप भी देखना ...हां अभी सफ़ाई अभियान का जो मकसद है ..वो अलहदा अलहदा ..ही पूरा किया जा रहा है ....सोचता हूं जिस दिन सब एक साथ ही ............
अब बात सक्रियता की ....तो देखिये अगले साल तक क्या क्या होता है ...सुना है ब्लोग्गिंग में ...भी दुरंतो ट्रेन .....अरे वही सबसे फ़ास्ट वाली ....शुरू होने जा रही है .....हां हां जी मैं खुद चलाऊंगा .....आप बैठेंगे न मेरे साथ .....तेज हवा में तो हलके फ़ुल्के अपने आप ही झड/उड जाएंगे .....अब तो दिल्ली ..से जम्मू, फ़िर हरिद्वार, फ़िर बिहार, फ़िर छतीसगढ ..लखनऊ........उफ़्फ़ कहां कहां का नाम गिनाऊं ....बस इतना ही कि ...इन सब जगहों से ब्लोग्गिंग जारी रहेगी .....और ये सफ़र भी ..
wel come
जवाब देंहटाएंहम भी दिल्ली आ रहे हैं..... आप ही के घर में डेरा डालेंगे...... बहुत ख़ुशी हुई आपको ब्लॉग पर वापस देख कर......
जवाब देंहटाएंचलिए देर से नही पर दुरुस्त तो आ गये .........
जवाब देंहटाएंये कौन आया,
जवाब देंहटाएंमहफिल हो गई रौशन जिसके नाम से,
ब्लॉगिंग के घर में,
निकला है सूरज शाम से...
जहेनसीब और जी आया नूं एक साथ...हमने तो झा जी की दुरंतो एक्सप्रेस में बैठने के लिए अभी से सीट बेल्ट कस ली है...
जय हिंद...
हा-हा-हा-हा.... भाई साहब मैंने क्या बोला था, इतना आसान नहीं इन गलियों से लौट कर जाना ! हाँ, इतना जरूर आप और अपने अन्य युवा साथियों से कहूंगा की हम बुडढ़ो की देखा देखी न कर सिर्फ उतना समय ब्लोगिंग को दीजिये जितना की आप आसानी सी निकाल सके, जोर जबरदस्ती से नहीं क्योंकि आप लोगो को और भी बहुत से काम अभी करने है ! कोई प्रोब्लम नहीं अगर समय इजाजत न देता हो तो हफ्ते में सिर्र्फ छुट्टी के दिन आइये, लेकिन ब्लोगिंग भी कोई बुरी चीज नहीं बस इतना ध्यान रहे !
जवाब देंहटाएंएक बात और ये जो फोटो आप मेरी ब्लॉग पर देखते है ये अभी की नहीं करीब दस साल पहले की है इसलिए गलत पह्मी न हो !
जवाब देंहटाएंहम न कहते थे। अजय जी कहीं गए नहीं। बस अवकाश पर हैं और देखिए उन्हों ने वहाँ से भी ब्लागरी का इंतजाम कर लिया है।
जवाब देंहटाएंब्लागीरी की जय!
जो छोड़े सो पछताय!
अजय जी, इस संसार में सभी प्रकार के लोग हैं किन्तु मुख सामने सहानुभूति दिखाने और पीठ पीछे मखौल उड़ाने वालों की संख्या ही अधिक है।
जवाब देंहटाएंहम तो बस इतना ही कहेंगे कि मस्त रह कर ब्लोगिंग करते रहिये।
आपको एक बार फिर से पढ़ते हुए बेहद खुशी हो रही है....।
जवाब देंहटाएंऐसे ही आप हमेशा ब्लॉगिंग करते रहें, हमारी इतनी सी कामना है।
जवाब देंहटाएं------------------
अदभुत है मानव शरीर।
गोमुख नहीं रहेगा, तो गंगा कहाँ बचेगी ?
आप ऐसे ही ब्लॉगिंग करते रहें, यही कामना है।
जवाब देंहटाएं------------------
अदभुत है मानव शरीर।
गोमुख नहीं रहेगा, तो गंगा कहाँ बचेगी ?
बहुत अच्छा लगा यह वहम भी, हमे तो पहले ही .... चलिये अब खुब पोस्ट हि जाये, यानि पिछली कसर पुरी कर ले. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छी हलचल मचाये रखी आपकी अनुपस्थिति ने ब्लॉग जगत में
जवाब देंहटाएंnow welcome back and happy n everlasting stay :)
मुझे अपने परिवार से क्या मिल रहा है ....(और ये शायद बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि मैं अपने परिवार को क्या दे पा रहा हूं )
जवाब देंहटाएंपढ़कर बहुत अच्छा लगा।
लाल बुझक्कड़ की तो बत्ती ही गुल हो गयी आपके आने से ...बड़ी खुशी थी उन्हें की आपका एस एम् एस भी नहीं मिला उन्हें और ससुरा टपक गवा -हा हा ! अब बिचारे खुदै टपक गए हैं -ढार ढार आंसू रो रहे होगें और उनके कुछ चारणी दोस्त दिलासा दे रहे होगें !
जवाब देंहटाएंस्वागतम !
"मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम
जवाब देंहटाएंमैँ इक दिन लौट के आऊँगा...ये मत भूल जाना तुम"...
अजय जी, क्या आप हम ब्लॉगरों का इम्तिहान ले रहे थे.. सुस्वागतम
जो गया ही नही उसके वापसी पर welcome कैसा?
जवाब देंहटाएंफिर भी welcome
पुन: घर वापसी पर आपका स्वागतम है :)
जवाब देंहटाएंजल्दी ही पढने को मिल गयी आपकी रचना .. खुशी हुई !!
जवाब देंहटाएंवेलकम बैक भैया :)
जवाब देंहटाएंवाह! भाई इधर तुम उधर आये और उसके साथ ही टिप्पू चचा। अरविन्द मिसिरजी की टिप्पणी महत्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंवाह! भाई इधर तुम उधर आये और उसके साथ ही अनूप शुक्ल टिप्पू चचा को ले आये।अरविन्द मिसिरजी की टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है
जवाब देंहटाएंअजय भाई जब इतना अटूट रिश्ता बना लिए है हम सब से तो छोड़ कर कहाँ जाएँगे अब ब्लॉगिंग के बिना नींद भी नही आएगी और हम लोगो की याद भी आपको चैन से सोने नही देगी...अब तो बस चलेगा और चलता रहेगा यह ब्लॉगिंग और हमारा अपना परिवार...हम तहे दिल से आपका स्वागत करते है.....
जवाब देंहटाएंआप न गए न आए... बस खतम फ़साना हो गया:)
जवाब देंहटाएंचिंता न करें .. हम सब जगह उपस्थित हैं ।
जवाब देंहटाएंपूरा ड्रामा कम्पनी हैं आप ...हाँ नहीं तो !!!
जवाब देंहटाएंखाया-पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना.... ??
बढ़िया है आप गए नहीं थे ..मगर इतने दिनों कशमकश बनी रही ...जो बदला तो लेंगे ये कह कर कि ...लौट के बुद्धू घर को आये ...बुद्धू बनाने को आये ...या बुद्धुओं को सलटाने आये ...समय बताएगा ...!!
जवाब देंहटाएंए लो, बगैर मन्नुवल चले आये जी... :)
जवाब देंहटाएंउ कौन ट्रेन चला रहे हो..बड़का सीट भी फिट करवाइयेगा..हम भी घूमेंगे उसमें. :)
बहुत खुशी है आये.
आपके लेखन मे जो पढने का आनंद है वो बडा गजब का है. हम तो आपका लिखा पढने के मुरीद हैं. अब आप गये..नही गये..आये ...नही आये...हमको इससे कोई वास्ता नही..बस ऐसा ही एक लेख रोजाना लिख्ते रहिये.
जवाब देंहटाएंवैसे एक किसी फ़िल्म का डायलोग था..नाम याद नही पड रहा है..इन गलियों मे आने के बाद लौटकर जाना बडा मुश्किल है.
रामराम.
swagat hai.
जवाब देंहटाएंचार दिन अबसेंट क्या रहा पता ही नही चला।खैर जो हुआ सो हुआ,आप तो जमे रहिये अजय,अजर,अमर,अंगद की तरह्।
जवाब देंहटाएंछोटी सी है दुनिया, पहचाने रास्ते हैं...कभी तो मिलोगे..तो पूछेंगे हाल...
जवाब देंहटाएंवाकई लोगों को मौका मिला नहीं और गाना बजा दिया
जवाब देंहटाएं" ये गलियां ये चौबारा आना न दुबारा हम तो चले परदेश कि हम परदेशी हो गए "
लेकिन लोगों का प्यार ज्यादा वजनदार था
"जाईये आप कहाँ जायेंगे ये नजर लौट के फिर आएगी "
तो फिर लैट ही आये आप ये खुशदीप जी भी न खुद छुट्टी करते हैं न और किसी को करने देते हैं बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों बाद आपका नया पोस्ट देखकर बहुत अच्छा लगा! स्वागतम!
जवाब देंहटाएंare Ajay ji ! ....aap nahi the fir aap the yahan....hee hee hee..vese hamen pata tha aap kahin nahi jane wale ..ye mui blogging cheez hi esi hai :) swagatam.
जवाब देंहटाएंlajwaab
जवाब देंहटाएंजल्दी ही पढने को मिल गयी आपकी रचना .. खुशी हुई !!