शनिवार, 5 सितंबर 2009

हम्ररे मा साब...होनोलूलू से आये हैं...



आज शिक्षक दिवस पर....लोग बाग जम के अपने अपने मा साब को गरिया रहे हैं....कुछ उत्साही तो गरियाने से भी आगे जाकर जुतियाने तक को आतुर दिख रहे हैं.....इस एंगल से तो आज तक हमने ....किसी को कोइ दिवस मनाते नहीं देखा...ऐसा लग रहा है..मानो सबको ...बचपन में ......जितना ठोका पीटा गया था....आज सबका बद्ला ले कर ही रहना है...मैं तो सोचा करता था कि ये दिवस वैगेरह शायद...उप्लब्धियों....सफ़लताओं ...आदि को याद करके....सबको प्रोत्साहित करने के होता है..वैसे भी जिनके जन्मदिन को ..शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.....उनके जीवन को देख कर तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है....अब हमें क्या पता था...कि लोग पूरे साल को छोड कर ...आज के दिन को ही...लतियाने...जुतियाने के सुंदर कार्यक्रम के लिये चुन लेंगे.....

हम भी जब .....जवानी के जोश में...कुछ ऐसे ही जज़्बाती हुआ करते थे....तो एक दिन गांव प्रवास में ...ऐसा ही साहसिक कार्यक्रम बना कर गांव के विद्यालय पहुंचे......बहुत शिकायत सुनी थी...इन सब म साहब लोगों की...सब के सब...एक जैसे ...पढाई लिखाई से कोइ मतलब नहीं......आज तो नहीं छोडेंगे.....खरी खरी सुनायेंगे.....और आज ही की तरह कुछ ....समाज सेवी लोग तो बिल्कुल तैयार थे ...कि आज तो हाथ साफ़ कर ही लिया जाये.....(बाद में पता चला कि ...उनमें से कुछ लोगों को ....किन्हीं मा साब ने..स्कूल के एक कमरे की चाभी नहीं दी थी कभी....जब उनको अपनी कोइ शाम...गर्म करनी थी.....)...खैर ...हम पहुंचे ...एक दम तमतमाये हुए....
और किसी ..इंस्पेक्टर की तरह शुरू की जांच....हाजिरी रजिस्टर दिखाईये.....स्कूल का फ़ंड रजिस्टर दिखाईये....
इससे पहले कि कुछ और जांच चलती...वहां के हेड मा साब आ गये.....

अरे बौवा...कब आये गांव...हम तो खुद आपसे मिलन चाह रहे थे....देखिये न...सरकार हम लोगों के साथ क्या क्या कर रही है...पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है....और अब ये देखिये चिट्ठी आई है कि ...जिन्हें जरूरत है....वे ब्लौक में आकर गेंहू ले सकते हैं...वेतन समझ कर ..बाद में उसमें एड्जस्ट कर लिया जायेगा....हम चुप ...

मगर जो दूसरे लोग गये थे...वे चुप रहने वाले थोडी थे.....मा साब ...ये वेतन का रोना छोडिये....आप लोगों ने स्कूल को एक दम भथ्थम कर के रख दिया है.....कोइ पढाई लिखाई नहीं हो रही है..बच्चा सब बिगडता जा रहा है...आप लोगों पर कोइ असर ही नहीं हो रहा है..पता नहीं कहां कहां से भर्ती हो कर आ गये हैं...

हां हां ...बेटा हम लोग तो ....होनोलूलू से आये हैं सीधा.....इसलिये ऐसे हैं.....इस गांव....इस समाज ....इस देश ...के हैं ही नहीं....सो हमें क्या पता....आप बताओ....यहां कैसे क्या होता है....

मगर इससे ज्यादा कुछ कान सुन नहीं पा रहे थे....हम सब निकल गये वहां से....


घर आकर सोचा....यार ये हेड मा साब ने ऐसा क्यों कहा....फ़िर बात धीरे धीरे समझ में आने लगी....ये गणित वाले, ये भूगोल वाले, ये हिंदी के...सब के सब तो हमारे या आसपास के गांव के ही तो हैं...जो जो गुणी जन हमारे साथ गये थे.....वहां..अपने मनोरथ..पूरे करने..उन सबका कोइ न कोइ ...शिक्षक था ही......

कमाल है यार....यदि ये अपने समाज से ही हैं ....तो फ़िर कैसी शिकायत....हमारे बीच के ही तो हैं....यदि ये होनोलूलू से हैं ....तो भी काहे की शिकायत....बेचारों को क्या पता..अपने यहां की महान सभ्यता और समाज का ....

तब से मैं आज के दिन....अपने उन शिक्षकों को याद करके उनका शुक्रिया अदा करता हूं...जिनके कारण आज मैं कुछ भी अच्छा ...बन पाया..

15 टिप्‍पणियां:

  1. हमें शिक्षकों का शुक्रिया अदा तो करना ही चाहिए .. जिनके कारण हम अच्‍छा बन पाते हैं .. शिक्षक दिवस के अवसर पर सारे देश के शिक्षकों को बहुत बहुत बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढिया लिखा है आपने। मास्टर साहब ही तो है जिनके बताये गये मार्गो पर चलकर हम सफलता के नयें आयाम को छुते है। मास्टर साहब ही है जिन्होने हमे अच्छे व बुरे के बिच के अन्तर को बतलाया। मास्टर साहब को शत् शत् नमन।

    जवाब देंहटाएं
  3. शिक्षक दिवस के अवसर पर सारे शिक्षकों को नमन!!


    -हमें तो यही पता है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब --- बेहतरीन अन्दाज अपने शिक्षको को शुक्रिया अदा करने का.
    शिक्षक, शिक्षक होता है (तथाकथित को छोडकर) वह जो देता है उसका मोल नही है.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूब! लपेट कर देना इसी को कहते हैं शायद? :-)

    मैं खुद के बारे में कह सकता हूँ कि जितना हमारे शिक्षकों ने दिया वह अनमोल है। वे आज जहाँ भी हों, प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  6. अजय जी ,दरअसल बात ये है कि हम अपनी सारी असफलताओं का दोष शिक्षकों पर डाल देते हैं ,लोगों से बर्दाश्त नहीं होता है कि ये अच्छा खाए ,पहने और अच्छे तरह से अपना जीवन व्यतीत करे ,उन्हें समाज का अंग समझना ही नहीं चाहते हैं

    जवाब देंहटाएं
  7. शिक्षक है तो सुशिक्षित समाज है। इसी से तो सभ्यता की उपज होगी। शिक्षक को शिक्षक दिवस पर ही नहीं, हर दिवस नमन करना चाहिए॥

    जवाब देंहटाएं
  8. जीवन को दिशा देने वाले शिक्शक ही तो है

    जवाब देंहटाएं
  9. समस्त ब्लॉग गुरुजनों को भी मेरा नमन!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को मेरा सादर प्रणाम!

    जवाब देंहटाएं
  11. शिक्षक दिवस पर ये पोस्ट लिखने के लिये आपको बहुत बधाई।



    ये टिप्पणी आपको उड़ते हवाई जहाज (फिलाडेल्फिआ और अटलान्टा के बीच कहीं) से भेजी जा रही है, आपकी आज्ञा का पालन करते हुये :)

    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला