रविवार, 10 मई 2009

माँ तेरे जाने के बाद...........



माँ तेरे जाने के बाद......
ही जान पाया कि ,
जो आँगन ,गाता था ,
हुलस कर झूमती थी,

खिड़कियाँ और दरवाजे,
आज वे बेजान हैं ,
और मौन भी,
तेरी तस्वीर की तरह,


माँ तू कैसे,
जान जाती थी ,बिना कहे ,
बाबूजी जी की सारी जरूरतें,


kऐसे मिटा देती थी,
तुम मिनटों में ,हमारे मतभेद,
देखो न,
छोटा फ़िर रूठ गया,


माँ तू कैसे,
निभा लेती थी,सारी दुनियादारी,
मैं तो निभा नहीं पाया,
आज तक परोसदारी भी॥

अपनी संतानें हैं मेरी,
पर कैसे तू,
मुझे एहसास कराती थी,
मेरे लड़कपन का....

माँ अब जबकि ,
तू नहीं है,तो,
मैं बाबूजी को ,
दो बार चरण स्पर्श करता हूँ,
आख़िर तू उनकी अर्धांगिनी थी






18 टिप्‍पणियां:

  1. waah bahut khoob.. badhiyaa bhaav hain ...ma anmol hotee hai....

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  2. भावुक कर दिया आपने.

    मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  3. आपके सुंदर टिपण्णी और ख़ूबसूरत शायरी के लिए मैं आपका आभारी हूँ! मैं सोच रही हूँ की आपकी लिखी हुई शायरी को अपनी बनाई हुई पेंटिंग के साथ पेश करूँ अगर आपकी इजाज़त हो तो!
    मात्री दिवस की शुभकामनायें! बहुत ही अच्छा लिखा है आपने! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं! आज माँ की वजह से ही इस दुनिया में कदम रखे हैं!
    आप मेरा ये ब्लॉग परियेगा ! मैंने मात्री दिवस पर लिखा है!
    http://urmi-z-unique.blogspot.com

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  4. अति ही सुन्दर रचना...
    मैंने इअसा चित्रण नहीं देखा था.
    अंतिम पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं...

    ~जयंत

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  5. बहुत बहुत बहुत सुंदर भाव बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है आपने

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  6. aap sabkaa bahut bahut aabhaar, padhne ke liye...sach kahun to abhee kuchh samay pehle hee maa ko khoyaa hai so swaabhaavik roop se dil jaisaa mehsoos kar raha tha.. waise hee shabd nikalte gaye kalam se....

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  7. सही कहा आपने, किसी के न रहने पर ही उसकी महत्‍ता पता चलती है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  8. बेटी के आने के बाद
    बहुत कुछ वैसा
    होने लगता है,
    जैसा माँ करती थी!

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  9. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना.भावुक कर दिया आपने.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला