शुक्रवार, 1 मई 2009

मन जूता जूता हो गया ........


क्या बताएं लपटन जी, भाई आजकल जो कुछ भी चल रहा है, उससे तो मन joota joota ho गया, कसम से ।
लपटन थोड़ा विस्मित चकित थे , कहने लगें भाई मियां ये इस मुहावरे की धुन जानी पहचानी लग रही है मगर बोल कुछ अलग से हैं।
हाँ हाँ, समझ गए आप उस मुहावरे की बात कर रहे हो दिल baag baag हो गया, मगर hujure आला ये तो गए जमाने की बात हो गयी । आजकल तो yahee muhaavraa चल रहा है, मन जूता जूता हो गया। darasal आजकल वही चल रहा है जिसके साथ जूता चल रहा है। asleeyat में तो इस mandee के दौर में जब न baink चल रहे हैं न sheyar maarket ajee amreekee sarkaat tah ठीक से नहीं चल paa रही है, itnee vikat परिस्थितियों में भी kitnee bahaduri ,कितने नए नए अंदाज में सिर्फ़ जूता ही तो चल रहा है.पहले bechaaraa सिर्फ़ पाँव के साथ चल पता था अब तो बिना पाँव के की ही दौड़ रहा है , दौड़ क्या ud रहा है।
लपटन थोड़ा hakbakaaye और dukhee स्वर में बोले , नहीं जी, ये तो कोई ठीक बात नहीं है, ये तो चलता ही जा रहा है।
क्या कह रहे हो , आप कहना क्या चाहते हो । देखो भैया , आपको यदि भार्तीय लोकतंत्र में भी ओबामा जैसा कोई चमत्कार देखना है तो फ़िर कुछ को बुश की तरह जूते भी खिलाना पड़ेगा। और क्या मतलब इसका की कब तक चलेगा । एक बात बताओ, ये इस देश में गरीबी, अशिक्षा , भ्रष्टाचार , कब से बदस्तूर चले जा रहे हैं, तुमने उनके लिए तो कभी नहीं कहा की अब बस अब तो ये आगे नहीं चलना चाहिए, तो फ़िर बेचारे जूते के चलने पर मनाही क्यूँ कहीं इसलिए तो नहीं की वे पाँव के बदले जूते हाथ के साथ चल रहे हैं, अरे ये भी तो सोचिये की इन जूतों के चलने से कितनो का रोजगार चल रहा है भैया,.....
अब लपटन जी थोड़े से नरम पड़ गए, हाँ भाई ये तो ठीक कहा तुमने ये जूतों के चलने से जूतों के कारोबार खूब चल निकले हैं सूना है की जैदी वाले जूते की कंपनी तो रातोंरात चल निकली...
अरे लपटन जी, तुम भी कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो। अरे में जूतों की दुकानदारी की बात नहीं कर रहा हूँ । तुम्हें
क्या पता भाई इन जूतों की वजह से क्या क्या क्रांति आ गयी है, समाचार चैनलों , राजनीति, इतिहास, वर्तमान, साहित्य, अमा यहाँ तक की हमारे साथ साथ कईयों की ब्लॉग्गिंग भी आजकल इसी जूतम पैजार के कारण चल रहे हैं और आज जो भी सार्थक बहस, एक्सक्लूसिव खबरें, नया साहित्य सृजन, जनांदोलन और जितनी भी सक्रियता है वो सिर्फ़ इस जूते के कारण ही तो है. राज की बात सुनो भार्तीय राज्नितिशाष्ट्र के पाठ्यक्रम के रूप में जूता अध्याय को भी जोड़ा गया है। योजना तो ये भी है की निर्वाचित सदस्यों में जूता योग्यता रखने वाले के लिए ;विशेष व्यवस्था की जायेगी।
लपटन जी, आपको शायद ये नहीं पता की इन जूतों की घटनाओं का आकलन विश्लेषण कितनी गंम्भीरता से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर किया जा रहा है । इसके साथ ही जूते से जुड़े कई नए मुहावरों और कथनों की भी खोज की गयी है, "जैसे जूतों के भी दिन फिरते हैं जूते जूते पर लिखा है खाने वाले का नाम ,परिवर्तन चाहिए जूता चलाइये और ये आखिरी वाला मन जूता जूता हो गया।
लपटन जी जूते की दिव्या कथा यूँ हमारे मुख से सुन हमसे लिपट गए....

14 टिप्‍पणियां:

  1. जूते के भी दिन फिरे मन जूता हो जाय।
    जूते की रोचक कथा लिखा खूब समझाय।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. क्या ही चुटीला व्यंग्य, और कितनी रोचक शैली.... पढ कर मेरा मन भी"---,----" हो गया.....

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  3. एक बात मानेंगे? यदि ठीक लगे तो font size यदि थोडा सा बढा लेंगे तो पढने का मज़ा दोगुना हो जायेगा. वरना आंखें खराब हो जाने का दोष भी आप पर ही जायेगा....

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  4. आपके लपटन जी भी ऊँचे आईटम दिखते है जो ऐसा करारा झटका देते हैं कि हमारा तो मन लपटन लपटन हो गया.

    वाकई भाई, फॉन्ट साईज बढ़ाओ...तो आराम मिले.

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  5. maaf kijiyegaa aaj fir font badhanaa reh gaya tis par ye ki kambakht ye google kaa trasilitor bhee uthaa patak kartaa rehtaa hai. aage se dhyaan rakhungaa...

    aur vinay bhai vyangya ke liye bhayanak jaisaa visheshan sun kar to main khud hee dar gay hoon.
    ha..ha..haa....

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  6. यक़ीन मानिए बन्धु कि अगर आपका मन जूता जूता हो ग्या तो फिर अब पवित्र हो ग्या.

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. ajay ji.. namskar... protsahan ke liye dhanyvad.. aap jaise mentors ki aaj bahut aavashyakata hai... aapke shikshan sambandhi vishay me jaruri data me apko uplabdh kara duga.. kam se kam agra region ka to...

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  9. ajay ji.. namskar... protsahan ke liye dhanyvad.. aap jaise mentors ki aaj bahut aavashyakata hai... aapke shikshan sambandhi vishay me jaruri data me apko uplabdh kara duga.. kam se kam agra region ka to...

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  10. vandana ji aapki samasya badi na hai.. sirf padhte samay itna kar liya kijiye... ctrl++ means ctrl key k sath + jey press kijiye font size badhta jayega.. kam karna ho to.. + ki jagah - ...

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  11. आपकी ख़ूबसूरत टिपण्णी ने मेरे लिखने की उत्साह को दुगना कर दिया है!
    बहुत ही उन्दा लिखा है आपने ! आप का हर एक ब्लॉग इतना सुंदर है कि मैं रोजाना पड़ती हूँ ! इसी तरह से लिखते रहिये और हम आपके नए पोस्ट का इंतज़ार कर रहे हैं!

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला