मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

अफजल ने लिखी कसाब को चिट्ठी ( पढ़ लीजिये मगर बताइयेगा नहीं ,संवेदनशील है )

अफजल ने लिखी कसाब को चिट्ठी :-
जैसे ही अफजल गुरु (अरे वही गुरुघंटाल , जिसने अपने जिहादियों , मेरा मतलब साथियों के साथ , देश की संसद पर हमला करने जैसा बकवास काम किया था, बकवास इसलिए की एक भी बेकार नेता कम नहीं करे पाये वे हमारे देश से, खैर ) को जेल में पता चला की ताजातरीन मुम्बई हमले में जिंदा पकड़े गए हमलावर कसाब ने पाकिस्तान सरकार को चिट्ठी वैगेरह लिखी है उसने फ़ौरन कसाब को एक दूसरी चिट्ठी लिखी।

मुबारक हो कसाब मियां, भारत पर पदूसी द्वारा हुए सारे आतंकी हमलों में से सबसे बढिया स्कोर तुम लोगों का ही रहा, सोचा तो हमने भी था की कुछ बड़ा करेंगे पर कर नहीं पाए। मगर ये क्या सुन रहा हूँ आपने अपनी हुकूमत को कोई पैगाम वैगेरह भेज कर शायद रहम की अपील की है। क्यों ? किसलिए ? अमा, कसाब मिया तुम यहाँ के बारे में कुछ नहीं जानते । बिल्कुल मत दरो, ठाठ से रहो। समझो सरकार के दामाद बन गए हो। चलो तुमें पूरी बात खोल कर बता ही देता हूँ।
पहले जांच चलेगी, यहाँ की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली तुम्हें पता ही है। यहाँ पर एक सी बी आई , नाम की पुलिस है, बेचारे मंत्री जी के कुत्ते की गुमशुदगी से लेकर घपले, घोटाले, मर्डर, तक का सारा काम इसी के जिम्मे दाल दिया जाता है, शायद इसलिए कुछ भी नहीं कर पाती। इसके बाद चलेगा मुकदमा। कसाब भाई तुम्हें एक कमाल की बात बताता हूँ वैसे तोस्द ये देश अमनपसंद है, मगर पता है यहाँ की अदालतों में साधे तीन करोड़ मुकदमें लंबित हैं, साधे तीन करोड़। तो बस उनमें से एक तुमाहारा भी होगा, चलेगा सालों साल। फ़िर होगा फैसला, फ़िर अपील, फ़िर उसका फैसला। मान लिया की सब कुछ होने के बाद तुम्हें फांसी की सजा ही मिलती है , तो भी क्या, अजी यहाँ फांसी लगती किसे है, मुझे ही कौन लटका रहा है।

बीच बीच में मानवाधिकार वाले इंसानियत की दुहाई देकर तुम्हारे लिए न्याय मांगेंगे या फ़िर हो सकता है की अपने जिहादी भाई कोई प्लेन ट्रेन हाईजैक करके हमें छुद्वान लें । तो इसलिए मेरी सलाह मानो और टेंशन छोडू कर मजे लो। हप्पी वलैन्ताईन दे कसाब मिया इन एडवांस .

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छे.........

    ऐसे ही धारदार व्यंग से समस्या के तरफ़ ध्यान दिलाते रहने के लिए धन्यवाद.......

    शुभकामनाये..........

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  2. यहाँ की अदालतों में साधे तीन करोड़ मुकदमें लंबित हैं, साधे तीन करोड़। तो बस उनमें से एक तुमाहारा भी होगा, चलेगा सालों साल। फ़िर होगा फैसला, फ़िर अपील, फ़िर उसका फैसला। मान लिया की सब कुछ होने के बाद तुम्हें फांसी की सजा ही मिलती है , तो भी क्या, अजी यहाँ फांसी लगती किसे है, मुझे ही कौन लटका रहा है।

    -व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है! बहुत खूब!

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  3. व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है! बहुत खूब!

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  4. bahut achchha bhai, kya koi ise sarkar ko padhwa sakta he. par kya hoga osse bhi?????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????...................

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  5. dekhiye aap ise bhee vyangya samjhe , yaar aap log mujhe kab seriously lenge, khair main koshish to kartaa hee rahungaa.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला