शनिवार, 24 जनवरी 2009

अमा ये तो बताओ, पुरूस्कार मिल किसे रहा है - झुग्गी को, कुत्ते को, या करोड़पति को

सबसे पहले तो आप लोगों से इस बात के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ की एक बार फ़िर अनियमित हो गया, इस बार ना चाहते हुए भी। मेरी माता जी का असामयिक निधन हो गया, इस कारण यहाँ उपस्थित नहीं हो सका। आशा है की आप समझ सकेंगे।


पुरस्कार मिल किसे रहा है- झुग्गी को, कुत्ते को, या करोड़पति को ?

कुछ दिन पहले भारत में भी और देशों की तरह ओबामा की ही चर्चा हो रही थी, इतनी की जितनी तो लोगों ने अपने मामा या नाना तक की नहीं की होगी। मगर मारो गोली ओबामा, मामा को अब तो चारों तरफ़ , एक ही चर्चा है स्लम दोग मिल्लिओनैरे की, नहीं समझे। अजी शीर्षक देख कर किसके बाप में इतनी हिम्मत और अक्ल थी की समझ जाता, और फ़िर वो तो भला हो पहले गोल्डन ग्लोब और अब ऑस्कर वालों का की इतने उटपटांग नाम वाली पिक्चर को देखने लोग जा भी रहे हैं। खैर, यहाँ तो मुसीबत पे मुसीबत है जब कोई पिक्चर ऑस्कर पुरस्कार के लिए भेजी जाती है तो विवाद उठता है, जब वहां पहुँच कर पुरस्कार पाने से वंचित रह जाती है तो विवाद उठता है, और अब जबकि ये कहा जा रहा है कि एक न एक या बहुत सारे ऑस्कर अपने होने जा रहे हैं , कमाल है की इस पर भी विवाद है। यार तभी तो ये ऑस्कर वाले हमें कोई पुरस्कार वैगेरह देने के झंझट में नहीं पड़ते ।
मगर एक आम हिन्दुस्तानी होने के नाते कुछ कीडे तो मेरे दिमाग में भी कुलबुला रहे हैं। सबसे पहला तो ये की ये नाम क्या हुआ, कुत्ता, झुग्गी और करोड़पति। अम कुत्ते और झुग्गी का तो रिश्ता समझ में आता है मगर इस करोड़पति का इसके साथ क्या लेना देना। यहाँ कुत्ते को लेकर एक दिलचस्प बात और आपको बता दूँ, पिछले दिनों मुंबई की नगरपालिका ने सरकार से मुंबई में सत्तर हज़ार आवारा कुत्तों को मारने की अनुमति माँगी थी जिसे अदालत ने आज ही ठुकरा दिया है, और कमाल है की इसे रोकने के लिए होलीवूद की अदाकारा पैरिस हिल्टन ने भी पत्र लिखा था, तो क्या मुंबई नगरपालिका को नहीं पता था की इस कुत्ते के कारण भारत को ऑस्कर मिलने जा रहा है , बताओ आदमी को मिला नहीं कुत्ते को मिलने जा रहा है, मगर यार कुत्ता तो है नहीं इस पिक्चर में। मुझे तो लगता है की इस हिल्टन के कुत्ते प्रेम के कारण ही ऑस्कर मिल रहा है। अब बात झुग्गी की, यदि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गवासी वी पी सिंह , जिन्होंने आजन्म झुग्गी को ना टूटने के लिए न जाने क्या क्या किया, के ज़माने में झुग्गे को कोई पुरस्कार नहीं मिला तो अब कैसे ऐसे हो गया ।


करोड़पति, हाँ इस नाम को देख कर लगता है की इसे पुरस्कार, कार , सब कुछ मिल सकता है। अजी अपने शंशाह जब धूल फांकने लगे थे तो सिर्फ़ इस नाम के कार्यक्रम ने उन्हें ऐसा मौका दिलाया की आज भी अन्य सितारे उस दिन को कोसते हैं जब अमिताभ बच्चन को ये कार्यक्रम मिला और उन्होंने बोल्लीवूद के पता नहीं कितने हीरो की बैंड बजा दी।


वैसे मेरा तो मानना है की चाहे कुत्ते को, बिल्ली को, चूहे को, झुग्गी को, नाली को, या झोंपडे को किसी को भी पुरूस्कार मिल रहा है तो मिलना चाहिए। लेकिन जानकार लोग मानते हैं की ये भारत की गरीबी , उसकी तंगहाली, बदहाली, भुखमरी, को पुरूस्कार मिल रहा है, और कौन सा आज मिल रहा है इस से पहले भी सत्यजित रे, ये काम कर चुके हैं बस तब कुत्ते और झुग्गी मुंबई के नहीं कोलकाता के थे।

खैर सबको ऑस्कर मुबारक हो भैया.

6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया आलेख बधाई
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना .

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  2. माता जी को विनम्र श्रृद्धांजलि. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

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  3. मैंने तो फ़िल्म देखी नहीं, लेकिन सुना है कि "स्लमडॉग" में मुस्लिम हीरो का डायलॉग है, "यदि राम का जन्म नहीं हुआ होता तो मेरी माँ नहीं मरती…" ये सब क्या है? फ़िल्म में दंगों के लिये "राम" को जिम्मेदार भी बताया गया है… क्या इस पर चर्चा नहीं होना चाहिये… कहीं यह भी तो एक कारण नहीं है ऑस्कर मिलने का? लगान में तो अंग्रेजों को हारते हुए दिखाया गया था इसलिये नहीं मिला होगा, लेकिन इस फ़िल्म में तो "सेकुलर" अंग्रेजी प्रेस के लिये काफ़ी मसाला है…

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला