मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

आप हिन्दी में ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं तो ख़ास हैं, और इस खासियत को समझें

जी हाँ, मैं पूरे संजीदगी से ये बात कह रहा हूँ। आप शायद ये कहेंगे की ये क्या बात हुई भला और ये बात अभी यहाँ क्यों कह रहा हूँ। कारण तो है , वाजिब या गैरवाजिब ये तो नहीं जानता। दरअसल जितना थोडा सा अनुभव रहा है मेरा, उसमें मैंने यही अनुभव किया है की सब कुछ ठीक चलते रहने के बावजूद हिन्दी ब्लॉगजगत में अक्सर कुछ लोगों द्वारा चाहे अनचाहे किसी अनावश्यक मुद्दे पर एक बहस शुरू करने की परम्परा सी बंटी जा रही है। हलाँकि ऐसा हर बार नहीं होता और ऐसा भी जरूरी नहीं है की जो मुद्दा मुझे गैरजरूरी लग रहा है हो सकता है दूसरों की नजर में वो बेहद महत्वपूर्ण हो। मगर मेरा इशारा यहाँ इस बात की और है , की कभी एक दूसरे को नीचा, ओछा दिखने की होड़ में तो कभी किसी टिप्प्न्नी को लेकर, कभी किसी के विषय को लेकर कोई बात उछलती है या कहूँ की उछाली जाती है बस फ़िर तो जैसे सब के सब पड़ जाते हैं उसके पीछे , शोध , प्रतिशोध, चर्चा, बहस सबकुछ चलने लगता है और दुखद बात ये की इसमें ख़ुद को पड़ने से हम भी ख़ुद को नहीं बच्चा पाते, और फ़िर ये भी की क्या कभी किसी निष्कर्ष पर पहुँच पाते है ?

मुझे पता है यहाँ पर जो लोग इस दृष्टिकोण से देखते हैं की यदि ब्लॉग्गिंग में यही सब देखना और सोचना है तो फ़िर ब्लॉग्गिंग क्यों और भी तो माध्यम हैं न। मैं उन सब लोगों को बता दूँ और अच्छी तरह बता दूँ की आप सब जितने भी लोग हिन्दी और देवनागिरी लिपि का प्रयोग कर के लिख रहे हैं वे बहुत ख़ास हैं विशिष्ट हैं, सिर्फ़ इतने से ही जानिए न की करोड़ों हिन्दी भाषियों में से आप चंद उन लोगों में से हैं जो हिन्दी में लिख पा रहे हैं, और हाँ गए वो दिन जब आप अपने लिए लिखते थे। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ आज कम से कम हरेक हिन्दी का अखबार हमारी लेखनी को पढ़ रहा है, उस पर नजर रखे हुए है, उसे छाप भी रहा है और हमारे आपके विचार समाचार पत्रों के माध्यमों से न जाने कितने लोगों तक पहुँच रहा है।

तो आपको और हमें ही ये सोचना है की हम अपनी लेखनी और शब्दों को इस बात के लिए जाया करें की
गाली का मनोविज्ञान कहाँ से शुरू होकर कहाँ तक पहुंचा या कुछ सार्थक सोचे और लिखें .............
यदि कुछ ज्यादा कह गया तो परिवार का सदस्य समझ कर क्षमा करें.

4 टिप्‍पणियां:

  1. तुलसी इस संसार में भांति - भांति के लोग । ना सब एक सा सोच सकते हैं ना ही एक सा लिख सकते हैं । सबकी मंज़िल भी अलग है और डगर भी । चलने दीजिए ....।

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  2. नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
    नीरज

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  3. बिल्कुल सही लिखा है आपने।

    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. aap sabka bahu bahut dhanyavaad, padhne aur saraahne ke liye.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला