सोमवार, 17 नवंबर 2008

सेलेब्रेटीज होते हैं ब्लॉगर

जानता हूँ, आप कहेंगे, कमाल है यार अभी तो कल ये बात छोडी थी की , दुनिया के सबसे अमीरों की सूची में एक ब्लॉगर का नाम आ गया है , और फ़िर अपना नाम बता दिया, आज टूल गए उन्हें सेलेब्रेटीज बनाने पर । आप लोग ब्लॉगर हैं न, कबी भी सीधा और सच्चा सोच ही नहीं सकते, आप लोग भावनाओं को नहीं समझ सकते हैं न, इसलिए। दरअसल ये बात कुछ और है, आप ख़ुद ही देखिये........



कल जैसे ही बेटे को स्कूल से लेकर निकला, उसने प्रश्न दागना शुरू कर दिया (वैसे यहाँ बता दूँ की मुझे अब तक ठीक ठीक नहीं पता चल है की दागने में वो आगे रहता है या उसकी अम्मा, बस इतना पता है की दोनों मिलकर मुझे पर दागते हैं )पापा, मेरे स्कूल के सारे बच्चों के पापा सेलेब्रेटीज हैं, आज मुझसे टीचर ने पूछा तो मैंने कहा की कल बताउंगा , वैसे मुझे इतना पता है की वे कोई गर हैं, शायद अजगर नहीं बाजीगर .........



अबे चुप, क्या बक रहा है तुझे कितनी बार तो बताया है की ब्लॉगर हैं, ये अजगर और बाजीगर से बिल्कुल अलग होता है बेटे, और क्या कहा सेलेब्रेटी , बेटा सही मायने में तो सबसे बड़ा सेलेब्रेटी आज ब्लॉगर ही है।



ठीक है पापा, लेकिन हो तो आप गर नस्ल के ही प्राणी न , और सेलेब्रेटीज कैसे हो ?



मैंने उसके गर -मगर पर बिना ध्यान दिए, बताना शुरू किया, देख, आज भारत की जनसख्या कितनी है, सवा अरब से भी ज्यादा, उसमें से हिन्दी बोलने, पढने, लिखने और समझने वाले कितने होंगे, करोड़ों में , उसमें से ब्लॉग्गिंग करने वाले कितने हैं सिर्फ़ हजारों में, अबे, हजारों में क्या सिर्फ़ कुछ हजार, और नियमित लिखने वाले, सिर्फ़ पाँच सौ, उसमें से एक तेरे पापा भी हैं। और ये जो तेरे, अमिताभ बच्चन, आमिर खान , जैसे लोग हैं न , वे तो सिर्फ़ अपने कुत्ते बिल्लियों के नाम बताने के लिए ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं, हम उनमें से नहीं हैं। हम लिखते है, उसे पढ़ते हैं, लोग हमारी प्रशंशा करते हैं, फ़िर हम प्रशंसा करते हैं, और ये सिलसिला चलता रहता है। और तो और ये तेरे सेलेब्रिटीज लोग तो एक दूसरे से कैसे लड़ते हैं, खुलमखुल्ला, सबके सामने, यहाँ हम किसी की आलोचना भी बड़ी ही शिष्टता से करते हैं, और कई लोग तो बेचारे इतने भद्र हैं की यदि किसी को गलियाने का मन करे तो बेनाम बन कर गलियाते हैं, ताकि दुःख न हो ये जान कर की अमुक आदमी गरिया रहा है।



बेटा बिल्कुल शुक मुनो की तरह ध्यान लगा कर सुन रहा था, " लेकिन पापा आप लोगों की चर्चा तो कहीं नहीं होती "

बेटा गए वो दिन जब हम ख़ुद ही लिखते थे और ख़ुद ही पढ़ते थे, अब तो हरेक समाचार पत्र, कोई प्रतिदिन, तो कोई साप्ताहिक रूप से हमारी और हमारे पोस्टों की चर्चा कर रहा है ,(मैंने उसे बिल्कुल भी नहीं बताया की कभी किसी ने भी मेरी चर्चा नहीं की,) और यहाँ ब्लॉगजगत पर तो हमारे पाठक कितने हैं कह ही नहीं सकते।



लेकिन हमेशा ही मैंने देखा है की जब आप पाठकों की संख्या देखते हो तो वो तो महज ४ या ५ होती है



क्या बात कर रहा है, तुझे नहीं पता, कंप्युटर हमेसा लास्ट वाला जीरो नहीं दिखाता, मतलब पचास साठ लोग रोज पढ़ते हैं, और पसंद भी करते हैं (यहाँ भी मैंने उसे बिल्कुल नहीं बताया की हम कुछ दोस्तों ने कसम खा राखी है की एक दूसरे की पोस्ट छपते ही उसपे पसंद का घंटा जरूर बजा कर आयेंगे , फ़िर बाद में उसे खूब बुरा भला कहें। )


तो बता अब कोई कह सकता है की तेरे पापा सेलेब्र्तितिज नहीं हैं।

बिल्कुल ठीक कहा पापा , कम से कम कहने पर कोई चाहे कुछ न समझे इतना तो समझ ही जायेगा की आप भी अजगर और बाजीगर की तरह के कुछ भारी भरकम और अनोखे हो.

6 टिप्‍पणियां:

  1. फिर शानदार लिखा . बधाई . भाई अपने बेटे को मेरा नाम बता देना मैं भी तो आपको पढता हूँ .

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  2. बिटवा को हमारा नाम भी बताया जाए..:)

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  3. aap dono ko bahut bahut dhanyavaad, bilkul kyon nahin use apne chacha logon kaa naam to pata hona hee chaahiye,

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  4. wah jha shaab....Mast likha hai aapne......
    Bhaut Bhadiya

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  5. बढ़िया लिखा आपने... आनन्द दायक... सरल हास्य... बधाई स्वीकारें..

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  6. aap sabka bahut bahut dhanyavaad, lagtaa hai ki aap log bhee selebrities banne par utaaru hain.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला