रविवार, 2 नवंबर 2008

कुछ बेतुकी, और अनाप शनाप बातें

आप सोच रहे होंगे की ये क्या बात हुई ये, बताने की क्या जरूरत है कि कुछ बेतुकी बात कहने जा रहे हैं, आप वो भी आज जबकि आप तो रोज़ ही वही कहते हैं, तो मेरी विनती तो सिर्फ़ ये है कि सरकार आज कोई उचित शीर्षक नहीं मिला इन बातों को कहने के लिए सो लिख दिया, अब आप इसे झेलें,

दादा के बाद जम्बो ने भी संन्यास लिए :- ये तो पहले ही लग रहा था कि ये टेस्ट मैच इस बार बिना किसी परिणाम यानि हार जीत के ही ख़त्म हो जायेगा, मगर इसका परिणाम ऐसा निकलेगा, ये तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। टेस्ट मैच के ख़त्म होते ही अपने जम्बो जी, अनिल कुंबले जी ने घोषणा कर दी कि वे संन्यास लेने जा रहे हैं, यानि अब वे क्रिकेट नहीं खेलेंगे, दादा के बाद ये दूसरा संन्यास उनका भी थोडा चकित करने वाला था इनका भी अप्रत्याशित, दोनों के ही लिए एक बात तो कही जा सकती हैं कि खेल और कैरियर में दोनों ने वो सब कुछ हासिल किया जो किसी को भी चाहिए होता है, और भारीतय क्रिकेट के अनुरूप वो प्यार और उपेक्षा भी मिली, समय भी एक लिहाज से उपयुक्त ही था, तो दोनों के ही हमारी तरफ़ से शुबकामनाएं। हाँ लेकिन जम्बो ने जिस तरह से अचानक ये फैसला लेकर सबको सुना दिया वो बेचारे मीडिया वालों के लिए थोडा मुश्किल काम हो गया, वरना वे अपने सारी ताकत लगा कर अनिल के बारे में वो सब भी ढूंढ लाते जो शायद उन्हें भी नहीं पता होता।
और सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये कि अब जब आस्ट्रेलिया वाले वापस जायेंगे तो जानते हैं क्या कहेंगे,जब उनसे इस दौरे की उपलब्धी के बारे में पूछा जायेगा तो,
" जी, अबसे हम हर साल भारत के दौरे पर जायेंगे और उनके एक दो खिलाडिओं को संन्यास दिला कर ही वापस आयेंगे, ये भी हमारी रणनीती का एक हिस्सा है "।

अभी और झेलिये "क्योंकि सास भी कभी बहू थी " :- अभी कल ही तो में एक पोस्ट लिख मारी थी कि अपनी बा, सास बहू वाली वोलेंत्री रिटायरमेंट लेकर जा रही हैं, और जल्दी ही ये धारावाहिक भी शायद हमारे बीच नहीं रहेगा, मैंने तो बेचारे कि दिवंगत आत्मा की शांती के लिए बाकायदा हवन भी रखवा लिए था, मगर आम आदमी के सपने कहाँ सच होते हैं जी, आज ही पता चला है कि इसकी निर्मात्री, माता एकता कपूर ने स्टार चैनल के ख़िलाफ़ ही मुकदमा ठोंक दिया है कि उनके इस धारावाहिक को जल्दी क्यों समाप्त किया जा रहा है, जी हाँ आपने बिल्कुल ठीक ही सुना है, जल्दी समाप्त किए जाने के खिलाफ ।
दरअसल उन्होंने सोच रखा था कि जब तक इस धारावाहिक के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन, बैन .आदि नहीं होगा तब तक यूँ ही चलाते रहंगे, या शायद सोचा हो कि जब तक तुलसी और मिहिर, और कारन और पता नहीं कौन कौन की शादी दस दस बार तलाक बीस बीस बार और अफ्फैर भी बहुत बहुत बार नहीं दिखा देती, जब तक इस आधुनिक शान्तिनिकेतन में एक हज़ार एक लोगों की मैय्यत नहीं उठती और पता नहीं जितने भी मन्नतें हैं वो सारी नहीं पूरी हो जाती तब तक सास भी रहेगी और बहू भी और कभी भी नहीं, हमेशा हमेशा के लिए, तो तैयार हो जाएँ कुछ और दिन इसका मजा लेने के लिए।

बर्मूडा और चेकोस्लोवाकिया, ये देश हमेशा तुम्हारा ऋणी रहेगा :-
आप लोगों में से शायद कुछ लोगों को बर्मूडा का नाम ध्यान हो, मैं याद दिलाता हूँ, ये वही छोटा मगर उपकारी देश है जिस, एकमात्र देश को हमारे देश की क्रिकेट टीम ने पिछले विश्वा कप में हरा था और क्या खूब रिकोर्ड बना लिए थे, यदि ये देश न खेल रहा होता तो विश्वा कप से हम ज्यादा बेइज्जत होकर निकलते, खैर, तब सबने एक स्वर से इस देश के बलिदान और हमारे देश के प्रति इसके योगदान के लिए धन्यवाद दिया था। इदाहर कुछ दिनों से एक और देश ऐसा ही उपकार कर रहा है, आपने वो विज्ञापन देखा है जिसमें लोग मीठा इसलिए खा लेते हैं कि भारत के जीतते जीते चेकोस्लोवाकिया जीत जाता है, मुझे ये तो उस विज्ञापन देख कर नहीं पता चला कि किस खेल में भारत उससे हार गया, मगर लोगों की खुशी और मीठा खाते देख कर इस बात को जानने की कोशिश भी नहीं की, कुछ अछा ही रहा होगा।
दूसरा विज्ञापन है कि यदि आपका बच्चा यदि ठीक ठीक चेकोस्लोवाकिया बोल लेता है तो समजिये कि आपकी बीमा राशि भारी भरकम होगी, हाँ उस विज्ञापन में भी ये नहीं बताया गया कि आख़िर बच्चा ही ये बोलने की कोशिश क्यों करे जबकि मैं तो दावे के साथ कअह सकता हूँ कि हमारे तो कई बड़े, अजी बड़े छोडिये, नेता और मंतरी भी चेकोस्लोवाकिया नहीं बोल सकते, और फ़िर उस देश के नाम से बीमा का क्या सम्बन्ध। खैर जो भी इतना तो तय है कि रूस कि तरह ये दोनों देश भी हमारे अभिन्न मित्र बनते जा रहे हैं। आज ही नक्शे में दोनों को ढूँढने की कोशिश करूंगा , आप भी करें.......

4 टिप्‍पणियां:

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला