रविवार, 10 अगस्त 2008

सभी ब्लोग्गेर्स से मुझे अपनी जान का ख़तरा है

सभी ब्लोग्गेर्स से मुझे अपनी जान का ख़तरा है .

बिल्कुल ठीक , मित्र ढूंढा मल भी ऐसे ही चौंक पड़े जैसे आप चौंक रहे हैं, मगर भाई इसमें चौकने वाली कोई बात नहीं है, ये तो यार बेहद संवेदनशील और गंभी बात है, मैंने उन्हें बताया। और सिर्फ़ ब्लोग्गेर्स ही क्यों मुझे तो अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, रितिक रोशन आदि से भी अपनी जान का ख़तरा है। मैंने उन्हें असलीयत बताई।

उन्होने कहा की क्या बकवास कर रहे हो यार, कौन सा ब्लॉगर ऐसा है जिससे तुम्हें अपनी जान का ख़तरा है। लोग अभी ठीक ठीक तो तुम्हें पढ़ते नहीं हैं, हमेशा ही उलटा उलटा सोचते और लिखते हो, कमेन्ट भी कभी कभार कोई दया कर के लिख देता है और आज तक एक बन्दर छाप दंतमंजन तक का विज्ञापन तो दिखाई नहीं दिया तुम्हारे ब्लॉग पर तो फ़िर कोई किस कारण से तुम्हारा दुश्मन बन सकता है । और रही बात फिलिमी सितारों की तो भाई ये बात मेरी समझ में नहीं आयी की वो क्यों तुम्हारी जान के पीछे पड़ेंगे जबकि उनसे तुम्हारा दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है और एक्टिंग से भी नहीं।

मैं भड़क गया, ये तो तो कोई बात नहीं हुई, जब मायावती को भी अपनी जान का ख़तरा हो सकता है, उन्हें भी कोई जान से मारने की धमकी दे सकता है, और सबसे बड़ी बात की उनकी इस बात पर सबको विश्वास हो रहा है, कोई भलामानस इस पर संदेह नहीं कर रहा तो आप क्यों खामख्वाह मुझे पर शक कर रहे हैं।
यार सच तो ये है की मैं एक आम आदमी हूँ और आपको पता नहीं यहाँ तो एक आम आदमी को सड़क पर चलते बस और ट्रक से भी अपनी जान का ख़तरा होता है ...................

ब्लॉगजगत का एकमात्र टी वी चैनल , ममता टी वी

जब शुरू शुरू में मैं यहाँ ब्लॉगजगत पर आया तो सरे अनुभव बिल्कुल नए हो रहे थे और जाहिर सी बात है की बिल्कुल रोमांचकारी और अनोखे से। उसी दौरान मुझे एक नया ब्लॉग दिख्याई दिया, ममता टी वी। मैंने सोचा की अच्छा तो टी वी वालों ने यहाँ भी एक नए नाम के साथ अपनी टांग घुसेड राखी है, और फ़िर तेलेवीजन पर क्या कम ममता लुटाई जा रही है जो यहाँ भी जरूरत पड़ गयी। मगर फ़िर पता चला की नहीं जी ये तो अपनी एक चिट्ठाकारा ममता जी। इनका भी क्या कहना, कभी झारखंड, कभी गोअया, तो कभी कोई और कोना, कोई नया अनुभव , कोई नया विषय , नयी सोच पर कभी छोटी छोटी तो कभी बड़ी बड़ी पोस्टें लिखनें में माहिर। सबसे बड़ी खासियत की बेहद ही नियमित लेखक और टिप्प्न्नी करने वाली भी। सोचता हूँ की इस ब्लॉगजगत पर इनकी ममता की बौछार की हमेशा ही जरूरत बनी रहेगी ..................

बचत

लीना और टीना शोपिंग मॉल में खरीददारी कर रही थी। पर्स का दाम सुनकर लीना ने टीना से कान में चुपके से कहा , टीना , यार ये तो खुलाम्खुला लूट रहे हैं इस पर्स का बाहर किसी भी दूकान में इससे आधा ही होगा, रहने दे चल निकल यहाँ से।
टीना ने उसे फुसफुसा कर समझाया , क्या बोल रही है तू, पागल अब जो है ले ले , ऐसी जगह पर कोई मोल भाव करता है क्या कितनी शर्म आयेगी।
मॉल से बाहर निकलते ही दोनों सहेलियां एक रिक्शा करने लगी,
बड़े चौक का कितना लोगे भाई,
जी में साहब दस रुपैये लगेंगे।
अरे जाओ जाओ वहां के तो आठ ही लगते हैं, हम तो रोज़ जाते हैं।
जी बीबीजी, मगर ये भी तो देखिये की कितनी तेज धुप है।
चलो चलो आठ में चलना है तो बताओ।
ठीक है बीबीजी, चलिए।
"देखा ये रिक्शे वाले बदमाश होते हैं, बच्चा लिए न दो रुपैये, लीना से तीन ने कहा.

6 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khub jaari raahiye ..accha likha hai aap ne ...aap ka dhanywaad ......

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  2. मैं आप की बात से पूरी तरह सहमत हूँ, अगर आप आम ब्लागर हैं तो आप को हर तरफ़ से खतरा है. पहले सारे आम ब्लागर होते थे, अब कुछ ब्लागर ब्लाग की दुनिया में घुसते ही सेलिब्रिटी ब्लागर हो गए. जैसे आम आदमी को हर वीआईपी से खतरा होता है उसी तरह आम ब्लागर भी खतरे में है. संभल कर रहिएगा भइया. बजरंगवली आपकी और मेरी और सब आम ब्लागरों की रक्षा करें.

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  3. मेरी भी रक्षा करो भाई लोगों.
    :)

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  4. बहुत बढ़िया लिखा है अब हमारी रक्षा के लिए तैयार होलिजिए...
    http://nitishraj30.blogspot.com
    http://poemofsoul.blogspot.com

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  5. सही कटाक्ष है बचत...लेकिन अंतिम लाइन ठीक है

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला