सोमवार, 2 जून 2008

आरक्षण , ये आर एक्शन कुछ ज्यादा ही आता जा रहा है


मित्र चिटठा सिंग , फ़िर अचानक टकरा गए, पूछ बैठे, क्यों भाई आजकल तो तुम भी इसी गरमागरम हो रहे मुद्दे आरक्षण पर ही कुछ सोच और लिख रहे होगे। यार इस आरक्षण से याद आया , वो जो अपने ब्रिटिश मित्र हैं न, टॉम डिसूजा , कल उनका भे फोन आया था, पूछने लगे , क्या बात है भाई आप लोग तो बड़े अमन पसंद थे फ़िर ये आजकल कैसा आर एक्शन का शोर मचा हुआ है , और इतना एक्शन तो हमारे यहाँ भी नहीं होता सुना है कि, कुछ साहसी लोग सड़कों पर सीधे उतर आए हैं एक्शन के लिए। तब जाकर मैं समझा कि वो जिसे आर एक्शन कह रहे हैं दरअसल वो ताजा ताजा आरक्षण आन्दोलन की बात कह रहे थे। मैंने तो किसी तरह उन्हें समझाया कि दरअसल ये आर एक्शन कुछ रोतदू लोगों का तांता है जो हमेशा इसी बात को लेकर रोते धोते रहते हैं। ख़ुद रोते हैं और बाकियों को धोते हैं। वैसे आन्दोलन बड़ा जोरदार रहा, क्यों?

क्या ख़ाक जोरदार रहा, तुम तो सिर्फ़ एक पहलू ही देख रहे हो । मैं भी दौरे पर उधर ही निकल गया था । पहले रास्ते में कुछ जली हुई बसें मिली , सब की सब सरकारी थी और लोगों ने उन्हें सरकारी माल की तरह हे जला मारा था, सिसक सिसक कर खेने लगीं, यार ये बात ग़लत है हर बार तुम लोग हमें ही अपने बाप का माल समझ कर जला देते हो , इन देलाक्स बसों को हमेशा ही छोड़ देते हो । देखो भैया अब तो हमें भी ये आरक्षण चाहिए, कि जब ये तुम लोगों का आन्दोलन वाला ड्रामा होगा तो 50 परसेंट हमें और ५० परसेंट ये शानदार बोडी वाली ए सी बसों को जलाओगे।

उसके बाद आगे गया तो यही बात पटरियों ने कही , भैया हम तो न जाने कब से ढीले और कमजोर पड़े हुए हैं , उखाड़ना चाहते थे और हिम्मत थी तो मेट्रो की मजबूत पटरियों को उखाड़ कर दिखाते , ताकि जापानियों को भी तो पता चलता कि यहाँ पटरियों को कैसी कैसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।

क्रमश ........

2 टिप्‍पणियां:

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला