शनिवार, 17 मई 2008

काश मेरे नाम से भी कोई कुत्ता पालता ?

जब से मैंने ये सुना है की श्री श्री मिस्टर पेर्फेक्शनिष्ट, अजी वही अपने आमिर खान साहब ने एक कुत्ता पाला है जिसका नाम किंग खान नाम पर रखा गया है तभी से मन में एक हलचल सी मची हुई है, एक अनजाना क्रोध , एक छुपी प्यास सी जाग गयी है। आमिर खान ने कुत्ता पाला है , अजी आमिर खान हैं, मुझे तो उम्मीद थी की जैसे वे सिनेमा जगत में अपने अलग अलग प्रयोगों और विषयों के लिए जाने जाते हैं वैसे ही जब भी पालेंगे ये कुत्ता बिल्ली , बकरी, तोता , नहीं पालेंगे, कम से कम घड़ियाल , या फ़िर कोई अनाकोंदा , या गॉडजिला पालेंगे, साच कहूं तो बड़ा निराश किया उन्होंने , खैर।

मेरा असली गुस्सा तो इस बात पर है की उन्होंने उसे नाम भी दिया तो किंग खान का , क्यों भाई ये क्या बात हुई सारी पब्लिसिटी क्या सिर्फ़ आप फ़िल्म वालों को ही मिलनी चाहिए , ऐसा तो था नहीं या की ऐसा तो नहीं हो सकता की आमिर सोच रहे हों की कल को कभी ना कभी उनके कुत्ते का मोम का पुतला फ्रांस , अमेरिका, या लंदन के संघ्रालय में लग जायेगा, क्योंकि ख़ुद उनका तो कभी कपड़े का पुतला भी नहीं बना , कम से कम जलाने के लिए सही। मुझे बेहद तकलीफ हुई की बचपन से लेकर आज तक मेरी कितनी तमन्ना थी की मेरे नाम पर भी कुछ हो , नहीं अपने नाम पर मैं ख़ुद तो काफी कुछ करता ही रहता हूँ , मगर आज तक मेरे नाम पर सिर्फ़ एक ही बात हुई थी , मेरे दोस्त ने मेरे नाम पर स्कूल में एक बालिका को प्रेम संदेश भेजा था, उसके बाद जो मेरी मिजाजपुर्सी हुई थी तो सच कहूं तो ये इच्छा तो दब ही गयी थी, मगर अब अचानक जाग गयी।

अपनी पत्नी से लड़ाई झगडे में कई बार कहा की यदि मैंने ऐसा किया या नहीं किया तो कल से मेरा नाम बदल देना, पत्नी टपक से बोल देती की लगे हाथ अपना नया नाम भी बताते जाओ। फ़िर गुस्से में बोल कर देखा की ठीक है यदि ऐसा हुआ तो कल से मेरे नाम पर एक कुत्ता पाल लेना, जवाब मिला नहीं मैं घर में एक ही नाम के दो जानवर नहीं रख सकती। तो फ़िर जब में ख़ुद को प्रस्तुत कर चुका था तो आमिर को फर्स्ट कम फर्स्ट आधार पर अपने कुत्ते को मेरा ही नाम देना चाहिए था। अजी छोडिये इसे , यदि वे चाहते तो मुझे ही पाल लेते , उनके यहाँ तो कुत्ते की तरह पलने में भी अपना ही एक मज़ा है, अब तो वहाँ हेरोइनें भी विदेशी आनऐ लगी हैं। वैसे वे चाहे तो मैं अब भी अपने नाम का प्रयोग करने की इजाज़त दे सकता हूँ मैंने उनकी इस बात का जरा भी बुरा नहीं माना भाई मानु भी कैसे वे सारे तारे जमीन पर ले आए हमारे लिए। क्यों हैं न ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब बन्धुवर....
    सही खिंचाई की है आपने.....


    लगे रहो...जमे रहो...

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  2. सही कटाक्ष है. आमिर ने बहुत ही ओछी मानसिकता का परिचय दिया है इस तरह.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला