गुरुवार, 1 मई 2008

एक कविता

होते होंगे,
कई दर्द,
मीठे भी,
हमें तो,
हर दर्द,
का स्वाद,
कसैला लगा है॥

हुए होंगे,
किसी के साथ
हसीन हादसे भी,
हमें तो ,
हर चोट से,
सदमा पहुंचा है॥

होता होगा,
वक्त, किसी के ,
साथ भी,
हमारे तो,
हमेशा ही,
आगे या पीछे,
रहता है॥

मगर ये हो सकता है कि ऐसा सिर्फ़ हमारे ही साथ होता हो?

6 टिप्‍पणियां:

  1. सभी के अनुभव हैं.

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  2. नहीं भाई ऐसा सभी के साथ होता है .

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  3. दर्द कभी किसी को सुहाता नही है चाहे वह कोई भी हो . दिल की आवाज कलम से उकेरने के लिए धन्यवाद

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  4. अपने अनुभवों को अच्छे शब्द दिये हैं आपनें..

    ***राजीव रंजन प्रसाद
    www.rajeevnhpc.blogspot.com

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  5. aap sabka dhanyavaad. padhne ke liye bhee aur saraahne ke liye bhee.

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  6. अनुभव ....दर्द भरे या नुकीले .....लेखन में आ जाए....तो चिंतन में पकड़ लाता है

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला