मंगलवार, 4 मार्च 2008

तेरे बिना

तेरे बिना,
मेरे घर को,
रोशन नहीं,
करतें हैं,
दिन के,
उजाले भी॥

तेरे बिना,
मुझ से,
नहीं संभलती,
खुशियाँ,
मेरे संभाले भी॥

तेरे बिना,
कहाँ सुरूर,
दे पाते हैं,
पैमाने और,
प्याले भी॥

तेरे बिना,
मुमकिन नहीं था,
कि कहलाते , कभी,
बेवफा भी,
दिलवाले भी॥

तेरे बिना,
कहाँ दस्तक
देती है खुशी,
कहाँ टलते हैं,
गम, मुझ अकेले ,
के टाले भी..

तेरे बिना,
पानी का सोता,
प्यास नहीं बुझाता,
भूख नहीं मिटाते,
रोटी के,
निवाले भी॥

मुझे मंज़ूर है,
उससे ,
बगावत भी ,
तेरे बिना,
नहीं करूंगा,
मैं ख़ुद को,
खुदा के,
हवाले भी॥

हाँ सच, तेरे बिना मेरा वजूद ही कहीं नहीं है.........................

3 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे मंज़ूर है,
    उससे ,
    बगावत भी ,
    तेरे बिना,
    नहीं करूंगा,
    मैं ख़ुद को,
    खुदा के,
    हवाले भी॥
    bahut sundar bhaav hai

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  2. कौन है भई इतना भयंकर पावर फुल. :)

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  3. ajee kya bataayein sir kaun hai aap kee shaadee nahin huee hai kya. mehek jee aap kaa bhee dhanyavaad.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला