शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008

अथ तिप्पन्नीनामा (तिप्पन्नीकारी पर एक अध्याय)

कमाल की दुनिया है ये ब्लोग्गिंग की। आप ही बताइये यदि आप वास्तविक दुनिया में किसी से भी ये कहें , की क्या बात है अजी आजकल बड़े कम्मेंट मार रहे हैं लोग , तो निश्चित रूप से उसे अच्छा नहीं लगेगा और यदि किसी महिला से ऐसा कहा तो निश्चित ही उसके चप्पलों के रसास्वादन से आपको कोई नहीं बचा सकता। मगर यहाँ तो आप जिसे चाहे कम्मेंट मारें, भीगा भीगा कर मारें। खैर,

इस कम्मेंट की कम्मेंतारी से संबंधित कुछ विशेष बातें आपको बताता हूँ। हमारे कुछ ब्लॉगर सिर्फ़ कम्मेंट सुनना या पढ़ना चाहते हैं मगर कम्मेंट करने के लिए इनके पास समय नहीं या शायद शब्द ही नहीं, जो भी आप समझें।

चलिए इतना तक तो ठीक है मगर हमारे कई चिट्ठाकार और चिट्ठाकार्नीइयाँ तो ऐसे हैं की आप उनकी प्रशंशा करें या आलोचना सब कुछ पचा जाते हैं, पलट कर एक शब्द भी फोल्लो अप कम्मेंट नहीं करते, फ़िर शक होता है की अम्मा हमारी उत्कृष्ट टिप्पणियाँ पढी भी गयी या नहीं।

मगर तिप्प्निनामा का सबसे दुखद अध्याय तो ये है। :-

पहला सच, ब्लोग्गिंग के बड़े महारथी कभी टिप्पणी नहीं किया करते हैं।
दूसरा सच , टिप्पणियाँ सबको अच्छे लगती हैं चाहे सिर्फ़ एक शब्द ही हो।
तीसरा सच , हमारे हजारों ब्लोग्गेर्स ऐसे हैं जिनके ब्लॉग पर टिप्पणियों का भयंकर अकाल है।

सबसे बड़ा सच। यार, कुछ तो ऐसा लिखो की तिप्प्न्नी करने का मन करे।

तो इन उत्तम या घटिया विचारों के साथ तिप्प्न्नीनामा का ये अध्याय समाप्त होता है॥

मेरा अगला पन्ना होगा :- ब्लॉगजगत का प्रथम विश्वयुद्ध .

10 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कभी टिप्पणी का जवाब देने के लिए टिप्पणीकार के ब्लोग पर जाओ तो ई-मेल ढ़ूढ़े भी नहीं मिलता ऐसे में उसके ब्लोग पर ही टिप्पणी छोड़ने के सिवा कोई चारा नहीं रहता। मेरी प्राथना है कि हर चिठ्ठाकार अपना ई-मेल पता अपने प्रोफ़ाइल में जरूर दें ताकि उनको ठीक से धन्यवाद कहा जा सके।

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  2. क्या हुआ?? किससे नाराज हो?

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  3. क्या बात है भैया, विश्वयुद्ध करवा रहे हो ;)

    छोटी मोटी जूतम-पैजार पे ही खुश रहने दो इस ब्लॉगजगत को बंधु!

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  4. ha ha bahut kamal likha hai,utna hi sach:):)

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  5. टिप्पणी बहुत सुहाना लगता है
    अपना लिखा पढ़ा सार्थक होता है
    भले ही करें गालियों की बौछार
    सनद तो है कि आप आये मेरे द्वार
    भाई साहब कभी मेरे यहाँ भी आइये
    इस टिप्पणी का कर्ज़ तो चुकाइये

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  6. यदि सभी चिटठाकार कुछ बातों का धयान रखें तो शायद आपकी शिकायत स्वत: ही दूर हो जायेगी
    जब आप कोई रचना प्ढ़ते है तो उस पर कोई ना कोई टिप्प्णी करने की कोशीश करें इससे लेखक को प्रोत्साहन मिलता है और पाठक की सवेदन शीलता का पता भी चलता है
    सभी चिठठाकार अपना ई मेल अवश्य दे ताकि ठीक से टिप्प्णी की जा सके और उसका जवाब लिया दिया जा सके।
    लेखक टिप्प्णी की उम्मीद तो रखे परन्तु टिप्पणी ना आने पर परेशान ना हों इससे उनके लेखन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा

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  7. मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ। वहीं मैं उन लोगों से भी अनुरोध करता हूँ कि कोई भी टिप्‍पणी हो, उसका स्‍वागत करें। "साधुवाद" वाली टिप्‍पणियों से नाक भौं न सिकोड़ें। हर किसी को इतना समय नहीं होता कि आपकी रचना की समीक्षा Detail में लिखें इसलिए एक लाइन की टिप्‍पणी देकर अपनी हाजिरी दर्ज करा देते हैं। कुछ नहीं से कुछ तो सही। इसलिए हर टिप्‍पणी अपने आप में महत्‍वपूर्ण है। मज़ा तो तभी है जब टिप्‍पणी पोस्‍ट के साथ चिपकी रहे (बशर्ते उसमें कोई आलोचना न हो), ई-मेल से भेजने का क्‍या फ़ायदा ?

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  8. सहमत है आपसे........

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  9. apke vichaaron aur sujhaavon ke liye dhanyavaad. magar mere khyaal se aggregators kee taraf se koi automated tippni sewaa bhee honee chaahiye taki bloggers kaa utsaah badh sake. waise mera anubhav to ye kehtaa hai ki jitnaa badaa aapkaa daayaraa hogaa utnee hee pratikriyaan aapko milengee. saath dete rahein.

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  10. जब मैंने यहाँ लिखना शुरू किया था तब टिप्पणियों का उत्तर अपने ही बलॉग में धन्यवाद के रूप में दे रही थी । फिर लगा कि शायद ही कोई वापिस यह पढ़ने को आता होगा । बेहतर यह होगा कि मैं भी अधिक से अधिक ब्लॉग्स पढ़ूँ और अपने विचार चाहे दो शब्दों में ही दूँ ।
    घुघूती बासूती

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला